Manik Irani | 80s का Dangerous Bollywood Villain जिसका अंत बहुत भयानक हुआ | Biography
Manik Irani. जी हां, यही नाम था इनका। लेकिन इनके असली नाम से इतर, लोग इन्हें बिल्ला के नाम से ज्यादा जानते थे। भले ही अपने बचपन में आपने इन्हें फिल्मों में खूब नोटिस किया हो, लेकिन अब इन्हें आप भी भूल चुके होंगे।
सत्तर और अस्सी के दशक में फिल्मों में इन्होंने बैड बॉय के किरदारों को खूब जिया। उस दौर के हर बड़े सुपरस्टार के साथ काम किया। लेकिन आज ना तो इन्हें कोई स्टार याद करता है, ना कोई फैन याद करता है। और ना ही फिल्मी दुनिया से जुड़ा कोई और इंसान याद करता है।
![]() |
Bollywood Villain Manik Irani Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan की आज की पेशकश सत्तर और अस्सी के दशक के उस बॉलीवुड विलेन को समर्पित है जिसकी धांसू पर्सनैलिटी से फिल्म के हीरो को भी जैलेसी होने लगती थी। जिनका असली नाम Manik Irani था, लेकिन ये Billa के नाम से मशहूर थे।
ये भी पढ़ें: Lalita Pawar | Hindi Cinema की वो खतरनाक सास जिसका अंत बड़ा ही दुखद हुआ था | Biography
Manik Irani का शुरुआती जीवन
23 अक्टूबर सन 1953 को मुंबई में रहने वाले एक मिडिल क्लास पारसी परिवार में Manik Irani का जन्म हुआ था। छोटी उम्र से ही माणिक ईरानी को कुश्ती बहुत पसंद थी। इसिलिए एक्शन फिल्में भी उन्हें खूब पसंद आती थी।
चूंकि पढ़ाई-लिखाई में इनका मन ज़रा भी नहीं लगता था तो ये छोटी उम्र में ही मुंबई की स्ट्रीट बॉक्सिंग में हिस्सा लेने लगे। जल्द ही स्ट्रीट बॉक्सिंग में इनका खूब चर्चा भी हो गया। उस ज़माने में माणिक ईरानी का सपना हुआ करता था कि उन्हें फिल्मों में स्टंटमैन बनना है।
एक दिन माणिक का एक बॉक्सिंग मैच देखने आए शेट्टी। ये वही शेट्टी हैं जिन्हें आपने पुराने दौर की ढेरों फिल्मों में देखा होगा। आज के ज़माने में एक्शन फिल्मों के नामी डायरेक्टर रोहित शेट्टी इन्हीं शेट्टी साहब के सुपुत्र हैं।
शेट्टी साहब को माणिक ईरानी का बॉक्सिंग लड़ने का अंदाज़ बहुत पसंद आया। चूंकि शेट्टी साहब उस वक्त की फिल्म इंडस्ट्री के बहुत नामी स्टंट डायरेक्टर हुआ करते थे, तो उन्होंने माणिक ईरानी को अपनी फाइटर्स की टीम से जुड़ने का ऑफर दिया।
शेट्टी साहब ने माणिक से कहा कि तुम मेरे साथ रहकर फिल्मों में फाइटर का काम करोगे। लेकिन ध्यान रखना। फिल्मों में फाइटिंग करना कई दफा काफी खतरनाक हो जाता है। इसलिए सोच-समझकर ही कोई फैसला लेना। अब माणिक ईरानी तो अपनी असल ज़िंदगी में भी खतरों के खिलाड़ी ही थे।
इसलिए बिना कोई देर किए उन्होंने शेट्टी साहब का वो ऑफर कबूल कर लिया। जल्द ही माणिक ईरानी ने शेट्टी साहब के साथ काम करना भी शुरू कर दिया। और चूंकि माणिक की पर्सनैलिटी बड़ी ज़बरदस्त थी। तो उन्हें फिल्मों में छोटे-छोटे रोल्स भी मिलने लगे।
Amitabh Bachchan के Stunts Manik Irani ही करते थे
70 के दशक में जब हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में एक्शन फिल्मों पर ज़्यादा फोकस किया जाने लगा, तो ये माणिक ईरानी जैसे कलाकारों के लिए एक बढ़िया बात साबित हुई।
चूंकि इस दौर में अमिताभ बच्चन नाम का एक नया सितारा बॉलीवुड को मिल चुका था, जो एंग्री यंग मैन के तौर पर मशहूर भी हो चुका था, तो एक्शन फिल्मों में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने लगी। लोगों की दिलचस्पी को देखते हुए फिल्म मेकर्स ने भी ज़्यादा से ज़्यादा एक्शन फिल्में बनानी शुरू कर दी।
और ज़्यादातर बड़ी एक्शन फिल्मों के हीरो अमिताभ बच्चन ही हुआ करते थे। ऐसे में माणिक ईरानी को भी फिल्म इंडस्ट्री में ज़्यादा महत्व मिलने लगा। माणिक कदकाठी में अमिताभ बच्चन जैसे ही थे। सो, माणिक को ही अमिताभ के बॉडी डबल की हैसियत से फिल्मों में लिया जाने लगा।
इस तरह, माणिक के पास काम की कोई कमी ना रही। कम ही लोग इस बात से वाकिफ होंगे कि अमिताभ बच्चन की सुपरहिट फिल्म डॉन में उनके बॉडी डबल बनकर सारे स्टंट्स माणिक ईरानी ने ही किए थे।
माणिक ने अमिताभ जैसे कपड़े पहने और हर एक्शन सीक्वेंस को बखूबी शूट किया। डॉन सुपरहिट रही थी। अमिताभ बच्चन इस फिल्म की रिलीज़ के बाद लोकप्रियता के चरम पर पहुंच गए थे। हर किसी ने अमिताभ की तारीफ की थी।
फिल्म क्रिटिक्स ने भी अमिताभ की शान में खूब कसीदे पढ़े। लेकिन किसी ने एक जगह भी माणिक की तारीफ में एक शब्द नहीं कहा। ना ही माणिक को किसी भी तरह का कोई क्रेडिट फिल्म में मिला।
बच्चन साहब के साथ माणिक ईरानी की प्रमुख फिल्में
बतौर एक्टर माणिक ईरानी की पहली फिल्म थी साल 1974 में रिलीज़ हुई पाप और पूण्य। इसके दो साल बाद, साल 1976 में ये नज़र आए फिल्म कालीचरण में। छोटे रोल के बावजूद इस फिल्म में माणिक के काम को बहुत पसंद किया गया था।
दो साल बाद यानि 1978 में इन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म त्रिशूल में भी काम किया। इसी साल ये एक बार फिर से शत्रुघ्न सिन्हा के साथ फिल्म विश्वनाथ में नज़र आए। इस फिल्म में भी इनका रोल काफी छोटा लेकिन प्रभावशाली था।
अगले साल यानि 1979 में ये नज़र आए अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म नटवरलाल में। और फिर अमिताभ के साथ अगले दोनों साल ये फिल्म शान और सिलसिला में नज़र आए। कहना चाहिए कि अपने करियर में इन्होंने सबसे अधिक फिल्में अमिताभ बच्चन के साथ ही की थी। अमिताभ के साथ इनकी प्रमुख फिल्में थी नास्तिक, मर्द, गिरफ्तार, अजूबा और तूफान।
अमिताभ के अलावा इन्होंने धर्मेंद्र, मिथुन, जितेंद्र, जैकी श्रॉफ, गोविंदा, संजय दत्त और कई दूसरे सिने स्टार्स के साथ भी ढेरों फिल्मों में काम किया था। हिंदी फिल्मों के अलावा माणिक ईरानी ने अफ्रीकाडल्ली नाम की एक कन्नड़ फिल्म में भी काम किया था।
इस फिल्म में ये अब्दुल नाम के पोचर बने थे जो अफ्रीका के जंगलों में अवैध रूप से जानवरों का शिकार करता है। माणिक ने त्रिनेत्रुदू नाम की एक तेलुगू फिल्म में भी काम किया है। यही फिल्म बाद में आज का शहंशाह नाम से हिंदी में डब करके रिलीज़ की गई थी।
वो फिल्म जिसमें शरीफ था माणिक ईरानी का किरदार
माणिक के बारे में एक खास बात ये है कि यूं तो माणिक ईरानी ने अपनी लगभग हर फिल्म में बुरे आदमी का किरदार निभाया था। लेकिन एक फिल्म ऐसी भी थी जिसमें ये कोई बुरा इंसान नहीं, बल्कि एक आम पुलिसवाले बने थे।
साल 1981 में रिलीज़ हुई मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म आमने-सामने में ये एक हवलदार बने थे जो मिथुन के हाथों मारा जाता है। इस बात को भी शायद ही कोई जानता होगा कि रामसे ब्रदर्स की सुपरहिट हॉरर फिल्म पुरानी हवेली में माणिक ईरानी ने एक हैवान का किरदार निभाया था।
और यकीनन उस किरदार में माणिक ईरानी को देखकर हर कोई हैरान और खौफज़दा हो गया था। इस रोल के बाद तो माणिक का खौफ बच्चों में इतना ज़्यादा हो गया था कि जब माणिक अपनी आम ज़िंदगी में किसी सड़क से गुज़रते थे तो बच्चे डर के मारे छिप जाया करते थे।
यूं मिला बिल्ला नाम
माणिक ने अपने फिल्मी करियर में लगभग सौ फिल्मों में का किया था। अक्सर फिल्मों में इनके रोल इतने छोटे होते थे कि ये एक साल में लगभग 10 फिल्मों में काम करते थे। इनकी सबसे प्रमुख फिल्म है हीरो जिसमें इन्होंने बिल्ला का किरदार निभाया था और दरअसल वही किरदार इनका सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला किरदार था।
इस किरदार के बाद ही ये बिल्ला के नाम से भारत में मशहूर हो गए थे। 1987 में रिलीज़ हुई सड़कछाप और 1991 में रिलीज़ हुई प्रतिकार में भी इनके किरदार का नाम बिल्ला था।
दरअसल, सुभाष घई माणिक के साथ कालीचरण में काम कर चुके थे और तभी से माणिक को पसंद करते थे। हीरो की कास्टिंग के दौरान बिल्ला के किरदार के लिए उन्हें माणिक से अच्छा कोई दूसरा कलाकार नहीं लगा।
प्रमुख फिल्में
माणिक ईरानी के करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो इन्होंने फरिश्ते, बाप नंबरी बेटा दस नंबरी हम से ना टकराना, ज़ख्म, इलाका, मर मिटेंगे, राम-अवतार, दादागीरी, मरते दम तक, इंसाफ, पाले खान, आग और शोला, जान की बाज़ी, करिश्मा कुदरत का, कसम पैदा करने वाले की, और मां कसम में काम किया था।
ये सभी वो फिल्में हैं जिनमें माणिक ने दमदार तरीके से निभाए गए अपने किरदारों से अपनी छाप छोड़ी थी। वैसे तो इनके करियर की आखिरी फिल्म 1992 में रिलीज़ हुई दीदार थी। जिसमें ये बाटली दादा बने थे।
लेकिन इनकी एक फिल्म साल 2000 में भी रिलीज़ हुई थी। उस फिल्म में ये जंगा दादा बने थे। ये इनकी एक पुरानी फिल्म थी जो काफी दिनों के बाद रिलीज़ हो पाई थी।
और हो गई भयानक अंत की शुरुआत
अपनी कड़ी मेहनत और लगन से माणिक ने फिल्म इंडस्ट्री में काफी तरक्की कर ली थी। छोटे-छोटे निगेटिव रोल्स करके ही माणिक ने अपना वो मुकाम फिल्म इंडस्ट्री में बना लिया था, कि हर बड़ी एक्शन फिल्मों में इनके एक या दो सीन्स होते ही थे।
माणिक ने पैसा भी खूब कमा लिया। पैसा पास आया तो बुरी आदतें भी आ गई। माणिक बहुत ज़्यादा शराब पीने लगे। इतनी ज़्यादा कि हर वक्त नशे में डूबे रहते। कई दफा माणिक शराब के नशे में ही जिम में एक्सरसाइज़ करने पहुंच जाते थे। और यही आदत माणिक को बहुत भारी पड़ गई। उनकी तबियत खराब रहने लगी।
तबियत खराब हुई तो शूटिंग्स पर जाना भी उनके लिए मुश्किल हो गया। धीरे-धीरे माणिक को काम मिलना बंद हो गया। काम की कमी हुई तो पैसा भी खत्म होने लगा। माणिक की मनोदशा और ज़्यादा खराब होने लगी। वो डिप्रेशन में आ गए। उन्होंने और ज़्यादा शराब पीना शुरू कर दिया।
हद से ज़्यादा शराब पीने की वजह से उनका लिवर दिन ब दिन खराब होता चला गया। कहा जाता है कि जब काम मिलना काफी कम हो गया तो एक दफा ये सुनील शेट्टी के पास काम मांगने गए थे।
लेकिन सुनील शेट्टी ने इन्हें काम देने की बजाय सलाह दी कि तुम फिल्मों में स्टंट डायरेक्टर का काम शुरू करो। सुनील शेट्टी की इस सलाह को माणिक ईरानी ने माना भी था। और कुछ बी ग्रेड फिल्मों में उन्होंने बतौर स्टंट डायरेक्टर काम भी किया था। लेकिन इससे उनका कुछ भला नहीं हुआ था।
बेटा भी अब नहीं रहा
ज़िंदगी के आखिरी दिनों में माणिक ईरानी को भयंकर पीलिया हो गया था। और लोग कहते हैं कि उन्होंने पीलिया में भी शराब पीना नहीं छोड़ा। और आखिरकार साल 1991 की 16 जून को महज़ 38 साल की उम्र में माणिक ईरानी की मौत हो गई।
एक वक्त पर फिल्मों का नामी चेहरा रहे माणिक ईरानी खामोशी से गुमनामी में ये दुनिया छोड़ गए। पीछे रह गए माणिक ईरानी की पत्नी और उनका बेटा शनूर ईरानी। माणिक का बेटा शनूर ईरानी भी एक्टर था। शनूर ने कुछ फिल्मों में काम किया था।
गोविंदा और रानी मुखर्जी की सुपरहिट फिल्म हद कर दी आपने में शनूर ने एक नीग्रो आदमी का कैरेक्टर प्ले किया था। लेकिन पता चला है कि शनूर ईरानी की भी कुछ वक्त पहले मौत हो गई। हालांकि ये जानकारी हमें नहीं मिल सकी कि शनूर ईरानी की मौत की वजह क्या थी।
माणिक ईरानी के एक भाई भी थे जिनका नाम यूसुफ ईरानी था। यूसुफ ईरानी भी इनकी ही तरह एक्टर थे। उन्होंने गंगा की सौगंध और कुर्बानी में काम किया था। हालांकि इसके बाद यूसुफ ईरानी की किसी भी फिल्म का कोई रिकॉर्ड नहीं है। ना ही उनकी कोई खबर हमारे पास है।
माणिक ईरानी जैसा ना हो कोई दूसरा
भले ही माणिक ईरानी कोई बड़े स्टार ना रहे हों। लेकिन अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने अपनी इतना मुकाम तो बना ही लिया थी कि किसी फिल्म में उन्हें देखकर लोग काफी उत्साहित हो जाते थे। और इस बात पर भी हमें गौर करना चाहिए कि माणिक ईरानी ने जिस तरह खुद का करियर और ज़िंदगी तबाह की, वैसे कभी कोई और ना करे।
ना कोई कलाकार और ना ही कोई आम इंसान। आज फिल्मी दुनिया में माणिक ईरानी को शायद ही कोई याद करता होगा। लेकिन Meerut Manthan Manik Irani को याद करता है। ससम्मान याद करता है। और ईश्वर से प्रार्थना करता है कि माणिक ईरानी को ईश्वर अपने सदचरणों में जगह दें। जय हिंद।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें