Anupam Shyam | वो जाना पहचाना Actor जो लाखों दिल तोड़कर इस दुनिया से चला गया | Biography
Anupam Shyam. एक ऐसा अदाकार, जो जब भी स्क्रीन पर नज़र आया, पूरे रोब और रुबाब के साथ नज़र आया। स्टेज हो, छोटा पर्दा हो, या सिल्वर स्क्रीन हो। अनुपम ने हर प्लेटफॉर्म पर अपने अभिनय के जौहर दिखाए। और साबित किया कि वो कोई मामूली कलाकार नहीं हैं। लोगों ने हमेशा इन्हें सिर्फ छोटे पर्दे का अभिनेता समझा। लेकिन अगर कोई इनकी फिल्मोग्राफी चैक करेगा तो उसे पता चल जाएगा कि अनुपम श्याम जी के खाते में कितनी शानदार फिल्में दर्ज हैं।
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Actor Anupam Shyam Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan ज़बरदस्त अभिनेता रहे Anupam Shyam को नमन करते हुए उनकी ज़िंदगी की कहानी से आपको रूबरू कराएगा। यूपी के रहने वाले Anupam Shyam फिल्म नगरी मुंबई तक कैसे पहुंचे और कैसे उन्होंने बॉलीवुड में सफलता हासिल की, अनुपम श्याम के जीवन की सारी कहानी आज मेरठ मंथन कहना चाहता है।
Anupam Shyam की शुरूआती ज़िंदगी
20 सितंबर 1957 को उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के पास मौजूद एक गांव में अनुपम श्याम का जन्म हुआ था। एक किसान परिवार में पैदा हुए अनुपम श्याम का पूरा नाम अनुपम श्याम ओझा था। गांव में जब ये स्कूल में पढ़ा करते थे तो तब ही फिल्में और फिल्मी दुनिया इन्हें अपनी तरफ खींचने लगे थे। कम उम्र में ही इनके ज़ेहन में सिल्वर स्क्रीन का हिस्सा बनने का ख्वाब उभरने लगा था।
जब एनएसडी पहुंचे अनुपम श्याम
प्रतापगढ़ से अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक्टिंग करने के अपने सपने को साकार करने के लिए अनुपम श्याम लखनऊ स्थित भारतेंदू एकेडमी ऑफ ड्रैमैटिक आर्ट्स पहुंच गए। यहां से अनुपम ने एक्टिंग की बारीकियां सीखी और यहीं से ही इन्होंने थिएटर में भी काम करना शुरू कर दिया। लखनऊ से शुरू हुई थिएटर की इनकी यात्रा दिल्ली में एनएसडी तक इन्हें ले आई।
ये एनएसडी की रेपेटरी कंपनी में नौकरी करने लगे। पंडित सत्यदेव दूबे और इब्राहिम अलकाज़ी जैसे महान थिएटर डायरेक्टर्स के साथ इन्होंने काम किया। इस दौरान जब भी ये गांव जाया करते थे तो गांव के लोग अक्सर इनका मज़ाक उड़ाया करते थे। लेकिन अनुपम कभी भी किसी के मज़ाक का बुरा नहीं मानते थे।
इस तरह दिल्ली से आए मुंबई
अनुपम जब दिल्ली में थे तो इन्हें दो फिल्मों के ऑफर आए। ये फिल्में थी Bernardo Bertolucci की Little Buddha और Shekhar Kapoor की Bandit Queen. थिएटर में ही खुशी-खुशी अपनी ज़िंदगी बिता रहे अनुपम को जब दो बड़े और नामी डायरेक्टर्स ने अपने साथ काम करने का ऑफर दिया तो इन्हें लगा कि अब शायद इन्हें मुंबई जाना चाहिए और फिल्मों में अपना करियर बनाने की कोशिश करनी चाहिए। हालांकि कैमरे से अनुपम श्याम का सामना अस्सी के दशक के मध्य में ही हो गया था जब दूरदर्शन पर आने वाले कुछ टीवी शोज़ में ये छोटे-छोटे रोल किया करते थे।
महेश भट्ट ने किया काफी सपोर्ट
बैंडिट क्वीन और लिटिल बुद्धा में काम करने के चलते अनुपम मुंबई आ गए और मुंबई आने के बाद इन्हें फिल्मों में भी काम मिलने लगा। अनुपम कहते थे कि उनके फिल्मी करियर को एक मुकाम तक पहुंचाने में महेश भट्ट ने उनका काफी सपोर्ट किया है। अपने फिल्मी करियर में अनुपम ने कई ऐसी फिल्मों में काम किया है जिसमें उनके काम को दर्शकों ने बेहद पसंद किया।
अनुपम श्याम की प्रमुख फिल्में
द वॉरियर, हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, लगान, लज्जा, बवंडर, कच्चे धागे, नायक, शक्ति द पावर, तक्षक, पाप, परज़ानिया, रक्त चरित्र, गोलमाल, स्लमडॉग मिलेनियर, वांटेड, हल्ला बोल, गांधी और मुन्ना माइकल। ये कुछ वो फिल्में हैं जिनमें अनुपम श्याम ने अपनी एक्टिंग स्किल्स से अपने किरदार को यादगार बना दिया। इनकी आखिरी फिल्म थी 2019 में रिलीज़ हुई 706.
छोटे पर्दे ने दिलाई शोहरत
फिल्मों में बेशक अनुपम श्याम ने एक से बढ़कर एक किरदार निभाए और इनके कई किरदारों को दर्शकों ने बेहद पसंद भी किया। लेकिन फिल्मों से कभी भी अनुपम को वो पहचान नहीं मिल पाई जो हर एक्टर की ख्वाहिश होती है। अनुपम को वो पहचान मिली छोटे पर्दे से।
यूं तो ये दूरदर्शन के ज़माने से ही छोटे पर्दे पर काम कर रहे थे। लेकिन साल 2009 में आए स्टार प्लस के शो मन की आवाज़ प्रतिज्ञा में इनके निभाए ठाकुर सज्जन सिंह के किरदार ने इन्हें शोहरत के उस मुकाम पर पहुंचा दिया जहां पहुंचने का सपना हर एक्टर देखता है।
ठाकुर सज्जन सिंह के रोल में कर दिया कमाल
ठाकुर सज्जन सिंह के किरदार को अनुपम ने इतनी खूबसूरती से निभाया कि हर कोई उनका मुरीद हो गया। भारत के घर-घर में अनुपम श्याम को पहचान मिल गई। अनुपम कहीं भी जाते तो लोग उन्हें ठाकुर सज्जन सिंह कहकर पुकारते थे। ये शो पूरे तीन साल तक चला और लगातार तीन साल अनुपम श्याम ने अपनी एक्टिंग का जादू टीवी के शौकीनों पर चलाए रखा।
ऐसी थी निजी ज़िंदगी
अनुपम श्याम की निज़ी ज़िंदगी की बात करें तो इनकी शादी सावित्री नाम की महिला से हुई है। इनके बच्चे हैं या नहीं, इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। फैज़ाबाद स्थित राम मनोहर लोहिया यूनिवर्सिटी से इन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। इसी यूनिवर्सिटी में इनके भाई अनुराग ओझा भी इनके साथ ही पढ़ाई करते थे।
अनुपम श्याम ने केवल हिंदी ही नहीं, भोजपुरी व कुछ अन्य भाषा की फिल्मों में भी काम किया है। पॉलिटिकली भी अनुपम श्याम काफी एक्टिव थे और 2011 में अन्ना आंदोलन को समर्थन देने के लिए ये जंतर-मंतर भी पहुंचे थे। इतना ही नहीं, इलाहबाद या फिर प्रतापगढ़ से वो बीजेपी के टिकट पर लोकसभा चुनाव भी लड़ना चाहते थे।
पिछले साल आए थे चर्चाओं में
साल 2020 में अनुपम श्याम उस वक्त चर्चाओं में आए थे जब सोशल मीडिया पर ये खबर वायरल हुई कि अनुपम श्याम गंभीर रूप से बीमार हैं और उनके पास अपना इलाज कराने के लिए भी पैसे नहीं हैं। ऐसे में फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े कई लोग उनकी मदद के लिए आगे आए थे। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इलाज कराने के लिए अनुपम श्याम को 20 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी थी। उस दौरान अनुपम श्याम की सेहत में काफी सुधार भी हुआ था।
अमर रहेंगे अनुपम
अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अनुपम श्याम ने मन की आवाज़ प्रतिज्ञा शो के दूसरे सीज़न की शूटिंग भी शुरू कर दी थी। लेकिन इसी दौरान एक बार फिर से अनुपम श्याम गंभीर रूप से बीमार हो गए और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कई दिनों तक मौत से लड़ने के बाद आखिरकार अनुपम श्याम ज़िंदगी की जंग हार गए। Anupam Shyam को Meerut Manthan नमन करता है और फिल्म व टीवी जगत में उनके योगदान के लिए उन्हें सैल्यूट करता है। जय हिंद।
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