Tom Alter | एक शानदार Actor की कुछ बहुत ही रोचक कहानियां पढ़िए | Lesser Known Facts

Tom Alter. भारत के वो एक्टर जो अक्सर हमारी फिल्मों में किसी फिरंगी के किरदार में नज़र आते थे। 20 जून 1950 को मसूरी में टॉम साहब का जन्म हुआ था। जबकी 29 सितंबर 2017 में 67 साल की उम्र में कैंसर की वजह से टॉम ऑल्टर जी ये दुनिया छोड़ गए थे।

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Very Interesting and Lesser Known Facts about Tom Alter - Photo: Social Media

Tom Alter जी के Son Jamie Alter जी यूट्यूब पर अक्सर अपने पिता से जुड़ी यादें व रोचक किस्से साझा करते रहते हैं। जेमी ऑल्टर जी का धन्यवाद जो वो इतनी प्यारी यादें हम Tom Alter के फैंस को बताते रहते हैं। 

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टॉम साहब निभाए के बेस्ट किरदारों की बात हो तो आशिकी फिल्म में उनके निभाए हॉस्टल वार्डन के किरदार की बात भी अवश्य की जाएगी। इस किरदार से जुड़ी एक बड़ी ही रोचक बात जेमी ऑल्टर जी ने बताई। 

बकौल जेमी ऑल्टर, आशिकी फिल्म के लेखक ने टॉम साहब से कहा था कि आप अपने कैरेक्टर का नाम अपनी मर्ज़ी से चुन सकते हैं। 

टॉम ऑल्टर साहब ने भी अपने एक फैमिली फ्रेंड, जो उनके पिता के मित्र थे और टॉम जी भी उन्हें पिता समान ही मानते थे, उनका नाम अपने कैरेक्टर को दिया। इस तरह आशिकी फिल्म में टॉम ऑल्टर जी के किरदार को नाम मिला एर्नी कैम्पबेल। 

फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। और हॉस्टर वार्डन एर्नी कैम्पबेल का किरदार काफी निगेटिव होता चला गया। हालांकि जब टॉम साहब ने फिल्म साइन की थी तब वो कैरेक्टर उन्हें इतना निगेटिव नहीं बताया गया था। 

फिल्म में एक सीन था जहां एर्नी कैम्पबेल हीरोइन अनु वर्गीस उर्फ अनु अग्रवाल से आखिर में माफी भी मांगते हैं। ये सीन शूट भी किया गया था। 

लेकिन जब फिल्म एडिटिंग  टेबल पर आई तो इस सीन को हटा दिया गया। नतीजा ये हुआ कि फिल्म जब रिलीज़ हुई तो टॉम ऑल्टर जी का कैरेक्टर पूरी तरह से विलेनियस बन गया। 

Tom Alter अपने उन परीचित मिस्टर एर्नी कैम्पबेल से मिलने पहुंचे और उन्होंने आशिकी के उस निगेटिव किरदार को एर्नी कैम्पबेल जी का नाम देने के लिए माफी मांगी। हालांकि शुरुआत में असली एर्नी कैम्पबेल जी टॉम साहब से अच्छे-खासे नाराज़ थे। 

पर चूंकि टॉम ऑल्टर उनके लिए उनके बेटे जैसे ही थे तो उन्होंने टॉम साहब को माफ कर दिया। इसी किरदार से जुड़ी एक कहानी जेमी ऑल्टर जी ने ये भी बताई थी कि एक दफा जब टॉम साहब एयरपोर्ट पर थे तो वहां एक परिवार के साथ मौजूद एक बच्ची उन्हें देखकर डर गई थी और रोने लगी थी। 

अगली कहानी जो जेमी ऑल्टर जी ने अपने पिता टॉम ऑल्टर जी के बारे में सुनाई वो जुड़ी है दूरदर्शन के मशहूर धारावाहिक रहे जुनून से। जुनून में टॉम ऑल्टर जी ने एक गैंगस्टर केशव कलसी का किरदार निभाया था। 

केशव कलसी का किरदार जुनून धारावाहिक का प्रसारण शुरू होने के काफी बाद इंट्रोड्यूज़ कराया गया था। टॉम जी तब मुंबई में थे और उनका परिवार मसूरी में ही रहा करता था।

अपना पहला एपिसोड वो मसूरी में अपने परिवार संग देखना चाहते थे। इसलिए जिस दिन केशव कलसी वाला जुनून का पहला एपिसोड आने वाला था उस दिन वो दिन में ही मसूरी पहुंच गए।

जुनून शुरू होने से कोई 10-15 मिनट पहले किसी वजह से टॉम ऑल्टर जी के घर का टीवी सेट खराब हो गया। उन्हें बहुत दुख हुआ। क्योंकि वो मुंबई से मसूरी आए ही थे जुनून का अपना पहला एपिसोड अपने परिवार संग देखने के लिए। 

टॉम ऑल्टर जी को गुस्सा भी आ रहा था। तभी उन्हें याद आया कि मसूरी के उनके एस्टेट में काम करने वाले रामलाल के यहां भी टीवी है। अच्छी बात ये थी कि रामलाल जी का घर टॉम ऑल्टर जी के घर के पीछे की तरफ ही था। 

टॉम ऑल्टर ने अपने बेटे जेमी ऑल्टर, जो उस वक्त 11-12 साल की उम्र के ही थे, उन्हें साथ लिया और रामलाल के घर के दरवाज़े पर पहुंच गए।

वहां पहुंचकर टॉम ऑल्टर ने रामलाल को आवाज़ लगाई। रामलाल ने दरवाज़ा खोला तो टॉम ऑल्टर ने उनसे टीवी चलाने को कहा। और जैसे ही वो रामलाल के घर में घुसे, उन्होंने देखा कि रामलाल के घर पर तो पहले ही टीवी चल रहा है। 

टॉम ऑल्टर जी व उनके साथ जेमी ऑल्टर रामलाल जी के घर में बैठे और टीवी देखने लगे। जुनून शुरू हो गया। एक गाड़ी रुकती है। उसमें से सफेद पैंट और सफेद जूते पहने दो पैर बाहर निकलते हैं। कैमरा जूतों पर ही फोकस्ड है। 

वो जूते एक घर की सीढ़ियां चढ़ते हैं और एक कमरे में घुसते हैं। और तब वहां टॉम ऑल्टर उर्फ केशव कलसी उर्फ केके का चेहरा नज़र आता है।

टॉम ऑल्टर बड़े ध्यान से अपने आप को देख रहे थे। बीच में अगर कोई कुछ बोलने की कोशिश करता भी तो वो उसे धीमे से चुप करा देते। इस तरह उस दिन रामलाल जी के परिवार के लोगों ने भी पूरी तरह शांत रहकर जुनून का वो केशव कलसी वाला पहला एपिसोड देखा। केशव कलसी का किरदार बहुत लोकप्रिय हुआ था। उस किरदार की लोकप्रियता को देखते हुए शो के मेकर्स ने भी आगे चलकर लगभग हर एपिसोड में केशव कलसी का कम से कम एक सीन रखना शुरू कर दिया था।

जुनून के केशव कलसी से जुड़ी अपनी एक याद साझा करते हुए जेमी ऑल्टर कहते हैं कि उन्हें भी कभी-कभार उनके पिता अपने साथ जुनून की शूटिंग पर ले जाते थे। एक दफा वो जुनून के सेट पर थे। एक सीन शूट होना था जिसमें केशव कलसी को सिगरेट पीनी थी।

जबकी रियल लाइफ में टॉम ऑल्टर ना तो सिगरेट पीते थे और ना ही शराब को हाथ लगाते थे। इसलिए वो सीन शूट करते वक्त उन्हें थोड़ी परेशानी हो रही थी। हालांकि दूसरे टेक में ही उन्होंने उस सीन को कंप्लीट कर दिया था। 

वो एपिसोड जब जेमी ऑल्टर जी ने टीवी पर देखा तो उन्हें ज़रा भी नहीं लगा कि उनके पिता ने कभी सिगरेट नहीं पी। वो इस तरह सिगरेट पी रहे थे जैसे कोई रेगुलर स्मोकर पीता है।

एक और कहानी बताता हूं जो जुनून के केके यानि केशव कलसी से जुड़ी है। ये कहानी भी जेमी ऑल्टर जी ने ही अपने यूट्यूब वीडियो के माध्यम से बताई थी। जुनून इतना लोकप्रिय शो था कि इसे भारत की अन्य भाषाओं में भी डब करके रिलीज़ किया गया था। 

तमिल में भी। और तमिलनाडू में भी जुनून हिंदी वाले शो जितना ही लोकप्रिय हुआ था। साथ ही वहां भी दर्शकों ने केके यानि केशव कलसी के कैरेक्टर को पसंद किया। 

एक दफा तमिलनाडू बोर्ड के एग्ज़ाम में सवाल आया था जिसमें पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति एब्राहम लिंकन की तस्वीर छपी थी और छात्रों को बताना था कि वो कौन हैं। 

एक छात्र ने उस तस्वीर के जवाब में लिखा था केके। उस छात्र के केके वाले जवाब की खबर अखबार में छपी थी। और बाद में किसी ने टॉम ऑल्टर को उस खबर की कटिंग टॉम साहब को भेजी भी थी।

ये कहानी मिथुन दा की फिल्म रुख़्सत की शूटिंग के दौरान की। रुख़्सत रिलीज़ भले ही 1988 में हुई हो। लेकिन इस फिल्म की शूटिंग काफी पहले से चल रही थी। 

1983 में जब कपिल देव जी के नेतृत्व वाली टीम इंडिया ने वेस्ट इंडीज़ को हराकर पहला क्रिकेट विश्वकप भारत को दिलाया था तब भी इस फिल्म की शूटिंग चल रही थी। 

वो भी अमेरिका में। वैसे इस फिल्म की अधिकतर शूटिंग अमेरिका में ही हुई थी। रुख़्सत सिमी गरेवाल की डायरेक्टोरियल डेब्यू फिल्म थी।

1983 का वर्ल्ड कप खत्म होने के बाद भारतीय टीम अमेरिका के दौरे पर गई थी। वहां उसे कुछ एग्ज़ीबिशन मैचेस खेलने थे। उसी दौरान अमेरिका के रोड आइलैंड में रुख़्सत फिल्म की शूटिंग भी चल रही थी। 

चूंकि रोड आइलैंड में भारतवंशियों की भी अच्छी-खासी तादाद है तो वहां भारतवंशियों के लिए अलग से एक अखबार भी निकलता था। रुख़्सत में टॉम ऑल्टर साहब ने भी एक अमेरिकी पुलिस अफसर का किरदार निभाया था। 

टॉम ऑल्टर जी ने ही उस अखबार में टीम इंडिया के एग्ज़ीबिशन मैच का एक विज्ञापन देखा। और टॉम ऑल्टर साहब तो थे ही क्रिकेट के बड़े वाले शौकीन।

टीम इंडिया का वो मैच न्यूजर्सी में था जो कि रोड आइलैंड के पास ही मौजूद है। टॉम ऑल्टर जी ने मिथुन दा से बताया कि भारतीय टीम अमेरिका में मैच खेलने आई है। 

और अगला मैच जहां होगा वो जगह पास में ही मौजूद है। ये सुनकर मिथुन दा बड़े एक्साइट हुए। फिर टॉम ऑल्टर व मिथुन दा फिल्म के प्रोड्यूसर के पास गए और उन्होंने रिक्वेस्ट की, कि हमें मैच देखने के लिए एक ब्रेक दिया जाए। 

इत्तेफाक से जिस दिन मैच था उस दिन शूटिंग नहीं होनी थी। सो मिथुन दा व टॉम ऑल्टर जी को मैच देखने जाने की परमिशन मिल गई। मिथुन दा ने तीन टिकट खरीदे। अपने लिए, टॉम ऑल्टर जी के लिए व अपने मेकअप मैन के लिए भी।

तीनों उसी शाम मैच देखने न्यूजर्सी निकल गए। अमेरिका के उस दौरे पर 1983 वर्ल्ड कप की पूरी भारतीय टीम थी। सिवाय कपिल देव और के.श्रीकांत जी को छोड़कर। वहीं अमेरिका की टीम में वेस्ट इंडीज़ के तब के दिग्गज खिलाड़ी एलविन कालीचरण शामिल थे। 

मिथुन दा व टॉम ऑल्टर साहब जब शाम को न्यूजर्सी पहुंचे, तो वो सीधे सुनील गावस्कर जी से मिलने पहुंच गए। गावस्कर साहब से इनकी मुलाकात हुई और काफी बातें भी हुई।

बातचीत के दौरान गावस्कर साहब ने कुछ ऐसा कहा जिसे सुनकर मिथुन दा और टॉम ऑल्टर साहब अपने कानों पर यकीन ना कर सके।

गावस्कर जी ने कहा कि अगर टॉम ऑल्टर व मिथुन चाहें तो वो दोनों भारत की तरफ से इस मैच में खेल सकते हैं। ये बहुत बड़ी बात थी। और इन दोनों के लिए एक बहुत अच्छा मौका भी। इसलिए दोनों ने गावस्कर साहब से कहा कि वो ज़रूर खेलेंगे। 

अगली सुबह मैच शुरू हुआ। कप्तान सुनील गावस्कर ने टॉस जीतकर फील्डिंग करने का फैसला लिया। और जानते हैं ऑपनिंग ओवर उन्होंने किससे कराया? अपने मिथुन दा से। मिथुन जब मैदान पर उतरे तो उन्हें देखकर दर्शक तालियां और सीटियां बजाने लगे। खासतौर पर भारतीय मूल के दर्शक। 

आयोजकों ने मिथुन दा की फिल्म डिस्को डांसर के गाने बजाने शुरू कर दिए। सोचिए क्या नज़ारा रहा होगा उस दिन। खैर, कुछ ओवर्स के बाद गावस्कर साहब ने टॉम ऑल्टर जी को बॉल थमा दी। यानि अब टॉम ऑल्टर साहब को बॉलिंग करनी थी। 

वो लम्हा टॉम ऑल्टर साहब के लिए बड़ा भावुक करने वाला लम्हा था। क्योंकि एक वक्त था जब वो ख्वाब देखते थे कि एक दिन वो भी टीम इंडिया के लिए क्रिकेट खेलेंगे। 

बहरहाल, टॉम ऑल्टर साहब ने बॉलिंग शुरू की। और उस ओवर में उन्होंने यूएसए टीम के कैप्टन को पगबाधा यानि LBW आउट कर दिया। उस विकेट के बाद टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने टॉम ऑल्टर जी को गले लगा लिया।

बकौल टॉम ऑल्टर, समय जैसे थम सा गया था तब। उन्हें लगा जैसे वो अपने सपने को जी रहे हैं। मैदान तालियों के शोर से गूंज रहा था। और टीम इंडिया के खिलाड़ियों ने उन्हें चारों तरफ से घेर रखा था। वो उन्हें बधाई दे रहे थे। तारीफ कर रहे थे। बहुत स्पेशल दिन था वो टॉम ऑल्टर साहब के लिए। 

अब बताइए। ये वाला किस्सा आपने पहले कहीं और सुना या पढ़ा था कभी? आई एम श्योर कि 95 प्रतिशत पाठकों ने नहीं सुना या पढ़ा होगा। कोई बात नहीं। मेरठ मंथन आपको ऐसे ही किस्से-कहानियां अक्सर बताता-सुनाता रहेगा जो बहुत दुर्लभ और मनोरंजक हों। 

वैसे, इससे पहले कि कुछ लोग इस किस्से की सत्यता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करें, तो मैं पहले ही बता दूं कि ये अविश्वसनीय सा किस्सा टॉम ऑल्टर साहब के फ़रज़ंद जेमी ऑल्टर जी ने अपने एक यूट्यूब वीडियो के माध्यम से बताया है। और जेमी ऑल्टर जी के बताए किस्से कभी गलत नहीं होते।

साथियों रुख़्सत फिल्म का ये क्रिकेट वाला किस्सा आपने जान लिया तो अब एक और किस्सा भी जान लीजिए। क्योंकि ये किस्सा भी बड़ा ही दिलचस्प है। 

जैसा कि ऊपर मैंने बताया था कि टॉम ऑल्टर जी इस फिल्म में अमेरिकन पुलिस अफसर बने थे तो ये कहानी उसी रोल से जुड़ी है। फिल्म की कहानी के मुताबिक टॉम ऑल्टर का किरदार है तो अमेरिकन पुलिस के अफसर। 

लेकिन चूंकि वो सालों से इंडियन कस्टम डिपार्टमेंट से जुड़ा था तो उसे हिंदी बहुत अच्छी तरह से बोलनी-समझनी आती है। फिल्म में टॉम ऑल्टर जी के जितने भी दृश्य हैं वो सब अमेरिकन पुलिस की वर्दी में हैं।

एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि फिल्म की शूटिंग के बाद क्य्रू के कुछ मेंबर्स को भूख लगी। उस वक्त तक यूनिट के लिए बनाया जाने वाला खाना खत्म हो चुका था। यानि अब खाने के लिए बाहर ही जाना पड़ता। 

मसला ये था कि जिन क्र्यू मेंबर्स को भूख लगी थी वो वेजेटेरियन थे। और अमेरिका में रात के वक्त किसी जगह वेज खाना ढूंढना एक चुनौतीपूर्ण काम था। 

टॉम ऑल्टर साहब को जब पता चला कि कुछ लोगों को भूख लगी है तो वो उन्हें खाना खिलाने चल दिए। उन्होंने एक टैक्सी ली और रोड आइलैंड की सड़कों पर देर रात रेस्टोरेंट की तलाश में निकल पड़े। 

टैक्सी वाले ने उन सभी को एक पब के बाहर उतार दिया और कहा कि इस वक्त तो आपको यहीं पर कुछ खाने के लिए मिल सकता है। टॉम ऑल्टर व बाकि सब उस पब में चले गए। टॉम ऑल्टर उस पब के काउंटर पर गए और उन्होंने पूछा कि खाने में क्या मिलेगा? 

काउंटर पर एक महिला थी। उसने शक व घबराई हुई नज़रों से टॉम ऑल्टर साहब की तरफ देखा और कुछ सेकेंड्स में जवाब दिया। 

वो बोली,"इस समय तो बर्गर्स ही मिल सकेंगे।" टॉम ऑल्टर ने उससे कहा कि एक हैम बर्गर लाइए और तीन वेज बर्गर्स। वो महिला थोड़ी कन्फ्यूज़ हुई। उसने टॉम साहब से पूछा,"ये वेज बर्गर क्या होता है?"

टॉम ऑल्टर साहब समझ गए कि उस महिला की दुविधा क्या है। दरअसल, अमेरिका के लोग वेज बर्गर जैसी चीज़ को जानते ही नहीं। इसिलिए वो महिला कन्फ्यूज़ हो रही थी। 

टॉम साहब ने उससे कहा कि अगर आपके पास कोई बिना मीट वाली पैटी है तो बर्गर में उसे लगा दीजिए। अगर नहीं है तो बर्गर के बीच में बस कुछ पत्ते, खीरा और टमाटर रख दें। 

उस महिला की हैरत खत्म तो नहीं हुई। लेकिन उसने टॉम साहब का ऑर्डर ले लिया। ऑर्डर आता उससे पहले टॉम साहब ने नोटिस किया कि पब के अंधेरे कोने में चार-पांच आदमी बैठे हैं। और वो आदमी भी उन्हें शक व घबाई नज़रों से देख रहे हैं।

हालांकि उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा हो क्यों रहा है। क्यों वो महिला और वो सब आदमी उन्हें ऐसे शक की नज़रों से घूर रहे हैं। क्यों घबरा रहे हैं। 

थोड़ी देर बाद टॉम साहब का ऑर्डर आ गया। इन सभी ने जल्दी से अपना खाना फिनिश किया और फिर वहां से निकल लिए। बाहर आकर उन्होंने अपने होटल के लिए एक टैक्सी ली और वहां से चल दिए। 

कुछ देर बाद टैक्सी ड्राइवर ने टॉम ऑल्टर साहब से पूछा कि क्या आप सच में पुलिस अफसर हो? बस, उसी वक्त टॉम ऑल्टर को समझ में आ गया कि उस पब के काउंटर वाली वो महिला व वो चार-पांच आदमी उन्हें देखकर क्यों घबरा रहे थे।

दरअसल, शूटिंग के बाद टॉम ऑल्टर ने अपनी कॉस्ट्यूम चेंज ही नहीं की थी। वो उन क्यू मेंबर्स को अपनी शूटिंग वाली अमेरिकन पुलिस की वर्दी में ही ले गए थे। और उस वर्दी को देखकर ही पब में वो सभी लोग उनसे घबरा रहे थे। 

खैर, टॉम ऑल्टर ने ड्राइवर को बताया कि मैं तो एक एक्टर हूं। मैं इंडिया से हूं और हम यहां एक इंडियन फिल्म की शूटिंग करने आए हैं। तब टैक्सी ड्राइवर ने टॉम साहब से कहा कि तभी आपको पता नहीं है कि आप किस जगह से आ रहे हैं।

उसने बताया कि जिस पब में आप गए थे वो एक लोकल इटैलियन माफिया का पब है। वहां कोई पुलिस वाला नहीं जाता। और आप पुलिस की वर्दी में वहां से खाना खाकर आ रहे हैं।

समझ लीजिए कि आप बच गए हैं। टैक्सी वाले की वो बात सुनकर टॉम ऑल्टर और उनके साथी बहुत हंसे। हालांकि उन्हें ये भी अहसास था कि अगर कोई बात इधर-उधर हो जाती तो आज मामला काफी गड़बड़ भी हो सकता था।

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