Shatrughan Sinha and Dharmendra की दोस्ती की कहानी शत्रू जी की ज़ुबानी
Shatrughan Sinha and Dharmendra की दोस्ती से सभी वाकिफ हैं। शत्रु जी उन चंद लोगों में से एक हैं जिन्हें धर्मेंद्र फिल्म इंडस्ट्री के सबसे खास दोस्तों में शुमार करते हैं।
साल 1969 में आई फिल्म प्यार ही प्यार में शत्रु जी ने पहली दफा धर्मेंद्र जी के साथ काम किया था। उसके बाद से अब तक धर्मेंद्र और शत्रुघ्न सिन्हा जाने कितनी ही फिल्मों में साथ नज़र आ चुके है।
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Shatrughan Sinha and Dharmendra - Photo: Social Media |
जब प्यार ही प्यार फिल्म फिल्म बन रही थी तब धर्मेंद्र फिल्म इंडस्ट्री के बहुत बड़े स्टार थे। और शत्रुघ्न सिन्हा एक न्यूकमर थे।
और इस फिल्म की शूटिंग के दौरान धर्मेंद्र साहब ने कुछ ऐसा किया था कि शत्रुघ्न सिन्हा उनके कायल हो गए थे। और तभी से वो धर्मेंद्र जी की बहुत इज्ज़त करते हैं।
Shatrughan Sinha and Dharmendra का रिश्ता कैसा है, इसके बारे में खुद शत्रु जी ने ही एक इंटरव्यू में बताया था। और ये इंटरव्यू उन्होंने धर्मेंद्र जी की Biography लिखने वाले लेखक Rajiv Vijaykar को दिया था। और शत्रु जी के इसी इंटरव्यू को हमने अपने शब्दों में कहने का प्रयास किया है। उम्मीद करते हैं कि आपको किस्सा टीवी की ये पेशकश पसंद आएगी।
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धरम-शत्रू की पहली मुलाकात
उस इंटरव्यू को शुरू करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा कहते हैं,"प्यार ही प्यार में एक छोटा सा सीन था जिसकी शूटिंग के दौरान मेरी और धरम जी की पहली दफा मुलाकात हुई थी।
प्राण वैयजयंतीमाला को ब्लैकमेल करते हैं। और मैं प्राण को ब्लैकमेल करता हूं। उस सीन में मुझे रस्सियों से बांधकर मेरा मुंह भी कपड़े से बांध दिया जाता है।
वो शॉट जब कंप्लीट हुआ तो फिल्म यूनिट के लोग मेरे हाथ-पैर खोलना भूल गए। उस वक्त धर्मेंद्र जी की नज़र मुझ पर पड़ी।
उन्होंने क्यू मेंबर्स से पूछा कि इस बच्चे को क्यों ऐसे ही बंधा हुआ छोड़ दिया है। कौन था मैं तब? वो एक बहुत बड़े स्टार थे। और मैं पता नहीं कहां से आया था।
उस पूरी फिल्म में मेरा कुछ ही मिनटों का रोल था। तब शायद धरम जी ने भी नहीं सोचा होगा कि मैं भी बड़ा स्टार बनूंगा। मगर उस दिन धरम जी ने मुझ जैसे एक नए और मामूली से लड़के को भी नोटिस किया, ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी।"
"वैसे ये धरम जी से मेरी पहली मुलाकात नहीं थी। एक दफा वो देवेन वर्मा जी के साथ पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट में हम स्टूडेंट्स से मिलने आए थे।
वो देखने में बहुत शानदार लग रहे थे। और मुझे उनके बाल बहुत अच्छे लग रहे थे। जब मुझे उनसे बात करने का मौका मिला तो मैंने उनसे बच्चों जैसा सवाल पूछा। मैंने पूछा कि आप बालों में कौन सा तेल लगाते हैं?उन्होंने जवाब दिया कि मैं बालों में तेल नहीं लगाता हूं।
उस वक्त हम ये सुनते थे कि सभी फिल्मस्टार्स संडे को घोड़ों की रेस देखने जाते हैं। मैंने धरम जी से अगला सवाल यही पूछा कि आप संडे को रेस कोर्स जाते हैं?
उस वक्त मुझे लगा कि मैं कैसे बेवकूफी भरे सवाल पूछ रहा हूं। लेकिन मैं उनकी पर्सनैलिटी का फैन भी हो गया था। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं एक दिन बहुत मशहूर हो जाऊंगा और मुझे धर्मेंद्र के साथ इतनी सारी फिल्मों में काम करने का मौका मिलेगा।
मैं विनोद खन्ना जी, कबीर बेदी और धरम जी का बहुत बड़ा फैन हूं। इन सभी ने हमेशा मेरी आवाज़ की तारीफ की है। और मैं इन तीनों से बड़ा इंस्पायर था। खासतौर पर धरम जी की पर्सनैलिटी से।
धरम जी इतनी सादगी से रहते हैं कि उस वक्त तो कभी कभी मैं खुद ही खुद को चूटी काटकर देखता था कि कहीं मैं ख्वाब तो नहीं देख रहा हूं कि मैं धरम जी के साथ बैठा हूं।"
ये तजुर्बा भी साझा किया
"ब्लैकमेल फिल्म की शूटिंग के वक्त धर्मेंद्र अक्सर मुझे भी अपने साथ ही अलीबाग ले जाते थे। मैं उस फिल्म में विलेन था। इस दौरान हम बहुत बातें करते थे। लगभग हर टॉपिक पर हमारी बातें होती थी।
कभी जब हमें वहीं रुकना पड़ जाता था तो हम दोनों साथ में ही इवनिंग वॉक पर जाते थे। वो हमेशा मुझे अपने छोटे भाई की तरह मानते थे। कुछ लोगों ने हम लोगों के बीच में दूरियां पैदा करने की कोशिशें भी की थी।
लेकिन धर्मेंद्र जी ने कभी उन लोगों की बातों पर ध्यान नहीं दिया। हमारी फिल्म दोस्त जब सुपरहिट हो गई तो कुछ लोगों ने धर्मेंद्र जी से कहा कि फिल्म की सक्सेस का सारा क्रेडिट तो शत्रुघ्न सिन्हा ले गया।
तब उन्होंने कहा था कि कोई बात नहीं। वो मेरे छोटे भाई जैसा ही है। उन्होने हमेशा मुझे भाई की तरह प्यार दिया। मुझे सराहा। पर मेरे लिए तो वो हमेशा सबसे बड़े स्टार रहे हैं।"
जब आई रिश्ते में कड़वाहट
"धर्मेंद्र कभी भी स्क्रिप्ट में इंटरफेयर नहीं करते। मैं उनसे काफी जूनियर हूं। लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था जब मैं उनके जितनी ही फीस लेता था। और धर्मेंद्र को भी ये पता था। लेकिन उन्हें कभी इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ा।
मैं उनके साथ खूब मस्ती-मज़ाक करता था। उनके साथ प्रैंक्स करता था। और उन्हें भी मेरा ये सब करना अच्छा लगता था। वो मेरे सैंस ऑफ ह्यूमर को बहुत पसंद करते थे।
धर्मेंद्र जी और मेरे रिश्तों में थोड़ी बहुत कड़वाहट तब आई थी जब एक दफा मेरी तबियत बहुत खराब हो गई थी। पूरी फिल्म इंडस्ट्री मुझे देखने आई थी। लेकिन धर्मेंद्र नहीं आए।
उस वक्त कुछ लोगों ने मुझे उनके खिलाफ भड़काने की कोशिश की थी। मुझे भी थोड़ा बुरा लगा था। मगर बाद में मुझे पता चला कि धर्मेंद्र किसी पर्सनल ईश्यू की वजह से काफी अपसेट थे और कनाडा चले गए थे।
मैंने और धरम जी ने कई सारी फिल्मों में साथ काम किया है। दुर्भाग्यवश, दोस्त के बाद हमारी बहुत ज़्यादा फिल्में सक्सेफुल नहीं हुई।
हालांकि 1987 में आई हमारी तीन फिल्में, लोहा, आग ही आग और इंसानियत के दुश्मन बढ़िया चली थी। कुल मिलाकर धर्मेंद्र एक शानदार इंसान हैं। बहुत प्यारे इंसान हैं। और बहुत ज़िंदादिल शख्सियत के मालिक हैं।"
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