Saudagar Movie Facts | सौदागर फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 21 अनसुनी व रोचक कहानियां | Trivia

Saudagar Movie Facts. 9 अगस्त साल 1991 में आई फिल्म सौदागर हिंदी सिनेमा जगत की कालजयी फिल्मों में शुमार होती है। ये फिल्म दिलीप कुमार और राजकुमार को तीस साल के बाद फिर से साथ लेकर आई थी। 

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Saudagar Movie Facts - Photo: Social Media

5 करोड़ रुपए में बनकर तैयार हुई इस फिल्म ने लगभग पन्द्रह करोड़ 70 लाख रुपए की कमाई की थी। इस तरह ये फिल्म 1991 में साजन और हम के बाद कमाई के मामले में तीसरी बड़ी फिल्म थी। फिल्म को डायरेक्ट किया था सुभाष घई ने। फिल्म का म्यूज़िक ज़बरदस्त हिट साबित हुआ था।

Meerut Manthan आज आपको सौदागर फिल्म और इसकी मेकिंग से जुड़े कुछ रोमांचक तथ्य बताएगा। सौदागर फिल्म पर बेस्ड हमारा ये Article आपको ज़रूर पसंद आएगा, हमें इसका पूरा यकीन है। Saudagar Movie Facts.

पहला फैक्ट

आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म में वासू के जिस रोल में एक्टर विवेक मुश्रान दिखे थे उसे पहले आमिर खान को ऑफर किया गया था। लेकिन आमिर को ये रोल बहुत छोटा लगा और उन्होंने इसे निभाने से इन्कार कर दिया। अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह ने भी वासू के रोल के लिए सुभाष घई को ऑडिशन दिया था। लेकिन वो ऑडिशन में फेल हो गए थे।

ये रोल सलमान खान को भी ऑफर किया गया था। लेकिन उनके साथ भी सुभाष घई की बात नहीं बनी। महान कॉमेडियन जॉनी वॉकर के बेटे और एक्टर नासिर खान ने भी इसी रोल के लिए ऑडिशन दिया था। मगर वे भी ऑडिशन में फेल हो गए।

दूसरा फैक्ट

एक्टर विवेक मुश्रान और एक्ट्रेस मनीषा कोईराला की पहली फिल्म सौदागर ही थी। हालांकि मनीषा कोईराला साल 1989 में अनोखा अंदाज़ नाम की फिल्म से बॉलीवुड डेब्यू करने वाली थी। लेकिन वो फिल्म पूरी हो ही नहीं सकी और इस तरह सौदागर मनीषा कोईराला की डेब्यू फिल्म बन गई।

तीसरा फैक्ट

विवेक मुश्रान और मनीषा कोईराला ने चार फिल्मों में एक साथ काम किया है। ये फिल्में हैं सौदागर(1991), फर्स्ट लव लैटर(1991), इंसानियत का देवता(1993) और सनम(1997)। ये बात भी कम लोग ही जानते हैं कि सौदागर से काफी पहले ही फर्स्ट लव लैटर तैयार हो गई थी।

लेकिन चूंकि सुभाष घई चाहते थे कि मनीषा और विवेक को उनकी फिल्म से लॉन्च किया जाए तो पहलाज निहलानी ने अपनी फिल्म फर्स्ट लव लैटर की रिलीज़ सौदागर के लिए होल्ड कर दी थी। जहां सौदागर रिलीज़ हुई थी 9 अगस्त 1991 को तो फर्स्ट लव लैटर रिलीज़ हुई थी 13 सिंतबर 1991 को।

चौथा फैक्ट

राज कुमार और दिलीप कुमार ने साल 1959 में फिल्म पैग़ाम में साथ काम किया था। उसके बाद से ही ये दोनों स्टार्स कभी किसी फिल्म में साथ नहीं दिखे। लोगों को लगता था कि दोनों अपने ग़ुरूर के चलते साथ काम नहीं करना चाहते। एक वक्त था जब कोई डायरेक्टर इन दोनों एक्टर्स को किसी फिल्म में साथ लाने के बारे में सोच भी नहीं सकता था। लेकिन ये कमाल कर दिखाया सुभाष घई ने अपनी फिल्म सौदागर में।

पांचवा फैक्ट

दिलीप कुमार के साथ सुभाष घई की तीसरी फिल्म थी सौदागर। इससे पहले सुभाष घई दिलीप कुमार संग 1982 की विधाता और 1986 की कर्मा में काम कर चुके थे। दिलीप कुमार संग सुभाष घई एक और फिल्म करना चाहते थे जिसका नाम उन्होंने होमलैंड रखा था। लेकिन हालात कुछ ऐसे बने कि वो फिल्म कभी शुरू ही नहीं हो पाई और सुभाष घई ताल बनाने में बिज़ी हो गए।

छठा फैक्ट

विवेक मुश्रान और मनीषा कोईराला की जोड़ी ने साल 1993 में आई फिल्म इंसानियत का देवता में एक बार फिर से राज कुमार संग काम किया था। हालांकि सौदागर सुभाष घई की राज कुमार के साथ पहली और आखिरी फिल्म थी।

इसके बाद फिर कभी सुभाष ने राज कुमार के साथ कोई फिल्म नहीं की। मनीषा कोईराला ने भी फिर दोबारा कभी सुभाष घई के साथ काम नहीं किया। और ऐसा क्यों हुआ ये आपको आगे पता चलेगा।

सातवां फैक्ट

सौदागर में मनीषा कोईराला जिस रोल में नज़र आई थी उसके लिए पहले दिव्या भारती का स्क्रीन टेस्ट भी लिया गया था। लेकिन सुभाष घई को लगा कि दिव्या भारती बहुत छोटी दिखेंगी। इसलिए उन्होंने दिव्या भारती को कास्ट नहीं किया। इसी रोल के लिए पूजा भट्ट ने भी ऑडिशन दिया था।

मगर उनका सिलेक्शन भी नहीं हो सका। फॉर्मर मिस इंडिया अनू कोट्टूर ने भी इसी रोल के लिए ऑडिशन दिया था। मगर उनकी किस्मत में भी ये रोल नहीं था। ये वो वक्त था जब अनू कोट्टूर चंकी पांडे की गर्लफ्रेंड हुआ करती थी।

आठवां फैक्ट

राज कुमार जब पहले दिन फिल्म के सेट पर पहुंचे और उन्हें पता चला कि दिलीप कुमार का कैरेक्टर यूपी बिहार वाली हिंदी बोलेगा और उनका कैरेक्टर शुद्ध हिंदी बोलेगा तो उन्हें ये गलतफहमी हो गई कि जान बूझकर उनके कैरेक्टर को दिलीप कुमार के कैरेक्टर से कम करने की कोशिश की गई है।

इस गलतफहमी के चलते राज कुमार बेहद नाराज़ हो गए और उन्होंने फिल्म छोड़ने की धमकी तक दे दी। सुभाष घई ने दो घंटे तक राज कुमार को मनाया और उन्हें समझाया कि चूंकि दिलीप कुमार का कैरेक्टर ग़रीब और छोटी जाति से है तो वो इस भाषा में बात करता है। 

जबकी आपका कैरेक्टर अमीर और शाही है इसलिए शाही अंदाज़ में बात करता है। ये सुनने के बाद राज कुमार का ग़ुस्सा शांत हुआ और उन्होंने फिल्म पूरी की।

नौंवा फैक्ट

फिल्म में जैकी श्रॉफ भी एक स्पेशल अपीयरेंस में नज़र आए थे। पहले इस रोल के लिए सुभाष घई अमिताभ बच्चन को कास्ट करना चाहते थे। लेकिन देवा फिल्म के दौरान अमिताभ और घई के बीच गलतफहमियां हो गई थी।

कुछ दिनों की शूटिंग के बाद देवा बंद हो गई और कभी नहीं बन पाई। इसिलिए जब सुभाष घई ने अमिताभ को ये रोल ऑफर किया तो उन्होंने इसे अस्वीकार कर दिया। हालांकि सौदागर का मुहर्त क्लैप देने के लिए अमिताभ ज़रूर आए थे।

दसवां फैक्ट

दिलीप कुमार की आखिरी हिट फिल्म थी सौदागर। इस फिल्म के बाद उन्होंने अपने महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट कलिंग की शुरुआत की थी। कलिंग के लिए दिलीप कुमार ने कई फिल्में ठुकराई थी। मगर 70 प्रतिशत कंप्लीट होने के बाद इस फिल्म की शूटिंग रुक गई और फिर कभी कंप्लीट नहीं हो पाई। साल 1997 में आई किला दिलीप साहब की आखिरी फिल्म थी। और ये फिल्म बुरी तरह फ्लॉप हुई थी।

ग्यारहवां फैक्ट

भारत के बाद कनाडा में सौदागर को बहुत ज़्यादा पसंद किया गया था। पब्लिक डिमांड पर इस फिल्म को 1992 में कनाडा के रॉबसन स्क्वायर थिएटर में दिखाया गया था। हालांकि इससे पहले ही होम वीडियो पर इस फिल्म को रिलीज़ कर दिया गया था।

बारहवां फैक्ट

सौदागर फिल्म की शूटिंग के दौरान ही कुछ ऐसा भी हुआ था जिसके बाद फिर दोबारा कभी मनीषा कोईराला और सुभाष घई ने साथ काम नहीं किया। दरअसल, फिल्म की रिलीज़ के बाद सुभाष घई ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी थी। वो चाहते थे कि मनीषा कोईराला मीडिया से बात करें।

लेकिन चूंकि उन दिनों कुछ मीडिया वालों ने मनीषा के बारे में कुछ अफवाह फैलाई थी तो वो मीडिया से काफी नाराज़ थी और उनसे बात नहीं करना चाहती थी। इस वजह से सुभाष घई और मनीषा कोईराला के बीच तीखी बहस हो गई और मनीषा अपनी मां के साथ वहां से चली गई। इसी घटना के बाद फिर दोबारा मनीषा और सुभाष काम के लिए साथ नहीं आए।

तेरहवां फैक्ट

फिल्म में एक सीन है जिसमें विवेक मुश्रान और मनीषा कोईराला घुड़सवारी करते हुए नज़र आते हैं। पहले मनीषा ने घुड़सवारी करने से इन्कार कर दिया था। दरअसल, जिस रास्ते पर मनीषा को घुड़सवारी करनी थी वो बहुत ज़्यादा खराब था।

इसिलिए उन्होंने सीन शूट करने के लिए बॉडी डबल का इस्तेमाल करने की गुज़ारिश सुभाष घई से की थी। लेकिन सुभाष घई मनीषा की ये बात सुनते ही बुरी तरह भड़क गए। सुभाष घई सीन को एकदम नैचुरल दिखाना चाहते थे।

हालांकि बाद में सुभाष घई बॉडी डबल से ये सीन शूट कराने के लिए रेडी हो गए थे। लेकिन तब तक मनीषा कोईराला खुद ही वो सीन शूट करने का मन बना चुकी थी। मनीषा ने वो सीन शूट भी किया। और उनकी आशंका सच भी साबित हुई। शूटिंग के दौरान मनीषा घोड़े से गिर पड़ी और घायल हो गई।

चौदहवां फैक्ट

इस फिल्म में मनीषा कोईराला और विवेक मुश्रान को घुड़सवारी की ट्रेनिंग दी थी जीतू वर्मा ने। जीतू वर्मा खुद भी एक एक्टर हैं और सोल्जर फिल्म में इनका निभाया जोजो का रोल बहुत पॉप्युलर हुआ था। सोल्जर के अलावा भी जीतू वर्मा ने कई फिल्मों में एक्टिंग की है। एक्टिंग के अलावा जीतू फिल्म इंडस्ट्री को घोड़े भी प्रोवाइड कराते हैं।

पन्द्रहवां फैक्ट

फिल्म में गुलशन ग्रोवर भी नज़र आए थे और इनके किरदार का नाम था बलिराम। फिल्म की कहानी लिखने के दौरान सुभाष घई को बलिराम का किरदार समझ में नहीं आ रहा था। उन्हें लग रहा था कि बलिराम का किरदार फिल्म में फालतू हो रहा है।

इसलिए कास्टिंग के दौरान जब सुभाष घई ने गुलशन ग्रोवर को इस रोल के लिए सिलेक्ट किया तो उन्होंने पहले ही गुलशन को बता दिया था कि हो सकता है कि उनका रोल पूरा का पूरा काट भी दिया जाए। हालांकि फाइनल एडिटिंग के दौरान ऐसा हुआ नहीं।

सोलहवां फैक्ट

ये बात जानकर आपको हैरानी होगी कि सुभाष घई इस फिल्म से बॉबी देओल को फिल्म इंडस्ट्री में लॉन्च करना चाहते थे। विवेक मुश्रान वाले रोल के लिए सुभाष घई की पहली पसंद बॉबी ही थे। लेकिन उस वक्त धर्मेंद्र ने बॉबी को इस फिल्म में काम नहीं करने दिया था। धर्मेंद्र ने सुभाष घई से कहा कि वो बॉबी को खुद ही अपनी फिल्म कंपनी विजेता पिक्चर्स से लॉन्च करेंगे।

सत्रहवां फैक्ट

साल 1992 में आयोजित हुए फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सौदागर 9 कैटेगरीज़ में नॉमिनेट हुई थी और दो अवॉर्ड जीतने में कामयाब रही थी। सुभाष घई को इस फिल्म के लिए बेस्ट डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला था। ये सुभाष घई के करियर का इकलौता बेस्ट डायरेक्टर फिल्मफेयर अवॉर्ड है।

इसके बाद परदेश के लिए उन्हें बेस्ट स्क्रीनप्ले का फिल्मफेयर अवॉर्ड ज़रूर मिला। लेकिन बेस्ट डायरेक्टर का अवॉर्ड सुभाष घई फिर कभी ना जीत सके। 1992 के फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में सौदागर को मिलने वाला दूसरा अवॉर्ड था बेस्ट एडिटिंग अवॉर्ड जो कि फिल्म के एडिटर वामन भोंसले को मिला था।

अट्ठारहवां फैक्ट

सुभाष घई ने जब सौदागर की फाइनल कास्ट की घोषणा की तो मीडिया में उनसे सवाल किया गया कि फाइनल कास्ट में देवानंद क्यों नहीं हैं। दरअसल, काफी पहले से ये बातें फिल्म इंडस्ट्री में होने लगी थी कि सौदागर में दिलीप कुमार के साथ देवानंद को सुभाष घई कास्ट करेंगे।

इसलिए जब मीडिया ने सुभाष घई से इस बारे में सवाल किया तो उन्होंने जवाब दिया कि देव साहब को डायरेक्ट करने की हैसियत मेरी नहीं है। मैं देव साहब का बहुत बड़ा फैन हूं। मैं उन्हें डायरेक्ट कर ही नहीं पाऊंगा।

उन्नीसवां फैक्ट

साल 1973 में भी बॉलीवुड में सौदागर नाम की फिल्म रिलीज़ हुई थी। उस फिल्म में लीड रोल में अमिताभ बच्चन और नूतन थे। इस फिल्म की बड़ी चर्चा उन दिनों हुई थी। अमिताभ बच्चन की सौदागर भी सफल फिल्म मानी गई थी। अमिताभ की सौदागर के 18 साल बाद सुभाष घई की सौदागर रिलीज़ हुई थी।

बीसवां फैक्ट

सौदागर का संगीत बहुत बड़ा हिट साबित हुआ था। फिल्म के गीत ईलू ईलू, इमली का बूटा और सौदागर उस ज़माने में बहुत पसंद किए गए थे। फिल्म का म्यूज़िक दिलीप कुमार और राज कुमार, दोनों को बहुत पसंद आया था। फिल्म की रिलीज़ के बाद मुंबई के दादर में मौजूद प्लाजा सिनेमा में इसका एक ग्रैंड प्रीमियर भी रखा गया था।

इक्कीसवां फैक्ट

सौदागर में शुरु में हमें दिलीप कुमार और राज कुमार की जवानी के किरदार भी दिखाए जाते हैं। राज कुमार की जवानी का किरदार निभाया था एक्टर वेद थापर ने जो बाद में राजा और रेंचो नाम के दूरदर्शन के एक शो से बहुत मशहूर हुए थे।

जबकी दिलीप कुमार का किरदार निभाया था एक्टर ज़ाहिद अली ने जो कि थिएटर की दुनिया का बहुत बड़ा नाम हैं और कई टीवी शोज़ व फिल्मों में नज़र आ चुके हैं। वेद थापर और ज़ाहिद अली को एक्ट्रेस दीप्ति नवल ने एक नाटक में देखा था।

दीप्ति नवल को उस नाटक में इन दोनों की एक्टिंग इतनी पसंद आई कि वो इन दोनों को सुभाष घई से मिलाने ले आई और सुभाष घई ने इन्हें अपनी फिल्म में ले लिया।

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