Dr. K. J. Yesudas | 10 Unknown Facts | गायक यसुदास की 10 अनसुनी कहानियां
Dr. K. J. Yesudas. भारतीय संगीत जगत की एक ऐसी आवाज़ जो देश-विदेश के संगीत प्रेमियों को बेहद पसंद आती है। इनके कुछ चाहने वाले तो ऐसे हैं जो इन्हें भगवान की आवाज़ तक कहते हैं।
यसुदास ने ना केवल मलयालम बल्कि हिंदी में भी ढेरों ऐसे गीत गाए हैं जो आज तक संगीत प्रेमियों को पसंद आते हैं। और हिंदी व मलायमल के अलावा यसुदास ने कई और दूसरी भारतीय भाषाओं में भी सॉन्ग्स रिकॉर्ड किए हैं।
| Dr. K. J. Yesudas 10 Unknown Facts - Photo: Social Media |
यूं तो Dr. K. J. Yesudas के बारे में कहने के लिए बहुत कुछ है। लेकिन Dr. K. J. Yesudas की हर बात एक ही बार में कह पाना मुमकिन नहीं है तो आज की पेशकश में हम इनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प और रोचक जानकारियां जानेंगे।
पहली कहानी
यसुदास का जन्म 10 जनवरी 1940 को केरल के कोच्ची में एक ईसाई परिवार में हुआ था। इनका पूरा नाम है कट्टासेरी जोसेफ यसुदास।
इनके पिता अगस्टीन जोसेफ अपने ज़माने के नामी मलयालम क्लासिकल म्यूज़िशियन और स्टेज एक्टर थे। जबकी इनकी मां एलिज़ाबेथ जोसेफ एक हाउसवाइफ थी।
यसुदास के पहले गुरू उनके पिता ही थे। फिर संगीतकार कुंजन वेलू भगवथर से यसुदास ने संगीत की दीक्षा ली। इसके बाद यसुदास ने आर एल वी म्यूज़िक एकेडेमी से संगीत की विधिवत शिक्षा ली।
यसुदास ने कर्नाटिक संगीत की बारीकियां सीखी। हिंदुस्तानी संगीत में भी खुद को निपुण बनाया। और देश व दुनिया में खूब नाम कमाया।
दूसरी कहानी
यसुदास ने बहुत ज़्यादा स्कूली पढ़ाई नहीं की है। और वो इसलिए क्योंकि इनके पिता चाहते थे कि ये सिर्फ और सिर्फ संगीत पर ही अपना पूरा ध्यान लगाएं। सात भाई बहनों में यसुदास दूसरे नंबर पर थे।
इनसे बड़ी इनकी एक बहन थी। फिर इनके बाद चार भाई और फिर एक छोटी बहन। हालांकि यसुदास की बड़ी बहन जिनका नाम पुष्पा था, उनकी छोटी उम्र में ही मृत्यु हो गई थी।
इसलिए यसुदास अपने भाई-बहनों में सबसे बड़े माने जाते हैं। यसुदास के एक छोटे भाई जिनका नाम बाबू था, वो भी छोटी उम्र में ही दुनिया छोड़ गए थे। वहीं इनके सबसे भाई जस्टिन साल 2020 में 62 साल की उम्र में दुनिया छोड़ गए थे।
तीसरी कहानी
चूंकि छोटी उम्र से ही यसुदास की संगीत की तालीम शुरू हो गई थी तो उस तालीम का प्रभाव इन पर जल्द ही नज़र भी आने लगा।
अपने स्कूल में यसुदास रोज़ सुबह राष्ट्रगान गाया करते थे। और ये जब महज़ 12 साल के थे तो इनके पिता ने इनसे एक प्रोग्राम में स्टेज पर भी एक गीत गवाया था।
चौथी कहानी
यसुदास ने पहली दफा जो हिंदी गीत गाया था वो था गीता दत्त जी का गाया मेरा सुंदर सपना बीत गया। और यसुदास से ये गीत गवाया था महबूब नाम के एक गायक ने जो किसी ज़माने में केरल के नामी लोकगायक हुआ करते थे।
यसुदास कहते हैं कि उन्होंने कई गुरुओं से संगीत की शिक्षा ली। और महबूब उनमें से एक थे। और ये महबूब ही थे जिन्होंने यसुदास को हिंदी गीत गाने के लिए भी प्रेरित किया था।
पांचवी कहानी
यसुदास 12 साल की उम्र से लेकर आज तक अपने घर के पास मौजूद एक चर्च में हर 31 मार्च को स्टेज परफॉर्मेंस देते आ रहे हैं। और उस चर्च में सिर्फ और सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत ही गाया जाता है।
एक इंटरव्यू में यसुदास ने बताया था कि उस चर्च में कभी भी ईसाई गीत नहीं गाए जाते। वहां गाने वाले सिर्फ और सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति देते हैं।
छठी कहानी
यसुदास का पहला गीत था साल 1962 में आई कल्पादुकल नाम की फिल्म का गीत जाती भेदम माथा द्वेशम। यसुदास ने इस गीत में महज़ चार लाइनें ही गाई थी। और ये हमेशा खुद को खुशनसीब मानते रहे कि इन्हें वो चार लाइनें गाने को मिली।
क्योंकि ये लाइनें लिखी थी श्री नारायन गुरू ने जो कि केरला के बहुत सम्मानित संत, कवि और सामाजिक कार्यकर्ता थे। यसुदास ने अपनी ये लाइनें 14 नवंबर 1961 को रिकॉर्ड की थी। जबकी ये फिल्म 1962 में रिलीज़ हुई थी।
सातवीं कहानी
यसुदास महान गायक मोहम्मद रफी के बहुत बड़े फैन थे। यसुदास का मानना है कि रफी साहब की तरह गाने का हुनर भारत के किसी और गायक में कभी नहीं आया।
बकौल यसुदास, बेशक हमारे देश में एक से बढ़कर एक शानदार गायक हुए हैं। लेकिन रफी साहब उन सबसे अलग थे। खुद यसुदास ने मोहम्मद रफी साहब की गायकी के स्टाइल से काफी प्रेरणा ली है।
यसुदास जी को जीवन में केवल एक दफा ही रफी साहब से मिलने का मौका मिला था। संगीतकार रविंद्र जैन ने एक दफा इन दोनों गायकों को एक गीत की रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया था। वहीं पर यसुदास पहली और आखिरी दफा रफी साहब से मिले थे।
आठवीं कहानी
यसुदास का पहला फिल्मी हिंदी सॉन्ग कौन सा था, इसे लेकर अक्सर उनके फैंस के बीच डिबेट हो जाती है। कुछ लोग कहते हैं कि यसुदास ने पहली दफा फिल्म छोटी सी बात के गीत जानेमन जानेमन तेरे दो नयन से अपना हिंदी म्यूज़िक करियर स्टार्ट किया था।
जबकी कुछ लोग कहते हैं कि उन्होंने जय जवान जय मकान नाम की फिल्म में पहली दफा कोई हिंदी गीत गाया था। इस गलतफहमी को दूर करते हुए यसुदास ने एक इंटरव्यू में बताया था कि उन्होंने पहली दफा फिल्म जय जवान जय मकान के लिए ही कोई हिंदी गीत गाया था।
लेकिन चूंकि वो फिल्म वक्त पर रिलीज़ नहीं हो पाई और उससे पहले छोटी सी बात रिलीज़ हो गई थी। इसलिए उनका पहला हिंदी गीत जानेमन जानेमन तेरे दो नयन ही कहा जाना चाहिए।
नौंवी कहानी
यसुदास जी ने 1 फरवरी 1970 को प्रभा से शादी की थी। इनके तीन बेटे विनोद, विजय और विशाल हैं। यसुदास जी के मझले बेटे विजय यसुदास भी इनकी ही तरह म्यूज़िक की दुनिया का बड़ा नाम हैं।
विजय यसुदास भी एक गायक हैं और दक्षिण भारत की म्यूज़िक इंडस्ट्री में उनका काफी नाम है। विजय यसुदास ने साल 2007, 2012 और 2018 में केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड फॉर मेल प्लेबैक सिंगर जीता था।
दसवीं कहानी
यसुदास ने रिकॉर्ड आठ दफा नेशनल फिल्म अवॉर्ड फॉर मेल प्लेबैक सिंगर जीता है। इसके अलावा रिकॉर्ड पच्चीस दफा यसुदास जी ने केरल स्टेट फिल्म अवॉर्ड फॉर बेस्ट सिंगर अपने नाम किया है।
वहीं पांच बार तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड, एक बार पश्चिम बंगाल स्टेट फिल्म अवॉर्ड, चार दफा आंध्र प्रदेश स्टेट फिल्म अवॉर्ड, केरल सरकार की तरफ से जेसी डेनियल अवॉर्ड, कर्नाटक राज्योत्सव अवॉर्ड से भी यसुदास को सम्मानित किया जा चुका है।
भारत सरकार ने यसुदास को 1975 में पद्मश्री, 2002 में पद्म भूषण और 2017 में पद्म विभूषण अवॉर्ड से नवाज़ा है।
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