Dhumal | गुज़रे ज़माने के एक शानदार Bollywood Comedian की जानदार कहानी | Biography
दिन में भीख मांगकर गुज़ारा करना। और शाम के वक्त चाय पकौड़ा बेचना। महज़ 10 साल की उम्र में Dhumal जी ने वो झेला था जो कोई झेलना नहीं चाहेगा। लेकिन धूमल जी ने वो सब झेला भी और जिया भी।
29 मार्च 1914 को बड़ौदा में धूमल जी का जन्म हुआ था। इनका पूरा नाम था अनंत बलवंत धूमल। ये दस साल के हुए ही थे जब इनके पिता जो एक वकील थे, उनकी मृत्यु हो गई थी।
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Actor Dhumal Biography - Photo: Social Media |
मां और एक छोटे भाई की मदद के लिए Dhumal को सड़कों पर आना पड़ा। थोड़े बड़े हुए तो Dhumal को एक ड्रामा कंपनी के ऑफिस में में साफ-सफाई करने की नौकरी मिल गई। और वही नौकरी इनके लिए तकदीर बदलने वाली साबित हुई। धूमल जी वहां नाटकों और नाटक करने वाले कलाकारों को बड़े ध्यान से देखते थे।
यूं शुरु किया Dhumal ने थिएटर में अभिनय
एक दिन एक नाटक हो रहा था। उसमें एक छोटा सा रोल भी था जिसे निभाने वाला कलाकार बुखार होने की वजह से पहुंच नहीं सका। तब धूमल जी से कहा गया कि तुम वो दो लाइनें स्टेज पर बोल देना।
इन्होंने भी बिना झिझके, किसी अभ्यस्त कलाकार की तरह उन लाइनों को बोल दिया। बस, शुरू हो गया थिएटर का इनका सफर। शुरुआत में छोटे-छोटे किरदार निभाने के बाद आखिरकार इन्हें बढ़िया और मजबूत रोल भी मिलने लगे।
और अधिकतर वो सब विलेनियस किरदार ही हुआ करते थे। थिएटर में नाम हुआ तो फिल्मी दुनिया ने भी अपने दरवाज़े खोल दिए। शुरुआत में इन्होंने कुछ मराठी फिल्मों में काम किया था।
साल 1952 में आई मराठी फिल्म पेडगाओंचे शहाने में धूमल जी के काम की बड़ी तारीफें हुई। इसी फिल्म को 1953 में हिंदी में चाचा चौधरी के नाम से भी रिलीज़ किया गया।
धूमल की प्रमुख फिल्में
इस तरह धूमल उस वक्त के हिंदी फिल्मों के मेकर्स की नज़रों में भी आ गए। और उन्हें फिल्मों में कॉमेडियन के किरदार दिए जाने लगे।
एक शोला(1956), पुलिस(1958), नाइट क्लब(1958), कारीगर(1958), हावड़ा ब्रिज(1958), डिटेक्टिव(1958) व शोला और शबनम(1961)। ये धूमल जी के करियर की कुछ शुरुआती व मशहूर फिल्में हैं। धूमल जी ने कई हॉरर थ्रिलर फिल्मों में भी अभिनय किया था।
जैसे अपराधी कौन(1957), वो कौन थी(1964), गुमनाम(1965), वो कोई और होगा(1967), अनिता(1967) व दो गज़ ज़मीन के नीचे(1972)।
धूमल भी उन चंद चरित्र अभिनेताओं में से एक रहे हैं जिनके पास कभी भी काम की कमी नहीं रही। वो जब तक फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय रहे, काम करते रहे। और अपनी शर्तों पर उन्होंने काम किया।
बहुत लोकप्रिय हुए थे Dhumal
धूमल जी कितने लोकप्रिय थे इसका अंदाज़ा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि एक वक्त पर धूमल, महमूद और शुभा खोटे की तिकड़ी कई फिल्मों का ज़रूरी हिस्सा हुआ करती थी। फिल्म चाहे कितनी भी गंभीर क्यों ना हो।
लेकिन ये तिकड़ी हमेशा हास्य रस की फुहारें छोड़ती गई और दर्शकों का मनोरंजन करती रही। एक इंटरव्यू में धूमल जी की बेटी ने कहा था कि वो जितने बड़े कलाकार थे उतने ही डाउन टू अर्थ इंसान थे।
अपने घर में अधिकतर काम उन्हें खुद करना पसंद था। जबकी उनके समकालीन अधिकतर एक्टर्स के घरों में नौकरों की पूरी फौज हुआ करती थी।
घर की साफ-सफाई हो या फिर बाज़ार से घर के लिए सामान की खरीदारी करना हो। धूमल ये सभी काम खुद करते थे। और फर पर हो अधिकतर सफदे कमीज़ व हाफ पैंट पहनकर रहते थे।
अपने बच्चों को खूब पढ़ाया
धूमल जब थिएटर किया करते थे तो अक्सर इन्हें बूढ़े आदमी के किरदार निभाने के लिए मिला करते थे। और ये उन सभी किरदारों को बड़ी खूबसूरती से निभाते थे।
उन किरादरों में इनके शानदार अभिनय को देखकर कुछ लोग मज़ाक में इनसे कहते थे कि तुम इतने बढ़िया बूढ़े बनते हो कि लड़कियां तुम्हें बूढ़ा ही समझने लगेंगी। और कोई तुमसे शादी करने के लिए तैयार नहीं होगी।
खैर, वक्त आने पर इनकी शादी भी हो ही गई। पर चूंकि मजबूरियों के चलते ये अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके थे। इसलिए इन्होंने अपनी पत्नी से कह दिया था कि तुम्हें तो पढ़ाई-लिखाई पूरी करनी ही होगी।
और धूमल जी ने अपने बच्चों को भी खूब पढ़ाया। और पढ़ाई के चलते कई दफा ये अपने बच्चों से सख्ती से भी पेश आते थे। लेकिन फिर जल्द ही सामान्य भी हो जाते।
धूमल जी को मेरठ मंथन का नमन
धूमल जी के बारे में जानने लायक एक दिलचस्प बात ये है कि अपने घर पर टैलिफोन लगाने से ये हमेशा बचते थे। और इस वजह से प्रोड्यूसर्स बड़े परेशान रहते थे। दरअसल, धूमल रहते थे चेंबूर में।
जो कि तब मुंबई का बाहरी इलाका हुआ करता था। लोग जब इनसे पूछते कि धूमल जी आप अपने घर पर फोन क्यों नहीं लगवाते हैं। तो ये जवाब देते थे कि अगर किसी को मुझे अपनी फिल्म में लेना ही है तो वो मेरे घर आएगा ही आएगा।
धूमल जी डायबिटीज़ के शिकार हो गए थे। वो भी महज़ 40 की उम्र में। जीवन के आखिरी सालों में तो उनकी एक आंख की रोशनी भी चली गई थी। और डायबिटीज़ से लड़ते हुए ही 13 फरवरी 1987 को धूमल जी ये दुनिया छोड़कर चले गए। Dhumal जी को Meerut Manthan का नमन।
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