नहीं | Kishore Da ने Shailendra Singh जी के साथ कोई गंदी राजनीति नहीं की | असली सच जानिए
Shailendra Singh जी का ज़िक्र होता है तो मुझे अक्सर यूट्यूब पर दिखा एक वीडियो याद आ जाता है जिसमें दावा किया जाता है कि किशोर कुमार जी ने शैलेंद्र सिंह के साथ गंदी राजनीति करके उनका करियर खत्म करने की कोशिश की थी। ये चैनल शायद कोई मोहतरमा चलाती हैं। क्योंकि वीडियो में किसी महिला की आवाज़ ही सुनाई देती है।
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Kishore Kumar and Shailendra Singh - Photo: Social Media |
वीडियो में मोहतरमा दावा करती हैं कि Shailendra Singh की वजह से उस दौर के स्थापित गायकों को खतरा महसूस होने लगा था। इसिलिए उनके साथ राजनीति की गई। Shailendra Singh को उस राजनीति के चलते पीछे धकेला गया था।
ये अफवाह फैलाई गई
हम सभी जानते हैं कि 70 के दशक में रफी-किशोर-मुकेश-मन्ना डे ही शीर्ष पर थे। और जो मुकाम इन गायकों को हासिल था उसे पाने का ख्वाब यकीनन हर नया गायक देखता ही होगा। मोहतरमा अपने वीडियो में दावा करती हैं कि किशोर कुमार उस राजनीति के अगुवा थे जो शैलेंद्र सिंह के खिलाफ चलाई गई थी।
और कहती हैं कि 1974 में आई फिल्म ज़हरीला इंसान में ओ हंसिनी गीत किशोर कुमार ने शैलेंद्र से छीन लिया था। हालांकि मोहतरमा जब ये सारी बातें कहती हैं तो कोई तथ्य नहीं देती हैं। बस एक ही बात बोलती हैं। “खबरों की मानें तो।“
सच ये है
अगर इतनी ही आसानी से लोग खबरों की मानने लगें तो दुनिया में जो अराजकता फैली हुई है वो और कई गुना हो जाएगी। खैर, तो मोहतरमा अपने वीडियो में कहती हैं कि किशोर दा ने ओ हंसिनी गीत शैलेंद्र से छिनवाया और खुद गाया। जबकी असली कहानी ये है कि यूं तो ऋषि कपूर भी चाहते थे कि ओ हंसिनी गीत शैलेंद्र सिंह ही गाएं।
बॉबी के बाद से ही ऋषि अपने लिए शैलेंद्र को ही सबसे फिट मानते थे। ऋषि जी सोचते थे कि किशोर दा बहुत सीनियर हैं। जाने किशोर दा की आवाज़ उन पर फिट हो पाएगी या नहीं। लेकिन ज़हरीला इंसान के संगीतकार आर.डी.बर्मन पहले ही प्लानिंग कर चुके थे कि ये गीत उन्हें किशोर कुमार से गवाना है।
इसलिए पंचम दा ने ऋषि कपूर की एक नहीं सुनी। और उन्होंने वो गीत किशोर दा से ही गवाया। क्योँकि पंचम दा जानते थे कि वो गीत किशोर दा से बढ़िया कोई और गा ही नहीं सकता था। पंचम जी एकदम सही भी साबित हुए।
फिल्म भले ही ना चली हो। लेकिन किशोर दा की आवाज़ में ओ हंसिनी गीत ने झंडे गाड़ दिए थे। आप भी इस बात से इन्कार नहीं कर सकते कि ओ हंसिनी गीत किशोर कुमार जैसा कोई और नहीं गा सकता था।
किशोर दा शैलेंद्र को बेटे जैसा मानते थे
अब इस बारे में बात करते हैं कि क्या सच में किशोर कुमार जैसी महान शख्सियत एक नए उभरते गायक से ईर्ष्या क सकती है? वैल, आप जो सोच रहे हैं वो एकदम सच है। किशोर दा ने ऐसा कभी नहीं किया था।
शैलेंद्र ही नहीं, किसी और गायक के साथ भी उन्होंने कभी कोई राजनीति नहीं की। और मैं ये बात दावे के साथ इसलिए कह सकता हूं क्योंकि मैने खुद एक एक इंटरव्यू में शैलेंद्र सिंह जी को ये कहते सुना है कि किशोर दा उन्हें अपने बेटे जैसा मानते थे।
वो अक्सर शैलेंद्र से कहते थे कि किसी दिन मेरे साथ मेरे होम टाउन खंडवा चलो। हालांकि किशोर दा के जीवित रहते हुए शैलेंद्र सिंह जी कभी खंडवा ना जा सके।
और एक बात। किशोर दा ने शैलेंद्र सिंह जी के साथ कुछ गाने गाए भी हैं। जैसे परवरिश(1977) का 'हम प्रेमी प्रेम करना जानें।' जी हां, शम्मी कपूर साहब को शैलेंद्र सिंह जी ने ही आवाज़ दी थी।
एक दूसरा गीत जो इन दोनों ने साथ गाया है वो 1982 की फिल्म अशांति का 'ना तुझसे ना मुझसे, हमसे है ये दुनिया है।' और भी हो सकते हैं। मुझे पता नहीं हैं।
ये भी जान लीजिए
जाते-जाते एक और बात याद आ गई तो वो भी बता देता हूं। कुछ डेढ़ स्याने कहते हैं कि चूंकि किशोर कुमार ने बॉबी फिल्म का गीत 'हम तुम एक कमरे में बंद हों' रिकॉर्ड कर लिया था।
और राज कपूर ने फिर भी वो गीत शैलेंद्र सिंह से रिकॉर्ड कराकर फिल्म में लिया तो इसलिए किशोर दा शैलेंद्र सिंह जी से जलते थे। और ये डेढ़ स्याने लोग किशोर दा की आवाज़ में रिकॉर्ड किया वो गीत सुनवाते भी हैं।
अब ये तो सच है कि किशोर दा ने भी ये गीत गाया है। और यूट्यूब पर सुनने को भी मिल जाता है। लेकिन ये कोई नहीं बताता कि किशोर दा ने ये गाना साल 1982 में आई धर्मेद्र की फिल्म 'मैं इंतकाम लूंगा' के लिए रिकॉर्ड किया था। और वो भी असरानी जी के एक कॉमिक सीन के लिए।
उसमें भी किशोर दा ने केवल दो ही लाइनें गाई थी। 'हम तुम एक कमरे में बंद हों। और चाबी खो जाए। तेरे नैनों की भूल-भुलैया में बॉबी खो जाए।' और ज़ाहिर है किशोर कुमार जैसा लैजेंडरी सिंगर दो लाइनें भी गाएगा तो वो भी शानदार ही लगेंगी। किशोर दा तो हमिंग भी सुरीली होती थी।
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