Sangam 1964 Trivia | 15 Unknown Facts | Raj Kapoor Vyjayanthimala and Rajendra Kumar की सुपरहिट फिल्म संगम की पन्द्रह अनसुनी कहानियां

Sangam 1964 Trivia. 18 जून 1964 को रिलीज़ हुई राज कपूर की फिल्म संगम भारतीय सिने इतिहास की क्लासिक फिल्मों में शुमार होती है। इस फिल्म ने अपने वक्त पर कई ऐसे कीर्तिमान स्थापित किए थे जो उस ज़माने में एकदम अप्रत्याशित थे। 

लगभग 80 लाख रुपए के बजट में बनी संगम ने वर्ल्डवाइड आठ करोड़ रुपए की कमाई की थी। और संगम उस साल की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म बन गई थी। 

संगम फिल्म की कहानी लिखी थी इंदर राज आनंद ने और इस फिल्म को प्रोड्यूस और डायरेक्ट खुद राज कपूर जी ने किया था। 

फिल्म में राज कपूर जी, राजेंद्र कुमार जी और वैयजयंतीमाला जी ने मुख्य भूमिकाएं निभाई थी। इनके अलावा इफ्तेख़ार, अचला सचदेव, ललिता पवार, नाना पलसिकर और राज मेहरा भी अहम किरदारों में नज़र आए थे।

Sangam1964 Trivia 15 Unknown Facts - Photo: Social Media

संगम फिल्म का म्यूज़िक ज़बरदस्त हिट रहा था। फिल्म में कुल आठ गीत थे जिनमें से चार शैलेंद्र जी ने लिखे थे और चार हसरत जयपुरी जी ने लिखे थे। 

इन गीतों को आवाज़ दी थी मुकेश, लता मंगेशकर, महेंद्र कपूर, मोहम्मद रफी और विवियन लोबो ने। संगम का म्यूज़िक तैयार किया था संगीतकार जोड़ी शंकर-जयकिशन ने। और ये फिल्म शंकर जयकिशन के करियर की सबसे सफल फिल्मों में से एक रही थी। 

तो चलिए साथियों आज जानते हैं संगम फिल्म से जुड़ी कुछ बड़ी ही दिलचस्प और रोचक कहानियां। वो कौन था जिसने इस फिल्म के प्रीमियर के बाद राज कपूर के गाल पर थप्पड़ मार दिया था? 

राजेंद्र कुमार के रोल के लिए राज कपूर पहले किसे लेना चाहते थे और फिर किस दूसरे एक्टर को भी उन्होंने इस रोल के लिए कंसीडर किया था? 

संगम फिल्म के बारे में ये सारी और ऐसी ही कुछ और रोचक बातें आज हम और आप जानेंगे। तो चलिए ये सफर शुरू करते हैं। Sangam 1964 Trivia.

पहली कहानी

संगम फिल्म के प्रीमियर के बाद इसके लेखक इंदर राज आनंद और राज कपूर के बीच किसी बात को लेकर ज़बरदस्त लड़ाई हो गई थी। बात इतनी बिगड़ गई कि इंदर राज आनंद ने राज कपूर को सबके सामने एक ज़ोरदार थप्पड़ लगा दिया। 

इस घटना के बाद राज कपूर ने इंदर राज आनंद का बॉयकॉट करने का फैसला कर लिया। राज कपूर ने इंदर राज आनंद के खिलाफ फिल्म इंडस्ट्री में माहौल बनाना शुरू कर दिया। इसका नतीजा ये हुआ कि इंदर राज आनंद के हाथ से एक साथ 18 फिल्में निकल गई। 

इतनी फिल्में हाथों से जाने की वजह से इंदर राज आनंद बहुत ज़्यादा तनाव में आ गए और उन्हें हार्ट अटैक आ गया। इस बात की खबर जब राज कपूर को लगी तो उन्हें बहुत अफसोस हुआ और उन्होंने इंदर राज आनंद के पास जाकर उनसे माफी मांगी। तब जाकर ये विवाद खत्म हुआ था।

दूसरी कहानी

संगम फिल्म का गीत बोल राधा बोल संगम होगा कि नहीं आज भी लोगों को बहुत पसंद आता है। इस गीत के बनने की कहानी बड़ी भी दिलचस्प है। 

दरअसल, राज कपूर ने जब संगम की कहानी वैयजयंतीमाला को नैरेट की थी तो वैयजयंती ने फौरन इस फिल्म में काम करने के लिए हामी नहीं भरी थी। 

कहानी सुनाने के बाद राज कपूर ने कई दिनों तक वैयजयंतीमाला के जवाब का इंतज़ार किया था। फिर एक दिन राज कपूर ने वैयजयंतीमाला को एक टैलिग्राम भेजा जिसमें उन्होंने यूं ही लिख दिया था,"बोल राधा बोल सगंम होगा कि नहीं।" 

राज कपूर के टैलिग्राम के जवाब में वैयजयंतीमाला ने भी एक टैलिग्राम उन्हें भेजा जिसमें वैयजयंती ने लिखा था, होगा होगा होगा। और यहीं से राज कपूर के दिमाग में इस गीत का आइडिया आया था। जो फाइनली शैलेंद्र की मदद के संगम फिल्म की एक सिचुएशन में उन्होंने अप्लाय भी किया।

तीसरी कहानी

संगम फिल्म का ही एक और लोकप्रिय गीत है हर दिल जो प्यार करेगा, जिसे शैलेंद्र जी ने ही लिखा था। इस गीत को मुकेश जी, लता मंगेशकर जी और महेंद्र कपूर जी ने अपनी आवाज़ दी थी। 

हालांकि पहले राज कपूर जी की प्लानिंग थी कि वो इस गीत में मुकेश और लता के साथ रफी साहब की आवाज़ को लें। पर चूंकि उस ज़माने में लता जी और रफी साहब के बीच मनमुटाव चल रहा था और वो दोनों एक-दूजे से बात नहीं करते थे। 

इसलिए मजबूरी में राज कपूर जी ने रफी साहब की जगह महेंद्र कपूर जी से गाने का वो हिस्सा गवाया जो राजेंद्र कुमार जी पर फिल्माया गया था। 

रफी साहब ने संगम में ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर गीत गाया था जिसके फीमेल वर्ज़न को वैयजयंतीमाला ने गाया था। और इस तरह संगम वो पहली फिल्म थी जिसमें वैयजयंतीमाला ने किसी गाने को अपनी आवाज़ दी थी।

चौथी कहानी

संगम फिल्म को राज कपूर ने अपने बैनर आरके फिल्म्स के अंडर में बनाया था। संगम राज कपूर की पहली कलर फिल्म थी। जिस वक्त संगम की शूटिंग चल रही थी ठीक इसी वक्त पर सदाबहार देवानंद साहब भी अपने बैनर नवकेतन फिल्म्स के अंडर में अपनी पहली कलर फिल्म गाइड बना रहे थे। 

गाइड संगम के लगभग आठ महीने बाद यानि 6 फरवरी 1965 को रिलीज़ हुई थी। और ये दोनों ही फिल्में भारतीय फिल्म इतिहास की महत्वपूर्ण फिल्में बन गई।

पांचवी कहानी

बेशक संगम साल 1964 की सबसे बड़ी फिल्म थी। लेकिन 12वें फिल्मफेयर अवॉर्ड्स में संगम उतना कमाल नहीं कर पाई थी जितना की बॉक्स ऑफिस पर इसने किया था। संगम को कुल चार ही फिल्मफेयर अवॉर्ड्स मिले थे। 

ये थे बेस्ट डायरेक्टर जो कि राज कपूर को मिला था, बेस्ट एक्ट्रेस जो कि वैयजयंतीमाला को मिला था, बेस्ट एडिटिंड जो कि राज कपूर को ही मिला था और बेस्ट साउंड डिज़ाइन जो कि अलाउद्दीन खान कुरैशी को मिला था। 

और ये बात भी जानने लायक है कि संगम पहली फिल्म थी जो राज कपूर ने एडिट की थी और अपनी एडिट की पहली फिल्म के लिए ही उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड मिल गया। इसके बाद राज कपूर ने अपनी सभी फिल्में खुद ही एडिट की थी।

छठी कहानी

संगम का गीत ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर जिसे मोहम्मद रफी ने गाया था, ये गीत काफी पसंद किया गया था। इस गीत की भी अपनी एक कहानी है। दरअसल, संगम फिल्म के बनने से पहले एक दफा संगीतकार जयकिशन किसी बात को लेकर हसरत जयपुरी से नाराज़ हो गए थे। 

तब हसरत जयपुरी ने जयकिशन को मनाने के लिए एक ख़त लिखा था और उस ख़त की शुरुआत में हसरत जयपुरी ने ये दो लाइनें ही लिखी थी। 

फाइनली जब संगम के म्यूज़िक पर काम शुरू किया गया तो जयकिशन ने हसरत जयपुरी के उस खत पर पूरा एक गीत लिखवाया। और इस तरह संगम फिल्म में ये शानदार गीत आया।

सातवीं कहानी

संगम फिल्म का गीत ये मेरा प्रेम पत्र पढ़कर राज कपूर ने दिल्ली में शूट किया था। जिस वक्त वो इस गीत को शूट करने की प्लानिंग कर रहे थे उस वक्त उन्हें ये तो याद था कि इस गीत की शूटिंग के लायक कोई जगह उन्होंने दिल्ली में देखी थी। 

लेकिन उन्हें उस जगह का नाम नहीं पता था। राज कपूर और उनकी टीम ने इस जगह को नई दिल्ली के इलाके में ढूंढना शुरू कर दिया। लगभग एक सप्ताह तक राज कपूर और उनकी टीम इस जगह को ढूंढती रही। लेकिन उन्हें ये जगह नहीं मिल पाई। 

मुंबई वापस जाने से एक दिन पहले राज कपूर फिर ये जगह ढूंढने निकले और इस दफा राज कपूर इस जगह को पहचान गए। ये एक सरकारी जगह थी जहां हर किसी को आने-जाने की परमिशन नहीं थी। लेकिन राज कपूर को इस जगह पर शूटिंग की परमिशन दे दी गई।

आठवीं कहानी

मुंबई के अंधेरी ईस्ट इलाके के जेबी नगर में मौजूद संगम सिनेमा हॉल का नामकरण संगम फिल्म से ही प्रेरित होकर किया गया था। पहले इस सिनेमा का नाम कुछ और हुआ करता था। 

लेकिन सिनेमा हॉल के मालिक राज कपूर के बहुत बड़े फैन थे। राज कपूर की भी उनसे बढ़िया दोस्ती थी और राज कपूर अक्सर उस सिनेमा हॉल में जाते रहते थे। मौजूदा वक्त में उस सिनेमा हॉल का  नाम कार्निवल संगम है।

नौंवी कहानी

राज कपूर की दिली ख्वाहिश थी कि संगम फिल्म में उनके साथ दिलीप कुमार काम करें। लेकिन दिलीप कुमार ने इस फिल्म में काम नहीं किया। 

राज कपूर और दिलीप कुमार ने केवल एक दफा साल 1949 में आई फिल्म अंदाज़ में साथ काम किया था जिसमें नरगिस मुख्य हिरोइन थी। इसके बाद फिर कभी किसी फिल्म में ये दोनों साथ नहीं नज़र आए। 

कहा जाता है कि राज कपूर दिलीप कुमार के साथ काम करने के लिए इतने उत्सुक थे कि उन्होंने दिलीप कुमार से कह दिया था कि वो दोनों में से जो रोल चाहें अपने लिए चुन लें। 

लेकिन दिलीप कुमार ने संगम में काम करने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई और आखिरकार राज कपूर ने राजेंद्र कुमार को संगम के लिए साइन कर लिया। संगम राजेंद्र कुमार की पहली ए ग्रेड फिल्म थी।

दसवीं कहानी

संगम फिल्म के लिए राज कपूर ने फिरोज़ खान को भी कंसीडर किया था। दरअसल, उस ज़माने में राजेंद्र कुमार और फिरोज़ खान दोनों ही बी ग्रेड फिल्मों के हीरो थे। 

दिलीप कुमार के मना करने के बाद राज कपूर ने राजेंद्र कुमार को गोपाल के रोल के लिए अप्रोच किया। लेकिन इसी बीच फिरोज़ खान भी उनके पास संगम में काम मांगने पहुंच गए। 

तब राज कपूर ने फिरोज़ खान से कहा कि अगर राजेंद्र कुमार ने संगम फिल्म का मेरा ऑफर स्वीकार नहीं किया तो मैं ये रोल तुम्हें दे दू्ंगा। और चूंकि राजेंद्र कुमार ने संगम का ऑफर बिना वक्त गंवाए लपक लिया था तो आखिरकार फिरोज़ खान को उस वक्त निराशा हाथ लगी थी।

11वीं कहानी

संगम फिल्म के अलावा एक और फिल्म थी जिसमें राज कपूर और दिलीप कुमार साथ काम करने जा रहे थे। इस फिल्म को देव आनंद जी के भाई और उस दौर के नामी डायरेक्टर विजय आनंद डायरेक्ट करने वाले थे। 

लेकिन इत्तेफाक ऐसा हुआ कि ना तो संगम में ही राज कपूर और दिलीप कुमार की जोड़ी साथ आ सकी और ना ही उस अनाम फिल्म में जिसे गोल्डी आनंद उर्फ विजय आनंद डायरेक्ट करने जा रहे थे।

12वीं कहानी

संगम बॉक्स ऑफिस पर इतनी बड़ी फिल्म रही थी कि राज कपूर के फैंस उनकी अगली फिल्म को लेकर बहुत ज़्यादा एक्सायटेड हो गए थे। संगम के छह साल बाद राज कपूर मेरा नाम जोकर फिल्म लेकर आए थे। लेकिन शुरुआत में ये फिल्म दर्शकों पर कोई प्रभाव नहीं छोड़ पाई। 

हालांकि बाद में इस फिल्म को क्लासिक फिल्म का दर्जा मिला था। उसके बाद जब 1973 में राज कपूर ने अपने बेटे ऋषि कपूर के साथ बॉबी फिल्म बनाई जो कि ज़बरदस्त हिट रही।

13वीं कहानी

संगम राज कपूर और वैयजयंतीमाला की आखिरी फिल्म थी। संगम से पहले राज कपूर और वैयजयंतीमाला की शानदार जोड़ी ने 1961 की नज़राना में काम किया था। 

और चूंकि संगम के बाद ही वैयजयंतीमाला ने डॉक्टर बाली से शादी कर ली थी तो इसके बाद फिर कभी ऐसा मौका नहीं आया जब वैयजयंतीमाला और राज कपूर ने साथ काम किया हो।

14वीं कहानी

संगम में इश लीबे दीश आई लव यू टाइटल का एक सॉन्ग है जिसे विवियन लोबो ने गाया था। इस गीत में कई भाषाओं में आइ लव यू शब्द बोला गया है। 

इस गीत की धुन का इस्तेमाल राज कपूर ने 1985 में आई अपनी फिल्म राम तेरी गंगा मैली के पॉप्युलर सॉन्ग सुन साइबा सुन में किया था।

15वीं कहानी

संगम पहली भारतीय फिल्म थी जो यूरोप में शूट की गई थी। संगम ही सिनेमैटोग्राफर राधू कर्माकर की पहली कलर फिल्म थी। संगम फिल्म के एक सीन में एक्ट्रेस बबीता के पिता भी रिटायर्ड एयरफोर्स कैप्टन के रोल में एक छोटे से सीन में नज़र आए थे। 

ये उस वक्त की बात है जब किसी को भी ये नहीं पता था कि आगे चलकर राज कपूर इनके संबंधी बनने जा रहे हैं। बाद में जब राज कपूर के बड़े बेटे रणधीर कपूर ने बबीता से शादी की तो दोनों संबंधी बन गए। 

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts

Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia | पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 15 अनसुनी व रोचक कहानियां

Shiva Rindani | 90s की Bollywood Movies में गुंडा बनने वाले इस Actor को कितना जानते हैं आप? | Biography