Begum Akhtar | मल्लिका-ए-गज़ल बेग़म अख़्तर के जीवन की कुछ बहुत ही रोचक कहानियां | Mallika-E-Ghazal

Begum Akhtar Story. क्या कभी आपने सुना है कि सिगरेट पीने के लिए किसी ने पूरी ट्रेन रुकवा दी हो। या फिर आपने कभी सुना हो कि सिगरेट की लत किसी इंसान पर इतनी हावी हो सकती है कि उसे एक फिल्म को पूरा देखने के लिए छह दफा टिकट खरीदकर सिनेमा हॉल में जाना पड़ा हो। 

mallika-e-ghazal-begum-akhtar-story
Mallika-E-Ghazal Begum Akhtar Story - Photo: Social Media

वैल, करना तो दूर, कोई आम इंसान ऐसी हरकत करने के बारे में सोच भी नहीं सकता। लेकिन आज जिस शख्सियत की कहानी मैं आपको सुनाऊंगा, उसने ये दोनों कारनामे किए हैं। कौन है ये हस्ती? चलिए, जान लेते हैं।

गज़ल गायकी में जो मुकाम Begum Akhtar उर्फ अख्तरी बाई ने हासिल किया है वो कोई और फिर कभी ना कर सका। वो कईयों के लिए अम्मी थी। कईयों की Begum Akhtar थी। और जाने कितने लोग उन्हें बेतहाशा चाहते थे। 

ये भी पढ़ें: Gufi Paintal Biography | फौज में नौकरी कर चुके गूफी पेंटल के फिल्मी सफर की दिलचस्प कहानी

Begum Akhtar की कुछ दिलचस्प बातें

बेगम अख्तर को चाहने वालों में अमीर-गरीब का कोई फर्क नहीं था। हर दर्जे के लोग बेगम अख्तर और उनकी गायकी से बेपनाह मुहब्बत किया करते थे। दादरा और ठुमरी की एक्सपर्ट कहलाए जाने वाली बेग़म अख़्तर की ज़िंदगी की कहानी किसी फिल्म से कम नहीं है। 

यही वजह है कि बेगम अख्तर के बारे में वक्त-वक्त पर बहुत से लेखकों ने बहुत कुछ लिखा है। पर इस लेख में हम उनकी ज़िंदगी की कहानी नहीं, बल्कि उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जानेंगे।

बेगम अख्तर का शुरुआती जीवन

7 अक्टूबर 1914 को बेगम अख्तर का जन्म फैज़ाबाद में हुआ था। इनकी मां मुश्तरी बेगम इन्हें प्यार से बिब्बी कहकर पुकारती थी। बिब्बी के पिता असग़र हुसैन लखनऊ के एक नामदार वकील थे। 

मुश्तरी बेगम उनकी दूसरी पत्नी थी। कहा जाता है कि बिब्बी यानि बेगम अख्तर की मां मुश्तरी बेगम पहले एक कोठे पर गाने का काम किया करती थी। 

वहीं पर उनकी मुलाकात असग़र हुसैन से हुई थी। पहले से शादीशुदा असग़र हुसैन मुश्तरी बेगम को अपना दिल दे बैठे और उन्होंने मुश्तरी बेगम से शादी कर ली।

शादी के एक साल बाद ही मुश्तरी बेगम ने दो जुड़वा बेटीयों को जन्म दिया। एक थी बिब्बी और दूसरी थी ज़ोहरा। दोनों बच्चियां जब महज़ चार साल की थी तो किसी ने इन दोनों को ज़हरीली मिठाईयां खिला दी। 

बिब्बी तो किसी तरह बच गई। लेकिन उनकी बहन ज़ोहरा ना बच सकी। बेटी खोने के ग़म से मुश्तरी बेगम अभी ठीक से उबर भी नहीं पाई थी कि पति असग़र हुसैन ने भी उन्हें और उनकी बेटी बिब्बी को छोड़ दिया। मुश्तरी बेग़म के लिए ज़िंदगी बेहद मुश्किल हो गई। 

और किस्मत यहां ले आई

बेटी की परवरिश करने में उन्हें परेशानी होने लगी। दूसरी तरफ बेटी अख्तरी उर्फ बिब्बी का मन भी पढ़ाई में नहीं लगता था। बिब्बी की दिलचस्पी शेरो शायरी में ज़्यादा थी। 

शुरु में तो मुश्तरी बेग़म इसके सख्त खिलाफ थी लेकिन बाद में वो भी मान गई। और फिर शुरु हुआ संगीत की तालीम बिब्बी का सफर। उस्ताद इमदाद ख़ान और उस्ताद अता मोहम्मद खान इनकी तालीम के सफर के शुरूआती गुरू रहे। 

बाद में ये कलकत्ता आ गई और यहां इन्होंने उस्ताद मोहम्मद खान, उस्ताद अब्दुल वहीद खान और उस्ताद झंडे खान से इंडियन क्लासिकल म्यूज़िक की तालीम हासिल की।

बेग़म अख्तर 15 साल की थी जब उन्होंने पहली दफा स्टेज पर गज़ल गायकी की थी। तब तक वो अपना नाम बिब्बी से बदलकर अख्त़री बाई फैज़ाबादी कर चुकी थी। 

कांपते पैरों संग अख्त़री बाई ने अपनी पहली गज़ल परफॉर्मेंस दी थी। और जैसे ही उनकी वो परफॉर्मेंस खत्म हुई, हिंदुस्तान में गज़ल गायकी के एक नए अध्याय की शुरूआत हो गई। 

ये कहीं से कहीं तक भी तय नहीं था कि अख्तरी बाई कोलकाता में हुए उस प्रोग्राम में गाएंगी। देश के कई दिग्गज कलाकारों ने उस प्रोग्राम में शिरकत की थी। 

उस्ताद अमान अली खान साहब और उनके नौजवान शागिर्द उस्ताद बिस्मिल्लाह खान भी उस प्रोग्राम में मौूजद थे। प्रोग्राम जब अपने दूसरे हिस्से में पहुंचा तो अचानक आयोजकों के बीच अफरा-तफरी मच गई। एक बड़े कलाकार ने ऐन वक्त पर प्रोग्राम में आने से इन्कार कर दिया था। 

आंखें बंद कर किया ख़ुदा को याद

आयोजकों को समझ में नहीं आ रहा था कि उस कलाकार की जगह अब किससे गवाया जाए। तब उस्ताद अता मोहम्मद खान ने आयोजकों से कहा कि उनकी एक शागिर्द है। उससे गवा दिया जाए। 

आगे जो होगा उसका अल्लाह मालिक है। वहीं दूसरी तरफ हॉल में बैठे दर्शकों ने भी शोर मचाना शुरू कर दिया था। आखिरकार लोग टिकट खरीदकर वो प्रोग्राम देखने आए थे। 

उस्ताद अता मोहम्मद ख़ान के कहने पर कांपती टांगो से अख़्तरी बाई फ़ैज़ाबादी स्टेज पर आई और आंख बंद करके उन्होंने अल्लाह को याद किया। फिर उन्होंने छेड़ा मुमताज़ बेग़म का मशहूर कलाम,"तूने बुत-ए-हरजाई, कुछ ऐसी अदा पाई। तकता है तेरी ओर हर एक तमाशाई।" 

उस हॉल में बैठे लोग अख़्तरी बाई की आवाज़ की कशिश के दीवाने हो गए। एक के बाद एक अख़तरी बाई ने चार गज़लें सुना दी। तालियों की गड़गड़ाहट के साथ जब वो प्रोग्राम खत्म हुआ तो एक महिला अख़्तरी बाई के पास आई। 

वो महिला बोली,"मैं कुछ ही देर के लिए इस प्रोग्राम में आई थी। लेकिन जब तुम्हें सुना तो फिर जाने का मन ही नहीं किया। अब कल तुम मुझे सुनने आना।" उस महिला ने अख़्तरी बाई को खादी की एक साड़ी तोहफे में दी। वो महिला थी भारत की स्वर कोकिला सरोजिनी नायडू।

तनहाई का ख़ौफ

अख्तरी बाई फैज़ाबादी यानि बेग़म अख्तर को तनहाई से बड़ा डर लगता था। उन्हें तनहाई का इतना खौफ था कि होटल के अपने कमरे में वो कभी भी अकेले नहीं ठहरती थी। 

तनहाई की वजह से ही उन्होंने शराब और सिगरेट को अपना साथी बना लिया था। लोग कहते हैं कि वो चेन स्मोकर थी। सिगरेट की लत की इस कदर शिकार थी कि रमज़ान के महीने में रोज़े भी बमुश्किल ही रख पाती थी। 

बेग़म अख्तर की सिगरेट की तलब से एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा जुड़ा है। हुआ कुछ यूं कि एक दफा बेग़म ट्रेन में सफर कर रही थी। सफ़र के दौरान जब सिगरेट खत्म हो गई तो बेगम अख्तर टेंशन में आ गई। 

वो सिगरेट की लत की इतनी ज़्यादा शिकार थी कि जैसे ही एक स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो बेग़म फौरन ट्रेन से उतरकर स्टेशन पर सिगरेट की दुकान तलाशने लगी। 

लेकिन पूरे स्टेशन पर ना तो उन्हें सिगरेट की कोई दुकान नज़र आई और ना ही कोई शख़्स ही सिगरेट बेचता हुआ नज़र आया। बेग़म दौड़ती हुई ट्रेन के गार्ड के पास पहुंची और उससे अपने लिए सिगरेट लाने के लिए कहा। 

शुरू में तो गार्ड ऐसा करने के लिए कतई तैयार नहीं हुआ। मगर बेग़म अख्तर सिगरेट की तलब के सामने इतनी बेबस हो रही थी कि उन्होंने गार्ड से उसका लालटेन और हरा झंडा छीन लिया। 

फिर तो मजबूरी में गार्ड को स्टेशन के बाहर जाकर बेग़म के लिए सिगरेट का एक पैकेट खरीदकर लाना ही पड़ा। तब कहीं जाकर ट्रेन आगे रवाना हो सकी।

बेग़म की सिगरेट की आदत से ही एक और कहानी जुड़ी है। दरअसल, बेग़म अख़्तर ने पाकिज़ा फिल्म को सिनेमा हॉल में छह दफा देखा था। और वो इसलिए, क्योंकि बेग़म सिगरेट पीने के लिए फिल्म छोड़कर बाहर चली जाती थी। 

और जब तक वो वापस लौटती थी तो तब फिल्म काफी आगे निकल चुकी होती थी। इस दौरान फिल्म के कई सीन्स छूट जाते थे। इसलिए बेग़म ने छह दफा टिकट खरीदकर पाकिज़ा फिल्म देखी और तब जाकर उनकी ये फिल्म पूरी हुई।

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

Anup Jalota | Bhajan Samrat से जुड़े आठ बड़े ही रोचक और Lesser Known Facts

Purab Aur Pachhim 1970 Movie Trivia | पूरब और पश्चिम फिल्म की मेकिंग से जुड़ी 15 अनसुनी व रोचक कहानियां

Shiva Rindani | 90s की Bollywood Movies में गुंडा बनने वाले इस Actor को कितना जानते हैं आप? | Biography