Bhakta Vidur 1921 | First film of India which got ban | भारत की पहली फिल्म जो बैन हुई थी
Bhakta Vidur. भारत में फिल्मों का इतिहास अपने शताब्दी काल में प्रवेश कर चुका है। मूक फिल्मों के ज़माने से लेकर आज के हाइटेक युग में भारत में एक से बढ़कर एक फिल्में बनी हैं। भारत ने कई ऐसी फिल्में विश्व सिनेमा को दी हैं जो कालजयी हैं और सिनेमा के विश्वस्तरीय इतिहास का अभिन्न हिस्सा हैं।
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Bhakta Vidur 1921 | First film of India which got ban - Photo: Social Media |
आज हम आपको एक ऐसी फिल्म की कहानी बताएंगे जो भारत की पहली ऐसी फिल्म है जिसे बैन कर दिया गया था। ये फिल्म साल 1921 में रिलीज़ हुई थी और इसका नाम था Bhakta Vidur.
शानदार फिल्म थी Bhakta Vidur
ये कहना कुछ गलत नहीं होगा कि मूक फिल्मों के ज़माने की बेहतरीन फिल्मों में से एक थी भक्त विदुर। फिल्म की कहानी महाभारत के एक पात्र विदुर के जीवन पर बेस्ड थी। फिल्म में भक्त विदुर का किरदार निभाया था द्वारकादास संपत ने। जबकी भगवान कृष्ण बने थे मानेकलाल पटेल। वहीं होमी मास्टर ने दुर्योधन का किरदार निभाया था।
यूं तो ये फिल्म महाभारत के कुछ घटनाक्रमों पर आधारित थी। लेकिन फिल्म को इस तरह से फिल्माया गया था कि दिखने में वो तत्कालीन भारत के राजनीतिक परिदृश्य को प्रतिबिंबित करती हो। भक्त विदुर के किरदार को इस तरह का लुक दिया गया था कि देखने में वो महाभारत कालीन कम और तत्कालीन अधिक लगता था।
इस कारण अंग्रेजों ने कर दिया था बैन
भक्त विदुर का किरदार निभाने वाले द्वारकादास संपत ने खादी का कुर्ता और गांधी टोपी पहनी थी। साथ ही फिल्म के कुछ दृश्यों को इस तरह से फिल्माया गया था जिन्हें देखकर उस जम़ाने की राजनीतिक अस्थिरता की झलक मिलती थी। अंग्रेजों द्वारा नियंत्रित उस वक्त के सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म पर कड़ी आपत्ति जताई।
सेंसर बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों ने कहा था कि हमें पता है आप क्या करने की कोशिश कर रहे हैं। ये भक्त विदुर नहीं है। ये गांधी है। आप सरकार के प्रति असंतोष की हवा को और ज़्यादा भड़काना चाहते हैं। हम ये फिल्म रिलीज़ नहीं होने देंगे।
इन इलाकों में पहले बैन हुई थी Bhakta Vidur
इसी के साथ कराची और मद्रास में भक्त विदुर को दिखाए जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। बाद में देश के कुछ और इलाकों में भी इस फिल्म को ना दिखाए जाने का फरमान अंग्रेजों ने जारी कर दिया। ये दरअसल वो वक्त भी था जब अंग्रेजों ने भारत में रोलैट एक्ट जैसा काला कानून लागू किया था। और भारत की जनता में अंग्रेजों के इस कदम से बहुत ज़्यादा रोष था।
चूंकि फिल्म को काफी विवादों का सामना करना पड़ रहा था तो इसके मेकर्स ने इसे अगले साल यानि 1922 में दूसरे नाम से रिलीज़ किया। 1922 में इस फिल्म को नाम दिया गया था धर्म विजय। फिल्म में थोड़े बदलाव भी किए गए थे। लेकिन फिर ये फिल्म बॉक्स ऑफिस पर कोई कमाल ना दिखा सकी।
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