Actor Shahnawaz Pradhan Biography | अभिनेता शाहनवाज़ प्रधान की कहानी जानिए
Actor Shahnawaz Pradhan. एक शानदार एक्टर जो बहुत जल्दी ये दुनिया छोड़कर चला गया। 56 साल की उम्र में शाहनवाज़ प्रधान इस दुनिया से विदा हो गए।
मुंबई में चल रहे एक प्रोग्राम के दौरान शाहनवाज़ प्रधान की छाती में अचानक दर्द हुआ और वो बेहोश हो गए। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल ले जाया गया। लेकिन शाहनवाज़ प्रधान की जान नहीं बचाई जा सकी।
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Actor Shahnawaz Pradhan Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan Actor Shahnawaz Pradhan को नम आंखों से याद करते हुए उनकी कहानी अपने दर्शकों को बताएगा। Actor Shahnawaz Pradhan के जीवन से जुड़ी कई अनसुनी कहानियां आज हम और आप जानेंगे।
शुरुआती जीवन
शाहनवाज़ प्रधान का जन्म 06 दिसंबर 1963 में ओडिशा के नुआपाड़ा ज़िले के राज खरियार में हुआ था। मां-बाप की इकलौती संतान शाहनवाज़ जब छोटे ही थे तो इनका परिवार अपना घर और ज़मीनें बेचकर रायपुर शहर शिफ्ट हो गया। और वो इसलिए क्योंकि इनके पिता की तबियत अक्सर खराब रहती थी और उनका इलाज रायपुर में ही चल रहा था।
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Shahnawaz Pradhan Childhood - Photo: Instagram |
ये वो दौर था जब रायपुर मध्य प्रदेश शहर का ही हिस्सा हुआ करता था। रायपुर से ही शाहनवाज़ प्रधान की पढ़ाई-लिखाई पूरी हुई थी। रायपुर में ही जब ये सातवीं क्लास में पढ़ रहे थे तो एक दिन इनके एक टीचर ने इन्हें स्कूल फंक्शन में होने वाले एक नाटक में ले लिया।
यूं तो शाहनवाज़ जी उस नाटक में काम नहीं करना चाहते थे। लेकिन टीचर के आदेश को वो टाल ना सके और उस नाटक में काम इन्हें करना ही पड़ा। और फिर तो मानो इन्हें नाटकों में काम करने का चस्का ही लग गया। ये हर साल स्कूल के फंक्शन में नाटक करने लगे। गुज़रते वक्त के साथ ये रायपुर शहर के कई ड्रामा ग्रुप्स के साथ जुड़कर भी नाटक करने लगे।
Habib Tanvir ने बदल दी ज़िंदगी
शाहनवाज़ प्रधान की ज़िंदगी में बड़ा मोड़ आया साल 1984 में। एक वक्त के दिग्गज फिल्म पटकथा लेखक और अभिनेता मरहूम हबीब तनवीर साहब उस साल रायपुर की रविशंकर यूनिवर्सिटी में विज़िटिंग प्रोफेसर की हैसियत से पहुंचे थे।
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Shahnawaz Pradhan Young - Photo: Instagram |
हबीब तनवीर साहब ने उस दौरान रायपुर के सभी ड्रामा कलाकारों को एकजुट किया और एक नाटक तैयार किया। उसी नाटक के दौरान हबीब तनवीर साहब को शाहनवाज़ प्रधान के हुनर की पहचान हुई और उन्होंने शाहनवाज़ प्रधान जी को अपने थिएटर ग्रुप के साथ प्रोफेशनली जुड़ने का ऑफर दिया।
इसी दौरान इनके पिता का भी निधन हो गया। ये घर पर यूं ही खाली बैठे थे तो इन्होंने हबीब तनवीर का वो ऑफर स्वीकार कर लिया और उनके साथ ये दिल्ली आ गए। अगले पांच सालों तक शाहनवाज़ प्रधान हबीब तनवीर के ग्रुप का हिस्सा रहे और उनके साथ नाटक करते रहे। इस दौरान उन्होंने थिएटर की बारीकियों को सीखा।
और मुंबई आ गए Shahnawaz Pradhan
पांच सालों का वक्त दिल्ली में थिएटर करते हुए बिताने के बाद शाहनवाज़ जी को ये अहसास हुआ कि थिएटर के सहारे परिवार नहीं पाला जा सकता। सो इन्होंने फिल्मों में अभिनय करने का फैसला किया। इत्तेफाक से इनकी एक खाला मुंबई में ही रहती थी। उन्हीं के घर को अपना ठिकाना बनाकर शाहनवाज़ मुंबई आ गए।
शाहनवाज़ जी जब मुंबई आए थे तो इनके गुरू हबीब तनवीर ने इन्हें श्याम बेनेगल और सुधीर मिश्रा के नाम एक सिफारिशी चिट्ठी लिखकर दी। वो चिट्ठी लेकर पहले ये श्याम बेनेगल से मिले। उस वक्त श्याम बेनेगल अपने चर्चित शो भारत एक खोज की शूटिंग कंप्लीट करने के आखिरी चरण में थे।
उन्होंने इनसे वादा किया कि अपने अगले प्रोजेक्ट में वो इन्हें ज़रूर याद करेंगे। इसके बाद शाहनवाज़ जी सुधीर मिश्रा के भाई सुधांशू मिश्रा से मिले। उन्होंने भी इनसे वादा किया कि भविष्य में कोई प्रोजेक्ट आएगा तो इन्हें बुलाएंगे।
सीनियर्स की सलाह काम आ गई
मुंबई आए जब 5-6 महीने बीत गए और कोई काम नहीं मिला तो एक दिन शाहनवाज़ प्रधान यूं ही घूमते हुए पृथ्वी थिएटर में चले गए। वहां इनकी मुलाकात रायपुर के अपने दो सीनीयर्स से हो गई। उनमें से एक थे नामी फिल्म डायरेक्टर अनुराग बासू के पिता सुब्रत बोस और दूसरे थे सोमेश अग्रवाल।
उन दोनों ने ही शाहनवाज़ प्रधान को सलाह दी कि मुंबई में तुम काम के आने का इंतज़ार मत करो। बल्कि तुम खुद काम की तलाश में निकलो। सीनियर्स की वो सलाह मानते हुए शाहनवाज़ जी ने डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के ऑफिसों के चक्कर लगाना शुरू किया।
और आखिरकार दूरदर्शन के एक शो में इन्हें एक्टिंग करने का पहला मौका मिला। उस शो का नाम था जन से जनतंत्र तक। उस शो के बाद शाहनवाज़ प्रधान ने कुछ और टीवी शोज़ में छोटे-मोटे किरदार निभाए। लेकिन फिर एक ऐसा शो आया जिसने इन्हें पूरे भारत में मशहूर कर दिया।
वो था रामानंद सागर का श्री कृष्णा। श्री कृष्णा में इन्होंने नंदबाबा का किरदार जिया था। वैसे ये बात भी बतानी ज़रूरी है कि नंद बाबा के किरदार के अलावा कुछ और छोटे-छोटे किरदार भी इन्होंने श्री कृष्णा में निभाए थे।
अलिफ लैला के सिंदबाद को भला कौन भुला सकता है
श्री कृष्णा के बाद शाहनवाज़ प्रधान का अगला बड़ा प्रोजेक्ट था अलिफ लैला। अलिफ लैला में भी इन्होंने कई किरदार निभाए थे। अलिफ लैला में अली बाबा चालीस चोर की कहानी में ये मेन विलेन बने थे। लेकिन अलिफ लैला में इनका सबसे यादगार किरदार रहा सिंदबाद जहाज़ी का किरदार।
बात अगर फिल्मों की करें तो शाहनवाज़ प्रधान ने सैफ अली खान की फिल्म फैंटम में हाफिज़ सईद का किरदार निभाया था। और ये किरदार उनके निभाए सबसे चुनौतीपूर्ण किरदारों में से एक था। इसके अलावा शाहरुख खान की फिल्म रईस में भी ये अहम रोल में दिखे थे।
शाहनवाज़ प्रधान ने बहुचर्चित वेब सीरीज़ मिर्ज़ापुर में स्वीटी और गोलू के पिता इंस्पैक्टर गुप्ता का किरदार भी निभाया था। और मिर्ज़ापुर से एक बार फिर शाहनवाज़ प्रधान सुर्खियों में आ गए।
Actor Shahnawaz Pradhan अब हमारे बीच नहीं रहे। लेकिन उनके निभाए किरदार हमेशा रहेंगे और लोगों को उनकी याद दिलाते रहेंगे। Meerut Manthan शाहनवाज़ प्रधान जी को नमन करते हुए अभिनय की दुनिया में उनके योगदान के लिए उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।
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