Ranjeet Lesser Known Facts | Iconic Bollywood Villain रंजीत की 07 अनसुनी कहानियां

Ranjeet. अगर आप सिनेप्रेमी हैं तो ज़ाहिर है आप इस नाम से वाकिफ ज़रूर होंगे। पंजाब के अमृतसर में पैदा हुए और दिल्ली में पले बढ़े रंजीत साहब का असल नाम गोपाल सिंह बेदी है। 

हालांकि दोस्तों में ये गोली के नाम से मशहूर थे। कभी इंडियन एयरफोर्स जॉइन कर चुके रंजीत साहब को उनकी किस्मत खींचकर मुंबई ले गई और उन्हें बॉलीवुड में बड़ा नाम और मुकाम हासिल हुआ। 

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Ranjeet Lesser Known Facts Iconic Bollywood Villain - Photo: Social Media

Ranjeet साहब के फिल्मों में आने की कहानी बड़ी दिलचस्प है। और उनकी पूरी कहानी हम पहले ही आप दर्शकों संग साझा कर चुके हैं। और Ranjeet साहब को ही समर्पित आज की इस पेशकश में हम और आप उनके जीवन और उनके फिल्मी करियर से जुड़ी कुछ अनसुनी और दिलचस्प बातें जानेंगे। 

पहली कहानी

रंजीत साहब बॉलीवुड का बहुत बड़ा नाम रह चुके हैं। लेकिन ये बात भी अपने आप में बड़ी अनोखी है कि एक वक्त वो भी था जब रंजीत साहब को फिल्में देखने में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी। 

लेकिन एक दिन इत्तेफाक से इनके दोस्त इन्हें अपने साथ देवानंद की गाइड फिल्म दिखाने ले गए। गाइड वो पहली फिल्म थी जो रंजीत जी ने देखी थी। और गाइड फिल्म देखने के बाद तो ये फिल्मों की चमचमाती दुनिया के मुरीद हो गए। 

हालांकि इस वक्त तक भी इनके मन में फिल्म इंडस्ट्री जॉइन करने का कोई ख्याल नहीं आया था। लेकिन गाइड फिल्म में देव साहब और वहीदा रहमान को पहली दफा देखकर ये उनके ज़बरदस्त फैन हो गए थे। और उस वक्त इनकी उम्र 17 या 18 बरस ही थी।

दूसरी कहानी

रंजीत साहब उन दिनों दिल्ली में ही थे जब उन्हें पहली दफा एक फिल्म ऑफर हुई थी। यूं तो पहले उस फिल्म में इन्हें मेन लीड का रोल मिला था। 

लेकिन बाद में इन्हें एक साइड रोल दिया गया और मेन लीड के लिए संजय खान को साइन कर लिया गया। उस फिल्म का नाम था ज़िंदगी की राहें। और वो फिल्म एक ट्रक ड्राइवर की ज़िंदगी की कहानी थी। 

फिल्म के प्रोड्यूसर रॉनी के साथ रंजीत साहब मुंबई भी आ गए। लेकिन कुछ ही महीनों बाद रॉनी के फाइनेंसर्स ने अपने हाथ पीछे खींच लिए और वो फिल्म जिसमें रंजीत साहब काम करने वाले थे वो डब्बा बंद हो गई। 

पर चूंकि रंजीत को रॉनी की तरफ से हर महीने साढ़े सात सौ रुपए तनख्वाह के तौर पर मिल रहे थे तो शुरू में इन्हें मुंबई में गुज़ारा करने में कोई परेशानी नहीं हुई।

तीसरी कहानी

रंजीत साहब किस्मत के बड़े धनी हैं। जब वो पहली दफा दिल्ली से मुंबई आए थे तो उनकी मुलाकात दिग्गज डायरेक्टर चेतन आनंद और एक्ट्रेस प्रिया राजवंश के साथ हुई थी। 

यानि दिल्ली का एक मामूली सा लड़का पहले ही दिन मुंबई में इतने बड़े डायरेक्टर से मिला। और केवल मिला ही नहीं, उनके साथ डिनर किया और फिर रात को उन्हीं के घर में सोया भी। 

और ये हुआ था रॉनी की वजह से। वही रॉनी जो रंजीत साहब को अपनी फिल्म में काम करने के लिए अपने साथ दिल्ली से मुंबई लाया था। 

रॉनी और चेतन आनंद की बहुत बढ़िया जान-पहचान थी। और इसी वजह से रंजीत को पहले ही दिन ये उपलब्धि हासिल हुई कि वो चेनत आनंद से मिले और उनके घर पर ही रात गुज़ारी।

चौथी कहानी

मुंबई आने के बाद रंजीत साहब की सुनील दत्त साहब के साथ भी बढ़िया दोस्ती हो गई थी। मुंबई में रंजीत का दूसरा ही दिन था जब सुनील दत्त ने रॉनी को और इन्हें अपने घर पर डिनर के लिए इनवाइट किया। 

दत्त साहब के घर पर उनकी पत्नी और शानदार अदाकारा नरगिस दत्त जी ने इन्हें खाना सर्व किया। हालांकि ये वहां खाना खा नहीं पाए। और वो इसलिए क्योंकि रंजीत साहब प्योर वेजेटेरियन हैं। जबकी उस दिन दत्त साहब के घर पर नॉनवेज खाना था।

पांचवी कहानी

रंजीत जब मुंबई आए तो बहुत जल्दी इनकी दोस्ती फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नामों जैसे चेतन आनंद, मोहन सहगल और सुनील दत्त से हो गई थी। 

लेकिन इनमें से किसी ने भी शुरू में इन्हें फिल्मों में कोई रोल ऑफर नहीं किया था। और जिस फिल्म में काम करने रंजीत मुंबई आए थे वो डब्बा बंद हो चुकी थी। 

रंजीत साहब दिल्ली वापस जाने की तैयारियों में ही लगे थे कि एक दिन अचानक इनके पास दत्त साहब के मैनेजर आए और उन्होंने इनसे कहा कि दत्त साहब आपको अपनी फिल्म रेशमा और शेरा में एक रोल दे रहे हैं। 

और इस तरह रंजीत साहब के करियर की पहली फिल्म बनी रेशमा और शेरा जिसमें ये वहीदा रहमान के भाई के रोल में नज़र आए थे। हालांकि इनकी पहली रिलीज़्ड फिल्म थी सावन भादो। सावन भादो में ये रेखा के भाई बने थे।

छठी कहानी

रंजीत साहब के करियर की तीसरी फिल्म थी शर्मीली। ये फिल्म 31 दिसंबर 1971 को रिलीज़ हुई थी। शर्मीली ही वो पहली फिल्म थी जिसमें रंजीत जी ने कोई निगेटिव शेड वाला कैरेक्टर प्ले किया था। 

दिल्ली में शर्मीली फिल्म का प्रीमियर उसी सिनेमा हॉल में हुआ था जहां रंजीत ने अपने जीवन की पहली फिल्म गाइड देखी थी। शर्मीली के प्रीमियर में रंजीत अपने परिवार को भी साथ ले गए थे। 

लेकिन जब रंजीत के परिवार वालों ने इन्हें शर्मीली फिल्म में गुंडागर्दी करते देखा तो उन्हें बहुत बुरा लगा। वो इंटरवल में ही फिल्म छोड़कर चले गए। फिर जब रंजीत घर पहुंचे तो इनके घरवालों ने इन्हें खूब डांटा। 

इन्हें परिवार की इज्ज़त की दुहाई दी। फिर किसी तरह रंजीत ने अपने परिवार के लोगों को समझाया कि ये महज़ एक फिल्म है और इसमें जो भी मैं करता हूं वो सिर्फ एक्टिंग होती है। असल में मैं ऐसा कुछ भी नहीं करता।

सातवीं कहानी

रंजीत अपने किरदारों को इस अंदाज़ में निभाते थे कि असल जीवन में भी लोग, और खासतौर पर महिलाएं उनसे बहुत खौफ खाती थी। रंजीत के खौफ का एक किस्सा कुछ यूं है कि एक दफा एक फिल्म की शूटिंग के दौरान रंजीत को कोबरा ने काट लिया था। 

रंजीत उस कोबरा के साथ एक सीन शूट कर रहे थे। यूं तो वो कोबरा ज़हरीला नहीं था। लेकिन उसके काटने से रंजीत की उंगली से खून निकलने लगा था। शूटिंग यूनिट का एक आदमी दौड़कर पास मौजूद एक डॉक्टर को बुलाने गया। 

इत्तेफाक से वो डॉक्टर लेडीज़ थी। उस डॉक्टर को जब पता चला कि उसे रंजीत का इलाज करने जाना है तो उसने आने से साफ इन्कार कर दिया। फिर जैसे-तैसे उसे मनाया गया और वो रंजीत का इलाज करने को राज़ी हुई।

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