Mac Mohan | Sholay में Sambha बने Actor मैक मोहन के जीवन की पूरी कहानी | Biography
Mac Mohan. बॉलीवुड का एक ऐसा खलनायक, जो अपने लुक्स के लिए हमेशा चर्चाओं में रहा। केवल एक डायलॉग बोलकर ये खलनायक हिंदुस्तान में ही नहीं, बल्कि दुनियाभर में मशहूर हो गया।
सोफिस्टिकेटेड पर्सनैलिटी होने के बावजूद भी विलेन के किरदारों में ये एकदम फिट लगा करते थे। पांच दशकों तक ये फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रहे और कई शानदार और सुपरहिट फिल्मों में इन्होंने काम किया।
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Actor Mac Mohan Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज अपने पाठकों को Sholay के Sambha यानि Actor Mac Mohan की ज़िंदगी की कहानी बताएगा। इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे Mac Mohan Cricketer बनने कि बजाय Actor बने। और फिल्मों में इन्हें कैसे पहला ब्रेक मिला था।
Mac Mohan की शुरूआती ज़िंदगी
मैक मोहन का जन्म हुआ था 24 अप्रैल 1938 को अविभाजित भारत के कराची में। माता-पिता ने इनका नाम मोहन रखा था। इनका पूरा और असली नाम था मोहन माखीजानी। लेकिन दोस्तों ने इन्हें मैक कहकर पुकारना शुरू कर दिया।
इनके पिता ब्रिटिश आर्मी में कर्नल की हैसियत से सेवारत थे और वो चाहते थे कि ये भी बड़े होकर आर्मी ही जॉइन करें। ये जब मात्र 2 साल के थे तब इनके पिता का ट्रांसफर कराची से लखनऊ हो गया। इनकी शुरूआती पढ़ाई भी लखनऊ में ही हुई।
क्रिकेटर बनना चाहते थे Mac Mohan
बचपन से ही मैक को क्रिकेट खेलने का बड़ा शौक था। वो बड़े होक क्रिकेटर ही बनना चाहते थे और भारत के लिए क्रिकेट खेलना चाहते थे। भारत के आज़ाद होने के कुछ सालों के बाद मैक क्रिकेटर बनने का ख्वाब लेकर मुंबई आ गए।
उन दिनों में मुबंई ही भारत में इकलौती ऐसी जगह थी जहां क्रिकेट की ट्रेनिंग सबसे अच्छी दी जाती थी। मुंबई में इन्होंने जय हिंद कॉलेज में दाखिला ले लिया और कॉलेज की क्रिकेट टीम के लिए खेलने लगे।
सुनील दत्त थे Mac Mohan के सहपाठी
यहां ये बात भी आपको बतानी ज़रूरी है कि लखनऊ के जिस स्कूल में इन्होंने पढ़ाई की थी और मुंबई के जयहिंद कॉलेज में भी, महान अभिनेता सुनील दत्त इनके सहपाठी रहे थे। क्रिकेट तो ये खेलते ही थे। इन्होंने अपने कॉलेज में होने वाले नाटकों में भी हिस्सा लेना शुरू कर दिया।
शौकत कैफी ने दी अभिनय करने की सलाह
इसी दौरान एक नाटक में इनकी एक्टिंग अभिनेत्री शौकत कैफी ने देखी। शौकत को इनकी एक्टिंग बड़ी पसंद आई। उन्होंने मैक मोहन को सलाह दी कि ये अच्छी एक्टिंग करते हैं। इसलिए एक्टिंग करना जारी रखें और इप्टा भी जॉइन कर लें।
चेतन आनंद के असिस्टेंट डायरेक्टर बने Mac Mohan
शौकत कैफी की बात मैक को बड़ी सही लगी। उन्होेंने एक्टिंग को सीरियसली लेना शुरू कर दिया और एक्टिंग की बारीकियां सीखने के लिए फिल्मालय नाट्य संस्थान में दाखिला भी ले लिया।
उसके बाद ये मशहूर फिल्ममेकर चेतन आनंद के साथ बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर काम करने लगे। और फिर आखिरकार वो फिल्म आई जिसमें मैक मोहन को पहली दफा कैमरा फेस करने का मौका मिला।
कहना चाहिए कि चेतन आनंद ने अपने इस चेले के काम से खुश होकर अपनी फिल्म में इसे कैमरा फेस करने का मौका दिया।
ये थी Mac Mohan की पहली फिल्म
ये फिल्म थी 1964 में रिलीज़ हुई हकीकत। हालांकि इससे पहले ये जंगली और चा चा चा में नज़र आ चुके थे। लेकिन उन फिल्मों में ये केवल खानापूर्ति वाले एक्टर थे। इन्हें एक भी डायलॉग नहीं मिला था।
इनकी दूसरी फिल्म थी आओ प्यार करें जो कि 1964 में ही रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में भी इन्होंने एक छोटा रोल निभाया था। लेकिन वो रोल इन्होंने बड़े ही माहिराना अंदाज़ में निभाया था।
शोले देखकर हुए थे दुखी
वैसे तो इन्होंने अपने फिल्मी करियर में दो सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया था। लेकिन इन्हें सबसे ज़्यादा पॉप्युलैरिटी मिली थी शोले से। शोले में इनका केवल एक ही डायलॉग था।
लेकिन उसी डायलॉग ने इन्हें हिंदुस्तान के बच्चे-बच्चे के बीच में लोकप्रिय कर दिया। शोले फिल्म से जुड़ा एक किस्सा कुछ यूं है कि शोले के प्रीमियर में मैक मोहन भी थे। फिल्म जब खत्म हुई तो मैक की आंखों में आंसू थे। वो बेहद दुखी थे।
रमेश सिप्पी से कही ये बात
मैक ने फिल्म के डायरेक्टर रमेश सिप्पी से कहा, तुमने मेरे सारे सीन काट दिए। इस पर रमेश सिप्पी ने इन्हें जवाब दिया कि फिल्म काफी ज़्यादा लंबी हो रही थी। इसलिए तुम्हारे सीन काटने पड़े। केवल तुम्हारे ही नहीं, और भी कईयों के सीन काटे गए हैं।
लेकिन मैक, अगर ये फिल्म चल गई तो पूरी दुनिया तुम्हें सांभा के नाम से जानेगी। हुआ भी कुछ ऐसा ही। शोले की रिलीज़ के बाद इनका डायलॉग पूरे पचास हज़ार, हर किसी की ज़ुबान पर चढ़ गया।
कई फिल्मों को दी थी आवाज़
इनके करियर की आखिरी फिल्म थी 2010 में रिलीज़ हुई अतिथि तुम कब जाओगे। मैकमोहन ने केवल फिल्मों में ही नहीं, छोटे पर्दे पर भी काम किया था।
इन्होंने ज़ी हॉरर शो की कई सीरीज़ में काम किया था। मैक मोहन ने केवल हिंदी ही नहीं भोजपुरी, गुजराती, हरयाणवी, मराठी, पंजाबी और सिंधी फिल्मों में भी काम किया था।
इसके अलावा इन्होंने कई फिल्मों के लिए डबिंग भी की थी। कहा जाता है कि केवल उड़िया भाषा को छोड़कर मैक ने लगभग हर भारतीय भाषा की फिल्मों में अपनी आवाज़ दी थी। साथ ही अंग्रेजी, रशियन और स्पेनिश भाषा की फिल्मों को भी मैक ने अपनी आवाज़ दी थी।
ऐसी थी इनकी निजी ज़िंदगी
मैकमोहन की निजी ज़िंदगी की बात करें तो इन्होंने मिनी से साल 1986 में शादी की थी। मिनी एक आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं। मिनी से इन्हें दो बेटियां मंजरी माकीजानी और विनिता माकीजानी तथा एक बेटा विक्रांत माकीजानी हुई।
इनकी बड़ी बेटी मंज़री माकीजानी भी फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव हैं और वो एक राइटर, प्रोड्यूसर और डायरेक्टर हैं। मशहूर अभिनेत्री रवीना टंडन मैकमोहन की सगी भांजी हैं।
एक तस्वीर को लेकर होती हैं कई तरह की बातें
सोशल मीडिया पर मैकमोहन की एक तस्वीर है जिसमें वो एक विदेशी महिला को किस करते नज़र आते हैं। इस तस्वीर के बारे में दावा किया जाता है कि मैकमोहन जिस विदेशी महिला को किस कर रहे हैं वो उनकी प्रेमिका हैं और मैकमोहन काफी लंबे वक्त तक उस महिला के साथ रिलेशन में रहे हैं।
हालांकि कुछ लोग ये भी कहते हैं कि उस महिला को किस करते हुए मैकमोहन की ये तस्वीर दरअसल एक नाटक के दौरान ली गई थी जो मैकमोहन विदेश में परफॉर्म कर रहे थे। सच्चाई क्या है ये हमें नहीं पता। कभी पता चला तो आप पाठकों को ज़रूर बताएंगे।
नेकदिल इंसान थे मैक मोहन
फिल्म इंडस्ट्री के लोग मैकमोहन को एक नेकदिल इंसान कहते थे। बताया जाता है कि मैक बेहद मृदुभाषी और बेहद पढ़े-लिखे इंसान थे।
अंग्रेजी भाषा पर मैक की ज़बरदस्त पकड़ थी। वो ना केवल बढ़िया अंग्रेजी बोलते थे, बल्कि अंग्रेजी में लिखते भी थे। लेकिन मैक में कुछ गंदी आदतें भी थी।
ये आदतें थी बेहद शराब पीना और हद से ज़्यादा सिगरेट पीना। कहा जाता है कि सिगरेट के तो मैक इतने ज़्यादा आदी थे कि एक सिगरेट बुझती नहीं थी और वो उसी सिगरेट से दूसरी जला लिया करते थे।
इसी आदत ने ले ली जान
उनकी यही आदत आखिरी में उनकी सबसे बड़ी दुश्मन साबित हुई। सिगरेट का धुंआ चुपचाप मैक के फेंफड़ों को अंदर ही अंदर खाता रहा। फिल्म अतिथि तुम कब जाओगे की शूटिंग के दौरान इनकी तबियत खराब रहने लगी।
डॉक्टर ने जांच की तो पता चला कि इनके फेंफड़ों में कैंसर है। इनकी तबियत दिन ब दिन खराब होने लगी। इनका इलाज मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में चल रहा था।
लेकिन कैंसर के सामने ये ज़्यादा दिन टिक ना सके। आखिरकार 10 मई 2010 को दिग्गज अभिनेता मैक मोहन ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।
अमर हैं मैक मोहन
मैक मोहन को इस दुनिया से गए सालों गुज़र गए। वो अपने आप में एक बेहद अनोखे इंसान और बड़े ही शानदार अभिनेता थे। भले ही फिल्मों में वो ज़्यादातर विलेन के किरदारों में नज़र आए हों।
लेकिन असल ज़िंदगी में मैक मोहन एक बड़े ज़िंदादिल किस्म के इंसान थे। Meerut Manthan Mac Mohan की आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। जय हिंद।
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