Anil Dhawan Unknown Facts | अभिनेता अनिल धवन की अनसुनी कहानियां
Anil Dhawan Unknown Facts. अनिल धवन 70 के दशक का एक जाना-पहचाना चेहरा हैं। जिन लोगों ने उस दौर को जिया होगा या जिनको उस दौर के सिनेमा की जानकारी होगी, वो अनिल धवन के नाम से ज़रूर वाकिफ होंगे।
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Anil Dhawan Unknown Facts - Photo: Social Media |
यूं तो फिल्मों में इनकी शुरुआत एज़ ए हीरो हुई थी। लेकिन वक्त के साथ बदलती सिनेमा की चाल ने अनिल धवन को कैरेक्टर आर्टिस्ट बना दिया। हालांकि कैरेक्टर रोल्स में भी इन्होंने शानदार काम किया और अपनी मुख्तलिफ पहचान कायम की।
अनिल धवन की ज़िंदगी की कहानी बड़ी ही रोचक है। और अनिल धवन की कहानी हम पहले ही कह चुके हैं। इस वीडियो के डिस्क्रिप्शन में आपको अनिल धवन की बायोग्राफी का लिंक मिल जाएगा। आप चाहें तो उसे भी देख सकते हैं।
आज हम अनिल धवन की कुछ अनसुनी कहानियां आप दर्शकों संग शेयर करेंगे। अनिल धवन की ज़िंदगी से जुड़ी ये कुछ वो कहानियां हैं जो उनके फैंस को भी शायद ही मालूम होंगी। Anil Dhawan Unknown Facts.
पहली कहानी
वैसे तो लोग अनिल धवन को भुला ही चुके थे। लेकिन साल 2018 में अनिल धवन उस वक्त चर्चाओं में आ गए जब लोगों ने उन्हें अंधाधुन फिल्म में प्रमोद सिन्हा के रोल में देखा।
अंधाधुन से पहले अनिल ने पांच सालों से किसी फिल्म में काम नहीं किया था। और वो मान ही चुके थे कि उनका करियर अब खत्म हो चुका है।
लेकिन कई सालों पहले श्रीराम राघवन से हुई एक मुलाकात ने उन्हें फिर से फिल्मों में खींच लिया। दरअसल, अनिल धवन की बेटी शिल्पा श्रीराम राघवन के साथ इंटर्नशिप कर चुकी थी।
एक दफा शिल्पा की बर्थडे पार्टी में श्रीराम राघवन अनिल धवन के घर आए थे। अनिल धवन और श्रीराम राघवन की उस दिन बढ़िया दोस्ती हो गई।
उस दिन जाते वक्त श्रीराम राघवन ने अनिल से कहा कि हम एक दिन दोबारा ज़रूर मिलेंगे। फिर कुछ सालों बाद श्रीराम राघवन ने अनिल को फोन किया और मिलने के लिए अपने ऑफिस बुलाया।
अनिल जब श्रीराम राघवन के ऑफिस पहुंचे तो उन्होंने अनिल को अंधाधुन फिल्म की कहानी सुनाई और उन्हें तब्बू के अपोज़िट प्रमोद सिन्हा का रोल ऑफर किया जिसे अनिल ने फौरन एक्सेप्ट भी कर लिया।
दूसरी कहानी
अनिल धवन के करियर की टॉप फिल्मों में से एक है 1972 में आई पिया का घर। इस फिल्म में अनिल के अपोज़िट FTII में उनकी बैचमेट रही जया भादुरी थी। इस फिल्म की शूटिंग से एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा जुड़ा है।
दरअसल, राजश्री प्रोडक्शन्स के बैनर तले बनी पिया का घर की शूटिंग मुंबई के परेल में मौजूद राजकमल स्टूडियो में हुई थी। एक दिन अनिल को सिगरेट की तलब लगी।
उन्होंने कई लोगों से कहा कि उन्हें सिगरेट चाहिए। लेकिन किसी ने उन्हें सिगरेट लाकर नहीं दी। और ना ही राजकमल स्टूडियो के पास ही सिगरेट की कोई दुकान थी।
तो अनिल अपनी कार से दादर गए और वहां से अपने लिए सिगरेट लेकर आए। अगले दिन राजकुमार बड़जात्या ने अनिल को अपने ऑफिस बुलाया।
अनिल जब राजश्री प्रोडक्शन के ऑफिस पहुंचे तो राजकुमार बड़जात्या ने उनसे पूछा,"तुम कल कुछ देर के लिए स्टूडियो से चले गए थे। क्या तुम्हें कोई परेशानी है।"
तब अनिल ने उन्हें बताया कि वो सिगरेट लेने गए थे। इस पर राजकुमार बड़जात्या ने अनिल से पूछा कि तुम एक दिन में कितनी सिगरेट पी लेते हो। अनिल ने बताया कि वो आधा पैकेट सिगेरट तो पी ही लेते हैं।
फिर राजकुमार बड़जात्या ने अनिल से सिगरेट की कीमत के बारे में पूछा। अनिल ने उन्हें बताया कि एक पैकेट चार रुपए का आता है। राज कुमार बड़जात्या ने कुछ कैलकुलेशन की और अंदाज़ा लगाया कि अनिल महीने में साठ से सत्तर रुपए सिगरेट पर खर्च कर देते हैं।
अगले दिन से अनिल के लिए स्टूडियो में ही सिगरेट का इंतज़ाम कर दिया गया। ये देखकर अनिल बहुत खुश हुए। लेकिन उनकी खुशी उस वक्त गायब हो गई जब राजश्री प्रोडक्शन ने सिगरेट के पैसे काटकर अनिल को उनकी फीस चुकाई थी।
तीसरी कहानी
साल 1975 में आई फिल्म एक हंस का जोड़ा में अनिल धवन के अपोज़िट एक्ट्रेस ज़हीरा ने काम किया था। इस फिल्म की काफी शूटिंग नैनिताल में हुई थी।
और नैनीताल में ही अनिल धवन और ज़हीरा के साथ एक ऐसा हादसा हो गया था जब इन दोनों की जान जाते-जाते बची थी। दरअसल, फिल्म के एक सीन में ज़हीरा और अनिल को नदी के किनारे खड़ा होना था और फिर ज़हीरा को नदी में गिरना था।
जिस नदी के पास ये सीन शूट होना था उसमें पानी बहुत ज़्यादा गहरा तो नहीं था। लेकिन पानी की रफ्तार बहुत ज़्यादा थी। डायरेक्टर ने पानी में पांच-छह स्टंटमैन को सुरक्षा के लिए खड़ा कर दिया था।
सीन शुरु हुआ। लेकिन अचानक ज़हीरा का पैर फिसल गया और वो वक्त से पहले ही पानी में गिर गई। चूंकि पानी की रफ्तार बहुत ज़्यादा थी तो ज़हीरा तेज़ी से बहने लगी। अनिल को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें।
वो ज़हीरा को बचाने के लिए पानी में कूद पड़े। लेकिन तेज़ गति से बहते पानी में अनिल धवन भी बहने लगे। नदी में कई नुकीले पत्थर भी थे जो इन दोनों को चोट भी पहुंचा रहे थे।
लेकिन इत्तेफाक से नदी में पहले से खड़े स्टंटमैन ने अनिल और ज़हीरा को पकड़ लिया और इन्हें बहने से बचाया। जब इन दोनों को बाहर निकाला गया तो इन्हें ब्रांडी पीने के लिए दी गई।
उस वक्त अनिल शराब नहीं पीते थे। तो उन्होंने ब्रांडी पीने से मना कर दिया। लेकिन स्टंट मास्टर ने कहा कि तुम ठंड से कंपकपा रहे हो। तुम्हें इसकी ज़रूरत है। तब अनिल ने ब्रांडी के दो चार घूंट ले ही लिए।
इत्तेफाक से ये सारी घटना एक रिपोर्टर को पता चल गई। उसने अपने अखबार में ये घटना छाप दी। और जब ये खबर मुंबई तक पहुंची तो अनिल के परिवार और शुभचिंतक बहुत फिक्र मे में आ गए।
मगर जब अनिल वापस मुंबई लौटे तो उन्हें सही सलामत देखकर लोगों की जान में जान आई। और चूंकि नैनीताल में हुई उस घटना के दौरान सभी कैमरे चालू थे तो फिल्म में उस सारे सीन को भी डाला गया था। जो काफी नैचुरल दिख रहा था।
चौथी कहानी
अनिल धवन के फिल्मी करियर का एक दिन ऐसा रहा था जिसे वो कभी नहीं भुला पाते हैं। दरअसल, उस दिन अनिल धवन ने कई फिल्में साइन की थी। और वो सभी फिल्में बड़े बजट और बड़े बैनर्स की फिल्में थी।
एक दिन अनिल धवन प्रोड्यूसर राम दयाल के घर दिवाली पार्टी में शरीक होने गए थे। वहां राम दयाल ने अनिल को अपनी फिल्म दो राहा में एज़ ए लीड एक्टर साइन कर लिया। फिर जब अनिल वापस घर पहुंचे तो उनकी पत्नी रश्मि ने उन्हें बताया कि सुबह उनसे कुछ प्रोड्यूसर्स मिलने आ रहे हैं।
अगले दिन सबसे पहले अवतार भोगल अनिल धवन से मिलने आए और अनिल ने उनकी फिल्म एक हंस का जोड़ा साइन कर ली। फिर अनिल के घर संदीप सेठी आए और उन्होंने अनिल को अपनी फिल्म समझौता में कास्ट कर लिया।
संदीप सेठी ने अनिल को 2500 रुपए दिए। साथ ही पूछा कि वो कौन सी कार चलाते हैं। अनिल ने उन्हें बताया कि मेरे पास कार नहीं है। तब संदीप सेठी ने अनिल को एक ब्रांड न्यू फिएट डर्ट चीप कार फिल्म में काम करने के एवज में देने का वादा किया।
संदीप सेठी के जाने के बाद अनिल के पास फोन आया और फोन करने वाले ने उनसे कहा कि उन्हें असित सेन मिलने के लिए बुला रहे हैं। अनिल जाना तो नहीं चाहते थे। लेकिन पत्नी रश्मि के कहने पर वो असित सेन से मिलने चले गए।
उस दिन असित सेन ने भी अनिल को अनोखा दान और आनंदाता के लिए साइन कर लिया। और उसी दिन रात को संदीप सेठी ने भी अनिल को उनकी ब्रांड न्यू फिएट डर्ट चीप कार पहुंचा दी। इस तरह वो दिन अनिल धवन की ज़िंदगी का सबसे शानदार दिन बन गया।
पांचवी कहानी
अनिल धवन ने अमिताभ बच्चन के साथ प्यार की एक कहानी फिल्म में काम किया था। हालांकि पहले इस फिल्म में ना तो अमिताभ बच्चन थे और ना ही अनिल धवन थे।
अमिताभ वाले रोल के लिए पहले विनोद खन्ना को साइन किया गया था। जबकी अनिल धवन वाले किरदार के लिए जितेंद्र को चुना गया था।
लेकिन चूंकि विनोद खन्ना उस दौरान गीतांजली से शादी करने वाले थे तो उन्होंने ये फिल्म छोड़ दी। विनोद खन्ना की जगह नए-नवेले अमिताभ बच्चन को साइन किया गया।
कुछ दिन बाद जितेंद्र ने भी किन्हीं वजहों से खुद को फिल्म से अलग कर लिया। तब जितेंद्र वाले रोल के लिए अनिल धवन को साइन किया गया।
उस फिल्म में अनिल धवन और अमिताभ बच्चन के अलावा फरीदा जलाल, तनुजा और प्रेम चोपड़ा भी अहम किरदारों में नज़र आए थे।
और चूंकि एफटीआईआई के दिनों से अनिल धवन की जया भादुरी और शत्रुघ्न सिन्हा से बढ़िया जान पहचान थी तो वो अमिताभ बच्चन को भी पहले से और अच्छी तरह से जानते थे।
छठी कहानी
अनिल धवन मुंबई के बांद्रा में शुरुआत में जिस बिल्डिंग में अपनी पत्नी रश्मि के साथ रहते थे, उसी बिल्डिंग में मौसमी चटर्जी, प्रेम चोपड़ा, विनोद मेहरा, नवीन निश्चल, अनिता राज और सावन कुमार टाक जैसी हस्तियां भी रहा करती थी।
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए अनिल ने एक दफा बताया था कि अक्सर ये सभी लोग एक-दूसरे के घर में पार्टियां करते थे। और अक्सर रेखा, रीना रॉय और योगिता बाली भी इन पार्टियों में शरीक होने आया करती थी।
1973 में आई राजेश खन्ना की ब्लॉकबस्टर फिल्म दाग के प्रीमियर में शरीक होने के लिए अनिल धवन की कार में प्रेम चोपड़ा, विनोद मेहरा और नवीन निश्चल भी गए थे।
सातवीं कहानी
अनिल धवन अभिनेत्री साधना के बहुत बड़े फैन थे। जिस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में अनिल धवन का करियर स्टार्ट हुआ था उस वक्त साधना अपने करियर के आखिरी दौर में थी।
साल 1981में आई फिल्म महफिल में अनिल धवन को साधना के साथ काम करने का मौका मिला था। लेकिन शूटिंग के पहले दिन साधना को सामने देखकर अनिल बहुत ज़्यादा नर्वस हो गए। शॉट रेडी था।
लेकिन घबराहट का शिकार अनिल धवन मेकअप रूम से बाहर ही नहीं आ रहे थे। साधना ने अनिल की नर्वसनैस को भांप लिया और उन्होंने जाकर अनिल से बात की। साधना के बात करने के बाद अनिल की नर्वसनैस काफी कम हुई।
उस दिन अनिल ने साधना को बताया कि कैसे उनकी फिल्म आरज़ू का फर्स्ट डे फर्स्ट शो देखने के लिए अनिल घंटों तक टिकट लाइन में खड़े रहे थे और इस दौरान उनकी शर्ट भी फट गई थी।
महफिल फिल्म के एक सीन में अनिल को साधना को हग करना था। वो शॉट कंप्लीट होने के बाद डायरेक्टर ने पैकअप कर दिया था।
लेकिन साधना ने डायरेक्टर से कहा कि उसने मुझे ढंग से छुआ भी नहीं है। इसलिए हम ये शॉट दोबारा लेंगे। और फिर काफी देर तक साधना ने अनिल धवन के साथ उस शॉट की रिहर्सल भी की थी।
आठवीं कहानी
साल 1998 में स्टार प्लस चैनल पर एक टीवी शो आया था जिसमें अनिल धवन भी नज़र आए थे। ये शो अपने ज़माने की खूबसूरत और दिग्गज अदाकारा आशा पारेख जी ने डायरेक्ट किया था।
और अनिल धवन भी उनके बहुत बड़े फैन हुआ करते थे। एक्ट्रेस शम्मी जिन्हें लोग शम्मी आंटी के नाम से जानते थे, उनके पति सुल्तान अहमद से अनिल की बढ़िया दोस्ती थी।
अनिल अक्सर आशा पारेख को देखने उनकी फिल्मों के सेट्स पर जाया करते थे। लेकिन वो कभी आशा पारेख से बात नहीं कर पाए थे। जब आशा पारेख कोरा कागज़ शो की कास्टिंग कर रही थी तो सुल्तान अहमद ने अनिल धवन का नाम उन्हें सुझाया था।
तब आशा पारेख के कहने पर सुल्तान अहमद की पत्नी यानि एक्ट्रेस शम्मी आंटी ने अनिल धवन को फोन करके कोरा कागज़ सीरियल का ऑफर दिया। अनिल ने तुरंत वो ऑफर स्वीकार भी कर लिया।
शम्मी ने अनिल को आशा पारेख के घर मिलने के लिए बुलाया। अनिल जब आशा पारेख के घर गए तो आशा पारेख उनसे नहीं मिली और उन्होंने कहा कि फीस की बात शम्मी से ही कर लीजिए।
लेकिन फिर जब इस सीरियल की शूटिंग शुरु हुई तो आशा पारेख और अनिल धवन की बढ़िया बातचीत होने लगी। आशा पारेख अनिल धवन को अपनी शूटिंग के दिनों के किस्से खूब सुनाती थी।
नौंवी कहानी
अनिल धवन के छोटे भाई डेविड धवन आज फिल्म इंडस्ट्री का बहुत बड़ा नाम हैं। लेकिन इस बात से बहुत ही कम लोग वाकिफ हैं कि डेविड धवन को अनिल धवन फिल्म इंडस्ट्री में लेकर आए थे।
दरअसल, बचपन में डेविड धवन बहुत बढ़िया स्टूडेंट थे। वो हर क्लास में अव्वल आते थे। लेकिन जब डेविड कॉलेज पहुंचे तो उनकी सोहबत बिगड़ने लगी। डेविड को लेकर उनके माता-पिता को फिक्र रहने लगी।
अनिल धवन इस वक्त तक एक्टर बन चुके थे। उन्होंने ज़बरदस्ती डेविड से एफटीआईआई का एग्ज़ाम दिलाया। और इत्तेफाक से डेविड ने वो एग्ज़ाम पास भी कर लिया। लेकिन डेविड कभी भी फिल्म लाइन में नहीं जाना चाहते थे।
फिर डेविड जब एफटीआईआई आ गए तो उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को सीरियसली लेना शुरू कर दिया। और आज हम सभी जानते हैं कि डेविड धवन का फिल्म इंडस्ट्री में कितना बड़ा रुतबा है।
दसवीं कहानी
अनिल धवन फिल्म इंडस्ट्री के पहले ऐसे ए ग्रेड एक्टर थे जिसने किसी हॉरर फिल्म में काम किया था। 1978 में आई रामसे ब्रदर्स की दरवाज़ा फिल्म में अनिल धवन के काम को लोगों ने बहुत पसंद किया था।
हालांकि अनिल धवन को ये शिकायत भी है कि आज लोग उन्हें सिर्फ दरवाज़ा फिल्म के हीरो के तौर पर ही जानते हैं। अनिल कहते हैं कि वो कोई ऐसा काम नहीं करते जिसे वो कभी करना नहीं चाहते।
मिसाल के तौर पर, अनिल ने साउथ में बन रही एक फिल्म रानी और जानी साइन की थी। अनिल जब शूटिंग करने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि उनके किरदार को तो फिल्म में डांस भी करना पड़ेगा।
अनिल ने डायरेक्टर को बताया कि वो डांस नहीं कर पाएंगे। लेकिन डायरेक्टर ने डांस करने की शर्त रख दी। तब अनिल ने वो फिल्म छोड़ दी और वापस मुंबई लौट आए।
अनिल कहते हैं कि जब एक्शन फिल्मों का दौर शुरु हुआ तो वो फिल्मों से ज़्यादा टीवी पर काम करने लगे। क्योंकि फिल्मों में उनके लिए बहुत कुछ करने को नहीं बचा था।
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