Baby Naaz | भारत की Famous Child Artist जिसके चेहरे की चमक सबको दिखी, दिल का दर्द बहुत कम को नज़र आया | Biography

कुमारी नाज़, जिन्हें बहुत से लोग बेबी नाज़ के नाम से जानते हैं। 1950 के दशक की मशहूर बाल कलाकार थी बेबी नाज़। आज बेबी नाज़ की कहानी हम और आप जानेंगे। क्योंकि आज बेबी नाज़ का जन्मदिन है। 20 अगस्त 1944 को बेबी नाज़ का जन्म मुंबई में हुआ था।

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Biography of famous child artist Baby Naaz - Photo: Social Media

Baby Naaz की उम्र 10 साल ही थी जब वो एक स्टार चाइल्ड आर्टिस्ट बन चुकी थी। उनका रियल नेम Salma Baig था। उनके पिता मिर्ज़ा दाउद बेग एक स्ट्रगलिंग राइटर थे।

मिर्ज़ा दाउद बेग फिल्मों की कहानियां लिखा करते थे। लेकिन उनकी कहानियां कभी फिल्मों की शक्ल नहीं ले सकी। अपनी पूरी ज़िंदगी उन्होंने कड़ा संघर्ष करते हुए ही गुज़ार दी।

कहा जाता है कि बेबी नाज़ की मां एक खुदगर्ज़ महिला थी। उन्हें सिर्फ अपनी फिक्र रहती थी। उन्होंने कभी अपने पति का सम्मान नहीं किया। चूंकि पति बहुत खास कमा नहीं पाते थे तो उन्होंने अपनी इकलौती बेटी सलमा को स्कूल भेजने की बजाय काम पर लगा दिया।

वो सलमा को किसी तरह फिल्म लाइन में घुसाना चाहती थी। ताकि वो वहां से अच्छे पैसे कमा सके। उनकी कोशिश रंग लाई। और मशहूर फिल्म प्रोड्यूसर-डायरेक्टर और राइटर, व मनोज कुमार जी के रिश्तेदार लेखराज भाखड़ी ने 1952 में आई अपनी फिल्म रेशम में सलमा को बतौर बाल कलाकार पहला ब्रेक दिया।

पहली ही फिल्म से सलमा बेग का नाम बेबी नाज़ हो गया। उस फिल्म में बेबी नाज़ ने सुरैया जी के बचपन का किरदार निभाया था। पहली फिल्म के बाद तो बेबी नाज़ की गाड़ी फिल्मी दुनिया में बढ़िया चल पड़ी। उन्हें और भी कई फिल्मों में काम मिला।

और देखते ही देखते बाल कलाकार के तौर पर बेबी नाज़ बहुत मशहूर हो गई। 1954 में आई राज कपूर की फिल्म बूट पॉलिश ने बेबी नाज़ को लोकप्रियता के शिखर पर बैठा दिया।

उनके पास इतना काम आ गया कि उन्हें कई-कई शिफ्टों में काम करना पड़ता था। एक दिन में उनकी चार-पांच फिल्मों की शूटिंग चला करती थी। यानि बेबी नाज़ बहुत मेहनत कर रही थी।

लेकिन दूसरी तरफ उनके माता-पिता उनका ज़रा भी ख्याल नहीं रखते थे। वो बस आपस में ही लड़ते-झगड़ते रहते थे। उन्हें सिर्फ बेटी की कमाई से मतलब था। बेटी खुश है कि नहीं, इसकी परवार उन्हें ज़रा भी नहीं थी।

बेबी नाज़ 12 साल की ही थी जब उनके माता-पिता तलाक लेकर अलग हो गए। बेबी नाज़ को अपनी मां के साथ रहना पड़ा। चार साल बाद उनकी मां ने दूसरी शादी कर ली। पैसों के लालच में बेबी नाज़ की मां ने बिना सोचे-समझे उनसे काम कराया। उन्होंने इस बात की भी परवाह नहीं की कि फिल्म अच्छी है या नहीं। वो बस ये देखती थी कि नाज़ को कितना पैसा मिल रहा है।

मां की उस आदत से बेबी नाज़ बहुत परेशान रहती थी। वो इतनी दुखी रहती थी कि अपनी ज़िंदगी खत्म करने की कोशिश भी उन्होंने दो दफा की थी। किसी तरह उनकी जान तो बच गई।

लेकिन मां ने बेटी को हौंसला देने की बजाय उसकी पिटाई कर दी। एक वक्त वो भी आया था जब राज कपूर बेबी नाज़ को एक स्विस स्कूल में पांच साल की ट्रेनिंग के लिए भेजना चाहते थे।

राज कपूर को लगता था कि ये बच्ची आगे चलकर बहुत बड़ी एक्ट्रेस बन सकती है। लेकिन तब बेबी नाज़ की मां ने उन्हें नहीं जाने दिया। क्योंकि अगर वो चली जाती तो फिर पैसे कौन कमाता?

नाज़ की मां ने अब उन्हें फिल्मों में मुख्य हीरोइन के तौर पर काम दिलाने की कोशिश शुरू कर दी। बहुत ज़्यादा उम्र ना होने के बावजूद नाज़ को मेकअप और कपड़ों के ज़रिए बड़ा दिखाकर उनकी मां उन्हें डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स के ऑफिस लेकर जाती।

कुमारी नाज़ नाम से उन्होंने कुछ बी-ग्रेड फिल्मों में लीड हीरोइन के तौर पर काम तो किया। लेकिन वो फिल्में कभी भी उनके करियर के लिए हैल्पफुल नहीं हो सकी।

पर चूंकि पैसे अच्छे मिले थे तो उनकी मां ने उन्हें उन फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर किया। कुछ बड़ी फिल्मों में भी उसी दौरान कुमारी नाज़ ने सपोर्टिंग किरदार निभाए थे। और वो किरदार पसंद भी किए गए थे।

साल 1963 में नाज़ को अपनी मां के ज़ुल्मों से तब आज़ादी मिली जब उन्होंने राज कपूर के कज़िन और एक्टर सुब्बीराज से शादी कर ली। यूं तो नाज़ की मां उस शादी के खिलाफ थी।

मां ने नाज़ को कई धमकियां दी थी। सुब्बीराज के चेहरे पर तेज़ाब फेंकने की बात भी की थी। लेकिन नाज़ अपनी मां की उन धमकियों से डरी नहीं। सुब्बीराज से शादी करने के बाद उन्होंने हिंदू धर्म अपना लिया और अपना नाम बदलकर अनुराधा कर लिया।

हालांकि फिल्मों में वो शादी के बाद भी कुमारी नाज़ के नाम से ही काम करती रही। पति सुब्बीराज संग भी उन्होंने कुछ फिल्मों में काम किया था।

नाज़ के दो बच्चे हुए। एक बेटा और एक बेटी। अपने बच्चों को उन्होंने हमेशा फिल्म लाइन से दूर रखा। जब फिल्मों में उन्हें अच्छे रोल मिलने बंद हो गए तो उन्होंने भी फिल्मों में काम करना बंद कर दिया। वो डबिंग आर्टिस्ट बन गई। श्रीदेवी की शुरुआती कई हिंदी फिल्मों की डबिंग नाज़ ने ही की थी।

एक दिन नाज़ के पेट में बहुत तेज़ दर्द उठा। सोनोग्राफी की गई तो पता चला कि उन्हें लिवर कैंसर हो गया है। उनका काफी इलाज कराया गया। लेकिन कुछ फायदा नहीं हुआ। 19 अक्टूबर 1995 को 51 साल की उम्र में नाज़ का निधन हो गया।

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