Devanand ने जब पहली दफा किसी लड़की को वैसी हरकत करते देखा था | Romancing with Life

Devanand की ज़िंदगी Reel Life में ही नहीं, Real Life में भी बड़ी रंगीन थी। देव साहब ने जीवन के हर उस पहलू को खुलकर जिया जो कोई फिल्मस्टार जी सकता है। बात अगर महिलाओं की हो तो देवानंद महिलाओं के दिलों पर राज किया करते थे। 

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Evergreen Devanand - Photo: Social Media

कई सालों से हम सुनते आ रहे हैं कि देव साहब जब काले कपड़े पहनकर घर से बाहर निकलते थे तो महिलाएं अपनी जान उन पर कुर्बान कर देती थी। 

और इसलिए सरकार ने देव साहब के काले कपड़े पहनने पर रोक लगा दी थी। वैसे ये बात महज़ एक झूठी बकवास के अलावा कुछ और नहीं है। क्योंकि खुद देव साहब ने अपनी ऑटो बायोग्राफी रोमांसिंग विद लाइफ में इस बात का खंडन किया है।

कोई खुद को देव साहब का फैन मानता हो तो उसे एक दफा उनकी ऑटो बायोग्राफी ज़रूर पढ़नी चाहिए। क्योंकि अपनी उस किताब में देव साहब ने अपने जीवन के बहुत किस्से बयां किए हैं।

Devanand ने अपनी Autobiography Romancing with Life में इस किस्से का ज़िक्र भी किया है जो आज Meerut Manthan आपको सुनाने जा रहा है। 

उस वक्त तक फिल्मों में नहीं आए थे Devanand

ये किस्सा उन दिनों का है जब देव साहब फिल्मों की चमचमाती दुनिया में आए भी नहीं थे। और ना ही उस वक्त तक उन्होंने कभी सोचा भी था कि वो फिल्म एक्टर भी बन सकते हैं। 

हालांकि उस वक्त तक देवानंद जवानी की दहलीज़ पर कदम रख चुके थे। और उनके मन में भी महिलाओं को लेकर वही उत्सुकता पैदा होने लगी थी जो हर दौर में जवान लड़कों के दिलों में होती है। 

उन दिनों देव साहब का एक दोस्त हुआ करता था, जिसका नाम था भगवंत। वो देव साहब का पड़ोसी भी था। देवानंद उसे प्यार से भागू कहते थे। 

बकौल देवानंद, वो और भागू एक दूसरे के राज़दार भी हुआ करते थे। भागू और देवानंद अक्सर गर्मियों की दोपहरी में भागू के पिता की लाइब्रेरी में बैठ जाते थे। और इन दोनों के बीच हर तरह की बात वहां हुआ करती थी। 

पहली बार किसी लड़की को इस हालत में देखा था

रोमांसिंग विद लाइफ में देव साहब लिखते हैं कि भागू और इनके बीच यूं तो हर विषय पर बात होती थी। लेकिन सबसे ज़्यादा ये दोनों सेक्स के बारे में बात करते थे। 

ऐसी एक दोपहरी को एक दिन इन दोनों को कुछ अलग ही नज़ारा दिखा। इन्होंने देखा कि सड़क की दूसरी तरफ मौजूद घर के ऊपर वाले कमरे की खिड़की खुली है। 

कमरे की सामने वाली दीवार पर टंगे बड़े से शीशे में एक जवान लड़की खुद को निहार रही है। चूंकि वो इनकी पड़ोसी थी तो ये दोनों उसे पहचानते थे। 

लड़की ने अपना ब्लाउज़ ऊपर उठा लिया

अचानक उस लड़की ने अपना ब्लाउज़ ऊपर उठा लिया और वो अपने वक्षस्थलों पर हाथ फिराने लगी। शीशे में साफ दिख रहा था कि वो लड़की अपनी इस हरकत का आनंद ले रही है। 

और कामुकता उस पर हावी हो रही है। लेकिन तभी अचानक उस लड़की को अहसास हो गया कि कोई है जो उसकी निजता का हनन कर रहा है। 

उसने तुरंत अपना ब्लाउज नीचे किया और खिड़की की तरफ आई। फिर जब उसने देखा कि देवानंद और भागू उसे ही घूर रहे हैं तो घबराकर उसने अपनी खिड़की बंद कर ली।

कभी नहीं भूले वो दिन

कुछ सेकेंड्स बाद उसने फिर से खिड़की खोली। हालांकि इस दफा उसने खिड़की का एक ही पल्ला खोला था। उसने शर्माते हुए देवानंद और भागू की तरफ देखा। 

और फिर दोबारा खिड़की बंद कर दी। वो भी काफी ज़ोर से। बकौल देवानंद, वो पहला मौका था जब उन्होंने किसी लड़की को इतने मादक अंदाज़ में खुद के शरीर को छूते हुए देखा था। 

ये पूरा किस्सा देव साहब ने अपनी ऑटोबायोग्राफी रोमांसिंग विद लाइफ के तीसरे चैप्टर में लिखा है। जो कि पेज नंबर आठ पर मौजूद है। 

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