Asha Parekh | 10 Unknown Facts | आशा पारेख की दस अनसुनी कहानियां

आशा पारेख को हिंदी सिनेमा की जुबली गर्ल कहा जाता था। ज़ाहिर है, आशा पारेख ने लगातार कई हिट फिल्में दी थी तभी उन्हें ये जुबली गर्ल का खिताब हासिल हुआ था। 

आशा जब अपने फिल्मी करियर की पीक पर थी तो कुछ लोगों ने उन्हें हिट गर्ल कहना शुरू कर दिया था। और शायद इसी वजह से आशा पारेख की बायोग्राफी का नाम द हिट गर्ल रखा गया होगा। 

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Asha Parekh 10 Unknown Facts - Photo: Social Media

Asha Parekh जी की ज़िंदगी की कहानी हम पहले ही आपको बता चुके हैं। लेकिन आज हम आपको Asha Parekh जी की वो अनसुनी कहानियां बताएंगे जो हम पहले नहीं बता पाए थे।

पहली कहानी

आशा पारेख ने फिल्म बाप बेटी में बाल कलाकार के तौर पर पहली दफा काम किया था। इनकी दूसरी फिल्म थी आसमान और इस फिल्म में भी ये बाल कलाकार के तौर पर ही दिखी थी। 

और आसमान ही वो पहली फिल्म भी थी जिससे महान संगीतकार ओपी नय्यर साहब का करियर भी शुरू हुआ था। 

वैसे तो ओपी नय्यर साहब आसमान फिल्म से पहले भी फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव थे और फिल्मों का बैकग्राउंड म्यूज़िक तैयार किया करते थे। 

लेकिन आसमान वो पहली फिल्म थी जिससे ओपी नय्यर साहब एज़ ए इंडीपेंडेंट म्यूज़िक डायरेक्टर इंट्रोड्यूस हुए थे।

दूसरी कहानी

साल 1957 में आई फिल्म आशा में आशा पारेख ने भी काम किया था। उस वक्त आशा पारेख की उम्र 15 साल हो चुकी थी। इस फिल्म में वैजयंतीमाला और किशोर कुमार ने लीड रोल निभाया था। 

इस फिल्म का कुछ हिस्सा कलर टैक्नोलॉजी में भी शूट किया गया था जो कि उस वक्त भारत में नई-नई आई थी। आशा पारेख जो कि वैजयंतीमाला की बहुत बड़ी फैन थी, वो इस फिल्म में काम करके बहुत खुश थी। 

और वो इसलिए क्योंकि इस फिल्म में आशा पारेख को वैजयंतीमाला के साथ एक गाने पर डांस और एक सीन में कॉमेडी करने का मौका मिला था।

तीसरी कहानी

जैसा कि हम सब जानते हैं कि मुख्य हिरोइन के तौर पर आशा पारेख जी की पहली फिल्म नासिर हुसैन की दिल देके देखो थी जो कि साल 1959 में रिलीज़ हुई थी। 

हालांकि पहले ये लगभग तय था कि दिल देके देखो में साधना को कास्ट किया जाएगा। लेकिन किस्मत ने ये फिल्म आशा पारेख जी की झोली में डाल दी। 

ये फिल्म रिलीज़ हुई थी ठीक उसी दिन जिस दिन आशा पारेख जी का 17वां जन्मदिन था। यानि 2 अक्टूबर 1959 को। और इसी फिल्म यानि दिल देके देखो से ही संगीतकार उषा खन्ना का भी करियर शुरू हुआ था। 

उषा खन्ना ने इस फिल्म में शानदार म्यूज़िक तैयार किया था। जिससे खुश होकर प्रोड्यूसर सशाधर मुखर्जी ने उषा खन्ना को आशा पारेख की एक और फिल्म हम हिंदुस्तानी का म्यूज़िक तैयार करने की ज़िम्मेदारी दी जो कि साल 1961 में रिलीज़ हुई थी।

चौथी कहानी

साल 1969 में आई फिल्म अराधाना में काम करने के लिए सबसे पहले आशा पारेख जी को अप्रोच किया गया था। पर चूंकि अराधना के किरदार वंदना को फिल्म में बूढ़ी भी होना था तो आशा पारेख जी ने वो किरदार ठुकरा दिया। 

आशा पारेख जी के बाद ये किरदार शर्मिला टैगोर जी के पास गया जिसे शर्मिला जी ने बिना देर किए स्वीकार कर लिया। 

और शर्मिला जी ने अराधना की वंदना का वो किरदार इतने सशक्त अंदाज़ में निभाया कि उस किरदार के लिए शर्मिला जी को उनके फिल्मी करियर का पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड मिला। हालांकि वो शर्मिला जी के पूरे करियर का इकलौता फिल्मफेयर अवॉर्ड भी था।

पांचवी कहानी

आशा पारेख जी जब अपने करियर की पीक पर थी तो वो अपने डांस ट्रुप के साथ विदेश में शोज़ करने चली गई थी। उनका टारगेट था विदेशी ज़मीन पर पूरे 500 डांस शोज़ करना। 

आशा पारेख जी के उस टूर का नाम था अनारकली। और अनारकली के साथ ही आशा पारेख जी चोला देवी नाम के एक और टूर के लिए भी विदेशों में परफॉर्म कर रही थी। 

उस शो के लिए भी आशा जी ने पूरी 300 पफॉर्मेंसेज़ दी थी। इस टूर में आशा जी के साथ प्रख्यात कत्थक डांसर गोपी कृष्णन जी भी थे। आशा जी ने और 300 परफॉर्मेंस इमेज ऑफ इंडिया नाम के शो के लिए भी दी थी। 

और साथ ही आशा पारेख जी ही पहली भारतीय महिला थी जिन्होने न्यूयॉर्क के लिंकन सेंटर में डांस परफॉर्मेंस दी थी। ये साल 1973 की बात है।

छठी कहानी

आशा पारेख जी ने कभी भी दिलीप कुमार के साथ काम नहीं किया। आशा पारेख दिलीप साहब के साथ काम तो करना चाहती थी। 

लेकिन उनके पास कभी कोई ऐसा मौका नहीं आया जिसमें उन्हें दिलीप साहब के साथ काम करने की ऑपोर्च्यूनिटी मिली हो। 

वैसे आप अगर गौर करेंगे तो पाएंगे कि राज कपूर जी के साथ भी आशा पारेख किसी फिल्म में नज़र नहीं आई हैं। हालांकि राज कपूर जी के साथ आशा पारेख ने 1983 में फिल्म चोर मंडली साइन ज़रूर की थी। 

फिल्म के कुछ सीन्स शूट भी किए गए थे। उस फिल्म में अशोक कुमार, विनोद मेहरा और बिंदू भी थे। लेकिन वो फिल्म कभी भी रिलीज़ नहीं हो पाई।

सातवीं कहानी

आशा पारेख जी की मां सलमा पारेख भारत छोड़ो आंदोलन का हिस्सा रही थी। जिस वक्त आशा पारेख जी अपनी मां के गर्भ में ही थी उस वक्त अक्सर इनकी मां सलमा पारेख आंदोलन की रैलियों में हिस्सा लेने जाती रहती थी। 

एक दफा भारत छोड़ो आंदोलन की रैली में ही सलमा पारेख मौजूद थी कि आशा पारेख के चाचा यानि सलमा पारेख के देवर ने उन्हें वहां देख लिया। 

उन्होंने सोचा कि गर्भावस्था में सलमा पारेख का यहां होना सही नहीं है। उन्होंने सलमा पारेख से कहा कि आपके ससुर जी आपको बुला रहे हैं। ये सुनकर सलमा पारेख घर आ गई। 

थोड़ी देर बाद पता चला कि सलमा पारेख भारत छोड़ो आंदोलन के जिस जुलूस में शामिल थी उसके अधिकतर लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। 

यानि अगर उस दिन आशा पारेख के चाचा ना होते तो सलमा पारेख भी गिरफ्तार हो जाती। और तब शायद आशा पारेख जी का जन्म जेल में होता।

आठवीं कहानी

आशा पारेख जी की फैन फॉलोइंग केवल भारत तक ही सीमित नहीं थी। पड़ोसी देश पाकिस्तान और चाइना में भी आशा जी के लाखों चाहने वाले हुआ करते थे। 

पाकिस्तानी फैन्स तो आशा जी को खूब चिट्ठियां भी लिखा करते थे। और आशा जी का एक चायनीज़ फैन तो इस कदर पागल हो चुका था कि वो उनके घर के सामने ही आकर बैठ गया था। 

किसी के हटाने से भी नहीं हटा करता था। अगर कोई उसे ज़बरदस्ती हटाने की कोशिश करता था तो वो चायनीज़ फैन छुरा निकाल लेता था। 

ये सब जब बहुत ज़्यादा हो गया तो आशा जी ने मुंबई के पुलिस कमिश्नर से उस फैन को अपने घर के सामने से हटाने की मांग की। 

आखिरकार पुलिस ने उस चायनीज़ फैन को गिरफ्तार कर लिया और जेल में डाल दिया। जेल जाने के बाद उसके होश ठिकाने आए और वो जेल से आशा जी को चिट्ठी लिखकर छुड़ाने की विनती करने लगा।

नौंवी कहानी

आशा पारेख के पहले हीरो थे शानदार शम्मी कपूर। हालांकि ये जानकर आपको हैरानी होगी कि आशा पारेख शम्मी कपूर को चाचाजी कहकर पुकारा करती थी। 

शुरू में तो शम्मी कपूर को ये काफी अजीब लगा। पर बाद में उन्होंने खुद को इसके लिए एडजस्ट कर लिया। शम्मी कपूर और आशा पारेख ने पहली दफा दिल देके देखो फिल्म में काम किया था। 

हालांकि पहले शम्मी कपूर इस फिल्म में वहीदा रहमान को कास्ट कराना चाहते थे। जबकी प्रोड्यूसर सशाधर मुखर्जी साधना को लेना चाहते थे। लेकिन डायरेक्टर नासिर हुसैन के कहने पर इस फिल्म में आशा पारेख को कास्ट किया गया था।

दसवीं कहानी

आशा पारेख को अपने जीवन में कुल एक दफा ही फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड मिला है। और वो भी साल 1971 में आई फिल्म कटी पतंग के लिए। 

जबकी 1969 की चिराग के लिए आशा पारेख को फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड का नॉमिनेशन मिला था। 1976 की उधार का सिंदूर और 1978 की मैं तुलसी तेरे आंगन की फिल्मों के लिए आशा पारेख को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का नॉमिनेशन मिला था। 

साल 2002 में फिल्मफेयर ने आशा पारेख को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया था। साल 2022 में आशा पारेख को दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। 

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