Story of Viju Khote aka Kalia and Nefertiti Horse in Sholay | शोले में कालिया को उठा उठाकर पटकने वाली घोड़ी नफरतीती की मज़ेदार कहानी

ये कहानी कालिया की नहीं। उस घोड़े की है जिस पर कालिया सवार है। ये वास्तव में एक घोड़ी थी जिसका नाम इसके मालिकों ने नफरतीती रखा था। नफरतीती एक मिस्री राजकुमारी का नाम है। यानि कोई इज्पिशियन प्रिंसेस हुआ करती थी जिनका नाम था नफरतीती। 

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Story of Viju Khote aka Kalia and Nefertiti Horse in Sholay - Photo: YouTube Screenshot

अलग अलग भाषाओं में नफरतीती का उच्चारण अलग है। जैसे अंग्रेज लोग इसे नैफाटीटी बोलते हैं। अमेरिकी लोग बोलते हैं नैफरटीटी। खैर, तो हमारी कहानी नफरतीती नामक इस घोड़ी से जुड़ी है जिस पर कालिया बैठा है। 

कम पड़े घोड़े तो आई नफरतीती

शोले की शूटिंग के लिए मुंबई से ट्रक में भरकर 20 घोड़े मंगवाए गए थे। ये घोड़े सप्लाय किए थे बद्री प्रसाद वर्मा ने। ये वही बद्री प्रसाद वर्मा हैं जिनके बेटे जीतू वर्मा और टीनू वर्मा आज के दौर में खासे मशहूर नाम हैं। 

जीतू वर्मा को हम सोल्जर फिल्म के जोजो के रोल से पहचानते हैं। और टीनू वर्मा को हमने मेला फिल्म के गुज्जर के रोल में देखा है। बद्री प्रसाद वर्मा का काम था फिल्मों के लिए घोड़े सप्लाय करना। 

शोले के लिए भी उन्होंने ही घोड़े सप्लाय किए थे। लेकिन 20 घोड़े कम थे। रमेश सिप्पी को और घोड़ों की ज़रूरत थी। तब बैंगलोर पुलिस के घुड़सवार दस्ते से कुछ घोड़े किराए पर लिए गए। 

और कुछ घोड़ों का इंतज़ाम मैसूर रेस क्लब से किया गया। कुल मिलाकर 20 और घोड़े मंगाए गए। अब मुंबई के घोड़े तो फिल्मों की शूटिंग के लिए ट्रेंड थे। वो एक्शन और कट की कमांड्स को समझ जाते थे। 

लेकिन ये नए घोड़े शूटिंग वगैरह के आदि नहीं थे। इसलिए शूटिंग के वक्त कई दफा ये घोड़े बिदक जाते थे। और सबसे ज़्यादा बिदकती थी नफरतीती नाम की ये घोड़ी। रेस कोर्स में भागने वाली ये घोड़ी अक्सर तेज़ आवाज़ों, बड़ी और चमकदार लाइटों और लोगों की भीड़ को देखकर बिदक जाती थी। 

नफरतीती इतनी बुरी तरह से बिदकती थी कि इस पर जो भी बैठा होता था वो ज़मीन पर गिर जाता था। कई लोगों को तो मामूली चोटें भी आई थी। इसलिए क्र्यू के लोगों ने नफरतीती का नाम नफरती रख दिया।

कईयों को नफरतीती ने ज़मीन पर पटका

नफरतीती का रिकॉर्ड था कि शूटिंग के दौरान जिसने भी इस पर सवार होने की कोशिश की, वो कम से कम एक दफा तो इसके गुस्से का शिकार हुआ और ज़मीन पर पटका गया। 

शोले का वो सीन आपको याद होगा जब होली गीत के बाद ठाकुर फ्लैशबैक में अपनी कहानी सुनाता है। उस सीन की शुरुआत भागते गब्बर सिंह का पीछा करते ठाकुर से होती है। उस सीन को फिल्माते वक्त नफरतीती ने पांच दफा अमजद खान को ज़मीन पर पटका था। 

कालिया ने झेला नफरतीती का सबसे ज़्यादा प्रकोप

नफरतीती का प्रकोप सबसे ज़्यादा किसी ने झेला तो वो थे विजू खोटे। शोले में कालिया बने विजू लगभग साढ़े सात मिनट के लिए ही दिखे हैं। लेकिन इतने से दृश्यों को फिल्माने में ही दो हफ्तों का समय लग गया। 

पहले हफ्ते में ही नफरतीती ने विजू को छह दफा पटका था। विजू ने रमेश सिप्पी से कहा था कि इस घोड़े को बदलकर कोई दूसरा घोड़ा उन्हें दे दिया जाए। 

लेकिन मसला ये था कि नफरतीती जैसा दिखने वाला कोई और घोड़ा उपलब्ध था ही नहीं। और चूंकि विजू का पहला शॉट(गांव में घुसते हुए) नफरतीती पर ही फिल्माया गया था तो अब उनका घोड़ा बदलना सही नहीं होता।

गांव में घुसते वक्त कालिया और उसके बाकि दोनों साथी एक पुल से होकर भी गुज़रते हैं जो तालाब के ऊपर बना है। ये सीन फिल्माने में तगड़ी समस्या हो गई। 

हुआ यूं कि नफरतीती को जब भी सीन शूट करने के लिए पुल की तरफ लाया जाए, वो आगे बढ़े ही ना। कालिया यानि विजू खोटे ने नफरतीती को काफी पुचकारा। 

ये सोचकर कि शायद इसकी दुविधा कम हो और ये पुल के ऊपर से गुज़र जाए। लेकिन नफरतीती को तो मानो जैसे कोई फोबिया हो पानी से। काफी देर तक कोशिश करने के बावजूद वो पुल के ऊपर से गुज़री नहीं। 

तब एक्शन डायरेक्टर अज़ीम भाई आए और वो नफरतीती को पानी से दूर ले जाने लगे। मगर तभी नफरतीती का पैर एक कांटों वाली झाड़ी पर पड़ गया। और वो फिर बिदक गई। 

उसने विजू खोटे को उन काटों भरी झाड़ियों पर गिरा दिया। विजू खोटे की कमर और अन्य जगहों पर काफी चोटें आई। जब ठाकुर और कालिया के बीच के संवाद फिल्माए जा रहे थे तब भी नफरतीती ने खूब ड्रामा खड़ा किया। 

इस सीन में कालिया के पास एक राइफल भी होती है। ये राइफल जब भी नफरतीती के शरीर को टच करे, वो बुरी तरह से डर जाए। और बिदक कर विजू खोटे को ज़मीन पर पटक दे। या फिर बेतहाशा दौड़ने लग जाए। 

तब विजू खोटे से अज़ीम भाई ने कहा कि अपने पैरों को इस तरह से फैलाओ कि राइफल घोड़ी को ना छुए। क्योंकि जब भी तुम्हारी राइफल इसके शरीर को छूती है ये उसे डंडा समझकर डर जाती है और भागने लगती है। 

शायद अस्तबल में इस पर डंडा चलाया जाता होगा। खैर, विजू खोटे ने अज़ीम भाई के निर्देशानुसार अपने पैर कुछ ऐसी पॉजिशन में रखे कि राइफल नफरतीती को ना छुए। और कड़ी मशक्कत के बाद वो सीन भी कंप्लीट किए गए।

नफरतीती का एक और हंगामा

नफरतीती के हंगामे की एक और घटना वो थी जिसमें शोले के इसी दृश्य का एक क्रेन शॉट लिया जा रहा था। जैसे ही नफरतीती ने क्रेन को देखा, वो फिर बिदक गई। उसने फिर से विजू खोटे को ज़मीन पर दे पटका। 

अबकी बार वो एक पत्थर पर गिरे। और इस दफा गिरने के बाद तो विजू खोटे के सब्र का बांध टूट गया। वो खड़े हुए और रमेश सिप्पी से बोले,"बस। अब और नहीं। अब मैं इस नफरती पर नहीं बैठने वाला।" 

रमेश सिप्पी ने विजू खोटे को शांत करने की खूब कोशिशें की। लेकिन वो शांत होने को तैयार नहीं थे। वो बस यही कह रहे थे कि अब मैं इस नफरती घोड़ी पर कतई नहीं बैठूंगा। 

तब एक बार फिर अज़ीम भाई विजू के पास आए और बोले,"बाबा अभी नहीं बैठोगे तो ज़िंदगी में कभी घोड़े पर नहीं बैठ पाओगे।" फिर तय किया गया कि विजू अपनी टांगे चौड़ाकर नफरतीती पर बैठेंगे। ताकि नफरतीती को क्रेन ना दिख सके। 

नफरतीती क्रेन देखकर डर रही है। वो पूरा सीक्वेंस शूट करने के बाद विजू ने राहत की सांस ली। मुंबई वापस लौटते वक्त उन्हें निर्देश दिया गया कि अगले शेड्यूल में आने से पहले उन्हें मुंबई में घुड़सवारी की ट्रेनिंग हर हाल में लेनी है। 

दरअसल, रमेश सिप्पी ने फिल्म के कलाकारों को घुड़सवारी की ट्रेनिंग देने के लिए जुहू बीच पर एक वर्कशॉप का इंतज़ाम कर रखा था। और फिल्म के वो सभी कलाकार जिन्हें घोड़े पर अपने दृश्य फिल्माने थे वो उन्हें वर्कशॉप में हिस्सा हर हाल में लेना था। 

मुंबई लौटकर विजू खोटे ने भी वो वर्कशॉप अटैंड की। लेकिन उनकी किस्मत अच्छी रही कि अगली दफा उन्हें नफरतीती पर बैठने की ज़रूरत ही नहीं पड़ी। क्योंकि उनका अगला सीन वो था जिसमें कालिया का सामना गब्बर से होता है और गब्बर उससे पूछता है,"कितने आदमी थे?" 

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