Asha Parekh Hindi Biography | आशा पारेख की ज़िंदगी की कहानी जानिए

Asha Parekh Hindi Biography. आज बात होगी उस शख्सियत की जो ना सिर्फ एक शानदार अदाकारा रही है। बल्कि एक बेहतरीन नृत्यांगना भी रही है। 

खूबसूरती ऐसी कि सरहद पार के लोग भी इनके दीवाने हुआ करते थे। एक्टिंग ही नहीं, डायरेक्शन के फील्ड में भी इन्होंने खूब अपना सिक्का जमाया। ये हैं द वन एंड ओनली, आशा पारेख। 

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Asha Parekh Hindi Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज पेश है ब्यूटीफुल आशा पारेख की ज़िंदगी की कहानी। आशा पारेख के फिल्मी सफर के बारे में आज काफी कुछ हम और आप जानेंगे। Asha Parekh Hindi Biography.

शुरुआती जीवन

आशा पारेख का जन्म हुआ था 2 अक्टूबर 1942 को मुंबई में। इनकी मां का नाम था सलमा उर्फ सुधा पारेख। जबकी इनके पिता थे बच्चूभाई पारेख। इनके माता-पिता ने प्रेम विवाह किया था। 

मां-बाप की इकलौती और बेहद लाडली आशा पारेख को बचपन से ही डांस का शौक था। वो अक्सर रिकॉर्ड्स पर गाना चलाकर नाचा करती थी। 

हालांकि बचपन में आशा जी फिल्म एक्ट्रेस नहीं, बल्कि डॉक्टर बनना चाहती थी। पर चूंकि इनकी किस्मत में एक्ट्रेस बनना ही लिखा था तो इनके हालात उसी तरह से ढलते भी गए।

अभिनेता प्रेमनाथ आए आशा पारेख के जीवन में

किसी दौर के दिग्गज एक्टर प्रेमनाथ जी इनके माता-पिता के मित्र थे और अक्सर इनके घर आते रहते थे। दिग्गज डायरेक्टर मुकुल आनंद के पिता चार्टर्ड अकाउंटेंट हुआ करते थे। 

और फिल्म इंडस्ट्री के बड़े-बड़े कलाकार उनके पास अपने टैक्स के हिसाब-किताब के लिए आते रहते थे। प्रेमनाथ उनमें से एक थे। मुकुल आनंद के पिता आशा पारेख के पड़ोसी थे। 

यही वजह है कि आशा पारेख के माता-पिता से  प्रेमनाथ की बढ़िया जान-पहचान हो गई थी। प्रेमनाथ जी को पता था कि नन्ही आशा डांस करती हैं। उन्होंने कई दफा आशा जी का डांस देखा भी था। एक दफा आशा जी के स्कूल में एक फंक्शन था। 

स्कूल की प्रिंसिपल ने आशा जी की मां से कहा कि अगर आप किसी स्टार को स्कूल के फंक्शन में बुलवा देंगी तो बहुत बढ़िया रहेगा। आशा जी की मां ने प्रेमनाथ जी से इस बारे में बात की। प्रेमनाथ ने कहा कि अगर आशा डांस करेगी तो मैं ज़रूर आऊंगा।

मां ने दिलाई शास्त्रीय नृत्य की शिक्षा

मां ने सोचा कि घर में रिकॉर्ड्स पर डांस करने वाली आशा भला स्टेज पर कहां डांस कर पाएगी। इसलिए इनकी मां इन्हें उस ज़माने के दिग्गज कत्थक मास्टर मोहनलाल पांडे के पास ले गई। 

आशा जी की मां ने उनसे कहा कि अगर 1 महीने में आप इसे इतना ट्रेंड कर दें कि ये स्टेज पर थोड़ा डांस कर ले तो बड़ी मेहरबानी होगी। और फिर कड़ी मेहनत करके मास्टर मोहनलाल पांडे ने नन्ही आशा पारेख को थोड़ा-बहुत कत्थक सिखा दिया। 

स्कूल के उस फंक्शन में आशा जी का कत्थक डांस हर किसी को पसंद आया। वादे के मुताबिक, प्रेमनाथ भी उस फंक्शन में शरीक हुए और उन्होंने आशा जी की खूब तारीफ की। 

साथ ही उन्होंने इनकी मां को सलाह दी कि आशा को डांस की प्रॉपर ट्रेनिंग दी जाए। प्रेमनाथ की बात मानते हुए आशा जी की मां ने इन्हें भारतीय शास्त्रीय नृत्य की विधिवत शिक्षा दिलानी शुरू कर दी। कत्थक के अलावा आशा जी ने भरतनाट्यम और कत्थकली भी सीखा। साथ ही ओडीसी नृत्य की भी दीक्षा ली।

स्टेज ने बदल दिया जीवन

गुज़रते वक्त के साथ आशा जी स्टेज प्रोग्राम्स में भी नृत्य करने लगी थी। फिर एक दिन एक स्टेज प्रोग्राम में ही आशा जी की मुलाकात भारतीय सिनेमा की एक महान शख्सियत से हुई। 

ये हस्ती थी महान बिमल रॉय जो कि वो स्टेज प्रोग्राम देखने आए थे। आशा पारेख का डांस बिमल रॉय को बहुत पसंद आया। प्रोग्राम के बाद बिमल दा ने आशा जी से पूछा,”फिल्मों में काम करोगी?” 

नन्ही आशा ने हामी भर दी। बिमल दा ने आशा जी के माता-पिता से बात की। और वो भी इनके फिल्मों में काम करने से सहज थे। 

और इस तरह आशा पारेख के करियर की पहली फिल्म बनी साल 1954 में रिलीज़ हुई बाप बेटी। इसके बाद आसमान और धोबी डॉक्टर जैसी कुछ और बड़ी फिल्मों में आशा जी ने चाइल्ड आर्टिस्ट की हैसियत से काम किया था। 

आशा जी के साथ ऐसा भी हुआ था

फिर साल 1959 में आई फिल्म दिल देके देखो में आशा पारेख पहली दफा मेन हिरोइन के तौर पर फिल्मों में नज़र आई थी। इस फिल्म में इनके हीरो थे एवरग्रीन शम्मी कपूर साहेब। 

हालांकि इससे पहले साल 1959 में आई फिल्म गूंज उठी शहनाई में आशा जी मुख्य हिरोइन के तौर पर सिलेक्ट हो गई थी। और तो और, आशा ने दो दिन फिल्म की शूटिंग भी की थी। 

मगर फिल्म के डायरेक्टर विजय भट्ट ने आशा जी को फिल्म से ये कहकर निकाल दिया कि तुम्हारे अंदर हिरोइनों जैसी कोई बात नहीं है। और उन्होंने राजेंद्र कुमार के अपोज़िट एक्ट्रेस अमिता को साइन कर लिया। 

कहा जाता है कि डायरेक्टर नासिर हुसैन भी गूंज उठी शहनाई फिल्म से जुड़े थे। उन्हें जब पता चला कि विजय भट्ट ने आशा पारेख को फिल्म से निकाल दिया है तो उन्हें ये बात बहुत बुरी लगी। 

नासिर ने फैसला किया कि वो आशा जी को अपनी फिल्म दिल देके देखो से लॉन्च करेंगे। जबकी पहले ये रोल एक्ट्रेस साधना को दिया जाने वाला था। और इस तरह शम्मी कपूर आशा पारेख के पहले हीरो बने। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त हिट साबित हुई। 

रातोंरात आशा पारेख स्टार बन गई। आशा ने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आशा पारेख बॉलीवुड की टॉपमोस्ट एक्ट्रेसेज़ की लिस्ट में शामिल हो गई। इंडस्ट्री के हर बड़े एक्टर के साथ आशा जी ने सिल्वर स्क्रीन शेयर की।

आशा जी की प्रमुख फिल्में

अपने करियर में आशा पारेख ने लगभग 100 हिंदी फिल्मों और कुछ पंजाबी गुजराती और कन्नड़ फिल्मों में काम किया था। 

बात अगर आशा पारेख के करियर की टॉप फिल्मों की करें तो फिर वोही दिल लाया हूं(1963), तीसरी मंज़िल(1966), लव इन टोक्यो(1966), दो बदन(1966), आए दिन बहार के(1966), उपकार(1967), कन्यादान(1968), महल(1969), कटी पतंग(1970), पगला कहीं का(1970), आन मिलो सजना(1970), मेरा गांव मेरा देश(1971), कारवां(1971), मैं तुलसी तेरे आंगन की(1978), बिन फेरे हम तेरे(1479), सौ दिन सास के(1980) और कालिया(1981) जैसी फिल्मों में अपनी एक्टिंग की नुमाइश पेश की। 

आशा पारेख की आखिरी रिलीज़्ड फिल्म थी साल 1996 में आई मुट्ठीभर ज़मीन जिसमें इन्होंने एक सपोर्टिंग कैरेक्टर निभाया था। 

डायरेक्शन भी खूब किया

एक्टिंग के अलावा आशा पारेख जी ने डायरेक्शन में भी हाथ आज़माया था। इन्होंने कुछ टीवी शोज़ डायरेक्ट किए थे। वहीं कुछ टीवी शोज़ को इन्होंने खुद प्रोड्यूस भी किया था। आकृति नाम की इनकी एक खुद की प्रोडक्शन कंपनी थी। 

और आकृति प्रोडक्शन्स के बैनर तले ही सबसे पहले आशा पारेख ने 1988 में ज्योति नाम का एक गुजराती टीवी शो डायरेक्ट किया था। जब वो शो बहुत ज़्यादा हिट हो गया तो आशा पारेख ने 1989 में दूरदर्शन के लिए पलाश के फूल नाम का शो डायरेक्ट किया। 

फिर 1998 में कोरा कागज़, 1998 में ही दाल में काला, 2001 में कंगन और 2003 में कुछ पल साथ तुम्हारा नाम के शो इन्होंने डायरेक्ट और प्रोड्यूस किए। 

आशा पारेख ही पहली महिला भी हैं जो सीबीएफसी यानि फिल्म सेंसर बोर्ड की अध्यक्षा भी रह चुकी हैं। साल 1998 से लेकर 2001 तक आशा पारेख सेंसर बोर्ड की चीफ रही थी। और इस दौरान आशा पारेख के साथ काफी कंट्रोवर्सी भी हुई थी।

ऐसा है निजी जीवन

आशा पारेख की निजी ज़िंदगी की बात करें तो इन्होंने कभी शादी नहीं की। कहा जाता है कि आशा जी डायरेक्टर नासिर हुसैन से प्यार करने लगी थी और उनसे शादी भी करना चाहती थी। 

लेकिन चूंकि नासिर हुसैन पहले से शादीशुदा थे तो आशा जी उनसे शादी नहीं कर सकी। हालांकि जब आशा और नासिर हुसैन के इश्क के चर्चे होने शुरू हुए थे तो उस वक्त आशा जी ने इन्हें अफवाह करार दिया था। 

आशा जी ने कहा था कि उनका एक बॉयफ्रेंड है जिसके साथ वो सालों से रिलेशनशिप में हैं। हालांकि आशा जी कभी भी अपने उस बॉयफ्रेंड के बारे में कोई और बात नहीं करती थी। 

लेकिन जब साल 2017 में आशा पारेख की बायोग्राफी बुक द हिट गर्ल आई तो उससे पता चला कि आशा जी और नासिर हुसैन के बीच वाकई में एक रुमानी रिश्ता था। 

लेकिन दोनों परिवारों के भले के लिए आशा जी ने नासिर हुसैन से शादी करने की कोशिश नहीं की थी। और वो जो बॉयफ्रेंड वाली बात आशा जी कहती थी, वो एकदम झूठ थी। 

ऐसे दावे भी किए जाते हैं

कई लोग दावा करते हैं कि नासिर हुसैन से अपनी मुहब्बत के चलते ही आशा जी ने कभी भी शादी नहीं की। एक वक्त ऐसा भी आया था जब आशा पारेख अमेरिका में रहने वाले भारतीय मूल के एक प्रोफेसर से शादी करने ही वाली थी। 

लेकिन इत्तेफाक से आशा जी को कहीं से पता चल गया कि जिस शख्स के साथ वो शादी करने जा रही हैं उसकी पहले से ही एक गर्लफ्रेंड है। ये बात सामने आने के बाद आशा जी ने उस प्रोफेसर से शादी करने से इन्कार कर दिया। 

फाइनली इन्होंने ये तय किया कि ये किसी से शादी नहीं करेंगी। एक दफा इन्होंने एक बच्चा गोद लेने की कोशिश भी की थी। लेकिन जिस बच्चे को ये गोद लेना चाहती थी उसमें कुछ जन्मजात बीमारियां थी। 

डॉक्टर्स ने इन्हें वो बच्चा गोद ना लेने की सलाह दी। और इस तरह आशा जी की वो ख्वाहिश भी अधूरी रह गई। आशा जी ने डॉक्टर बनने की अपनी बचपन की ख्वाहिश को पूरा करने की एक अनोखी कोशिश ज़रूर की। 

दरअसल, आशा जी ने मुंबई में आशा पारेख नाम से अपना एक हॉस्पिटल खोला है जहां ग़रीब लोगों का बेहद सस्ती कीमतों पर, और कई दफा तो मुफ्त में भी इलाज किया जाता है। आशा जी ने अपनी एक खुद की डांस एकेडेमी भी शुरू की थी। हालांकि बढ़ती उम्र की वजह से अब इनकी वो डांस एकेडेमी बंद हो चुकी है।

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