Mukri | हिंदी सिनेमा के पहले दौर का Legendary Comedian मुकरी साहब की पूरी कहानी | Hindi Biography
Mukri. कुछ लोग इन्हें मूंछों वाले नत्थूलाल के नाम से जानते हैं। तो कुछ लोग इन्हें कहते हैं तैयब अली। लेकिन इनका असल नाम है मोहम्मद उमर मुकरी। और फिल्म इंडस्ट्री में ये मशहूर हुए मुकरी के नाम से।
छोटी कद काठी के मुकरी ने फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े सितारों संग काम किया। और भारतीय सिनेमा के शुरुआती दौर के कॉमेडियन्स के तौर पर अपना नाम इतिहास में दर्ज करा लिया।
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Mukri Hindi Biography - Photo: Social Medai |
Meerut Manthan आज पेश करता है ज़बरदस्त एक्टर रहे Mukri की कहानी। Mukri की कहानी के कई अनसुने पहलुओं से आज हम और आप रूबरू होंगे।
शुरुआती जीवन
मुकरी का जन्म हुआ था 5 जनवरी 1922 को महाराष्ट्र के रायगढ़ ज़िले में मौजूद उरन में। हालांकि एक इंटरव्यू में मुकरी ने बताया था कि इनके पुर्खे किसी ज़माने में अफगानिस्तान से भारत आकर बसे थे।
मां-बाप ने इन्हें नाम दिया था मोहम्मद उमर मुकरी। इनके वालिद का नाम था हिसामुद्दीन मुकरी जो कि बच्चों को कुरान पढ़ाया करते थे। और इनकी वालिदा थी अमीना बेगम जो कि एक गृहणी थी।
Dilip Kumar के साथ School में पढ़ते थे Mukari
इनकी पैदाइश एक ऑर्थोडोक्स मुस्लिम परिवार में हुई थी। कोई ये सोच भी नहीं सकता था कि मुकरी एक ज़माने में इतने बड़े कॉमेडियन बनेंगे। लेकिन जब ये स्कूल में थे, उसी वक्त इन्हें एक्टिंग करने का चस्का लग गया था।
दरअसल, मुकरी के बड़े भाई जिनका नाम मोइनुद्दीन था, वो मुंबई में रहा करते थे। बड़े भाई के कहने पर ही मुकरी का दाखिला मुंबई के अंजुमन इस्लाम बॉयज़ हाइस्कूल में करा दिया गया।
यहीं पर पहली दफा मुकरी की मुलाकात हुई थी भारतीय सिनेमा के बहुत बड़े सितारे के साथ। हालांकि उस वक्त वो सितारा भी उस स्कूल में पढ़ाई कर रहा था।
वो सितारा था यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार। अंजुमन इस्लाम हाइस्कूल में दिलीप कुमार मुकरी से एक क्लास सीनियर थे। जबकी दिलीप कुमार के भाई नासिर खान मुकरी के क्लासमेट हुआ करते थे।
स्कूल में शुरू कर दी थी एक्टिंग
अंजुमन हाइस्कूल में ही पहली दफा मुकरी को एक नाटक में एक्टिंग करने के लिए सिलेक्ट किया गया था। और उस नाटक में ये एक खान बहादुर के किरदार में नज़र आए थे।
और यहीं से ये तय हो गया था कि मुकरी आगे चलकर फिल्मों में एक्टिंग किया करेंगे। स्कूल के उस नाटक में लगातार तीन सालों तक मुकरी ने वो किरदार निभाया। और तीनों दफा मुकरी को बेस्ट एक्टर का खिताब हासिल हुआ।
तय कर लिया कि एक्टिंग ही करेंगे
स्कूल के दिनों में ही मुकरी और यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार की बढ़िया दोस्ती हो गई थी। दोनों ने तय कर लिया था कि आगे चलकर फिल्मों में नाम कमाना है।
हालांकि ये बात दोनों जानते थे कि परिवार वाले कभी भी उनके फिल्मों में काम करने से खुश नहीं होंगे। लेकिन मुकरी और युसूफ दोनों ही ये फैसला कर चुके थे कि वो हर हाल में फिल्मों में ही काम करेंगे।
असिस्टेंट डायरेक्टर भी थे मुकरी
पढ़ाई खत्म करने के बाद मुकरी ने कुछ वक्त तक सरकारी नौकरी भी की। वो दूसरे विश्वयुद्ध का आखिरी दौर था। मुकरी का काम था घर-घर जाकर लोगों को खिड़कियों के शीशों पर काले पर्दे टांगने के लिए कहना। दूसरा विश्वयुद्ध खत्म होने के बाद मुकरी ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा।
काफी वक्त तक उन्होंने महबूब खान और के. आसिफ जैसे नामी डायरेक्टर्स के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर की हैसियत से काम किया। फिर जब दिलीप कुमार बॉम्बे टॉकीज़ के साथ जुड़े तो उन्होंने मुकरी को भी बॉम्बे टॉकीज़ जॉइन करा दिया।
जहां दिलीप कुमार को बॉम्बे टॉकीज़ ज्वार भाटा से लॉन्च कर चुका था। तो वहीं मुकरी को बॉम्बे टॉकीज़ की अगली फिल्म प्रतिमा में पहली दफा एक्टिंग करने का मौका मिला। और इस तरह शुरु हो गया हिंदी सिनेमा के पहले दौर के एक सुपरहिट कॉमेडियन का फिल्मी सफर।
दिलीप कुमार के साथ काफी काम किया
दिलीप कुमार की लगभग हर फिल्म का हिस्सा बने मुकरी साहब। और दिलीप साहब के अलावा भी कई दूसरे स्टार्स के साथ मुकरी ने काम किया था। फिर चाहे वो देवानंद हों, या फिर राज कपूर हों। राजेंद्र कुमार हों या सुनील दत्त हों। धर्मेंद्र और अमिताभ जैसे नए दौर के स्टार्स के साथ भी मुकरी की कॉमिक कैमिस्ट्री खूब जमी।
प्रमुख फिल्में
अपने करियर में मुकरी साहब ने चार सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था। मुकरी साहब के करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो उन्होंने अनोखा प्यार(1948), सज़ा(1951), मिर्ज़ा ग़ालिब(1954), अमर(1954), किस्मत का खेल(1956), काला पानी(1958), कैदी नंबर 911(1959), काला बाज़ार(1960), पड़ोसन(1968), मेरा नाम जोकर(1970), गोपी(1970), बॉम्बे टू गोवा(1972), कुंवारा बाप(1974), बैराग(1976), और द बर्निंग ट्रेन(1980) जैसी बड़ी और सुपरहिट फिल्मों में काम किया था।
मुकरी साहब की आखिरी रिलीज़्ड फिल्म थी 1994 में आई मल्टीस्टारर फिल्म बेताज बादशाह। इस फिल्म में ये कॉलेज प्रिंसिंपल के किरदार में नज़र आए थे। इस फिल्म के बाद ही मुकरी साहब ने खुद को फिल्मों से दूर कर लिया था।
टीवी पर भी किया था काम
मुकरी साहब ने भीम भवानी नाम के एक टीवी शो में भी काम किया था। ये टीवी शो 1990 में दूरदर्शन पर ब्रॉडकास्ट हुआ था। इस शो में बीते दौर के कई दिग्गज फिल्म एक्टर्स ने काम किया था। जैसे अशोक कुमार, जगदीप, टुनटुन, राजेंद्रनाथ, महमूद और मोहन चोटी।
एक दफा बालाजी टेलीफिल्म्स की एकता कपूर ने भी मुकरी को अपने एक टीवी शो में काम करने का ऑफर दिया था। पर चूंकि उस वक्त तक मुकरी की तबियत खराब रहने लगी थी तो उन्होंने एकता कपूर को मना कर दिया था।
खुद जितेंद्र ने भी मुकरी साहब को फोन किया था और अपनी बेटी एकता कपूर के शो में काम करने की गुज़ारिश की थी। लेकिन मुकरी साहब ने जितेंद्र से कह दिया कि मैं नहीं चाहता कि मेरी वजह से किसी का पैसा बर्बाद जाए। इसलिए मैं इस शो में काम नहीं कर पाऊंगा।
ऐसी थी Mukri की निजी ज़िंदगी
मुकरी साहब की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो साल 1950 में मुकरी ने मुमताज़ से शादी की थी। ये शादी इन्होंने अपने माता-पिता की पसंद से की थी। मुकरी की पत्नी मुमताज़ मुकरी एक हाउसवाइफ थी।
मुकरी और मुमताज़ मुकरी के पांच बच्चे हैं। तीन बेटे जिनके नाम हैं बिलाल मुकरी, नासिर मुकरी और फारुक मुकरी। और दो बेटियां जिनके नाम हैं नसीम मुकरी और अमीना मुकरी।
मुकरी साहब के बेटे नासिर मुकरी ने कुछ फिल्मों में सपोर्टिंग रोल्स किए थे। साथ ही वो कई नामी डायरेक्टर्स के साथ असिस्टेंट डायरेक्टर की हैसियत से भी काम कर चुके हैं।
वहीं मुकरी साहब के दूसरे बेटे फारुक मुकरी भी दिल और पत्थर नाम की फिल्म में एक्टिंग कर चुके हैं। मुकरी साहब के तीसरे बेटे बिलाल मुकरी के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं मिल पाई है।
मुकरी साहब की बेटी अमीना भी एक्टिंग के फील्ड में आना चाहती थी। साल 1976 में नया जनम नाम की फिल्म से उनको लॉन्च करने की प्लानिंग भी हो चुकी थी। लेकिन वो फिल्म बंद हो गई। उसके बाद अमीना के करियर का क्या हुआ। ये भी हम नहीं जान पाए।
एक बेटी रही कामयाब
मुकरी की बेटी नसीम मुकरी ज़रूर मनोरंजन जगत में अपनी थोड़ी पहचान बनाने में कामयाब रही हैं। नसीम मुकरी कुछ फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट की हैसियत से काम कर चुकी हैं।
साथ ही धड़कन फिल्म में उन्होंने एक कैमियो भी किया था। इतना ही नहीं, धड़कन फिल्म के डायलॉग्स भी नसीम मुकरी ने ही लिखे थे। धड़कन के अलावा नसीम मुकरी ने ही हां मैनें भी प्यार किया है और स्कूल फिल्म के डायलॉग्स भी लिखे थे।
नसीम मुकरी ने कई टीवी सीरियल्स के डायलॉग्स लिखे हैं। इसके अलावा नसीम मुकरी को रेडियो पर काम करने का भी काफी ज़्यादा तजुर्बा है।
जब दुनिया से विदा हुए मुकरी
मुकरी साहब अपनी पत्नी मुमताज़ मुकरी से बेइंतिहा प्यार करते थे। साल 1994 में मुकरी साहब की पत्नी जब बहुत ज़्यादा बीमार हो गई तो उन्होंने खुद को फिल्मों से दूर कर लिया और दिलो जान से अपनी पत्नी की देखभाल में जुट गए।
इस दौरान मुकरी साहब की पत्नी की तबियत तो सुधर गई। लेकिन मुकरी साहब की सेहत उनका साथ छोड़ने लगी। ज़िंदगी भर अपनी एक्टिंग से दूसरों को हंसाकर दिलखुश करने वाले मुकरी साहब खुद दिल के मरीज़ बन गए।
और फिर चार सितंबर 2000 को मुकरी साहब की रूह उनका जिस्म छोड़कर हमेशा-हमेशा के लिए चली गई। अचानक आए एक तेज़ हार्ट अटैक ने मुकरी साहब की जान ले ली।
Mukri को Meerut Manthan का Salute
मुकरी साहब आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी फिल्में हमेशा उन्हें उनके चाहने वालों के दिलों में ज़िंदा रखेंगी। और पीढ़ियों तक उनका नाम रोशन करती रहेंगी। मुकरी साहब की कहानी के कई दिलचस्प पहलू इस हिस्से में हम नहीं कह पाए हैं।
लेकिन मुकरी साहब की वो अनकही कहानी हम फिर किसी रोज़ कहेंगे। और ज़रूर कहेंगे। मुकरी साहब ने भारतीय सिनेमा में अपना जो योगदान किया है। उसके लिए Meerut Manthan उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।
अच्छी जानकारी प्राप्त हुई हैं...
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