Ustad Rashid Khan | Indian Classical Music का Future कहलाए जाने वाले उस्ताद राशिद खान की कहानी | Biography

Ustad Rashid Khan. हिंदुस्तानी क्लासिकल संगीत का वो नाम जो हमेशा गर्व से लिया जाता रहा है। और हमेशा लिया जाएगा। उस्ताद राशिद खान अब हमारे बीच नहीं रहे। प्

रोस्टेट कैंसर की वजह से उस्ताद राशिद खान की मृत्यु हो गई। लेकिन उनकी विरासत हमेशा रहेगी। जो उनकी कहानी हमेशा कहती रहेगी। 

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Ustad Rashid Khan Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज पाठकों को Legendary Indian Classical Singer Ustad Rashid Khan की कहानी सुनाएगा। Ustad Rashid Khan के संगीत सफर और उनकी ज़िंदगी की ये कहानी मेरठ मंथन की तरफ से उन्हें एक श्रद्धांजलि होगी।

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Ustad Rashid Khan का शुरुआती जीवन

उस्ताद राशिद खान का जन्म हुआ था 1 जुलाई 1968 को उत्तर प्रदेश के बदायूं के पास मौजूद सहसवान कस्बे में। इनके पड़नाना उस्ताद इनायत हुसैन खान ने ही रामपुर-सहसवान संगीत घराने की स्थापना की थी। यानि संगीतमय माहौल इन्हें बचपन में ही मिल गया था। 

इनके पिता का नाम हामिज़ रज़ा खान था। उनका संगीत से कोई जुड़ाव था कि नहीं, ये जानकारी तो हमें नहीं मिल सकी। लेकिन इनके मामा उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान ज़रूर रामपुर-सहसवान घराने का बड़ा नाम थे। 

मुंबई में नहीं लगा दिल

जब ये छोटे ही थे तब उस्ताद गुलाम मुस्तफा खान ने इन्हें सहसवान से अपने पास मुंबई बुला लिया था। उन्होंने ही सबसे पहले उस्ताद राशिद खान को संगीत की शुरुआती तालीम दी थी। 

साथ ही साथ उन्होंने मुंबई के एक अंग्रेजी मीडियम स्कूल में इनका दाखिला करा दिया था। लेकिन मुंबई में इनका दिल लगा नहीं। 

इसलिए जब एक दफा छुट्टी के मौके पर ये अपने घर पहुंचे तो इन्होंने अपने पिता हामिज़ रज़ा खान साहब से कहा कि ये मुंबई नहीं जाना चाहते हैं। तब इनके पिता ने संगीत की इनकी तालीम जारी रखने के लिए इन्हें उस्ताद निसार हुसैन खान के पास भेजा। 

उस्ताद निसार हुसैन खान भी इनके रिश्तेदार ही थे। उस्ताद निसार हुसैन खान ने राशिद खान जी को कड़ा अभ्यास शुरू करा दिया। सुबह चार बजे से ही उस्ताद निसार हुसैन खान की रहनुमाई में ये स्वर साधना शुरू कर देते थे। 

ITC Sangeet Research Academy के छात्र थे उस्ताद राशिद खान

यूं तो छोटी उम्र में राशिद खान साहब को इतनी सख्त ट्रेनिंग पसंद नहीं आती थी। लेकिन धीरे-धीरे ये संगीत में निपुण होने लगे। इसी दौरान उस्ताद निसार हुसैन खान कोलकाता स्थित ITC Sangeet Research Academy से जुड़ गए। वो राशिद खान को भी अपने साथ कोलकाता ले गए। 

वहीं पर पहली दफा महज़ 11 साल की उम्र में उस्ताद राशिद खान ने देश के नामी दिग्गजों के सामने पहली दफा लाइव कॉन्सर्ट किया था। नन्हे राशिद खान की गायकी हर किसी को पसंद आई। कुछ सालों बाद इन्हें भी संगीत रिसर्च एकेडेमी में दाखिला मिल गया। 

पंडित भीमसेन जोशी जी से जुड़ा वो किस्सा

युवावस्था तक आते-आते राशिद खान साहब शास्त्रीय गायन में निपुण हो चुके थे। वो भी देश-विदेश में लाइव शोज़ करने लगे थे। ऐसे ही एक शो में एक दिन इन्हें सुना भारत रत्न पंडित भीमसेन जोशी जी ने। पंडित भीमसेन जोशी जी को राशिद खान साहब की गायकी बहुत पसंद आई। 

उस वक्त पंडित भीमसेन जोशी जी ने कहा था कि ये लड़का भारतीय शास्त्रीय संगीत का भविष्य है। पंडित भीमसेन जोशी इनके इतने मुरीद हुए कि उन्होंने आगे भी राशिद खान साहब से मिलना जारी रखा। फिर पंडित भीमसेन जोशी जी के एक कॉन्सर्ट में कुछ ऐसा हुआ जिससे राशिद खान साहब का दिल बहुत बुरी तरह टूट गया। 

हुआ कुछ यूं कि जब उस कॉन्सर्ट में पंडित भीमसेन जोशी गा रहे थे तो उस्ताद राशिद खान साहब ने कोशिश की, कि ये स्टेज पर पंडित जी के पास बैठकर उन्हें सुनें। जैसे ही ये स्टेज पर चढ़े, कॉन्सर्ट के ऑर्गनाइज़र ने इन्हें रोक दिया। इन्होंने उससे गुज़ारिश की, कि मुझे पंडित जी के पीछे बैठने दीजिए। मैं उन्हें करीब से सुनना चाहता हूं। 

लेकिन उस ऑर्गनाइज़र ने इनके साथ दुर्व्यवहार करते हुए इन्हें स्टेज से नीचे उतार दिया। उस्ताद राशिद खान को उस दिन उस ऑर्गेनाइज़र पर बड़ा गुस्सा आया। इन्होंने कसम खाई कि मैं भी अपना इतना नाम बनाऊंगा कि एक दिन तुम मेरे पास आओगे। और मैं भी तुम्हें साफ मना कर दूंगा। बाद में ये सारा घटनाक्रम जब पंडित भीमसेन जोशी जी को पता चला तो वो भी उस ऑर्गेनाइज़र पर बहुत गुस्सा हुए। 

खैर, वक्त गुज़रा और उस्ताद राशिद खान संगीत जगत का बड़ा नाम बन गए। और एक दिन वही ऑर्गनाइज़र इनके पास एक कॉन्सर्ट के लिए समय मांगने आया। उस वक्त उस्ताद राशिद खान ने उस ऑर्गनाइज़र के साथ कोई दुर्व्यवहार तो नहीं किया। लेकिन इन्होंने उस ऑर्गेनाइज़र को कई चक्कर कटाए। तब जाकर इन्होंने उसके कॉन्सर्ट में गाया था।

यूं शुरु हुई फिल्मों में गायकी

बात अगर फिल्मों की करें तो उस्ताद राशिद खान कभी भी फिल्मों के लिए नहीं गाना चाहते थे। लेकिन सुभाष घई की स्पेशल रिक्वेस्ट पर इन्होंने साल 2004 में आई उनकी फिल्म किसना में दो गीत गाए थे। और उन गीतों को कंपोज़ किया था म्यूज़िक डायरेक्टर इस्माइल दरबार ने। 

किसना के वो दो गीत गाने के बाद उस्ताद राशिद खान ने सोचा था कि अब शायद ही कोई उनसे फिल्मी गीत गाने को कहेगा। मगर दो साल बाद संगीतकार संदेश शांडिल्य इनके पास पहुंचे और उन्होंने इनसे जब वी मैट फिल्म का एक गीत गाने को कहा। शुरू में तो इन्होंने साफ इन्कार कर दिया था। 

लेकिन बाद में जब इनकी पत्नी और बेटियों ने इनसे कहा कि आपको ये गीत ज़रूर गाना चाहिए तो ये राज़ी हो गए। और इस तरह इन्होंने शाहिद कपूर और करीना कपूर की फिल्म जब वी मैट का गीत आओगे जब तुम साजना, अंगना फूल खिलेंगे गाया। वो गाना बहुत ज़्यादा पसंद किया गया था। 

और इस गीत के सुपरहिट होने के बाद तो उस्ताद राशिद खान ने फिल्मों के लिए भी खूब गाया। मॉर्निंग वॉक, माय नेम इज़ खान, मौसम, चक्रव्यूह, राज़ 3, इशक, हेट स्टोरी 2, वोदका डायरीज़ और मंटो। ये कुछ वो हिंदी फिल्में हैं जिनमें उस्ताद राशिद खान साहब ने गीत गाए थे। इनके अलावा कुछेक बंगाली फिल्मों में भी इन्होंने गायन किया था। आखिरी दफा इन्होंने साल 2023 में आई गोल्डफिश नाम की फिल्म में एक गीत गाया था। जिसके बोल थे चंदा से छुप के मोहे बुलाए।

Ustad Rashid Khan को Meerut Manthan सलाम

उस्ताद राशिद खान साहब की निजी ज़िंदगी की बात करें तो इन्होंने सोमा खान जी से शादी की थी। इनकी दो बेटियां सुहा खान, शाओना खान और बेटा अरमान खान हैं। 

और इनके तीनों बच्चे भी संगीत में बहुत दिलचस्पी रखते हैं। इससे ज़्यादा जानकारी इनके परिवार के बारे में हमें नहीं मिल सकी है। मेरठ मंथन भारी मन से उस्ताद राशिद खान को आखिरी सलाम करता है। 

भारतीय शास्त्रीय संगीत की जो सेवा उस्ताद राशिद खान साहब ने की, उसके लिए Meerut Manthan Ustad Rashid Khan को Salute करता है। जय हिंद।

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