Gunja of Nadiya Ke Paar Actress Sadhana Singh Unknown Facts
नदिया के पार फिल्म में गुंजा के किरदार में नज़र आई खूबसूरत अदाकारा साधना सिंह आज भी लोगों की चहेती हैं। उस फिल्म ने साधना सिंह को रातों रात सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया था।
अपनी मासूमियत भरी खूबसूरती से साधना सिंह उर्फ गुंजा जाने कितने लोगों का क्रश बन गई थी। यही वजह है कि उस ज़माने के लोग आज भी साधना सिंह के बारे में जानने के लिए उत्सुक रहते हैं।
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Gunja of Nadiya Ke Paar Actress Sadhana Singh Unknown Facts - Photo: Social Media |
साधना सिंह की ज़िंदगी की कहानी हम पहले ही आपको बता चुके हैं। आज हम साधना सिंह की उन कुछ अनसुनी कहानियों को जानेंगे जो उनके चाहने वाले भी कम ही जानते होंगे। Gunja of Nadiya Ke Paar Actress Sadhana Singh Unknown Facts.
पहली कहानी
साधना सिंह को छोटी उम्र से ही गायकी बहुत पसंद थी। वो खूब गाने गाया करती थी। स्कूल में अपनी गायकी के चलते साधना सिंह काफी मशहूर हो चुकी थी।
हालांकि पढ़ाई में भी इनका खूब दिल लगता था और ये पढ़ने-लिखने में ठीक-ठाक थी।
पर चूंकि इनका गायकी का अंदाज़ एकदम निराला था तो ये स्कूल में अपनी प्रिंसिपल और अपनी टीचर्स की लाडली हुआ करती थी। स्कूल में होने वाली कल्चरल एक्टिविटीज़ में साधना अक्सर गाना ही गाया करती थी।
लेकिन कहते हैं ना कि किस्मत में जो लिखा होता है आपके साथ वही होता है। साधना सिंह आगे चलकर नदिया के पार फिल्म की गुंजा के तौर पर देश में मशहूर हुई।
और उनकी गायकी हमेशा के लिए पीछे छूट गई। हालांकि सालों बाद नाटकों में साधना सिंह जी ने शबाना आज़मी ने के लिए ज़रूर गाया था।
दूसरी कहानी
कम लोग ही इस बाद से वाकिफ हैं कि 13 साल की छोटी सी उम्र में साधना सिंह ने एक बार ताशकंद में हुए एक कार्निवल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। उस कार्निवल में भी साधना सिंह ने गायकी ही की थी।
और इस बारे में जब किसी ने इनसे पूछा कि क्या आपको कभी इतनी भीड़ के सामने गाने में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई?
तो इस पर साधना सिंह ने जवाब दिया कि छोटी उम्र में तो उन्हें कभी पता ही नहीं चल पाया कि वो इतनी भीड़ के सामने गा रही हैं और लोग क्या सोच रहे होंगे।
लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ी हुई, उनके अंदर भीड़ के सामने गाने का डर समाने लगा। शायद इसी वजह से उनकी गायकी पीछे छूट गई।
तीसरी कहानी
1985 में आई फिल्म तुलसी में एक बार फिर से सचिन पिलगांवकर और साधना सिंह की जोड़ी लोगों को साथ नज़र आई थी। उस फिल्म में तो साधना सिंह ने डबल रोल भी निभाया था।
यूं तो वो फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बहुत ज़्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पाई थी। लेकिन मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में उस फिल्म को बहुत पसंद किया गया था।
इसी फिल्म के लिए साधना सिंह को दिल्ली में कलाश्री अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था। और ये अवॉर्ड उन्हें तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने अपने हाथों से दिया था।
उस समारोह में आशा पारेख, मनोज कुमार और शम्मी आंटी जैसी बॉलीवुड की कई शख्सियतें भी मौजूद थी।
चौथी कहानी
साधना सिंह के जीवन में एक दौर ऐसा भी आ चुका है जब ये गहरे डिप्रेशन का शिकार हुई थी। और ये इनके साथ उस वक्त हुआ था जब ये अपनी पहली ही फिल्म की ज़बरदस्त कामयाबी के बाद सफलता के शिखर पर बैठी थी।
उस वक्त ये इतने बुरे दौर से गुज़र रही थी कि इनके दिल में आत्महत्या करने के ख्याल भी आ रहे थे।
पर चूंकि उसी दौर में इनके दोनों भाई मुंबई में ही सेटल्ड थे तो उनकी मदद से साधना को डिप्रेशन से मुक्ति पाने में बड़ी आसानी हुई थी।
साथ ही इनके दोस्त भी इनके उस मुश्किल वक्त में बहुत काम आए थे। साधना खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि ये उस भयानक दौर से लड़कर और जीतकर वापस लौट आई।
पांचवी कहानी
साल 1986 में एक फिल्म आई थी बदकार। इस फिल्म में नदिया के पार वाली गुंजा यानि साधना सिंह ने महान संजीव कुमार के अपोज़िट काम किया था।
जी हां, साधना सिंह और संजीव कुमार ने इस फिल्म में रोमांस किया था। इस फिल्म में एक गाना है जो साधना सिंह और संजीव कुमार पर शूट किया गया था।
जब इस गाने की शूटिंग होनी थी तो साधना सिंह तो सेट पर वक्त से पहुंच गई। लेकिन संजीव कुमार नहीं आए। साधना सिंह ने काफी देर तक उनका इंतज़ार किया।
फिर जब लगभग 2 घंटे बाद संजीव कुमार सेट पर आए तो साधना सिंह ने उन्हें खूब सुनाई।
साधना सिंह ने बातों ही बातों में लेट आने पर संजीव कुमार की खूब टांग खींची। नतीजा ये हुआ कि अगले दिन से संजीव कुमार फिल्म की शूटिंग पर टाइम से आने लगे थे।
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