Farooq Sheikh | Bollywood का वो शानदार Actor जिसकी मौत ने देश को रुलाया था | Biography
Farooq Sheikh. भारतीय सिनेमा का वो एक्टर जिसने एक्टिंग की हर विधा में काम किया और खुद को साबित किया। अपनी सीधी सादी एक्टिंग से फ़ारुक शेख ने सिने प्रेमियों के दिलों में अपनी जगह बनाई।
लीड एक्टर से लेकर साइड हीरो और फिर कैरेक्टर आर्टिस्ट तक, 40 सालों तक इन्होंने एक्टिंग की और केवल फिल्मों में ही नहीं, टीवी पर भी कुछ बड़े दमदार किरदार इन्होंने निभाए।
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Late Bollywood Actor Farooq Sheikh Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan पर आज कही जाएगी Farooq Sheikh की कहानी। कैसे गुजरात के वडोदरा के ज़मींदार परिवार में पैदा हुए Farooq Sheikh एक्टिंग की दुनिया में आए और इनका फिल्मी सफर कैसा रहा, आज यही कहानी हम अपने दर्शकों को बताएंगे।
शुरुआती जीवन
फ़ारुक शेख का जन्म 25 मार्च 1948 को गुजरात के वडोदरा के पास एक गांव में हुआ था। इनका खानदान अपने गांव का ज़मींदार माना जाता था। पांच भाई बहनों में फ़ारुक सबसे बड़े थे।
इनके पिता मुस्तफा शेख एक लॉयर थे और मुंबई में प्रैक्टिस करते थे। वहीं इनकी माता का नाम फरीदा था और इनके पिता से शादी करने से पहले वो एक पारसी थी।
यूं एक्टिंग की तरफ आकर्षित हुए Farooq Sheikh
इनके पिता चाहते थे कि ये भी उनकी तरह लॉयर बनें। इसलिए जब गांव में इनकी शुरूआती पढ़ाई पूरी हो गई तो इनके पिता ने इन्हें मुंबई बुला लिया और सेंट मेरीज़ स्कूल में दाखिल करा दिया।
इसके बाद सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में इन्होंने ग्रेजुएशन के लिए एडमिशन ले लिया। सेंट ज़ेवियर्स में ही ये पहली दफा एक्टिंग की तरफ आकर्षित होना शुरू हुए और कॉलेज में होने वाले नाटकों में इन्होंने हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
इसी कॉलेज में इनकी दोस्ती शबाना आज़मी से हुई जो कि इनकी जूनियर थी। शबाना आज़मी और फारुक साहब ने कई नाटकों में साथ काम किया।
कॉलेज के दिनों में ही इन्होंने IPTA यानि इंडियन पीपल्स थिएटर असोसिएशन भी जॉइन कर लिया था और इप्टा के साथ भी ये नाटकों में काम किया करते थे। इसी दौरान इन्होंने रेडियो ड्रामाज़ में बतौर वॉइस ओवर आर्टिस्ट काम किया था और यहीं से पहली दफा इनकी कमाई भी हुई थी।
यूं शांत हुआ पिता का गुस्सा
सेंट ज़ेवियर्स के बाद सिद्धार्थ कॉलेज ऑफ लॉ से फ़ारुक ने जब अपनी वकालत पूरी की तो इनके पिता को लग रहा था कि अब उनका बेटा उनकी ही तरह वकालत करेगा। लेकिन दोस्तों के साथ यूं ही शुरू किया अभिनय अब इनका पैशन बन चुका था। ये फिल्मों में काम करना चाहते थे।
मशहूर डायरेक्टर एमएस सथ्यू ने इन्हें अपनी फिल्म गरम हवा में काम करने का ऑफर दिया। ये वो वक्त था जब एमएस सथ्यू के पास फिल्म बनाने के पैसे भी नहीं थे और वो अपने जानकार एक्टर्स से उस फिल्म में मुफ्त में काम करने को कह रहे थे।
एमएस सथ्यू की उम्मीद फ़ारुक शेख ने नहीं तोड़ा। और वो इसलिए, क्योंकि सथ्यू जिस सब्जेक्ट पर गरम हवा फिल्म बना रहे थे, फ़ारुक को वो बेहद पसंद आया था। फ़ारुक ने जब फिल्म साइन कर ली और इनके घर तक ये खबर पहुंची तो इनके पिता बेहद नाराज़ हुए। वो इस बात को कतई मानने को तैयार नहीं थे कि उनका बेटा फिल्मों में काम करे।
लेकिन जब फ़ारुक ने उन्हें फिल्म के सब्जेक्ट के बारे में बताया तो वो शांत हुए और उन्होंने फ़ारुक को फिल्म में काम करने की इजाज़त दे दी। फिल्म बनी और रिलीज़ हुई। फ़ारुक का काम हर किसी को पसंद आया। पहली ही फिल्म से फ़ारुक पैरलल सिनेमा का बड़ा नाम बन गए।
आर्ट फिल्मों के स्टार थे फ़ारुक शेख
गर्म हवा के बाद महान डायरेक्टर सत्यजीत रे ने अपनी फिल्म शतरंज के खिलाड़ी के लिए फ़ारुक शेख को साइन किया। फ़ारुक ने इस फिल्म में भी अपने किरदार को मजबूती से निभाया।
अगले साल ये मुज़फ्फर अली की फिल्म गमन में नज़र आए। इसके बाद तो मुज़फ्फर अली के साथ इनकी जोड़ी खूब जमी और फारुक़ ने मुज़फ्फर अली की कई फिल्मों में काम किया।
फ़ारुक शेख आर्ट फिल्मों का एक बड़ा नाम बन चुके थे। हालांकि यश चोपड़ा की नूरी फिल्म में काम करके फ़ारुक ने ये जता दिया था कि वो केवल आर्ट फिल्मों में ही नहीं बल्कि रोमांटिक फिल्मों में भी काम कर सकते हैं।
Deepti Naval के साथ खूब जमी Farooq Sheikh की जोड़ी
फिल्म में पूनम ढिल्लन के साथ फ़ारुक की जोड़ी दर्शकों को बेहद पसंद आई थी। वहीं संई परांजपे की फिल्म चश्मेबद्दूर को भला कौन भुला सकता है। इस फिल्म में फ़ारुक ने बड़ी ज़बरदस्त कॉमेडी की थी और दर्शकों को अपनी कॉमिक टाइमिंग का फैन बना दिया था।
फ़ारुक शेख की जोड़ी दीप्ति नवल के साथ खूब जमी। इन दोनों ने संई परांजपे की कथा में भी साथ काम किया था। लोगों को दीप्ति नवल और फ़ारुक शेख को पर्दे पर एक साथ देखना बड़ा पसंद था। दीप्ति और फ़ारुक ने आठ फिल्मों में साथ काम किया था। दीप्ति नवल के साथ इनकी आखिरी फिल्म थी लिसिन अमाया जो कि 2013 में रिलीज़ हुई थी।
कुछ और दिलचस्प बातें
फ़ारुक शेख ने अपने चालीस साल लंबे फिल्मी करियर में मात्र 60 फिल्मों में काम किया। इसके अलावा इन्होंने कुछ टीवी शोज़ में भी काम किया था। जीना इसी का नाम है शो में ये होस्ट बने थे और इनकी एंकरिंग का अंदाज़ दर्शकों को बेहद पसंद आया था।
शबाना आज़मी के साथ इनका नाटक 'तुम्हारी अमृता' पूरे 20 सालों तक चला था। 2012 की 26 फरवरी को इनका नाटक 'तुम्हारी अमृता' आखिरी बार आयोजित किया गया था। देश-विदेश में उन्होंने अपने इस नाटक को परफॉर्म किया था और ख्याति पाई थी।
2009 में रिलीज़ हुई फिल्म 'लाहौर' में इनके काम के लिए इन्हें फिल्मफेयर बेस्ट एक्टर इन सपोर्टिंग रोल का अवॉर्ड दिया गया था। वहीं अभय देओल और इमरान हाशमी की फिल्म 'शंघाई' में भी इनका काम पसंद किया गया था। 'Ye Jawani Hai Deewani' में Farooq Sheikh Ranbir Kapoor के Father के रोल में नज़र आए थे।
इसके बाद ये क्लब 60 नाम की फिल्म में सारिका के साथ दिखे। इस फिल्म में इन्होंने अपनी इमोशनल एक्टिंग से लोगों को रुला दिया। इसी फिल्म की रिलीज़ के बाद वो मनहूर खबर आई थी जिसने कईयों का दिल तोड़कर रख दिया था।
जब सबका दिल तोड़ गए फ़ारुक शेख
नए साल के मौके पर फ़ारुक अपने परिवार के साथ दुबई घूमने गए थे। वहीं पर 28 दिसंबर 2013 को हार्ट अटैक के चलते इनकी मौत हो गई। इनकी मौत की खबर जैसे ही भारत पहुंची तो फिल्म इंडस्ट्री में मातम पसर गया।
इनके फैंस भी इस खबर से बेहद दुखी हुए। हिंदी सिनेमा का एक बेहद शानदार एक्टर इस तरह अचानक चला जाएगा, ये किसी ने सोचा भी नहीं था। 30 दिसंबर 2013 को फ़ारुक साहब को कब्रिस्तान में इनकी मां की कब्र के ठीक बराबर में दफ्ना दिया गया।
दीप्ति नवल और शबाना आज़मी ने ये कहा था
फ़ारुक शेख की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इन्होंने रूपा जैन से शादी की थी। रूपा जैन इनके साथ इनके कॉलेज मे पढ़ती थी और इनकी जूनियर थी। रूपा जैन और शबाना आज़मी क्लासमेट थे।
रूपा जैन से इनकी तीन बेटियां हैं। फ़ारुक शेख उन अभिनेताओं में से एक थे जो सेट पर हमेशा किसी मस्त मौला इंसान की तरह रहते थे। फ़ारुक अक्सर अपनी हिरोइनों की टांग खींचा करते थे।
फ़ारुक की मौत के बाद 2013 में एक इंटरव्यू के दौरान दीप्ति नवल ने बताया था कि लिसिन अमाया में उन्होंने 26 साल बाद फिर से फ़ारुक के साथ काम किया था।
लेकिन इतने सालों बाद भी फ़ारुक उनके साथ मस्ती मज़ाक कर रहे थे। फारुक़ को याद करते हुए कॉलेज में उनकी जूनियर रही शबाना आज़मी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वो और फ़ारुक हमेशा कॉलेज में बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड जीतते थे।
दोनों को पचास-पचास रुपए मिलते थे जो कि उस जम़ाने में एक बड़ी रकम मानी जाती थी। फ़ारुक को बेस्ट प्ले अवॉर्ड भी मिलता था और उन्हें डेढ़ सौ रुपए और ईनाम में मिल जाते थे। इन पैसों से ये दोनों अपने दोस्तों संग पार्टी करने चले जाते थे।
अमेरिका का वो किस्सा
एक घटना को याद करते हुए शबाना आज़मी बताती हैं कि तुम्हारी अमृता नाटक का एक शो अमेरिका के न्यूजर्सी शहर में था। लेकिन ड्राइवर के रास्ता भूल जाने की वजह से ये दोनों नाट्य स्थल पर दो घंटे देर से पहुंचे थे।
इतनी देर में टिकट खरीदकर नाटक देखने आए लोग बेहद गुस्सा हो चुके थे और वो अपना पैसा वापस मांग रहे थे। लोगों का गुस्सा जब शांत नहीं हुआ तो फारुक़ आगे आए और उन्होंने लोगों से कहा कि आप नाटक देख लीजिए।
अगर आपको नाटक पसंद नहीं आया तो मैं आपके पूरे पैसे रिफंड करा दूंगा। इसके बाद नाटक हुआ और जब नाटक खत्म हुआ तो इन्हें स्टैडिंग ओविएशन दर्शकों ने दिया।
बहुत अच्छे इंसान भी थे फ़रुक शेख
फारुक़ महज़ एक अभिनेता ही नहीं थे बल्कि एक बेहद अच्छे इंसान भी थे। 26/11 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों में ताज होटल के एक मैंटेनेंस वर्कर को भी आतंकियों ने गोली मार दी थी।
वो अपने परिवार में इकलौता कमाने वाला था। इंडियन एक्सप्रेस अखबार में उसके परिवार की खबर छपी देखकर फारुक ने उनसे संपर्क किया और परिवार के दोनों बेटों की पढ़ाई का खर्च उठाने की ज़िम्मेदारी ले ली।
और वो भी इस शर्त पर कि इसके बारे में कभी भी किसी को बताया नहीं जाएगा। हर साल अखबार वाले ताज होटल के उस कर्मचारी के बेटों की पढ़ाई का खर्च फारुक़ साहब को बता देते थे और फारुक़ साहब बिना कोई सवाल किए उनका बताया अमाउंट चेक से दे देते थे।
Farooq Sheikh को Meerut Manthan का सैल्यूट
फारुक़ साहब के फैंस कहते हैं कि फारुक़ वो काफी जल्दी इस दुनिया से चले गए। अभी उन्हें कई साल और जीना था। Meerut Manthan भी ऐसा ही मानता है। क्योंकि फारूक़ साहब ना सिर्फ एक अच्छे अभिनेता थे, बल्कि एक बेहद शानदार इंसान भी थे।
Farooq Sheikh साहब जैसी शख्सियत को मेरठ मंथन सैल्यूट करता है। और वादा करता है कि जब भी Meerut Manthan पर फारुक़ साहब के नाम का ज़िक्र आएगा, पूरी इज्ज़त के साथ आएगा।
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