Rakesh Bedi | Shrimaan Shrimati के Dilruba Ji का किरदार निभाने वाले शानदार कलाकार की कहानी | Biography
Rakesh Bedi की कहानी आज हम अपने पाठकों संग शेयर कर रहे हैं। यूं झुका वो गर्द में एक सिक्के की खातिर। मानो जैसे खोई किस्मत ढूंढ रहा है। कोई और आएगा अब और जगाएगा मुझे। हर शख्स इसी उम्मीद पर ऊंघ रहा है।
ये अल्फाज़ उस शख्स के हैं जिसने मायानगरी मुंबई में अपने हुनर से अपना अलग और बेहद अनोखा मुकाम बनाया है।
इनका नाम है राकेश बेदी। हिंदी सिनेमा के बहुत से शौकीन इनके नाम को भले ही ना जानते हों, लेकिन इनके चेहरे को वो लाखों की भीड़ में भी पहचान सकते हैं।
| Actor Rakesh Bedi Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan में आज पेश है Rakesh Bedi की कहानी जिन्हें आपने बड़े पर्दे और छोटे पर्दे , दोनों पर अपनी बेजोड़ अदायगी से लोगों को हंसाते हुए देखा होगा। Delhi के रहने वाले Rakesh Bedi कैसे एक्टिंग की दुनिया में आए। और फिर कैसे धीरे-धीरे वो मायानगरी की इस चमकीली दुनिया से दूर भी हो गए। आज यही किस्सा हम आपको बताएंगे।
Rakesh Bedi की शुरूआती ज़िंदगी
राकेश बेदी का जन्म हुआ था 1 दिसंबर 1954 को दिल्ली के करोल बाग में। इनके पिता मदन गोपाल बेदी इंडियन एयरलाइंस में एयरोनोटिकल इंजीनियर थे।
बेहद छोटी सी उम्र से ही राकेश बेदी पर एक्टर बनने जुनून सवार हो गया था। दुनिया के बच्चे बचपन में तरह-तरह के काम करने की बात कहते हैं।
कोई कहता है कि वो डॉक्टर बनेगा, कोई इंजीनियर बनने को कहता है तो कोई साइंटिस्ट बनने की बात करता है।
लेकिन राकेश उन चंद बच्चों में से थे जो कहता था कि मैं बड़ा होकर एक्टर बनूंगा। स्कूल में होने वाली हर तरह की एक्सट्रा करिकुलर एक्टिविटी में राकेश आगे बढ़कर हिस्सा लेते थे।
पिता बनाना चाहते थे इंजीनियर
राकेश का एक्टर बनने का सपना हर दिन परवान चढ़ता गया। वो स्कूल के बाद भी एक ड्रामा कंपनी के साथ ड्रामा की प्रैक्टिस किया करते थे।
लेकिन दूसरी तरफ उनके पिता को उनकी काफी फिक्र होने लगी थी। पिता चाहते थे कि उनका बेटा उनकी ही तरह इंजीनियर बने। वो चाहते थे कि राकेश आईआईटी में पढ़ाई करे और माइनिंग इंजीनियर बनें।
हालांकि अपनी तरफ से उन्होंने कभी कोई ज़ोर-ज़बरदस्ती राकेश के साथ नहीं की। राकेश अपने पिता का दिल भी नहीं दुखाना चाहते थे।
इसलिए जब राकेश 12वीं पास हुए तो उन्होंने इंजीनियर बनने की तैयारी की। उनका इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट हुआ था आईआईटी दिल्ली में।
Rakesh Bedi बेदी ने छोड़ दिया वो एग्ज़ाम
आईआईटी दिल्ली में इनका एंट्रेंस टेस्ट सुबह 9 बजे से शुरू हुआ जो 12 बजे खत्म हो जाना था। जैसे ही राकेश के हाथ में क्वेश्चन पेपर आया, उन्हें मालूम चल गया कि वो इंजीनियर बनने के लिए पैदा हुए ही नहीं हैं।
उस पूरे क्वेश्चन पेपर में राकेश को केवल एक सवाल का ही जवाब मालूम था। सो राकेश ने बिना वक्त ज़ाया किए उस इकलौते सवाल को हल किया और महज़ 3 मिनट के अंदर ही एग्ज़ामिनर को अपनी आंसर शीट लौटा दी।
एग्ज़ामिनर राकेश के ऐसा करने से बुरी तरह से हैरान था। उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि इस लड़के को अचानक हुआ क्या।
उसने राकेश से इसकी वजह पूछी तो राकेश ने पूरी बेबाकी से जवाब दिया, सर, मैं गलत जगह आ गया हूं। मुझे वापस अपनी ड्रामा रिहर्सल में ही जाना पड़ेगा। और इस तरह राकेश आईआईटी का वो एग्ज़ाम छोड़कर वापस लौट आए।
कड़ी मेहनत करते थे Rakesh Bedi
आईआईटी दिल्ली की घटना के बाद राकेश ने और दिल से नाटकों में काम करना शुरू कर दिया। अपने ही जैसे कुछ दूसरे नौजवान लोगों के साथ मिलकर राकेश एक छोटा सा थिएटर ग्रुप भी चला रहे थे। ये सभी नौजवान पैसे जमा करके अपना ये थिएटर ग्रुप चलाते थे।
राकेश का ग्रुप जब किसी नाटक का मंचन करता था तो हर तरह के काम इन्हें और इनके साथियों को खुद ही करने पड़ते थे। इन्हें खुद ही अपने नाटक के पोस्टर्स रात के समय में दिल्ली में चिपकाने पड़ते थे।
जब Rakesh Bedi को पुलिस ने पकड़ लिया
एक बार राकेश अपने एक-दो साथियों के साथ दिल्ली के एक इलाके में रात में अपने अगले नाटक के पोस्टर्स चिपका रहे थे।
तभी अचानक पुलिस की जीप आ गई और उन्होंने राकेश और उनके साथियों को पकड़ लिया। पुलिस को लगा कि ये लोग किसी प्रोपेगैंडा के लिए पोस्टर्स चिपका रहे हैं।
पुलिस ने राकेश और उनके साथियों से कड़ाई से पूछताछ करनी शुरू कर दी। तब राकेश ने पुलिस को समझाया कि वो अपने नाटक का पोस्टर लगा रहे हैं।
और चूंकि उनके पास पैसे की कमी है इसलिए ये काम उन्हें खुद ही करना पड़ रहा है। तब जाकर पुलिस वालों ने राकेश और इनके दोस्तों को उस रात छोड़ा था।
इस तरह पुणे पहुंचे Rakesh Bedi
नाटक के साथ-साथ राकेश ने पढ़ाई भी जारी रखी और दिल्ली के भगत सिंह कॉलेज में इन्होंने बीकॉम में एडमिशन ले लिया। कॉलेज में भी ये नाटकों और दूसरी सामाजिक गतिविधियों में हिस्सा लेते थे।
इसी दौरान इनके पिता एक बार फिर से इन्हें लेकर टेंशन में आने लगे थे। पिता को अपने बेटे की फिक्र होने लगी थी।
राकेश को जब अपने पिता की टेंशन के बारे में जानकारी मिली तो उन्होंने फैसला कर लिया कि अब दिल्ली के नाटकों से बाहर निकलकर प्रोफेशनल एक्टिंग में जाने का वक्त आ चुका है।
लेकिन राकेश को ये समझ नहीं आ रहा था कि आखिर शुरूआत कैसे की जाए। फिर एक दिन राकेश ने फैसला कर लिया कि वो पूना के फिल्म एंड टेलिविजन इंस्टीट्यूट में दाखिला लेंगे।
राकेश ने कोशिश की और उनका नंबर एफटीआई यानी फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टीट्यूट ऑफ पुणे में आ गया।
ऐसा था पुणे में Rakesh Bedi का जीवन
एफटीआई आने से पहले राकेश को लगता था कि उन्हें यहां कोई परेशानी नहीं होने वाली है, क्योंकि वो तो काफी वक्त से दिल्ली में थिएटर कर ही रहे थे।
लेकिन कुछ ही दिनों में इनको ये अहसास हो गया कि ये अपने बारे में गलतफहमी पाले बैठे हैं। एफटीआई में इन्हें मालूम चला कि अभी तो इन्हें एक्टिंग की एबीसीडी भी ढंग से नहीं आती है।
एफटीआई में राकेश का जिस बैच में दाखिला हुआ था, उसमें इनके साथ सतीश शाह, ओम पुरी, सुरेश ऑबेरॉय, सुधीर पांडे, डेविड धवन, प्रकाश झा, विधु विनोद चोपड़ा, सईद मिर्ज़ा और कुंदन शाह जैसे लोग भी थे और ये सभी लोग आगे चलकर फिल्म इंडस्ट्री में बड़ा नाम बने।
ये थी Rakesh Bedi की पहली फिल्म
एफटीआई से पढ़ाई खत्म करने के बाद राकेश फिल्मों में काम करने के लिए मुंबई आ गए।
राकेश को अपने बारे में एक बात अच्छे से मालूम थी और वो ये कि जिस तरह की उनकी शख्सियत है उसे देखकर हीरो का रोल तो उन्हें फिल्म इंडस्ट्री में कोई नहीं देने वाला था।
इसलिए राकेश ने फैसला कर लिया कि वो कॉमेडी की तरफ जाएंगे और अपने आपको एक कॉमिक आर्टिस्ट के तौर पर इस्टैबलिस्ट करने की कोशिश करेंगे।
कॉमेडी में वैसे भी राकेश का हाथ दिल्ली में किए गए नाटकों के चलते पहले ही काफी मजबूत था। हुआ भी कुछ ऐसा ही।
राकेश को पहली दफा 'हमारे-तुम्हारे' नाम की एक फिल्म में काम मिला जिसमें संजीव कुमार और राखी लीड रोल में थे। राकेश इस फिल्म में सुनील नाम के नौजवान बने थे जो अपनी मां के दोबारा शादी करने से काफी नाखुश था।
Rakesh Bedi के करियर की दूसरी फिल्म
राकेश बेदी के करियर की दूसरी फिल्म थी 'अहसास' जो कि एक रोमांटिक ड्रामा फिल्म थी। ये फिल्म भी 1979 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में शम्मी कपूर, शशी कपूर और अमजद खान जैसे बड़े सितारे मौजूद थे।
राकेश इस फिल्म में एक नौजवान आशिक बने थे और फिल्म के लीड हीरो के सबसे बढ़िया दोस्त थे। सहायक अभिनेता के तौर पर राकेश को अपनी शुरूआती फिल्मों में ही उस दौर के हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के बड़े स्टार्स के साथ काम करने का मौका मिल गया था।
ये बात भी कम लोगों को मालूम है, कि वास्तव में राकेश बेदी की पहली फिल्म अहसास ही थी। लेकिन हमारे तुम्हारे पहले बनकर तैयार हुई और पहले रिलीज़ हो गई।
इसलिए उनकी फिल्मोग्राफी में हमारे तुम्हारे फिल्म का ज़िक्र इनकी पहली फिल्म के तौर पर होता है।
ये था Rakesh Bedi का सबसे यादगार रोल
राकेश बेदी के करियर की तीसरी फिल्म थी बुलंदी जो साल 1980 में रिलीज़ हुई थी। राकेश इस फिल्म में एक कॉलेज स्टूडेंट बने थे।
इस फिल्म में राजकुमार जैसे महान कलाकार भी थे जिन्होंने प्रोफेसर का रोल निभाया था और राकेश फिल्म में उनके स्टूडेंट बने थे।
उस दौर में भारत के कॉलेज स्टूडेंट्स की लाइफ को इस फिल्म में बड़े ही शानदार तरीके से दर्शाया गया है। फिल्म में राकेश एक ऐसे पिता की संतान बने हैं जो बेहद भ्रष्ट है।
लेकिन अपने गुरू की सोहबत में आने के बाद वो बेटा अपने ही बाप के काले कारनामों के खिलाफ बगावत कर देता है।
इस फिल्म में निभाया गया राकेश का किरदार उनके फिल्मी करियर के सबसे यादगार किरदारों में से एक माना जाता है।
Rakesh Bedi के करियर की सबसे शानदार फिल्म
इनके करियर की चौथी और सबसे प्रमुख फिल्मों में से एक थी चश्मे बद्दूर। ये फिल्म साल 1981 में रिलीज़ हुई थी और इस फिल्म में उनके साथ फारुख शेख, रवि बासवानी और दीप्ति नवल जैसे कलाकार मौजूद थे।
फिल्म में दीप्ति नवल और राकेश बेदी पर एक गीत फिल्माया गया था। ये गीत उस दौर में बेहद हिट हुआ था और राकेश को इस गीत से काफी लोकप्रियता भी मिली थी।
राकेश की कॉमिक टाइमिंग को इस फिल्म में काफी ज़्यादा पसंद किया गया था। ये फिल्म उस दौर की एक बेहद बड़ी हिट फिल्म साबित हुई थी।
इस फिल्म में भी कॉलेज स्टूडेंट्स की कहानी दिखाई गई थी। ये फिल्म कितनी बड़ी हिट थी इसका अंदाज़ा आप ऐसे लगा सकते हैं कि साल 2013 में इस फिल्म का एक स्पेशल प्रीमियर रखा गया था।
चश्मेबद्दूर से जुड़ा है ये दिलचस्प किस्सा
राकेश बेदी की इस फिल्म से एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा भी जुड़ा है। इस फिल्म की डायरेक्टर संई परांजपे थी। संई अपने सख्त अंदाज़ के लिए मशहूर थी। फिल्म की शूटिंग दिल्ली में चल रही थी।
फिल्म में राकेश ने तलवार कट मूंछ रखी थी जिसे डंडी कट भी कहा जाता था। चश्मे बद्दूर की शूटिंग के दौरान ही राकेश बेदी एक और फिल्म की शूटिंग कर रहे थे जिसके लिए उन्हें हर हफ्ते दो दिनों के लिए फ्लाइट से बॉम्बे जाना पड़ता था।
इत्तेफाक से उस फिल्म में राकेश के किरदार की मूंछ नहीं थी। उस फिल्म के डायरेक्टर ने राकेश से वो तलवार कट मूंछ कटाने को कहा। राकेश ने मना किया लेकिन वो डायरेक्टर नहीं माना और उसने आखिरकार राकेश की मूंछ कटवा ही दी।
संई ने लगाई जमकर क्लास
उस फिल्म के शूट के बाद जब राकेश दिल्ली वापस लौटे तो उनके सामने चश्मे बद्दूर के अपने किरदार की मूंछ की समस्या खड़ी हो गई। तब राकेश ने काले पेन से एक तलवार कट मूंछ बना ली।
राकेश अपनी इसी नकली मूंछ के साथ फिल्म की शूटिंग करने पहुंच गए। लेकिन संई परांजपे की पैनी नज़र से राकेश की वो नकली मूंछे छिप नहीं पाई।
संई ने राकेश को पकड़ लिया और उनकी खूब क्लास लगाई। उसके बाद जब राकेश की मूंछ दोबारा उगी तो फिर से फिल्म की शूटिंग शुरू की गई।
तिरंगा का ये किरदार हुआ था बेहद हिट
राकेश बेदी के करियर की सबसे बड़ी फिल्मों में से एक थी साल 1992 में रिलीज़ हुई फिल्म तिरंगा। इस फिल्म में वो एक बार फिर से राजकुमार के साथ काम कर रहे थे।
फिल्म में राकेश बेदी का निभाया खबरी लाल का किरदार उनके फिल्मी करियर के सबसे यादगार किरदारों में से एक रहा।
फिल्म में वो एक मुखबिर बने हैं जो पुलिस के लिए काम करता है और जान पर खेलकर खतरनाक अपराधियों की जानकारी पुलिस को देता है।
पूरी फिल्म में राकेश के जितने भी सीन्स थे उन सभी में राकेश इस तरह से अपने डायलॉग्स बोल रहे थे मानो वो टीवी पर खबरें पढ़ रहे हों।
खबरी लाल जब अपराधियों द्वारा पहचान लिया जाता है और उसे मार दिया जाता है तो उस सीन पर हर दर्शक की आंखें नम हो जाती हैं।
राकेश बेदी की प्रमुख फिल्में
इनके करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो इन्होंने दीवाने हुए पागल, दीवानापन, गदर एक प्रेम कथा, इत्तेफाक, मेरी अदालत, हद कर दी आपने, दुल्हन हम ले जाएंगे, फूल और आग, बड़े मियां छोटे मियां, मिस्टर एंड मिसेज खिलाड़ी, यस बॉस, हीरो नंबर वन, दिल जले, विजेता, साजन चले ससुराल, बेवफा सनम, मिस्टर आज़ाद, बेताज बादशाह, ज़िद, हम हैं कमाल के, गर्दिश, चमत्कार व और भी कई सारी फिल्मों में काम किया। इन्होंने केवल हिंदी ही नहीं, पंजाबी, गुजराती और मराठी फिल्मों में भी काम किया।
इन मशहूर टीवी शोज़ में नज़र आए राकेश बेदी
राकेश बेदी सिर्फ फिल्मों तक ही सीमित नहीं थे। ये उन कुछ गिने-चुने कलाकारों में से एक हैं जिन्होंने छोटे पर्दे पर भी शानदार काम किया और उनके काम को लोगों ने खूब सराहा भी। अपने टीवी करियर में राकेश बेदी ने लगभग 16 टीवी शोज़ में काम किया।
इनके सबसे लोकप्रिय टीवी शोज़ रहे हैं ये जो है ज़िंदगी, ज़बान संभाल के, श्रीमान श्रीमति, ऑल द बेस्ट, जाने भी दो यारों, हम सब एक हैं, यस बॉस, एफआईआर, भाभी जी घर पर हैं और तारक मेहता का उल्टा चश्मा, भाभी जी घर पर हैं।
टीवी पर काम नहीं करना चाहते थे
अपना फिल्मी करियर शुरू करने के 5-6 सालों में ही राकेश बेदी फिल्म इंडस्ट्री का एक जाना-पहचाना चेहरा बन चुके थे। उन दिनों दूरदर्शन भी दर्शकों के दिलों में जगह बनाने की कोशिश कर रहा था।
दूरदर्शन पर कुछ अच्छे शोज़ भी चल रहे थे। लेकिन फिर भी बड़े पर्दे के कलाकार दूरदर्शन पर काम करना पसंद नहीं करते थे। ऐसा ही कुछ राकेश बेदी के साथ भी था।
राकेश बेदी को जब 'ये जो है ज़िंदगी' का ऑफर आया था तो वो कन्फ्यूज़ थे कि इस शो में काम करें या फिर नहीं। राकेश इस शो में काम करने के बारे में एक महीने तक सोचते ही रहे।
कई लोग थे जो उनसे कहते थे कि तुम फिल्मों के कलाकार हो। अगर टीवी पर काम करोगे तो फिल्मों में तुम्हारी मांग खत्म हो जाएगी। वहीं कुछ लोग उन्हें टीवी पर भी काम करने की सलाह दे रहे थे।
जब सड़क पर चलना हो गया मुश्किल
'ये जो है ज़िंदगी' में काम किया जाए कि नहीं, राकेश इसी उहापोह में फंसे हुए थे कि इसी दौरान इनके एक दोस्त ने इन्हें कुछ किताबें पढ़ने को दी। उन किताबों मे अमेरिका में टेलिविज़न की स्थिति के बारे में लिखा था।
अमेरिका में उन दिनों टेलिविजन बेहद लोकप्रिय हुआ करता था। उन दिनों का हर बड़ा हॉलीवुड स्टार छोटे पर्दे पर भी काम किया करता था।
इन सब बातों को जानकर राकेश बेदी को प्रेरणा मिली और आखिरकार उन्होंने 'ये जो है ज़िंदगी' में काम करने के लिए हां कह दी।
शूटिंग शुरू हुई और 'ये जो है ज़िंदगी' दूरदर्शन पर प्रसारित होना भी शुरू हो गया। एक महीने के भीतर ही राकेश बेदी की लोकप्रियता में इतना तेज़ इज़ाफा हुआ कि हर कोई इन्हें पहचानने लगा।
राकेश सड़क पर निकलते तो लोग इन्हें घेर लेते। इनसे ऑटोग्राफ मांगते। लोग इनके पीछे-पीछे चलने लगते थे।
आलम ये हो गया कि अपने पर्सनल कामों के लिए राकेश जब, घर से बाहर निकलते तो उन्हें अपना चेहरा किसी रुमाल या फिर कपड़े से छिपाना पड़ता था।
श्रीमान श्रीमति ने भी दिलाई खूब लोकप्रियता
एक और टीवी शो जिसमें राकेश बेदी के काम को बेहद पसंद किया गया था वो था श्रीमान श्रीमति। इस शो में राकेश बेदी दिलरुबा जी के किरदार में थे। ये शो अपने दौर का दूरदर्शन का बेहद लोकप्रिय शो था।
कम लोग ही इस बात से वाकिफ थे कि शो में इनका पूरा नाम था दिलरुबा जरनैल सिंह खुराना।
राकेश बेदी का किरदार इस शो में एक ऐसे इंसान का है जो थोड़े अलग ढंग से चलता है, बात करता है और एक्सप्रेशन्स देता है। इस शो में इनके अपोज़िट अर्चना पूरन सिंह थी।
ये शो 1994 से दूरदर्शन पर टेलिकास्ट होना शुरू हुआ था और सन 1999 तक लगातार चलता रहा था। इस शो में राकेश बेदी को बेहद पसंद किया गया था। राकेश बेदी की लोकप्रियता चरम पर पहुंच गई थी।
ऐसे बने थे दिलरुबा जी
एक इंटरव्यू में राकेश बेदी ने बताया था कि कैसे उन्होंने श्रीमान श्रीमति के दिलरुबा जी के रोल के लिए खुद को तैयार किया था। बकौल राकेश बेदी, इनकी पत्नी की एक सहेली की शादी थी।
ये भी पत्नी के साथ उस शादी में गए थे। उन्हीं दिनों ये अपने दिलरुबा जी वाले किरदार के लिए तैयारी कर रहे थे। लेकिन इन्हें समझ नहीं आ रहा था कि इस किरदार को कैसे डेवलप किया जाए।
उस शादी में अपनी पत्नी की सहेली के हसबैंड को जब इन्होंने देखा तो इन्हें लगा कि इस तरीके से अगर दिलरुबा जी के किरदार को पेश किया जाए तो ये काम कर सकता है।
घर वापस आकर इन्होंने कई दिनों तक उसी अंदाज़ में अपने किरदार पर मेहनत की।
और फिर जब श्रीमान श्रीमति टीवी पर टेलिकास्ट हुआ तो इनकी मेहनत काम कर गई। दिलरुबा जी के किरदार को बेहद पसंद किया गया।
बहुत बड़े थिएटर कलाकार हैं राकेश बेदी
राकेश बेदी शुरू से थिएटर करते आ रहे हैं। और उम्र के इस पड़ाव में भी राकेश बेदी थिएटर करते रहते हैं। आज के दौर में तो राकेश बेदी फिल्मों में कम और थिएटर में ज़्यादा सक्रिय हैं।
कहना चाहिए कि राकेश बेदी मौजूदा दौर के ऐसे भारतीय अभिनेता हैं जो पिछले 35-40 साल से थिएटर कर रहे हैं। राकेश बेदी ने खुद भी कुछ नाटक लिखे हैं।
राकेश बेदी का लिखा नाटर मेरा वो मतलब नहीं था बेहद मशहूर है। इस नाटक को देश-विदेश में अब तक 800 से भी ज़्यादा बार परफॉर्म किया जा चुका है।
इस नाटक में अनुपम खेर, राकेश बेदी और नीना गु्प्ता ने काम किया है। खुद राकेश बेदी ने ही इस नाटक का डायरेक्शन भी किया है।
राकेश बेदी के लिखे दूसरे नाटक हैं बीवी ओ बीवी और शिमला कॉफी हाउस। इसके अलावा राकेश बेदी को पढ़ने का भी बेहद शौक है। राकेश बेदी अपने खाली समय में हमेशा कोई ना कोई किताब या फिर नॉवेल पढ़ते रहते हैं।
ऐसी है इनकी निजी ज़िंदगी
राकेश बेदी की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इनकी पत्नी का नाम अराधना बेदी है। अराधना बेदी पुणे की रहने वाली हैं और एफटीआई के दिनों में ही राकेश और उनके बीच में रिलेशन की शुरूआत हो चुकी थी।
हालांकि अराधना बेदी खुद कोई अभिनेत्री नहीं हैं। राकेश और अराधना बेदी की दो बेटियां हैं। इनकी बड़ी बेटी का नाम है रिधिमा बेदी जो सेलिब्रिटी मैनेजमैंट देखती हैं।
वहीं इनकी छोटी बेटी रितिका बेदी इनकी ही तरह एक्ट्रेस हैं और कई शॉर्ट फिल्मों में काम कर चुकी हैं।
शॉर्ट फिल्मों के अलावा रितिका बेदी नाटकों में भी काम करती हैं। वो अपने पिता राकेश बेदी के साथ भी कई नाटकों में नज़र आ चुकी हैं।
Rakesh Bedi को Meerut Manthan का सलाम
राकेश बेदी की उम्र अब 66 साल से भी ज़्यादा हो चुकी है। इस उम्र में भी राकेश बेदी थिएटर और फिल्मों में एक्टिव हैं। साथ ही राकेश बेदी अब भी कई टीवी सीरियल्स में काम कर रहे हैं।
राकेश बेदी कहते हैं कि जब तक हो सकेगा वो एक्टिंग करते रहेंगे। क्योंकि एक्टिंग उनके लिए कोई काम नहीं बल्कि उनका शौक है। एक ऐसा शौक जिसे वो दिल से पसंद करते हैं।
Meerut Manthan की ईश्वर से प्रार्थना है कि Rakesh Bedi की सेहत हमेशा बढ़िया रहे और वो ऐसे ही अपने हुनर से सिने प्रेमियों का मनोरंजन करते रहें। जय हिंद।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें