An old interview of Late Bollywood Actor Sanjeev Kumar | संजीव कुमार जी का एक पुराना इंटरव्यू

ये संजीव कुमार जी का एक पुराना इंटरव्यू है जो उन्होंने कभी सन मैगज़ीन को दिया था। कब दिया था इसकी जानकारी नहीं मिल सकी। इस इंटरव्यू में नीतीश एस.रेले नामक Journalist द्वारा लिया गया था। 

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Sanjeev Kumar Interivew - Photo: Social Media

इस Interview में Sanjeev Kumar से Journalist द्वारा पूछे गए  सवाल और संजीव कुमार जी द्वारा दिए गए जवाब कुछ इस प्रकार है.

पत्रकार- कहा जाता है कि आप हमेशा सेट पर देर से आते हैं। क्यों?

संजीव कुमार- क्योंकि शूटिंग्स का कोई फिक्स टाइम नहीं होता। मैं रात को देर से सोता हूं और सुबह बहुत देर से, लगभग 9 बजे जागता हूं। 

पत्रकार- आपको इनडोर शूटिंग पसंद है कि आउटोडर शूटिंग?

संजीव कुमार- मुझे इनडोर शूटिंग्स पसंद हैं। क्योंकि स्टूिडयो में रहकर काम करना आसान होता है। इनडोर शूटिंग में कोई बाहरी और फालतू इंसान आपके पास नहीं आता। स्टूडियो में मेकअप रूम्स होते हैं। कोई बाहरी डिस्टर्बेंस नहीं होता। इससे काम पर ध्यान केंद्रित करने में काफी आसानी होती है।

पत्रकार- क्या आपको गॉसिप मैगज़ीन्स पसंद आती हैं?

संजीव कुमार- गॉसिप मैगज़ीन्स में कुछ भी सच नहीं होता। उसमें जो छपता है उसका कोई मतलब नहीं होता। 

पत्रकार- फिल्मस्टार्स होने के नाते आप दो-तीन शिफ्ट एक दिन में करते हैं। क्या आपको फ्री टाइम मिल पाता है?

संजीव कुमार- मुझे कोई फ्री टाइम नहीं मिलता। फिर चाहे में शूटिंग करूं या डबिंग करूं। मैं हर दिन घर देर से आता हूं और सो जाता हूं। या वीडियो देखता हूं।

पत्रकार- आप 'चेहरे पे चेहरा' फिल्म के अपने डॉक्टर जेकिल और मिस्टर हाइड वाले रोल के बारे में क्या कहना चाहेंगे?

संजीव कुमार- वो रोल बहुत चुनौतीपूर्ण है। हालांकि मुझे मेरे मेकअप मैन मोदी से काफी हेल्प मिली है। लेकिन मुझे बहुत मेहनत उस रोल के लिए करनी पड़ी।

पत्रकार- हर कोई परेशान है कि आप किससे शादी करेंगे। कुछ कहेगे इस पर?

संजीव कुमार- मुझे नहीं पता कि मैं शादी करूंगा या नहीं। सिर्फ शादी करने के लिए मैं शादी नहीं करूंगा। जिस दिन मुझे लगेगा कि कोई औरत है जिसके साथ मैं खुश रहूंगा, मैं उससे शादी कर लूंगा। इसलिए मेरे पास कोई फिक्स आईडिया नहीं है कि मैं कभी शादी कर पाऊंगा कि नहीं। मेरा मानना है कि शादियां स्वर्ग में तय होती हैं। आखिरकार, ये सब किस्मत का खेल है। 

पत्रकार- क्या आप धार्मिक हैं?

संजीवक कुमार- मैं नहीं कहूंगा कि मैं धार्मिक हूं। ये एक ऐसी चीज़ है जिसके बारे में मैं यही कह सकूंगा कि अभी मैं इसकी तलाश में हूं। और ये ज़रूरी नहीं है कि आपके रिश्तेदार और दोस्त अगर भगवान को मानते हैं तो आपको भी भगवान को मानना चाहिए। या मानना पड़ेगा।

पत्रकार- आप कब तक शराब पीना और सिगरेट पीना छोड़ देंगे? ताकि आपकी सेहत सही रहे। 

संजीव कुमार- मेरे जितने भी साथी कलाकार हैं वो सब शराब पीते हैं और सिगरेट भी पीते हैं। और उनकी सेहत भी अच्छी है। सवाल छोड़ना नहीं है। सवाल है लिमिट में करना।

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पत्रकार- तो आप कंट्रोल कर रहे हैं?

संजीव कुमार- बिल्कुल। मैं हमेशा कंट्रोल करता हूं।

पत्रकार- आपकी फूड हैबिट्स क्या हैं?

संजीव कुमार- कोई ऐसी डिश नहीं है जिसके बारे में मैं कह सकूं कि यही मुझसे सबसे ज़्यादा पसंद है। अपने घर पर मैं एक कट्टर शाकाहारी हूं। लेकिन बाहर नॉन-वैजेटेरियन फूड खा लेता हूं।

पत्रकार- क्या आप स्टार सिस्टम पर यकीन करते हैं? क्या ये वाकई में बहुत ज़रूरी है?

संजीव कुमार- दुनिया में बहुत सारी ऐसी चीज़ें हैं जो बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं हैं। लेकिन फिल्म इंडस्ट्री में स्टार सिस्टम है। आज अमिताभ बच्चन नंबर वन हैं। क्योंकि उनकी फिल्में बिकती हैं। और वो एक बड़े स्टार हैं। ये अमिताभ की एक्टिंग कैपेबिलिटीज़ ही हैं जो आज उन्हें सबसे ज़्यादा फीस मिलती है। 

पत्रकार- आप कई मल्टीस्टारर फिल्मों में काम कर चुके हैं जैसे शोले, जानी दुश्मन इत्यादि। मल्टीस्टारर फिल्मों में काम करने के फायदे और नुकसान बताएंगे? 

संजीव कुमार- मल्टीस्टारर फिल्मों में काम करने का एक फायदा तो है। जब आप दूसरे एक्टर्स के साथ काम करते हो तो आप खुद ब खुद ज़्यादा मेहनत करते हैं। मेरा मतलब कि आप अच्छे से अच्छा काम करने का प्रयास करते हैं। अच्छे आर्टिस्ट्स के साथ काम करने से आपको अपना बेस्ट से भी बेस्ट देने में मदद मिलती है। 

बतौर एक्टर इसका कोई नुकसान नहीं है। कभी-कभी ईगो क्लैश हो जाता है। या दूसरी छोटी-छोटी बातें जैसे फीस और दूसरे एक्टर को ज़्यादा इम्पोर्टेंस मिलने पर नाराज़गी जैसी बातें होती हैं। लेकिन ये सब कुछ भी नहीं हैं।

पत्रकार- क्या इसका मतलब ये है कि आप मल्टीस्टारर फिल्मों को सपोर्ट करते हैं?

संजीव कुमार- हां, मैं मल्टीस्टारर फिल्मों को सपोर्ट करता हूं। सिर्फ उनके नाम की वजह से नहीं। बल्कि उन फिल्मों में जो क्षमता होती है उसके लिए।

पत्रकार- कोई ऐसी महत्वकांक्षा जो अभी तक पूरी ना हो सकी हो?

संजीव कुमार- कुछ हैं जो अभी तक पूरी नहीं हुई हैं। लेकिन समय आने पर मैं उनको पूरा करने की कोशिश करूंगा।

पत्रकार- क्या शादी आपकी उन्हीं महत्वांकाक्षाओं में से एक है?

संजीव कुमार- नहीं नहीं। शादी को महत्वकांक्षा नहीं कहा जा सकता। महत्वाकांक्षा वो होती है जो आपके काम से जुड़ी होती है। अपनी महत्वकांक्षा को पूरी करने के लिए आप कोशिश करते हैं। लेकिन शादी किस्मत में लिखी होती है।

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