Brijendra Kala | Bollywood के एक शानदार चरित्र अभिनेता की जानदार कहानी | Biography

Brijendra Kala. बॉलीवुड के आज के दौर के चरित्र अभिनेताओं में सबसे आगे की कतार में इनका नाम शुमार किया जाता है। फिल्मों में इनके रोल भले ही छोटे-छोटे हों, लेकिन होते बड़े ही दमदार और यादगार हैं। 21वीं सदी के एक आम भारतीय के चरित्र को बिजेंद्र काला जिस खूबसूरती के साथ पर्दे पर पेश करते हैं वैसा बहुत ही कम लोग कर पाते हैं।

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Brijendra Kala Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan पर आज Bollywood Actor Brijendra Kala की कहानी कही जाएगी। Brijendra Kala का मुंबई तक सफर कैसा रहा? वो कौन सा शहर था जहां रहकर इन्होंने अभिनय का ककहरा सीखा? इनके बारे में ये सब और कई दूसरी दिलचस्प बातें आज हम और आप जानेंगे।

Brijendra Kala का शुरुआती जीवन

ब्रिजेंद्र काला मूलरूप से उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल के एक गांव के रहने वाले हैं। इनके पुरखे गढ़वाल के सुमाली गांव से थे। हालांकि इनका जन्म अपने ननिहाल यानि नौटियाल गांव में हुआ था। चूंकि इनके पिता की नौकरी मथुरा के वेटनरी हॉस्पिटल में लग गई थी तो पिता के साथ ये बचपन में ही मथुरा आ गए थे। इनकी पढ़ाई मथुरा से ही हुई है। ब्रिजेंद्र तीन बहनों के अकेले भाई हैं। 

बचपन में इन्हें गाने का बड़ा शौक था। अपने स्कूल में ये प्रार्थना में गाते थे। एनुअल डे फंक्शन में गाते थे। और इनके पसंदीदा गायक थे रफी साहब व किशोर दा। इन्हीं दो दिग्गजों के गीत ये स्कूल में या किसी भी फंक्शन में गुनगुनाते थे। गाने का इनका यही शौक इन्हें ले आया आकाशवाणी मथुरा में। आकाशवाणी में इन्होंने कई प्रोग्राम्स में अपनी आवाज़ दी। रेडियो नाटकों में भी हिस्सा लिया। और यहीं से इनके मन में स्टेज पर नाटक करने की ख्वाहिश जन्म लेने लगी। 

आकाशवाणी मथुरा में ही इनकी एक सीनियर ने इन्हें सलाह दी कि तुम अचला नागर से संपर्क करो। अचला नागर का खुद का एक थिएटर ग्रुप है जिसके साथ वो स्टेज शोज़ भी करती हैं। ब्रिजेंद्र जी ने अचला नागर जी से बात की और अचला नागर जी ने इन्हें अपने थिएटर ग्रुप स्वास्तिका से जोड़ लिया। 

इस ग्रुप से जुड़कर ब्रिजेंद्र जी ने थिएटर की बारीकियां सीखनी शुरू की और थिएटर करना भी स्टार्ट कर दिया। हालांकि पहली दफा इन्होंने नाटक किया था उस वक्त जब बारहवीं की पढ़ाई कर रहे थे। उस दिन इनके स्कूल का एनुअल डे फंक्शन था। जबकी तीन-चार दिन बाद ही इनके बोर्ड के एग्ज़ाम भी शुरू होने वाले थे। इन्होंने अपने पिता से बढ़ी मुश्किल से स्कूल में नाटक करने की परमिशन ली थी। 

यूं खुला फिल्मी दुनिया का रास्ता

मथुरा में रहकर ब्रिजेंद्र काला जी ने काफी थिएटर किया। ये कई सालों तक थिएटर करते रहे। इस दौरान ये दिल्ली भी थिएटर करने आते रहते थे। इनकी थिएटर जर्नी के दौरान एक बहुत बढ़िया बात जो इनके साथ हुई वो ये कि इन्हें नाटकों में अच्छे और मजबूत किरदार मिलते रहे। हालांकि इन्होंने कभी भी ये नहीं सोचा था कि ये एक दिन फिल्मों में काम करेंगे। ये तो अपने आप को इस काबिल मानते भी नहीं थे कि ये फिल्मों में काम कर सकते हैं। 

लेकिन चूंकी नसीब ये फैसला कर चुका था कि ब्रिजेंद्र काला को फिल्मों में एक्टिंग करनी है। तो वो एक बहाने से इन्हें मुंबई खींच लाया। हुआ कुछ यूं कि अचला नागर जी जिन्हें ब्रिजेंद्र काला जी अचला मां भी कहते हैं, उनके बड़े बेटे संदीपन मुंबई में एक फिल्म बना रहे थे। संदीपन ब्रिजेंद्र काला को बहुत अच्छी तरह से जानते थे और इनके साथ थिएटर में काफी काम कर चुके थे तो उन्होंने अपनी फिल्म बनाने में मदद के लिए इन्हें मुंबई बुला लिया। 

उस फिल्म का नाम था सुबह होने तक और ब्रिजेंद्र जी उसमें एक्टिंग भी कर रहे थे। साथ ही वो संदीपन की हर डिपार्टमेंट में मदद भी कर रहे थे। इसी बीच थिएटर के सिलसिले में इन्हें एक दफा फिर से मथुरा वापस लौटना पड़ा। और जब ये वापस गए तो इनके पिता ने इनकी शादी करा दी। शादी के बाद जब ये वापस मुंबई लौटे तो इस दफा इनके कंधों पर बहुत सारी ज़िम्मेदारियां थी। 

इन्होंने मुंबई आने के बाद थिएटर में काम करना शुरू किया। लेकिन बहुत जल्द ही इन्हें अहसास हो गया कि केवल थिएटर के सहारे ये अपना परिवार नहीं पाल सकते। इन्होंने रुख किया टीवी का। हालांकि टीवी पर ये काम नहीं करना चाहते थे। लेकिन घर चलाने की ज़िम्मेदारियां जब इनके कांधों पर आ गई तो इन्होंने मजबूरन टीवी पर भी काम किया।

इस फिल्म ने बदल दी तकदीर

छोटे पर्दे पर ब्रिजेंद्र काला जी ने एक्टिंग तो की ही, साथ ही उन्होंने लेखन का काम भी किया। इन्होंने टीवी के कुछ बड़े शोज़ के लिए स्क्रिप्ट और डायलॉग राइटिंग का काम किया। और फिर साल 2003 में आई फिल्म हासिल से ब्रिजेंद्र काला जी का फिल्मी सफर भी शुरू हो गया। हासिल में इनका रोल छोटा था। लेकिन लोगों ने उस छोटे से रोल में इनके काम को काफी पसंद किया। 

हासिल के बाद ब्रिजेंद्र जी ने रघू रोमियो, शब्द व बंटी और बबली जैसी बड़ी फिल्मों में भी काम किया। लेकिन वास्तव में इनकी लाइफ चेंजिंग फिल्म बनी साल 2007 में आई जब वी मैट। यूं तो इस फिल्म में भी इनका रोल बहुत छोटा सा था। लेकिन था बड़ा ही मज़ेदार। लोगों ने ब्रिजेंद्र काला जी की एक्टिंग को जमकर सराहा। और इस फिल्म के बाद तो ब्रिजेंद्र काला जी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 

ब्रिजेंद्र काला की प्रमुख फिल्में

ब्रिजेंद्र काला जी ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया। फंस गए रे ओबामा, चलो दिल्ली, अग्निपथ, पान सिंह तोमर, जॉली एलएलबी, भूतनाथ रिटर्न्स, पीके, एम.एस.धोनी द अनटोल्ड स्टोरी, जॉली एलएलबी 2, और शुभ मंगल सावधान। ये कुछ वो फिल्में हैं जिनमें ब्रिजेंद्र काला जी की एक्टिंग को फैंस ने बहुत पसंद किया। ब्रिजेंद्र जी ने लाइफ सही है और ये काली काली आंखें नाम की दो वेब सीरीज़ में भी काम किया है। 

आज ब्रिजेंद्र काला जी फिल्म इंडस्ट्री का एक जाना-पहचाना नाम हैं। ये कहने में कोई गुरेज़ नहीं होनी चाहिए कि अपनी मेहनत के दम पर ब्रिजेंद्र काला जी ने अपना वो मुकाम फिल्म इंडस्ट्री में बनाया है कि आज ये अपनी शर्तों पर फिल्मों में काम करते हैं। Meerut Manthan Actor Brijendra Kala के बेहतर भविष्य की कामना करता है। और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि ब्रिजेंद्र काला जी नित नई सफलताएं हासिल करते रहें। जय हिंद।

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