10 Lesser Known Facts of Bollywood Actress Bindu | अभिनेत्री बिंदू की दस अनसुनी कहानियां
10 Lesser Known Facts of Bollywood Actress Bindu. बिंदू जी का ज़िक्र होता है तो आमतौर पर ज़्यादातर सिनेमा के शौकीनों के ज़ेहन में उनकी ऐसी तस्वीर उभरती है जिसमें वो किसी दूसरी औरत पर ज़ुल्म ढा रही होती हैं।
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| 10 Lesser Known Facts of Bollywood Actress Bindu - Photo: Social Media |
कभी लड़ाकू सास के रूप में तो कभी तेज़-तर्रार ननद के रूप में, बिंदू जी ने वैंप के अनेकों आयामों में खुद को अपने चाहने वालों के सामने पेश किया है।
हालांकि काफी कम लोगों को इस बात की जानकारी है कि अपनी पहली फिल्म में बिंदू जी एक रोमांटिक हिरोइन बनी थी।
Meerut Manthan बिंदू की ज़िंदगी की कहानी पहले ही बता चुका है। अगर आप बिंदू जी को काफी नज़दीक से जानना चाहते हैं तो आपको बिंदू जी की वो कहानी ज़रूर पढ़नी चाहिए। फिलहाल आपको बिंदू जी की ज़िंदगी से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताएंगे जो हम इनकी बायोग्राफी में नहीं कह पाए थे। 10 Lesser Known Facts of Bollywood Actress Bindu.
पहली कहानी
बिंदू जी का जन्म जिस ज़माने में हुआ था उस वक्त फिल्में बनाने के लिए सरकार से लाइसेंस लेना पड़ता था। बिंदू जी के पिता नानू भाई देसाई के पास दो लाइसेंस थे।
एक उनके खुद के नाम से और दूसरा उनके भाई के नाम से। इनके पिता छोटे बजट की गुजराती फिल्में बनाया करते थे। खुद बिंदू जी की मां ज्योत्सना भी स्टेज एक्ट्रेस थी।
आपको जानकर हैरानी होगी कि घर में इतना फिल्मी माहौल होने के बावजूद छोटी उम्र में बिंदू जी को फिल्में देखने की परमिशन नहीं थी।
उस ज़माने में बिंदू जी का परिवार गुजरात के वलसाड़ ज़िले के हनुमान भागड़ा गांव में रहता था। बिंदू जी घर में मौजूद रेडियो पर फिल्मी गीत सुनती थी और उन गीतों पर डांस करती थी।
फिल्मी दुनिया में और नाम कमाने का सपना लेकर बिंदू जी के पिता नानू भाई देसाई अपना पूरा परिवार लेकर गुजरात से मुंबई आ गए थे। लेकिन उन्हें कभी भी सफलता नहीं मिल पाई। और वो जब तक ज़िंदा रहे, संघर्ष ही करते रहे।
दूसरी कहानी
बिंदू जी बहुत अच्छी क्लासिकल डांसर भी हैं। ये छोटी ही थी जब इनके माता-पिता ने इन्हें कत्थक और भरतनाट्यम की ट्रेनिंग दिलानी शुरू कर दी थी।
डांस को लेकर बिंदू जी की दीवानगी का अंदाज़ा ऐसे लगाया जा सकता है कि गुजरात के अपने घर में ये एक कमरे से दूसरे कमरे तक नाचती हुई ही जाया करती थी।
घर के रेडियो में जब फिल्मी गीतों का प्रोग्राम आता था तो ये खूब डांस करती थी। और इनका डांस देखने के लिए इनका सारा परिवार एक साथ जमा हो जाया करता था।
कई दफा तो नाते-रिश्तेदार और मुहल्ले-पड़ोस के लोग भी बिंदू जी का डांस देखने आ जाते थे।
तीसरी कहानी
बिंदू जी की मां ज्योत्सना जी एक स्टेज आर्टिस्ट थी। यूं तो बिंदू जी को फिल्म या स्टेज प्रोग्राम देखने की परमिशन नहीं मिलती थी।
लेकिन एक दफा इनकी मां इन्हें अपना एक स्टेज शो दिखाने अपने साथ ले गई। उस नाटक में बिंदू जी की मां ने कोई ऐसा डायलॉग बोला जिसे सुनकर हॉल में बैठे सभी लोग रोने लगे।
लोगों को रोते देखकर नन्ही बिंदू भी रोने लगी। नाटक खत्म होने के बाद जब बिंदू जी अपनी मां से मिली तब भी उनकी आंखों में आंसू थे।
मां ने पूछा,"तुझे समझ में भी आया था कि मैंने क्या बोला था?" बिंदू जी ने कहा कि मुझे कुछ नहीं पता आपने क्या कहा था। लेकिन जब मैंने सब लोगों को रोते देखा तो मेरे आंसू भी निकल गए।
चौथी कहानी
बिंदू जी की उम्र महज़ 13 साल ही थी जब इनके पिता नानू भाई देसाई का निधन हो गया था। जिस वक्त नानू भाई अस्पताल में अपनी अंतिम सांसे गिन रह थे उस वक्त बिंदू जी उनके पास ही मौजूद थी।
नानू भाई ने बिंदू जी को अपने पास बुलाया और कहा,"मुझसे एक वादा कर। वादा कर कि मेरे जाने के बाद तू अपने छोटे भाई-बहनों का ख्याल रखेगी। जब मैं इस दुनिया से चला जाऊंगा तो ये बुड्ढा तेरी मदद करेगा।"
बिंदू जी ने खुद एक इंटरव्यू में ये बात बताई थी। और उन्होंने कहा था कि उनके पिता सांई बाबा के बड़े भक्त थे और प्यार से उनको बुड्ढा कहा करते थे। आठ भाई बहनों में बिंदू जी सबसे बड़ी थी। इनकी छह बहनें और एक भाई है।
पांचवी कहानी
जब बिंदू जी के पिता की मृत्यु हो गई थी तो इनके परिवार पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। यूं तो इनकी मां एक स्टेज आर्टिस्ट थी।
लेकिन वो इतना नहीं कमा पाती थी कि उससे अपने आठ बच्चों को अच्छी परवरिश दे पाती। और चूंकि बिंदू उनकी सबसे बड़ी बेटी थी तो उनके पास बिंदू से फिल्मों में काम कराने के अलावा और कोई चारा नहीं था। मगर इसमें भी एक मुश्किल थी।
दरअसल, बिंदू उस वक्त उम्र के उस दौर में थी जब ना तो वो किसी फिल्म में हिरोइन या सपोर्टिंग रोल कर सकती थी। और ना ही उन्हें कोई चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर अपनी फिल्म में लेना चाहता था।
ऐसे में बिंदू ने मॉडलिंग में अपनी किस्मत आज़माई। बिंदू ने उस वक्त के कई नामी ब्रांड्स के विज्ञापनों के लिए ऑडिशन दिए। और कुछ में बिंदू को सिलेक्ट भी किया गया।
और फिर साल 1962 में आई मोहन कुमार की फिल्म अनपढ़ में इन्होंने धर्मेंद्र और माला सिन्हा की बेटी का किरदार निभाया था।
छठी कहानी
बिंदू जी की पहली फिल्म थी साल 1962 में रिलीज़ हुई अनपढ़। इस फिल्म में काम करने से पहले बिंदू जी ने कई दिनों तक हिंदी की क्लास ली थी और शुद्ध हिंदी बोलने की काफी प्रैक्टिस की थी।
और वो इसलिए क्योंकि बिंदू जी गुजराती हैं। उस ज़माने में इन्हें शुद्ध हिंदी बोलना नहीं आता था।
और शायद इसका नतीजा ही था कि अनपढ़ जैसी बड़ी फिल्म से करियर का आगाज़ करने के बावजूद बिंदू जी को बाद में किसी ने भी काम नहीं दिया।
हालांकि इस वक्त तक चंपक लाल झवेरी जी से इनका इश्क परवान चढ़ चुका था तो बिंदू जी ने इस बात की बहुत ज़्यादा परवाह नहीं की कि उन्हें कोई काम नहीं दे रहा है।
सातवीं कहानी
बिंदू जी ने चंपक लाल झवेरी से शादी की है। चंपक लाल झवेरी इनकी बिल्डिंग के पीछे वाले एक घर में रहते थे। चंपक लाल जी की बहन से बिंदू जी की दोस्ती थी।
और बिंदू जी अक्सर चंपक जी की बहन से मिलने उनके घर जाती रहती थी। वहीं पर इनकी और चंपक लाल झवेरी जी कि आंखें चार हो गई थी। दोनों में इश्क हुआ और दोनों ने साथ जीने-मरने की कसमें खा ली।
चंपक लाल झवेरी के घरवालों को जब पता चला कि वो बिंदू जी के साथ प्यार की पींगे बढ़ा रहे हैं तो उन्होंने इन दोनों के मिलने पर पाबंदी लगा दी।
लेकिन आखिरकार इन दोनों के इश्क के सामने चंपक लाल जी के घरवालों को झुकना पड़ा। और साल 1964 में चंपक लाल झवेरी जी से बिंदू जी की शादी हो गई। इनकी शादी का फंक्शन पूरे तीन दिनों तक चला था।
आठवीं कहानी
बिंदू जी और चंपक लाल झवेरी की शादी को चंपक जी के घरवालों ने हरी झंडी तो दिखा दी थी। लेकिन शादी के कुछ ही दिनों के बाद चंपक जी को उनके घरवालों ने उनके पुश्तैनी बिजनेस से बेदखल कर दिया।
यहां एक बात और जो आपको पता होनी चाहिए वो ये कि बिंदू जी ने चंपक लाल जी से इस शर्त पर शादी की थी कि शादी के बाद वो ससुराल में नहीं, बल्कि अपने घर पर ही रहेंगी।
और चंपक जी को भी उनके साथ वहीं रहना होगा। और वो इसलिए चूंकि बिंदू जी को अपनी मां व अपने छोटे भाई-बहनों का ध्यान भी रखना था।
चंपक जी ने निसंकोच बिंदू जी की ये शर्त मान ली थी। इसलिए ससुराल वालों के नाता तोड़ने का बिंदू जी पर बहुत ज़्यादा फर्क नहीं पड़ा था।
नौंवी कहानी
बिंदू जी के पिता की उस दौर के नामी फिल्मकार महबूब खान के साथ बढ़िया दोस्ती थी।
महबूब खान उस ज़माने में जिस स्टूडियो में अपनी फिल्में शूट किया करते थे उसकी देख-रेख का ज़िम्मा बिंदू जी के पिता नानू भाई देसाई को मिला हुआ था।
इसी के चलते नानू भाई देसाई और महबूब खान की जान-पहचान हो गई थी जो धीरे-धीरे मित्रता में बदल गई। और महबूब खान की पत्नी फातिमा और बिंदू जी की मां के बीच भी दोस्ती हो गई।
और चूंकि महबूब खान और फातिमा जी की कोई बेटी नहीं थी तो उन्होंने बिंदू जी के माता-पिता के सामने ख्वाहिश ज़ाहिर की थी कि वो बिंदू जी को गोद लेना चाहते हैं।
महबूब खान को लग रहा था कि चूंकि नानू भाई देसाई की इतनी सारी बेटियां हैं तो हो सकता है वो बिंदू जी को बिना झिझके उन्हें दे देंगे।
लेकिन नानू भाई और बिंदू जी की मां ज्योत्सना ने महबूब खान को इन्हें गोद देने से ये कहकर इन्कार कर दिया कि बिंदू उनकी पहली बेटी है। इसे वो खुद से अलग नहीं कर सकते।
दसंवी कहानी
जिस वक्त बिंदू जी ने अनपढ़ फिल्म में काम किया था उससे पहले वो एक कंपनी के साथ जुड़ी थी।
और वो कंपनी अक्सर भारत की महिलाओं के जीवन पर शॉर्ट फिल्में बनाया करती थी जिसे बाद में वो विदेशों में प्रीमियर करती थी।
उस कंपनी के साथ बिंदू जी ने जो पहली शॉर्ट फिल्म की थी वो एक नर्स के जीवन पर आधारित थी।
उस फिल्म की कहानी के मुताबिक बिंदू जी एक बेहद गरीब घर की लड़की थी जो कड़े संघर्षों में पढ़-लिखकर नर्स बनी है।
और जानते हैं उस शॉर्ट फिल्म में बिंदू जी के पिता का किरदार किसने निभाया था? भारत के ज़बरदस्त कैरेक्टर आर्टिस्ट रहे ए.के.हंगल साहब ने।
ये वो ज़माना था जब हंगल साहब बॉलीवुड फिल्मों में काम नहीं करते थे। उस वक्त वो सिर्फ थिएटर ही किया करते थे।
चूंकि उन शॉर्ट फिल्मों से थोड़ी कमाई हो जाया करती थी इसलिए हंगल साहब और बिंदू जी उन शॉर्ट फिल्मों में काम करते थे।

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