Arjun 1985 Trivia | अर्जुन फिल्म से जुड़े 12 Unknown Facts जानिए

Arjun 1985 Trivia. 20 अप्रैल 1985 को रिलीज़ हुई थी सनी देओल की फिल्म अर्जुन। फिल्म के डायरेक्टर थे राहुल रवैल और इस फिल्म की कहानी लिखी थी जावेद अख्तर ने। अगर आप 90 के दशक को जी चुके हैं तो दूरदर्शन पर आपने ये फिल्म कभी ना कभी ज़रूर देखी होगी। 

Arjun-1985-Trivia
Arjun 1985 Trivia - Photo: Social Media

एंग्री यंग मैन थीम पर बेस्ड इस फिल्म की कहानी अर्जुन मालवंकर नाम के एक ऐसे नौजवान लड़के पर फोकस्ड है जो बेरोजगार है और अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने में ज़रा भी नहीं हिचकता। 

सनी देओल के अलावा इस फिल्म में डिंपल कपाडिया, राज किरन, प्रेम चोपड़ा, सुप्रिया पाठक, अनुपम खेर, परेश रावल, ऐ के हंगल, गोगा कपूर, शशिकला, शफी ईनामदार, राजा बुंदेला और अन्नू कपूर ने भी अहम भूमिकाएं निभाई थी। 

अर्जुन फिल्म में कुल चार गाने थे जिनमें से दो गाने आशा भोंसले, एक गाना लता मंगेशकर ने और एक गाना शैलेंद्र सिंह ने गाया था। और इन गानों का म्यूज़िक तैयार किया था आरडी बर्मन ने। ये फिल्म सिनेयुग फिल्म्स के बैनर तले रिलीज़ की गई थी और फिल्म की सिनेमैटोग्राफी का ज़िम्मा संभाला था शबाना आज़मी के भाई बाबा आज़मी ने। 

लगभग 2 करोड़ रुपए में बनी अर्जुन फिल्म ने साढ़े आठ करोड़ रुपए की कमाई की थी और इस तरह ये फिल्म सन 1985 की सातवी सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म रही थी। पहले नंबर पर राजीव कपूर और मंदाकिनी की राम तेरी गंगा मैली थी जिसका बजट 5 करोड़ रुपए और कलेक्शन लगभग 13 करोड़ रुपए था।

Meerut Manthan पर आज हम और आप जानेंगे सनी देओल की अर्जुन फिल्म से जुड़ी कुछ रोचक और अनसुनी कहानियां। कैसे इस फिल्म में कुमार गौरव और ऋषि कपूर आते-आते रह गए? कैसे टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे एक आर्टिकल ने अर्जुन फिल्म की कहानी को जन्म दिया? और कैसे इस फिल्म में मजबूरी में परेश रावल को एक रोल दिया गया था? ऐसी ही कई कहानियां आज हम और आप जानेंगे। Arjun 1985 Trivia.

पहली कहानी

अर्जुन एक ऐसी फिल्म थी जो अपने वक्त के हिसाब से काफी आगे थी। इस फिल्म की शुरुआत में दिखाए गए क्रेडिट्स में किसी तरह का कोई म्यूज़िक या साउंड था ही नहीं। और बिना म्यूज़िक और साउंड के क्रेडिट्स देखकर शुरुआत में दर्शकों को बड़ा अचंभा हुआ था। 

दर्शकों को लगा कि शायद क्रेडिट्स में साउंड के साथ कोई टैक्निकल इश्यू हो गया है। लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था। ये सिर्फ डायरेक्टर राहुल रवैल का एक एक्सपैरीमेंट था। राहुल रवैल अर्जुन में क्रेडिट्स को कुछ अलग तरह से दिखाना चाहते थे। 

और इसीलिए उन्होने अर्जुन के क्रेडिट रोल में कोई साउंड या म्यूज़िक नहीं दिया था। राहुल रवैल ने अर्जुन फिल्म की एंडिंग के साथ भी एक एक्सपैरीमेंट किया था। अर्जुन फिल्म के आखिरी सीन में केवल सनी देओल और राज किरन ही नज़र आए थे। जबकी अधिकतर बॉलीवुड फिल्मों की एंडिंग में हीरो के साथ हिरोइन भी नज़र आती है।

दूसरी कहानी

अर्जुन फिल्म में एक सीन है जिसमें सनी देओल एक गुंडे को पकड़ने के लिए सड़क पर उसके पीछे भागते हैं। डायरेक्टर राहुल रवैल ने इस सीन को शूट करने में भी एक नया और एकदम अनोखा एक्सपैरीमेंट किया था। 

दरअसल, सनी देओल जब सड़क पर गुंडे को पकड़ने के लिए दौड़ रहे थे तो पब्लिक को नहीं पता था कि ये किसी फिल्म की शूटिंग हो रही है। लोगों को लगा कि सच में कुछ लोगों के बीच लड़ाई हो रही है। 

लेकिन जब लोगों ने कैमरा देखा तो उन्हें पता चला कि ये कोई असल लड़ाई नहीं बल्कि फिल्म की शूटिंग हो रही है। ये पूरा सीन शूट करने में डायरेक्टर राहुल रैवल ने 5 कैमरामैन का इस्तेमाल किया था।

तीसरी कहानी

अर्जुन फिल्म में सनी देओल के अपोज़िट डिंपल कपाड़िया ने काम किया था। हालांकि पहले इस फिल्म में अमृता सिंह को कास्ट किया गया था। लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से अमृता सिंह को इस फिल्म से हटा दिया गया और उनकी जगह डिंपल कपाड़िया को साइन किया गया। 

फिर बाद में अमिताभ बच्चन की मर्द में डिंपल कपाड़िया को रिप्लेस करके अमृता सिंह को कास्ट किया गया था। अमिताभ बच्चन की मर्द भी साल 1985 में ही रिलीज़ हुई थी। 

और इस पूरे घटनाक्रम पर मीडिया के कुछ लोगों ने कंट्रोवर्सी करने की कोशिश भी की थी। कहा गया था कि अमृता सिंह ने मर्द फिल्म के ज़रिए डिंपल कपाड़िया से अर्जुन फिल्म का अपना बदला पूरा कर लिया।

चौथी कहानी

अर्जुन फिल्म की कहानी जावेद अख्तर ने लिखी थी। जावेद अख्तर को इस फिल्म की कहानी का आइडिया कैसे मिला, ये किस्सा भी काफी रोचक है। दरअसल, एक दफा जावेद अख्तर ने टाइम्स ऑफ इंडिया के संडे सप्लीमेंट में एक रियल लाइफ गैंगस्टर स्टोरी पढ़ी। जावेद अख्तर और राहुल रवैल, दोनों उस वक्त लोनावला में छुट्टियों पर थे। 

जावेद ने सुबह चार बजे राहुल रवैल को जगाया और उन्हें उस गैंगस्टर वाली कहानी से प्रेरित अर्जुन फिल्म का आइडिया सुनाया। राहुल रवैल को वो आइडिया काफी पसंद आया और उन्होंने जावेद से कहा कि आप कहानी फिनिश कीजिए। हम इसी पर फिल्म बनाएंगे। जबकी पहले जावेद और राहुल रवैल अर्जुन को दो हीरो वाली फिल्म बनाने की प्लानिंग कर रहे थे।

पांचवी कहानी

अर्जुन फिल्म का सबसे पॉप्युलर सॉन्ग था मामइया केरो मामा। ये सॉन्ग उस ज़माने के युवाओं को बहुत पसंद आया था। हालांकि ये गीत कभी भी अर्जुन फिल्म के लिए बना ही नहीं था। ये गीत बना था बेटे नाम की एक फिल्म के लिए जिसमें सनी देओल के साथ पहले कुमार गौरव को साइन किया गया था। 

और फिर कुमार गौरव को हटाकर ऋषि कपूर को लिया गया था। ये गीत उस वक्त ही रिकॉर्ड कर लिया गया था। पर चूंकि उस फिल्म की कहानी में जावेद अख्तर को बहुत ज़्यादा दम नहीं लग रहा था तो आखिरकार बेटे नाम की वो फिल्म बंद कर दी गई। फिर जब जावेद अख्तर ने अर्जुन फिल्म की कहानी लिख ली तो प्रोड्यूसर करीम मोरानी ने कहा कि मामइया केरो मामा सॉन्ग इस फिल्म में ज़रूर रखा जाए। 

शुरू में तो जावेद अख्तर और राहुल रवैल समझ नहीं पाए कि इस गीत को आखिर फिल्म की सिचुएशन में कैसे फिट किया जाए। लेकिन फिर जावेद अख्तर ने फिल्म की कहानी इस सॉन्ग के हिसाब से सेट की और ये गीत फिल्म में लिया गया।

छठी कहानी

अर्जुन फिल्म में एक्टर परेश रावल मटका किंग अनुप लाल के रोल में दिखे थे। ये फिल्म परेश रावल के करियर की पहली बड़ी और सुपरहिट फिल्म थी। हालांकि अर्जुन फिल्म की शूटिंग स्टार्ट होने के बाद तक परेश रावल को इस रोल के लिए कास्ट नहीं किया गया था। 

दरअसल, राहुल रवैल को कोई ऐसा एक्टर नहीं मिल रहा था जिसकी पर्सनैलिटी इस रोल के लिए एकदम फिट हो। उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। चूंकि फिल्म की शूटिंग शुरू हो चुकी थी तो उनकी चिंता और ज़्यादा बढ़ गई। 

लेकिन फिर एक दिन प्रोड्यूसर करीम मोरानी अपने साथ परेश रावल को राहुल रवैल से मिलाने लाए। करीम मोरानी ने परेश रावल को एक नाटक में एक्टिंग करते देखा था और उन्हें परेश की एक्टिंग बहुत पसंद आई थी। राहुल रवैल को भी परेश की पर्सनैलिटी मटका किंग अनुप लाल के किरदार के लिए फिट लगी। और इस तरह परेश रावल अर्जुन फिल्म का हिस्सा बने।

सातवीं कहानी

अर्जुन फिल्म में डिंपल कपाड़िया ने लीड हिरोइन का रोल निभाया है। लेकिन जब इस फिल्म की कास्टिंग हो रही थी तो उस वक्त सनी देओल के पिता धर्मेंद्र चाहते थे कि इस फिल्म में पदमिनी कोल्हापुरे को लिया जाए। 

लेकिन कहा जाता है कि उस दौरान सनी देओल और डिंपल कपाड़िया के बीच अफेयर चल रहा था। ऐसे में सनी देओल ने अपनी गर्लफ्रेंड डिंपल कपाड़िया की सिफारिश खुद प्रोड्यूसर करीम मोरानी से की थी। और सनी देओल की ये बात मान भी ली गई।

आठवीं कहानी

अर्जुन फिल्म ने सनी देओल को एक एक्शन हीरो के तौर पर बॉलीवुड में इस्टैब्लिश कर दिया था। लेकिन सनी देओल से काफी पहले अमिताभ बच्चन ने भी अर्जुन नाम की एक फिल्म साइन की थी। उस फिल्म को मोहन कुमार प्रोड्यूस कर रहे थे। 

और फिल्म के डायरेक्शन की कमान संभालने वाले थे अशोक रॉय। ये फिल्म MK Films PVT LTD के बैनर तले बन रही थी। लेकिन किन्हीं कारणों से ये फिल्म शेल्व हो गई और फिर कभी दोबारा शुरू नहीं हो सकी।

नौंवी कहानी

अर्जुन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त हिट साबित हुई थी। इस फिल्म की सक्सेस को कैश करने के लिए कई दूसरी भाषाओं में इस फिल्म का रीमेक बनाया गया था। जैसे तेलुगू में इस फिल्म के रीमेक का नाम था भारतामलो अर्जुनुडू। 

इस फिल्म में वेंकटेश ने लीड रोल निभाया था। कन्नड़ भाषा में बने अर्जुन फिल्म के रीमेक का नाम था संग्रामा जिसमें रविचंद्रन ने मुख्य भूमिका निभाई थी। वहीं तमिल भाषा में बने अर्जुन के रीमेक का नाम था सथ्या जिसमें कमल हासन हीरो थे।

दसवीं कहानी

अर्जुन फिल्म का म्यूज़िक उस दौर के दिग्गज म्यूज़िक डायरेक्टर आरडी बर्मन ने तैयार किया था। फिल्म में कुल चार गाने थे और इन चारों गानों में मामाइया केरो मामा सबसे ज़्यादा पसंद किया गया था। जबकी आशा भोंसले का गाया मुन्नी पप्पू और चुनमुन गीत भी लोगों के दिलों में जगह बनाने में कामयाब रहा था। 

इस गीत में जो ट्यून सुनाई देती है वो हूबहू साल 1973 में आई फिल्म नफरत के गीत राह में कलियां खिला के यार जैसी है। और वो इसलिए क्योंकि उस फिल्म का संगीत भी आरडी बर्मन ने ही तैयार किया था।

11वीं कहानी

अर्जुन फिल्म में एक सीन है जिसमें सनी देओल का दोस्त मोहन गुंडों से अपनी जान बचाने के लिए सड़क पर भाग रहा है और उस दौरान काफी बारिश भी हो रही है। मोहन के पीछे तलवार लेकर कुछ गुंडे भाग रहे हैं और वो उसे जान से मारना चाहते हैं। मोहन का किरदार अभिनेता सत्यजीत ने निभाया था। 

इस सीन को शूट करने की कहानी भी बड़ी ज़बरदस्त है। ये सीन शूट करने के लिए पूरे एक हज़ार लोगों को हायर किया गया था। और उन सभी लोगों के हाथों में 2 छाते दिए गए थे। ऐसा इसलिए ताकी लगे कि सड़क पर दो हज़ार आदमी हैं। राहुल रवैल को ये सीन शूट करने में काफी मुश्किलें आई थी। 

अक्सर पानी की वजह से कैमरे के लैंस पर मॉइस्चर जम जाता था और सीन को फिर से शूट करना पड़ता था। गुंडों के हाथों में जो तलवारें हमें दिखाई देती हैं वो कोई धारधार तलवारें तो नहीं थी। लेकिन फिर भी उनसे कई लोगों के हाथों में मौजूद छाते फट गए थे। और कई दफा तो लोगों की खुद की आंखों में भी छातों की नोंक लग रही थी।

12वीं कहानी

जिन दिनों अर्जुन फिल्म की शूटिंग हो रही थी उन दिनों राज कुमार संतोषी डायरेक्टर गोविंद निहलानी के असिस्टेंट हुआ करते थे। एक दिन इत्तेफाक से संतोषी उसी स्टूडियो में मौजूद थे जहां अर्जुन फिल्म की शूटिंग चल रही थी। 

संतोषी भी अर्जुन फिल्म की शूटिंग देखने पहुंच गए। वहां उन्होंने देखा कि सनी देओल एक इमोशनल सीन शूट कर रहे हैं और बड़ी ही खूबसूरती के साथ शूट कर रहे हैं। राज कुमार संतोषी को सनी देओल की एक्टिंग बहुत पसंद आई। 

उन्होंने उसी वक्त तय कर लिया कि एक दिन वो सनी देओल के साथ काम ज़रूर करेंगे। और आखिरकार राज कुमार संतोषी का ये सपना पूरा हुआ 1990 में आई फिल्म घायल में।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts

Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia | पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 15 अनसुनी व रोचक कहानियां

Shiva Rindani | 90s की Bollywood Movies में गुंडा बनने वाले इस Actor को कितना जानते हैं आप? | Biography