Mushtaq Khan | एक बहुत ही शानदार Actor की जानदार कहानी | Biography
Mushtaq Khan Biography. उस दौर में ना तो ढेर सारे टीवी चैनल हुआ करते थे और ना ही मनोरंजन करने के लिए दुनियाभर के प्लेटफॉर्म्स थे। हम सन 1970 के शुरुआती महीनों की बात कर रहे हैं।
मध्य प्रदेश के बालाघाट ज़िले के बैहर कस्बे से एक लड़का मुंबई पहुंचा था। उसकी आंखों में बस एक ही सपना था, कि कलाकारों के कद्रदान शहर मुंबई में किसी भी तरह अपनी जगह और पहचान बनानी है।
इस लड़के का नाम था मुश्ताक खान, जो अपने कस्बे बैहर में तो पहले ही स्टार बन चुका था और फिर देशभर में छाने का ख्वाब लेकर वो मुंबई आया था।
![]() |
Mushtaq Khan Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan पर आज कही जा रही है 5 दशकों से लगातार अपनी एक्टिंग से दर्शकों का मनोरंजन करने वाले Mushtaq Khan की कहानी। इस कहानी में हम Mushtaq Khan के बैहर से मुंबई पहुंचने और फिर वहां उनके संघर्ष से सफलता तक के सफर की एक झलक देखेंगे।
ऐसी थी Mushtaq Khan की शुरूआती ज़िंदगी
मुश्ताक खान का जन्म हुआ था 31 दिसंबर 1969 को बैहर के एक मिडिल क्लास मुस्लिम परिवार में। स्कूल के दिनों से ही मुश्ताक को एक्टिंग का चस्का लग गया। अपने शहर में ये जहां भी कहीं स्टेज और माइक देखते, इनका मन मचलने लग जाता था।
इनका दिल करता था कि स्टेज पर चढ़कर माइक हाथ में लेकर कुछ ना कुछ ऐसा करें कि लोगों का मनोरंजन हो। जब ये सातवीं क्लास में आए तो इन्होंने अपने स्कूल में होने वाले नाटकों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
नाटक करने का वो सिलसिला कॉलेज में भी चलता रहा और कॉलेज वालों ने इन्हें आर्ट्स एंड कल्चर प्रोग्राम्स का सेक्रेटरी बना दिया। मुश्ताक खान के ड्रामे का कद्रदान सारा बैहर होने लगा।
इनके दोस्त और इनके टीचर्स इन्हें कहते कि तुम्हारी जगह इस छोटे से शहर में नहीं है। तुम्हें चाहिए कि तुम एफटीटीआई पुणे जाओ या फिर सीधा मुंबई चले जाओ। दोस्तों के कहने पर इन्होंने मुंबई आने का फैसला कर लिया।
इनके इस फैसले से इनके घर वाले काफी नाराज़ हुए। घरवालों ने इन्हें काफी समझाया। कई दफा धमकाया कि मुंबई ना जाकर यहीं बैहर में रहो और अपने पुश्तैनी कपड़ों के काम से ही जुड़ जाओ।
हालांकि इस दौरान इनके बड़े भाई ने इन्हें काफी सपोर्ट किया। बड़े भाई ने किसी तरह घरवालों से मुश्ताक को मुंबई भेजने की इजाजत ले ली और फिर 1975 में मुश्ताक मुंबई आ गए।
मुंबई में Mushtaq Khan को हुई थी बड़ी परेशानियां
मुश्ताक मुंबई तो आ गए, लेकिन यहां आने के बाद इनके सामने समस्या खड़ी हो गई रहने की एक ठीक-ठाक जगह की। कई दफा ये फुटपाथ पर सोए और कई दफा रेलवे स्टेशन पर भी इन्होंने अपनी रातें गुज़ारी। इस दौरान इनके घर वाले इन्हें मंथली खर्च के लिए कुछ पैसे भेजा करते थे।
लेकिन वो इतने पैसे नहीं होते थे कि उनसे वहां वो रहना खाना भी कर सकें और अपना संघर्ष भी कर सकें। मुश्ताक को जब मुंबई आए हुए कई महीने हो गए तो इनके घरवालों को इनकी फिक्र होने लगी। घरवालों ने इनसे कहा कि बेहतर है तुम वापस अपने शहर लौट आओ।
लेकिन मुश्ताक घरवालों से झूठ बोलते थे कि उन्हें कोई परेशानी नहीं है और वो आराम से मुंबई में अपनी ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं। इसी बीच इनके घरवालों ने इन्हें पैसा भेजना बंद कर दिया, ये सोचकर कि शायद अब मुश्ताक वापस घर लौटकर आ जाए। लेकिन अभिनेता बनने की ज़िद पाले हुए बैठे मुश्ताक खान को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा।
क्योंकि अब तक मुंबई में इनकी दोस्ती चेतन ठाकर नाम के एक युवक से हो चुकी थी और चेतन ठाकर इनकी काफी मदद कर रहा था। चेतन ठाकर एक अमीर परिवार से ताल्लुक रखता था और उसका एक होटल भी था। इस तरह चेतन ठाकर की मदद से मुश्ताक खान को मुंबई में रहने और खाने में अब कोई परेशानी नहीं थी।
Mushtaq Khan ने झेला बड़ा रिजेक्शन
मुश्ताक खान कहते हैं कि वो कभी भी बॉलीवुड की चकाचौंध देखकर मुंबई नहीं गए थे। वो सिर्फ एक कलाकार बनना चाहते थे और अपने हुनर को दुनिया के सामने रखना चाहते थे।
इसलिए इनके ज़ेहन में कभी ये ख्याल आया ही नहीं कि इन्हें हीरो बनना है या फिर विलेन बनना है। बकौल मुश्ताक, अच्छे किरदार निभाने का सपना देखकर वो मुंबई आए थे और काफी मेहनत के बाद आखिरकार इनका ये सपना पूरा भी हुआ।
अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए मुश्ताक कहते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में काफी रिजैक्शन झेला है। ये कई बड़े डायरेक्टर्स और प्रोड्यूसर्स से मिलते थे। लेकिन वो सभी किसी ना किसी बहाने से इन्हें काम देने से साफ इन्कार कर देते थे।
मुश्ताक कई दफा इस सब से बेहद दुखी हुए और अक्सर रात को बिस्तर पर लेटे समय उनकी आंखें आंसुओं से भर आती थी। वो सभी दोस्त और रिश्तेदार जो कभी इन्हें मुंबई आने के लिए प्रेरित करते थे वो सब भी अब इनका मज़ाक बनाने लगे थे।
घर से आने वाली चिट्ठियों के ज़रिए इन्हें मालूम चलता रहता था कि वो सब लोग कहते हैं कि मुश्ताक खामाखां अपना समय बर्बाद कर रहा है। उसको अब वापस लौट आना चाहिए। लेकिन मुश्ताक ने कभी भी लोगों की ऐसी बातों से खुद के हौंसले को झुकने नहीं दिया।
ये थी Mushtaq Khan की पहली फिल्म
मुश्ताक के साथ एक अच्छी बात ये रही कि इन्होंने मुंबई स्थित इंडियन पीपल्स थिएटर असोसिएशन यानि इप्टा को भी जॉइन कर लिया था। अक्सर दिनभर डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के ऑफिसों के चक्कर काटने के बाद मुश्ताक शाम के समय इप्टा पहुंच जाया करते थे।
उन दिनों कभी भी मुश्ताक एक दिन में 15 रुपए से ज़्यादा नहीं खर्च करते थे। एक दिन ऐसे ही मुश्ताक इप्टा के संयोजन से पृथ्वी थिएटर में एक नाटक कर रहे थे। उस नाटक को इस्माइल सर्राफ भी देख रहे थे जो कि उस दौर के एक जाने-माने प्रोड्यूसर-डायरेक्टर थे।
अपनी फिल्म थोड़ी सी बेवफाइ के लिए इस्माइल सर्राफ एक नए चेहरे की तलाश कर रहे थे। उन्हें मुश्ताक खान का काम उस नाटक में काफी पसंद आया था। उन्होंने मुश्ताक को थोड़ी सी बेवफाइ में एक बड़े ही छोटे से रोल के लिए ले लिया। और इस तरह सिल्वर स्क्रीन पर मुश्ताक खान की एंट्री हो गई।
हालांकि इस फिल्म से मुश्ताक को कोई खास सफलता नहीं मिली थी और उनका संघर्ष अब भी बदस्तूर जारी था। इसी साल मुश्ताक खान को सईद अख्तर मिर्ज़ा की फिल्म अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है में भी एक छोटा सा रोल मिला था। सही मायनों में मुश्ताक खान की किस्मत बदलने का श्रेय सलीम खान को जाता है।
जी हां, सलमान खान के पिता सलीम खान। इन्होंने ही मुश्ताक खान को महेश भट्ट से मिलवाया था। सलीम खान और मुश्ताक के बीच का ये किस्सा कुछ यूं है कि एक दिन मुश्ताक खान पृथ्वी थिएटर में लोककथा नाम का एक नाटक कर रहे थे। इस नाटक में मुश्ताक खान का किरदार काफी ज़बरदस्त था। ये नाटक देखने के लिए सलीम खान भी आए हुए थे।
इस फिल्म से मिली थी पहचान
सलीम खान को मुश्ताक खान की एक्टिंग स्किल भा गई और वो पहले तो मुश्ताक से मिले और फिर उन्हें अपने साथ लेकर महेश भट्ट के पास पहुंचे। सलीम खान ने महेश भट्ट से कहा कि ये लड़का बढ़िया एक्टर है। इसे कब्ज़ा फिल्म में कोई रोल दे दीजिए।
इत्तेफाक से महेश भट्ट की इस फिल्म के राइटर सलीम खान ही थे। महेश भट्ट ने सलीम खान की बात मान ली और मुश्ताक खान को कब्जा में एक छोटा सा रोल दे दिया। इस फिल्म में मुश्ताक परेश रावल के असिस्टेंट बने थे।
Mahesh Bhatt बने Mushtaq Khan के खेवनहार
कब्जा में मुश्ताक की एक्टिंग को देखकर महेश भट्ट इतने इंप्रैस हुए कि उन्होंने मुश्ताक को अपनी कई फिल्मों में काम दिया। 80 के दशक में महेश भट्ट की किस्मत उनका बेहद साथ दे रही थी। उनकी बनाई हर फिल्म सुपरहिट जा रही थी।
मुश्ताक ने महेश भट्ट की जुनून, सड़क, साथी, गुमराह, आशिकी, हम हैं राही प्यार के, सर, दिल है कि मानता नहीं, नाराज़, व और भी कई फिल्मों में काम किया था।
अपने अब तक के करियर में मुश्ताक खान ने 100 से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया है। इनके करियर की प्रमुख फिल्में हैं क्रांतिवीर, गोपी-किशन, राजा, बाज़ी, बंबई का बाबू, मृत्युदाता, मेजर साब, जब प्यार किसी से होता है, हेरा फेरी, गदर एक प्रेम कथा, जोड़ी नंबर वन, मुझसे शादी करोगी, सैंडविच, वैलकम, शागिर्द और राउड राठौड़।
छोटे पर्दे पर भी किया कमाल
मुश्ताक खान ने छोटे पर्दे पर भी अपने अभिनय के जलवे बिखेरे हैं। कुछ रंग प्यार के ऐसे भी, अदालत, चाचा चौधरी, टेढ़े-मेढ़े सपने, चमत्कार, देवता, हम सब एक हैं, बेलन वाली बहू और भारत एक खोज, ये वो कुछ टीवी शोज़ थे जिनमें मुश्ताक खान की एक्टिंग को लोगों ने बेहद पसंद किया था।
इन दिनों ये वेब सीरीज़ में भी काम करने लगे हैं। इन्होंने झोला छाप नाम की एक वेब सीरीज़ की शूटिंग कंप्लीट कर ली है और वो वेब सीरीज़ लॉकडाउन के चलते रुक गई थी। फिलहाल उस वेब सीरीज़ का पोस्ट प्रोडक्शन चल रहा है और जल्द ही इनकी ये वेब सीरीज़ किसी ना किसी ओटीटी प्लेटफॉर्म पर नज़र भी आ जाएगी।
ऐसी है मुश्ताक खान की निजी ज़िंदगी
बात अगर इनकी निज़ी ज़िंदगी के बारे में करें तो इनकी पत्नी का नाम सलमा है जो कि नागपुर की रहने वाली हैं। सलमा से इनके दो बेटे हुए हैं बड़ा बेटा मोहसिन खान और छोटा बेटा मोहम्मद अरशद खान।
इनका बड़ा बेटा मोहसिन खान भी मॉडलिंग करता है। मुश्ताक खान लंबे वक्त से फिल्मों में एक्टिव हैं और लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री की तरफ से भले ही इन्हें कभी वो सम्मान ना मिला हो जिसके ये हकदार हैं।
लेकिन मेरठ मंथन और इसके सभी पाठकों की तरफ से मुश्ताक खान साहब को एक बिग सैल्यूट है। हमें पूरा यकीन है कि Mushtaq Khan आगे भी इसी तरह हमारा मनोरंजन करते रहेंगे। जय हिंद।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें