Rajesh Khanna and Sanjeev Kumar की Legendary Rilvary की कहानी
Rajesh Khanna and Sanjeev Kumar. गुज़रे ज़माने के दो महानतम बॉलीवुड सितारे। एक भारत का पहला सुपरस्टार और एक संजीदा अभिनय का बादशाह। दोनों ही थिएटर बैकग्राउंड से ताल्लुक रखने वाले एक्टर। लेकिन दोनों ही शख्सियत के मामले में एकदम अलग और एकदम जुदा इंसान।
Rajesh Khanna and Sanjeev Kumar - Photo: Social Media
Meerut Manthan आज बात करेगा किसी ज़माने में Rajesh Khanna and Sanjeev Kumar के बीच चली उस अघोषित प्रतिस्पर्धा की, जिसके बारे में आज के दौर में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है।
शुरुआत से ही नहीं बनी
संजीव कुमार और राजेश खन्ना दोनों ही ITA यानि इंडियन थिएटर असोसिएशन के सदस्य थे। हालांकि संजीव कुमार गुजराती नाटकों में काम करते थे और राजेश खन्ना हिंदी नाटकों में काम करते थे। थिएटर के दिनों में जहां संजीव कुमार अपनी वर्सेटैलिटी की वजह से डायरेक्टर्स की पहली पसंद बने हुए थे तो वहीं राजेश खन्ना उन ढेरों हिंदी थिएटर कलाकारों में से एक थे जो किसी तरह फिल्मों में काम पाने की कोशिशें करते रहते हैं।
संजीव कुमार और राजेश खन्ना, दोनों का ही थिएटर करियर एक वक्त पर ही शुरु हुआ था। जहां संजीव कुमार एक समय में पांच-पांच नाटकों में काम किया करते थे तो वहीं राजेश खन्ना को बमुश्किल एक नाटक में काम मिल पाता था। जिस वक्त संजीव कुमार गुजराती थिएटर के बड़े कलाकार हुआ करते थे और उन्हें अवॉर्ड्स मिल रहे थे, उस वक्त राजेश खन्ना एक नाटक में दरबान का रोल कर रहे थे।
राजेश खन्ना संजीव कुमार को बहुत अच्छी तरह से जानते थे। संजीव कुमार भी राजेश खन्ना को पहचानते थे। जब राजेश खन्ना को पहली दफा एक कॉलेज फैस्टिवल अवॉर्ड में उनके नाटक 'और दिया बुझ जाए' के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था तो उन्होंने खुशी में एक पार्टी ऑर्गनाइज़ की थी। राजेश खन्ना ने पार्टी में संजीव कुमार को भी इनवाइट किया था। हालांकि संजीव कुमार राजेश खन्ना की उस पार्टी में शरीक नहीं हुए थे।
हरी भाई को घमंडी लगते थे काका
संजीव कुमार और राजेश खन्ना दोनों के ही करियर में एक नोटेबल बात जो थी वो ये कि वैसे तो संजीव कुमार को राजेश खन्ना से काफी पहले से ही फिल्मों के ऑफर्स मिलने शुरू हो गए थे। लेकिन फिर भी संजीव कुमार को थिएटर करियर शुरू करने के बाद पांच साल का वक्त लग गया फिल्म करियर शुरू करने में।
जबकी राजेश खन्ना महज़ दो साल के थिएटर करियर के बाद फिल्मों में आ गए थे। दोनो में एक फर्क ये भी था कि जहां संजीव कुमार संघर्ष के अपने दिनों में सफेद कुर्ता-पजामा पहनकर फिल्मों में काम मांगने जाया करते थे तो वहीं राजेश खन्ना जो कि एक मजबूत बैकग्राउंड से ताल्लुक रखते थे, वो अपनी कार में ऑडिशन देने जाया करते थे।
इस एक फर्क ने भी इन दो शानदार कलाकारों के बीच कभी दोस्ती नहीं होने दी। एक किस्सा कुछ यूं भी है कि जब 'महंगा सौदा' नाम की एक फिल्म की शूटिंग चल ही थी तो राजेश अक्सर अपनी प्रेमिका अंजू महेंद्रू, जो उस फिल्म में काम कर रही थी उनसे मिलने उस फिल्म के सेट पर पहुंच जाया करते थे। लेकिन राजेश खन्ना वहां जाकर कभी भी किसी दूसरे कलाकार से कोई बात नहीं करते थे।
वो सिर्फ और सिर्फ अंजू महेंद्रू से ही बात करते थे। उस फिल्म में संजीव कुमार भी थे। ज़ाहिर है राजेश खन्ना ने उनसे भी उस फिल्म के सेट पर कभी बात नहीं की थी। संजीव कुमार और उस फिल्म के बाकी कलाकारों को राजेश खन्ना का ये अंदाज़ ज़रा भी पसंद नहीं आता था। सब राजेश खन्ना को घमंडी कहने लगे थे। और उन सबमें संजीव कुमार भी थे।
अंजू महेंद्रू का भी है कनेक्शन
डीएनए में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक अंजू महेंद्रू और संजीव कुमार के बीच भी बढ़िया दोस्ती थी। और कई दफा राजेश खन्ना और अंजू महेंद्रू के बीच संजीव कुमार को लेकर लड़ाई भी हो जाती थी।
राजेश खन्ना को शक होने लगा था कि अंजू महेंद्रू संजीव कुमार के साथ भी रोमांटिक रिलेशन में हैं। अंजू राजेश खन्ना को काफी समझाती थी कि संजीव कुमार से उनकी सिर्फ दोस्ती है। और कुछ नहीं। लेकिन राजेश खन्ना का ये शक कभी दूर नहीं हुआ।
संजीव कुमार को जब राजेश खन्ना की इस आदत का पता चला तो उन्होंने अंजू महेंद्रू को चेताया कि ऐसे शक्की आदमी के साथ उनका जीवन काफी मुश्किलों भरा हो सकता है। जो कि हुआ भी। और आगे चलकर अंजू महेंद्रू और राजेश खन्ना के रिश्ते का दर्दनाक अंत हुआ।
सबको कर दिया सरप्राइज़्ड
फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े लोग साल 1969 में उस वक्त हैरान रह गए जब जीपी सिप्पी की फिल्म बंधन में राजेश खन्ना और संजीव कुमार साथ नज़र आए। उस फिल्म में अंजू महेंद्रू भी थी। एक-दूसरे के एकदम अपोज़िट होते हुए भी दोनों ने एकदम प्रोफेशनल तरीके से काम किया और फिल्म बिना किसी परेशानी या विवाद के पूरी हो गई।
गुज़रते वक्त के साथ राजेश खन्ना एक के बाद एक बड़ी हिट फिल्में देकर भारत के पहले सुपरस्टार बन गए। वहीं संजीव कुमार भी अपनी एक्टिंग कैपेबिलिटीज़ से कई फिल्मों में अपने शानदार काम के लिए तारीफें बटोरने में कामयाब रहे।
जहां राजेश खन्ना रोमांटिक जोनरा की फिल्मों में टाइपकास्ट हो गए तो वहीं संजीव कुमार ने अलग-अलग और विभिन्न प्रकार के किरदार निभाकर खुद को एक वर्सेटाइल एक्टर के तौर पर स्थापित कर लिया।
आनंद फिल्म का वो किस्सा
राजेश खन्ना और संजीव कुमार की अघोषित प्रतिद्वंदिता की एक मिसाल हमें साल 1971 में आई फिल्म आनंद से भी मिलती है। आनंद फिल्म के डायरेक्टर ऋषिकेश मुखर्जी थे। पहले ऋषिकेश मुखर्जी ये फिल्म सन 1960 में बनाने वाले थे। उस वक्त ऋषि दा ने किशोर कुमार को आनंद वाले रोल में और कॉमेडियन महमूद को बाबू मोशाय वाले रोल में कास्ट किया था।
लेकिन किसी बात को लेकर किशोर दा और ऋषि दा के बीच लड़ाई हो गई और किशोर दा ने ये फिल्म छोड़ दी। और चूंकि किशोर दा और महमूद के बीच बढ़िया दोस्ती थी तो किशोर दा के फिल्म छोड़ने के कुछ ही दिन बाद महमूद ने भी फिल्म छोड़ने का ऐलान कर दिया। और आखिरकार उस वक्त आनंद फिल्म डब्बा बंद हो गई।
अपनी बायोग्राफी महमूद ए मैन ऑफ मैनी मूड्स में कॉमेडियन महमूद ने इस घटना का ज़िक्र करते हुए कहा था कि मुझे पता नहीं चल पाया था कि किशोर दा और ऋषि दा के बीच किस बात को लेकर लड़ाई हुई है। मैंने सिर्फ किशोर दा की मुहब्बत के चलते वो फिल्म छोड़ी थी। अगर मुझे पता होता कि लड़ाई क्यों हुई है तो मैं किशोर दा को मनाने की कोशिश करता।
बहरहाल, सालों बाद जब राजेश खन्ना को पता चला कि ऋषि दा आनंद फिल्म को दोबारा शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो राजेश खन्ना उनके पास आनंद का किरदार मांगने पहुंचे। और चूंकि इस वक्त तक राजेश खन्ना सुपरस्टार बन चुके थे तो ऋषि दा और प्रोड्यूसर एनसी सिप्पी ने बिना देर किए राजेश खन्ना को आनंद के किरदार के लिए साइन कर लिया।
बाबू मोशाय के रोल के लिए ऋषि दा संजीव कुमार को साइन करने की प्लानिंग कर रहे थे। वैसे भी ऋषि दा संजीव कुमार के साथ सत्यकाम और आशीर्वाद में काम कर चुके थे और वो संजीव कुमार के एक्टिंग पोटेंशियल से अच्छी तरह वाकिफ थे।
ऋषि दा ने जब संजीव कुमार को फिल्म में कास्ट करने वाली बात राजेश खन्ना को बताई तो राजेश खन्ना टेंशन में आ गए। राजेश खन्ना जानते थे कि अगर संजीव कुमार ने आनंद में बाबू मोशाय का रोल निभाया तो वो काफी क्रेडिट अपने नाम कर लेंगे। राजेश खन्ना की टेंशन के बारे में जब ऋषि दा को पता चला तो उन्होंने संजीव कुमार की जगह न्यूकमर अमिताभ बच्चन को बाबू मोशाय के रोल में ले लिया।
और इस तरह ये पहला मौका रहा जब संजीव कुमार के लिए प्लान किया गया रोल अमिताभ बच्चन को मिला। इसके बाद साल 1973 में आई सौदागर फिल्म में भी लीड रोल संजीव कुमार की जगह अमिताभ बच्चन को मिल गया था। खैर, वापस राजेश खन्ना और संजीव कुमार की कहानी पर ही आते हैं।
आनंद वाली इस घटना के बाद एक इंटरव्यू में अंजू महेंद्रू ने इस बात को स्वीकारा था कि राजेश खन्ना हमेशा संजीव कुमार के सामने काफी इनसिक्योर फील करते थे। लेखक सागर सरहदी ने भी इस बात की तस्दीक की थी और लगभग पूरी फिल्म इंडस्ट्री जानती थी कि राजेश खन्ना और संजीव कुमार के बीच एक तरह की टसल हमेशा चलती रहती है।
सलीम खान को नापसंद करने लगे थे काका
राजेश खन्ना संजीव कुमार को लेकर कितने इनसिक्योर थे इसकी एक बानगी कुछ इस तरह से मिलती है कि एक दफा लेखक सलीम खान ने अपने किसी इंटरव्यू में संजीव कुमार की काफी तारीफ की और उन्हें अपने दौर का बेस्ट एक्टर कह दिया। सलीम खान का वो इंटरव्यू एक मैगज़ीन में छपा था जिसे राजेश खन्ना ने भी पढ़ा।
ये वो वक्त था जब सलीम-जावेद की जोड़ी राजेश खन्ना के सबसे करीबी लोगों में शुमार होती थी। सलीम खान लगभग हर दिन राजेश खन्ना से मिलने उनके बंगले आशीर्वाद पर जाया करते थे। एक दिन जब सलीम खान राजेश खन्ना से मिलने उनके बंगले आशीर्वाद पर पहुंचे तो गेट के पास ही राजेश खन्ना उन्हें मिल गए।
राजेेश खन्ना उस वक्त बड़े स्टाइल में अपनी कार के बोनट पर बैठे थे और उनके हाथ में वही मैगज़ीन थी जिसमें सलीम खान का वो इंटरव्यू छपा था जिसमें उन्होंने संजीव कुमार की तारीफ की थी। राजेश खन्ना ने सलीम खान से पूछा,"क्या तुमने सच में संजीव कुमार की तारीफ की है? सलीम खान ने कहा,"हां मैंने की है।"
राजेश खन्ना ने सलीम से पूछा,"क्या तुम्हें लगता है कि संजीव कुमार मुझसे भी ज़्यादा अच्छा एक्टर है?" अब तक राजेश खन्ना काफी अपसेट हो चुके थे और उनकी नाराज़गी उनके चेहरे से साफ ज़ाहिर हो रही थी। सलीम खान ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि संजीव कुमार एक खास स्टाइल में पर्फेक्ट है और उस स्टाइल में उनसे बेहतर कोई नहीं है। लेकिन इसका ये मतलब कतई नहीं है कि राजेश खन्ना संजीव कुमार से कमतर एक्टर है।
राजेश खन्ना को सलीम खान की ये सफाई पसंद नहीं आई और उस दिन पहली दफा राजेश खन्ना ने सलीम को घर के अंदर नहीं बुलाया। वो खुद ही एक शूट के लिए वहीं से निकल गए। फिर कई दिनों तक राजेश खन्ना और सलीम खान की कोई मुलाकात नहीं हुई। सलीम-जावेद की जोड़ी ने जब अमिताभ बच्चन के लिए फिल्में लिखनी शुरू की तो राजेश खन्ना ने इसे अपने साथ एक धोखा करार दिया था।
और ये था वो कांड जिसे थप्पड़ कांड कहा गया
काका यानि राजेश खन्ना और हरी भाई यानि संजीव कुमार के बीच इतनी ज़्यादा टसल होने के बावजूद जे ओम प्रकाश इकलौते ऐसे डायरेक्टर थे जिन्होंने इन दो एक्टर्स से एक फिल्म में साथ काम करा लिया था। वैसे तो संजीव कुमार और राजेश खन्ना बंधन में पहले भी काम कर चुके थे। लेकिन बंधन के बाद इन दोनों का रिलेशन और खराब हो गया था। इसलिए किसी को नहीं लगता था कि अब कभी इन दोनों कलाकारों को साथ देखा जा सकेगा।
मगर जब जे ओम प्रकाश राजेश खन्ना के पास अपनी फिल्म 'आपकी कसम' की स्क्रिप्ट लेकर गए और उन्हें बताया कि सेकेंड लीड के लिए संजीव कुमार को कास्ट करने की प्लानिंग है तो राजेश खन्ना ने स्क्रिप्ट सुनने के बाद इस फिल्म में काम करने के लिए हामी भर दी। कुछ लोग कहते हैं कि इस फिल्म में संजीव कुमार के होने के बावजूद राजेश खन्ना काम करने के लिए सिर्फ इसलिए तैयार हुए थे क्योंकि इसमें एक सीन था जिसमें राजेश खन्ना को संजीव कुमार को थप्पड़ मारना था।
हालांकि जे ओम प्रकाश ने ऐसी बातों को फिज़ूल बताया था। राजेश खन्ना को स्क्रिप्ट सुनाने और उनकी रज़ामंदी लेने के बाद जे ओम प्रकाश संजीव कुमार के पास 'आप की कसम' का ऑफर लेकर गए। हालांकि उन्हें ये डर भी था कि कहीं संजीव कुमार इस फिल्म में काम करने से मना ना कर दें। और जे ओम प्रकाश के इस डर की दो वजहें थी।
पहली वजह तो ये ही थी कि वो भी जानते थे राजेश खन्ना और संजीव कुमार के बीच टेंशन रहती है। और दूसरी वजह ये थी कि इस वक्त तक संजीव कुमार भी फिल्मों में लीड रोल करने लगे थे और जे ओम प्रकाश को लग रहा था कि सेकेंड लीड सुनते ही संजीव कुमार फिल्म में काम करने से मना कर देंगे।
इसलिए जब जे ओम प्रकाश संजीव कुमार के घर पहुंचे तो उन्होंने स्क्रिप्ट सुनाने से पहले ही संजीव कुमार को बता दिया कि वो उनके पास सेकेंड लीड का ऑफर लेकर आए हैं। संजीव कुमार ने पूरी स्क्रिप्ट सुनी और उन्होंने इस फिल्म में काम करने की मंज़ूरी जे ओम प्रकाश को दे दी। कहा जाता है कि संजीव कुमार ने ये फिल्म सिर्फ इसलिए साइन की थी क्योंकि वो चाहते थे कि राजेश खन्ना के साथ उनकी जो टेंशन है उसे खत्म किया जा सके।
ये भी जानने लायक है
'आपकी कसम' फिल्म की शूटिंग पूरे 10 महीनों में कंप्लीट हुई और एक साल के भीतर ही फिल्म रिलीज़ भी हो गई। जे ओम प्रकाश के लिए इस पूरी फिल्म के दौरान वही सीन शूट करना सबसे ज़्यादा चैलेंजिंग रहा जिसमें संजीव कुमार के गाल पर राजेश खन्ना थप्पड़ मारते हैं। ये सीन महबूब स्टूडियो में शूट किया गया था। और बिना किसी परेशानी के शूट भी हो गया।
राजेश खन्ना और संजीव कुमार ने जे ओम प्रकाश की एक और फिल्म आक्रमण में भी काम किया था। और ये बात सच है कि जे ओम प्रकाश की वजह से ही संजीव कुमार और राजेश खन्ना के बीच दूरियां काफी कम हुई थी। हालांकि 25 सालों तक एक-दूसरे को जानने के बावजूद ना तो कभी राजेश खन्ना संजीव कुमार के घर गए थे और ना ही कभी संजीव कुमार ही राजेश खन्ना के घर आए थे।
मगर जब सन 1985 में संजीव कुमार की मृत्यु हुई थी तब राजेश खन्ना उनके घर उन्हें अंतिम विदाई देने ज़रूर पहुंचे थे। और राजेश खन्ना की आंखें नम भी थी। आज ना तो हरि भाई इस दुनिया में हैं। और ना ही काका जी ही इस दुनिया में हैं। लेकिन दोनों की फिल्में इन्हें हमेशा अमर रखेंगी। Meerut Manthan इन दोनों महानतम कलाकारों को नमन करता है। जय हिंद।
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