The Mummy 1999 Trivia | द ममी फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 10 अनसुनी और रोचक कहानियां

The Mummy 1999 Trivia. साल 1999 में आई द ममी हर उस शख्स ने देखी होगी जो हॉलीवुड फिल्मों का शौकीन है। 

इस एक्शन एडवेंचर फिल्म को लोगों ने खूब पसंद किया था। 80 मिलियन डॉलर्स यानि 6 अरब 53 करोड़ रुपए में बनी द ममी ने 416 मिलियन डॉलर्स की कमाई की थी। 

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The Mummy 1999 Trivia - Photo Courtesy: IMDB

फिल्म की कहानी प्राचीन मिस्र की कुछ ममीज़ के इर्द-गिर्द घूमती है जो शैतानी हैं और जो एक बार फिर से ज़िंदा होकर दुनिया को अपने कब्ज़े में करना चाहती हैं। 

द ममी में लीड रोल में नज़र आए थे ब्रैंडन फ्रेज़र और रेचेल वीज़। इनके अलावा जॉन हैन्ना, आर्नोल्ड वोस्लू, जॉनाथन हाइड, एरिक अवारी, स्टीफन डनहैम और पैट्रीसिया वैलासक्वीज़ ने भी इस फिल्म में अहम किरदार निभाए थे। 

फिल्म को डायरेक्ट किया था स्टीफन समर्स ने और उन्होंने ही इस फिल्म की स्टोरी व स्क्रीनप्ले भी लिखा था। ये फिल्म साल 1932 की एक फिल्म का रीमेक थी और उस फिल्म का नाम भी द ममी ही था।

Meerut Manthan पर आज आप देखेंगे द ममी फिल्म की मेकिंग से जुड़ी कुछ रोचक और अनसुनी कहानियां। और Meerut Manthan को पूरा यकीन है कि आपको द ममी फिल्म की मेकिंग की ये कहानियां ज़रूर पसंद आएंगी। The Mummy 1999 Trivia.

पहली कहानी

द ममी फिल्म का वो सीन जब रिक ओकोनेल यानि ब्रैंडन फ्रेज़र को फांसी पर लटकाया जाता है, उसे शूट करते वक्त ब्रैंडन फ्रेज़र लगभग मर ही गए थे। 

दरअसल, ब्रैंडन फ्रेज़र ने बिना किसी बॉडी डबल के खुद ही वो सीन शूट करने का फैसला किया और उस सीन में उन्हें सच में कुछ सेकेंड्स के लिए फांसी के फंदे पर लटकना था। 

जैसे ही ये सीन शूट होना शुरू हुआ और ब्रैंडन फ्रेज़र फांसी के फंदे पर लटके, वो उम्मीद से कहीं पहले ही बेहोश हो गए। जब उन्हें नीचे उतारा गया तो कुछ देर तक तो उन्हें होश भी नहीं आया था। सबको लगा था कि आज कुछ अनहोनी हो गई है। 

लेकिन ईश्वर ने अपना चमत्कार दिखाया और अचानक ब्रैंडन फ्रेज़र की आंखें खुल गई। ब्रैंडन को ज़िंदा देखकर फिल्म यूनिट के हर मैंबर ने चैन की सांस ली थी।

दूसरी कहानी

द ममी फिल्म की कहानी एक नैरेशन से शुरू होती है। नैरेशन में बताया जाता है कि कैसे प्राचीन मिस्र में इमहोटेप ने अपनी प्रेमिका अनकसुनामन के साथ मिलकर फराओ की हत्या की थी। 

और इस हरकत की सज़ा देते हुए इमहोटेप को ज़िंदा ही ममी बनवाकर ज़मीन में गड़वा दिया गयया था। स्टीफन समर्स जब इस फिल्म का स्क्रीनप्ले लिख रहे थे तो उन्होंने ये नैरेशन इमहोटेप से कराने का प्लान किया था। 

मगर जब लगभग सारी स्क्रिप्ट रेडी हो गई तो स्टीफन समर्स को याद आया कि ये नैरेशन इंग्लिश में होना है और कहानी के मुताबिक इमहोटेप इंग्लिश बोल ही नहीं सकता।

फाइनली द ममी का वो ऑपनिंग वॉइस ऑवर ओडेड फेहर को दिया गया जो फिल्म में अर्डेथ बे के रोल में दिखे थे।

तीसरी कहानी

द ममी में एक सीन है जिसमें एवलिन कार्नाहैन म्यूज़ियम की लाइब्रेरी में सीढ़ियों के सहारे किताबें देख रही होती है और तभी अचानक उसकी सीढ़ी लड़खड़ा जाती है और लाइब्रेरी में रखी किताबों की सारी अलमारियां गिर जाती हैं। 

उस सीन को शूट करने के लिए डायरेक्टर स्टीफन समर्स ने बहुत तैयारी की थी। आपको जानकर हैरानी होगी कि तकरीबन 40 सेकेंड लंबा ये सीन एक ही टेक में शूट किया गया था। अगर इस सीन का रीटेक लेना पड़ जाता तो इसमें पूरे चार घंटे का वक्त लगता। 

स्टीफन समर्स तो ये मानकर ही चल रहे थे कि इस सीन को शूट करने में दो या तीन टेक तो लेने ही पड़ेंगे। इसलिए उन्होंने दो दिनों के लिए इस जगह को बुक कर रखा था। 

लेकिन एक्ट्रेस रेचेल वीज़ की कुशलता से ये सारा सीन कुछ ही घंटों में शूट हो गया और स्टीफन समर्स का काफी वक्त बच गया।

चौथी कहानी

द ममी की ज़्यादातर शूटिंग सहारा के रेगिस्तानों में हुई थी। और फिल्म यूनिट के मेंबर्स को इन रेगिस्तानों में शूटिंग करने में बहुत ज़्यादा परेशानियां हो रही थी। 

सहारा की बेतहाशा गर्मियों की वजह से आए दिन कोई ना कोई क्र्यू मेंबर बेहोश होकर गिर जाता था। यही वजह है कि फिल्म के मेकर्स ने फिल्म यूनिट के लिए एक मेडिकल टीम भी हायर की थी। 

उसी मेडिकल टीम ने सहारा की बेतहाशा गर्मी में होने वाले डिहाइड्रेशन से कास्ट और क्र्यू मेंबर्स को बचाने के लिए एक ऐसी ड्रिंक तैयार की थी जिसे हर किसी को हर दो घंटे में एक बार पीना पड़ता था। 

साथ ही रेगिस्तान में रहने वाले खतरनाक सांप, बिच्छू और मकड़ियों का खतरा भी हर वक्त मंडराता रहता था। कई क्र्यू मेंबर्स को तो कीड़ो-मकोड़ों ने सच में काट लिया था। जिसकी वजह से उन्हें हैलिकॉप्टर से एयरलिफ्ट करके हॉस्पिटल में एडमिट कराना पड़ा था।

पांचवी कहानी

द ममी में मेन हीरो के रोल में हमें एक्टर ब्रैंडन फ्रेज़र नज़र आए थे। लेकिन पहले ये रोल लियोनार्डो डिकैप्रियो को ऑफर किया गया था। लियोनार्डो को भी इस फिल्म की कहानी बहुत पसंद आई थी और वो इस फिल्म में काम करना भी चाहते थे। 

लेकिन जब तक लियोनार्डो के पास द ममी की स्क्रिप्ट पहुंची थी तब तक वो द बीच साइन कर चुके थे। लियोनार्डो ने द बीच के मेकर्स से रिक्वेस्ट की थी कि अगर वो अपनी फिल्म की शूटिंग होल्ड कर दें तो वो द ममी में काम कर लेंगे। लेकिन द बीच के मेकर्स ने उनकी बात नहीं मानी। 

और इस तरह लियोनार्डो डिकैप्रियो के हाथ से द ममी फिल्म निकल गई। हालांकि ये भी एक इत्तेफाक ही है कि उनकी फिल्म द बीच की शूटिंग फिर भी डिले हो गई। कहां तो द बीच द ममी से पहले रिलीज़ होने वाली थी। और कहां ये फिल्म द ममी से एक साल बाद रिलीज़ हुई।

छठी कहानी

द ममी का वो सीन जब एवलिन कार्नाहन गलती से सोये हुए इहमोटेप को जगा देती है और फिर लाखों टिड्ढियों का एक झुंड हमुनाप्त्र पर हमला कर देता है, उसकी भी अपनी एक कहानी है। 

दरअसल, उस सीन में दिखाई दे रहा लाखों टिड्ढियां का वा झुंड यूं तो कंप्यूटर की मदद से तैयार किया गया था। लेकिन फिर भी कुछ असली टिड्ढे इस सीन को शूट करने के लिए इस्तेमाल किए गए थे। 

और ये सीन शूट करने से पहले इन टिड्ढों को एक बड़े से रेफ्रिजरेटर में कुछ घंटों के लिए रख दिया गया था। ऐसा इसलिए ताकि काफी देर ठंड में रहने के बाद टिड्ढे सुस्त पड़ जाएं और उन पर वो सीन शूट करने में कोई परेशानी ना आए।

सातवीं कहानी

द ममी की कहानी के मुताबिक इसमें होने वाली ज़्यादातर घटनाएं इजिप्ट की राजधानी काइरो में होती हैं। 

लेकिन असल में फिल्म में काइरो के जो सीन हमें दिखाई देते हैं, वो सभी मोरोक्को के मर्राकेश शहर में शूट किए गए हैं। वैसे तो डायरेक्टर चाहते थे कि फिल्म की शूटिंग काइरो में ही हो। 

लेकिन चूंकि उन दिनों काइरो में पॉलिटिकल टेंशन काफी ज़्यादा चल रही थी तो इस वजह से मोरोक्को के मर्राकेश में द ममी की शूटिंग कंप्लीट की गई थी। 

और जब मर्राकेश में फिल्म की शूटिंग हो रही थी तो सभी कास्ट और क्र्यू मेंबर्स को सख्त हिदायत दी गई थी कि वो फिल्म के सेट से बहुत ज़्यादा दूर घूमने ना निकल जाएं। नहीं तो उनका अपहरण भी हो सकता है। 

फिल्म का वो सीन जिसमें हम रिक ओकोनेल को जेल में देखते हैं, वो मर्राकेश में शूट किया गया सबसे पहला सीन है। और इत्तेफाक से फिल्म यूनिट जिस दिन मोरोक्को आई थी उसी दिन शूट कर लिया गया था।

आठवीं कहानी

द ममी फिल्म की स्क्रिप्ट में पहले अर्डेथ बे के कैरेक्टर को मर जाना था। लेकिन फिल्म की आधी शूटिंग के बाद डायरेक्टर स्टीफन समर्स ने अर्डेथ बे की मौत वाला सीन हटा दिया और फिल्म के आखिरी में उन्हें ज़िंदा ही रखा। 

दरअसल, स्टीफन समर्स को लगा कि अर्डेथ बे का कैरेक्टर काफी हिरोइक है। और अगर इस कैरेक्टर को मार दिया गया तो पब्लिक को ये पसंद नहीं आएगा। 

और चूंकि द ममी में अर्डेथ बे का कैरेक्टर मरता नहीं है तो फिर उसे इस फिल्म के सीक्वेल द ममी रिटर्न्स में भी लाना ही पड़ा। 

वैसे स्टीफन समर्स के लिए ये करना कोई मुश्किल काम नहीं रहा। और वो इसलिए क्योंकि द ममी की कहानी और इसका स्क्रीनप्ले उन्होंने खुद ही लिखा था।

नौंवी कहानी

द ममी का वो सीन जिसमें इहमोटेप काइरो के लोगों के दिमाग को कंट्रोल कर लेता है और उन्हें फिल्म की मेन कास्ट की जान लेने का आदेश देता है, उसमें हम देखते हैं कि सभी मुख्य किरदार अपनी जान बचाने के लिए शहर में चारों तरफ भागते हैं। 

लेकिन एक जगह पर वो फंस जाते हैं। जहां इहमोटेप हिरोइन एवलिन कार्नाहैन को ज़बरदस्ती अपने साथ ले जाता है और बाकी सब को जान से मारने का हुक्म देता है। 

तब बचने के लिए रिक एक गटर का ढक्कन हटाता है और सब लोग उस गटर में घुसकर अपनी जान बचाते हैं। लेकिन वास्तव में वो कोई गटर नहीं था। 

वो मोरक्को के मार्राकेश शहर में मौजूद 13वीं सदी के एक कब्रिस्तान का रास्ता था। जिसे फिल्म के लिए मेनहॉल जैसा बनाया गया था। 

द ममी की ज़्यादातर शूटिंग मोरक्को के मार्राकेश शहर में ही हुई है। जबकी फिल्म में दिखाया गया है कि कहानी इजिप्ट की राजधानी काईरो में चल रही है।

दसवीं कहानी

द ममी में तीन बार ऐसा मौका आता है जब रिक ओकोनल बैनी गैबर को गुड बाय बैनी बोलता है। पहली दफा रिक बैनी को तब गुडबाय बोलता है जब वो उसे नाव से बाहर फेंकता है। 

दूसरी बार रिक बैनी को तब गुड बाय बोलता है जब ये दोनों हमुनाप्त्र में घुसने के लिए अपने ऊंट को दौड़ाते हैं और रिक बैनी को उसके ऊंट से गिरा देता है। 

तीसरी बार रिक बैनी को उस वक्त गुड बाय बोलता है जब फिल्म के आखिर में बैनी रेत में समाते हमुनाप्त्र शहर में फंसता है। रिक बैनी बचाने की कोशिश तो करता है। लेकिन वो उसे बचा नहीं पाता। 

वहां भी रिक बैनी को गुड बाय बैनी बोलता है। इसके अलावा फिल्म का वो सीन जब इहमोटेप अपनी प्रेमिका अनक सुनामन को ज़िंदा करने के लिए एवलिन को एक बलि पत्थर पर ज़ंजीर से बांध देता है, उसे शूट करने में पूरे नौ दिन का वक्त लग गया था।

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