Feroz Khan | जिसे कहा जाता था Most Stylish Actor of Bollywood | Biography

Feroz Khan. एक ऐसा भारतीय एक्टर जिसकी शख्सियत देखकर हॉलीवुड के बड़े-बड़े सुपरस्टार्स भी दंग रह जाते थे। एक ऐसा सुपरस्टार जिसका हर अंदाज़, हर अदा उसके चाहने वालों को पसंद आई। 

लाइफस्टाइल ऐसा कि बड़े-बड़े रईसों को जलन होने लगे। हिंदी फिल्मों को एक नया आयाम इन्होंने दिया। इनके लुक्स की तुलना जेम्स बॉन्ड से की जाती थी। पर्सनैलिटी ऐसी कि जाने कितनी लड़कियां इन पर अपनी जान लुटाने को तैयार रहती थी।

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Bollywood Actor Feroz Khan Biography - Photo: Social Media

Meerut Manthan आज आपको महान Feroz Khan साहब की ज़िंदगी की शानदार कहानी सुनाएगा। Feroz Khan कैसे Bollywood में आए और उनका  बॉलीवुड का सफर कैसा रहा, इस बारे में काफी कुछ आज हम आपको बताएंगे।

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Feroz Khan का शुरूआती जीवन

25 सितंबर 1939. बैंगलौर के एक मुस्लिम परिवार में एक बच्चे का जन्म हुआ। नाम दिया गया ज़ुल्फीकार अली शाह खान। इस बच्चे के पिता सादिक खान अफगानी मूल के थे और मां फातिमा ईरान से ताल्लुक रखती थी।

ये बच्चा जब पैदा हुआ था तो इसके माता-पिता को दूर-दूर तक भी इस बात का इल्म नहीं था कि भविष्य में उनका ये बेटा हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक बहुत बड़ा नाम बनेगा।

ये वो वक्त था जब भारत में बोलती फिल्में बनने लगी थी और भारत के लोगों पर फिल्मों का जादू खूब चढ़ रहा था। भले ही उस वक्त के भारतीय समाज का एक बहुत बड़ा तबका फिल्मों में में काम करने वालों को तुच्छ समझता था। 

लेकिन कई लोग ऐसे भी थे जो फिल्मों से खासे फैसिनेट हो रहे थे और फिल्मों में काम करने में उन्हें कोई बुराई नज़र नहीं आती थी।

बचपन से ही Feroz Khan को पसंद था Hollywood

बात अगर ज़ुल्फीकार अली शाह खान यानि फिरोज़ खान की करें तो इन्हें भी बचपन से ही फिल्में देखने का शौक लग गया था। 

एक अच्छी बात इनके साथ ये हुई कि इन्हें कम उम्र से ही हॉलीवुड फिल्में देखने के मौके भी मिलने लगे और हॉलीवुड स्टार्स के लुक्स और स्टाइल से ये बड़े प्रभावित होने लगे।  

कम उम्र से ही इन्होंने भी फिल्मों में काम करने का सपना देखना शुरू कर दिया। और उसी उम्र में ही इन्होंने ये भी तय कर लिया था कि जब ये फिल्मों में आएंगे तो इनका स्टाइल एकदम हॉलीवुड सितारों की तरह होगा।

स्कूल में Feroz Khan पर लगा था जुर्माना

इनकी पढ़ाई-लिखाई हुई बैंगलौर के बिशप कॉटन बॉयज़ स्कूल और जर्मन हाई स्कूल से। स्कूल के दिनों से ही ये स्टाइलिश लाइफस्टाइल मैंटेन करने लगे थे। 

एक दफा इनके पिता ने इन्हें एक नई मोटर साइकिल दिलाई। वो मोटर साइकिल इनकी पसंद की थी और चलते वक्त खूब आवाज़ करती थी। 

अपनी नई मोटर साइकिल को अपने दोस्तों को दिखाने के लिए ये स्कूल ले गए। स्कूल में बच्चों का मोटर साइकिल लाना मना था। सो इन पर स्कूल ने जुर्माना भी लगाया था।

ऐसे शुरू हुआ Feroz Khan का Bollywood का सफर

कम उम्र से ही फिरोज़ खान घोड़ों के भी शौकीन होने लगे थे। और घोड़ों से उनका ये लगाव ताउम्र नज़र भी आया। फिरोज़ के पिता तो चाहते थे कि ये पढ़-लिखकर बैरिस्टर बनें। 

इनके पिता ने इन्हें पढ़ाई के लिए लंदन भेजने की तैयारी भी शुर कर दी थी। मगर बचपन से ही हीरो बनने का सपना देखने वाले फिरोज़ जब जवान हुए तो मुंबई आ गए।

मुंबई आने के बाद फिरोज़ खान ने हीरो बनने के लिए अपना संघर्ष शुरू कर दिया। शुरूआत में फिरोज़ खान को कुछ छोटी-मोटी फिल्मों में छोटे-मोटे स्टंट सीन्स मिले। 

लेकिन फिर साल 1959 में आई फिल्म दीदी में ये सुनील दत्त के भाई माधव के किरदार में दिखे। इस रोल में फिरोज़ खान को काफी पसंद किया गया। फिरोज़ खान को लोग जानने-पहचानने लगे।

बी ग्रेड फिल्मों में भी नज़र आए Feroz Khan

1962 में रिलीज़ हुई हॉलीवुड फिल्म टार्जन गॉज़ टू इंडिया में ये राजकुमार रघु कुमार के रोल में दिखे। इस फिल्म में पहली दफा फिरोज़ खान ने साथ हाथियों के साथ स्टंट किया था। वो भी एकदम हॉलीवुड स्टाइल में। 

इस फिल्म से साफ हो गया था कि फिरोज़ खान हॉलीवुड से कितने प्रभावित थे। आगे चलकर फिरोज़ खान की फिल्मों और उनकी पर्सनैलिटी में हॉलीवुड का असर साफ दिखाई दिया।

इसी साल रिलीज़ हुई फिल्म रिपोर्टर राजू में ये पहली दफा मेन हीरो के रोल में दिखे। एक बार फिर से फिरोज़ खान अपनी एक्टिंग से अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे। 

लेकिन इस फिल्म के बाद इन्होंने कई बी ग्रेड फिल्मों में भी काम किया। इनमें सबसे प्रमुख थी सैमसन, चार दर्वेश और एक सपेरा एक लुटेरा। इसके बाद फिरोज़ खान ने एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया।

आदमी और इंसान से मिला रुतबा

इनकी पहली सबसे चर्चित फिल्म थी 1965 में रिलीज़ हुई फणी मजूमदार की फिल्म ऊंचे लोग। इस फिल्म में फिरोज़ खान ने राज कुमार और अशोक कुमार जैसे सुपरस्टारों के सामने ज़बरदस्त एक्टिंग की थी। 

1967 में ये नरगिस के साथ फिल्म रात और दिन में दिखे। इत्तेफाक से यही फिल्म नरगिस की आखिरी फिल्म भी थी। अब तक फिरोज़ खान को फिल्म इंडस्ट्री में वो रुतबा हासिल नहीं हुआ था जिसकी इन्हें ख्वाहिश थी। 

वो रुतबा इन्हें मिला फिल्म आदमी और इंसान से जो कि 1969 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म के लिए फिरोज़ खान को फिल्मफेयर बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का अवॉर्ड दिया गया था।

बतौर डायरेक्टर ये थी Feroz Khan की पहली फिल्म

आदमी और इंसान की कामयाबी के बाद तो फिरोज़ खान की तकदीर बदलनी शुरू हो गई। वो हर दिन कामयाबी के नए मुकाम हासिल करते जा रहे थे। 

फिर वो वक्त आया जब फिरोज़ खान ने खुद भी फिल्मों में बतौर प्रोड्यूसर और डायरेक्टर उतरने का फैसला किया। इनकी इस नई पारी की पहली फिल्म रही अपराध। 

इस फिल्म को इन्होंने खुद ही प्रोड्यूस-डायरेक्ट किया। साथ ही इस फिल्म में हीरो भी यही बने। फिल्म में इनकी हीरोइन थी मुमताज़। और उनके साथ इनकी कैमिसट्री लोगों को बड़ी पसंद आई।

धर्मात्मा से बना दिया इतिहास

1974 में फिरोज़ खान लेकर आए धर्मात्मा जो हिंदी सिनेमा के इतिहास में हमेशा के लिए अमर हो गई। धर्मात्मा पहली ऐसी भारतीय फिल्म थी जिसकी शूटिंग अफगानिस्तान में हुई थी। 

इस फिल्म में घुड़सवारी के काफी सारे दृश्य थे और ऐसा इसलिए क्योंकि फिरोज़ खान को घोड़ों से बेहद लगाव था। वो बचपन से ही घोड़ों से प्यार करते थे। 

1980 में फिरोज़ खान ने कुर्बानी फिल्म बनाई। ये फिल्म भी सुपरहिट रही थी। इस फिल्म में फिरोज़ खान के अलावा विनोद खन्ना भी थे। 

इस बात से आप भी अच्छी तरह से वाकिफ होंगे कि फिरोज़ खान और विनोद खन्ना के बीच बड़ी गहरी दोस्ती थी।

बेटे फरदीन खान को भी किया लॉन्च

कुर्बानी के बाद इन्होंने जांबाज़ फिल्म बनाई जिसमें इनके साथ अनिल कपूर और डिंपल कपाड़िया थे। वहीं दयावान फिल्म का डायरेक्शन भी इन्होंने किया और इस फिल्म में एक बार फिर से इनके साथ इनके गहरे दोस्त विनोद खन्ना नज़र आए। 

1992 में फिरोज़ खान ने यलगार फिल्म का निर्माण किया। इस फिल्म में फिरोज़ खान और संजय दत्त मुख्य भूमिकाओं में थे। 

साल 1998 में फिरोज़ खान ने प्रेम अगन फिल्म बनाई। इस फिल्म से उन्होंने अपने बेटे फरदीन खान को लॉन्च किया था। फिरोज़ खान ने ये फिल्म बड़े ही ज़ोर-शोर से बनाई थी।  लेकिन फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह फ्लॉप रही। 

2003 में एक बार फिर से अपने बेटे को फिरोज़ खान ने जानशीन फिल्म से बॉलीवुड में लॉन्च किया। लेकिन इस फिल्म का भी बॉक्स ऑफिस पर वही हश्र हुआ जो कि प्रेम अगन का हुआ था।

फिरोज़ खान की निजी ज़िंदगी

इनकी निजी ज़िंदगी की बात करें तो इनके दो भाई संजय खान और अकबर खान भी इनकी ही तरह एक्टर हैं। संजय खान के साथ तो इन्होंने नागिन और उपासना जैसी फिल्मों में साथ भी काम किया है। 

साल 1965 में फिरोज़ खान ने सुंदरी नाम की एक एयर होस्टेस से शादी की थी। सुंदरी तलाकशुदा थी और पहली शादी से उन्हें एक बेटी भी थी। फिरोज़ खान से शादी के बाद सुंदरी ने बेटी लैला और बेटे फरदीन को भी जन्म दिया था। 

सुंदरी संग फिरोज़ खान की शादी 20 सालों तक चली और फिर 1985 में इन दोनों ने तलाक ले लिया। इस तलाक की वजह बनी फिरोज़ खान के जीवन में आई एक और एयर होस्टेस जिसका नाम था ज्योतिका धनराजगीर। हालांकि एक वक्त बाद फिरोज़ खान और ज्योतिका धनराजगीर भी अलग हो गए।

मुमताज़ से जोड़ ली रिश्तेदारी

कहा जाता है कि अपने फिल्मी करियर की शुरूआत में फिरोज़ खान मुमताज़ को भी बेहद पसंद करते थे। मुमताज़ भी इन पर जान छिड़कती थी। लेकिन किन्हीं वजहों से ये दोनों एक ना हो सके। 

मगर सालों बाद मुमताज़ और फिरोज़ खान ने अपनी जान-पहचान को रिश्तेदारी में बदल लिया। फिरोज़ खान के बेटे फरदीन खान और मुमताज़ की बेटी नताशा की शादी हो गई।

फिरोज़ खान की दो बहनें भी हैं जिनके नाम हैं खुर्शीद बेगम और दिलशाद शेख। एक ज़माने में इनकी बहन दिलशाद शेख को हॉलीवुड की एक फिल्म में काम करने का ऑफर आया था। 

लेकिन फिरोज़ नहीं चाहते थे कि उनकी बहन फिल्मों में काम करें इसलिए दिलशाद ने वो ऑफर ठुकरा दिया था।

ये थी Feroz Khan की आखिरी फिल्म

फिरोज़ खान आखिरी दफा नज़र आए थे साल 2007 की सुपरहिट फिल्म वैलकम में। इस फिल्म में इनके किरदार आरडीएक्स की काफी चर्चा हुई थी। वैलकम के बाद से ही फिरोज़ खान ने खुद को फिल्मों से दूर कर लिया था। 

अपनी ज़िंदगी के आखिरी सालों में ये ज़्यादातर वक्त अपने बैंगलौर स्थित फार्म हाउस में बिताया करते थे। फार्म हाउस में ये फल और सब्जियां बड़े शौक से उगाया करते थे। साथ ही वहां इन्होंने कई नस्लों के घोड़े भी पाल रखे थे।

कैंसर ने ले ली फिरोज़ खान की जान

एक दिन इन्हें पता चला कि लंग कैंसर ने इन्हें अपनी चपेट में ले लिया है। फिरोज़ खान का इलाज शुरू किया गया। मगर कैंसर से इनकी जंग बहुत ज़्यादा लंबी ना चल सकी। 

27 अप्रैल 2009 को फिरोज़ खान ने कैंसर से जंग हारकर हमेशा के लिए ये दुनिया छोड़ दी। फिरोज़ खान को बैंगलौर के होसुर रोड शिया कब्रिस्तान में इनकी मां के एकदम बराबर में दफनाया गया। 

फिल्म इंडस्ट्री में फिरोज़ खान की मौत की खबर से मातम पसर गया था। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का एक बेहद स्टाइलिश एक्टर हमेशा हमेशा के लिए जो चला गया था। 

फिल्म इंडस्ट्री में फिरोज़ खान के योगदान के लिए Meerut Manthan उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।

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