Actress Faryal Biography | पुराने ज़माने की फ़िल्मों की खूबसूरत मगर शातिर और चालाक वैम्प फ़रयाल की कहानी

इस लेख में जिस अदाकारा की कहानी कही जा रही है वो अपनी निजी ज़िंदगी में तो बहुत नेक, शरीफ, सिंपल और अच्छी थी। मगर जब वो फिल्मों में आई तो ना चाहते हुए भी बन गई एक खतरनाक वैंप। यानि बुरी औरत। 

नाम है इनका फ़रयाल। पुरानी फिल्मों के शौकीन लोगों ने इन्हें ज़रूर फिल्मों में कैबरे करते हुए, और बुरी औरत के तमाम किरदार निभाते हुए देखा होगा।

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Biography of former Bollywood actress Faryal - Photo: Social Media

03 नवंबर 1945 को सीरिया में Faryal का जन्म हुआ था। Faryal के पिता एक भारतीय व मां एक सीरियन थी। फ़रयाल का शुरुआती जीवन सीरिया में ही गुज़रा था। मगर बाद में इनके माता-पिता भारत आ गए। 

शिमला के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में फ़रयाल जी की पढ़ाई-लिखाई हुई। फिर मुंबई के सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज से फ़रयाल ने ग्रेजुएशन किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद फ़रयाल जी को एयर इंडिया में बतौर एयर होस्टेस नौकरी मिल गई।

एक दिन एक फ्लाइट में फ़रयाल जी की मुलाकात फिल्मालय के संस्थापक शशधर मुखर्जी साहब से हुई।  शशधर मुखर्जी फ़रयाल की पर्सनैलिटी और खूबसूरती से बहुत प्रभावित हुए। 

उन्होंने फ़रयाल से उनकी पर्सनैलिटी की तारीफ की। और पूछा कि क्या फ़रयाल फिल्मों में काम करना चाहेंगी? मुखर्जी साहब की वो बात सुनकर फ़रयाल बेहद खुश हुई। 

क्योंकि बचपन से ही फिल्मों के प्रति दीवानगी तो उनमें भी थी। इसलिए जब शशधर मुखर्जी ने फिल्मों में काम करने के बारे में पूछा तो फ़रयाल ने फौरन कहा,"हां, क्यों नहीं? ज़रूर करूंगी।"

शशधर मुखर्जी ने फ़रयाल को अपना एक्टिंग स्कूल,"फिल्मालय स्कूल ऑफ एक्टिंग" जॉइन करने की सलाह दी। फ़रयाल जी ने नौकरी छोड़ी और फिल्मालय जॉइन कर लिया।

फिल्मालय से एक्टिंग कोर्स खत्म करने के फौरन बाद ही फ़रयाल को "ज़िंदगी और मौत(1965)" नाम की एक फिल्म में बतौर हीरोइन काम करने का मौका मिल गया। उस फिल्म में इनके हीरो थे प्रदीप कुमार। 

और फिल्म डायरेक्ट की थी निसार अहमद अंसारी ने। जबकी संगीत दिया था सी. रामचंद्र जी ने। इस फिल्म का एक गाना उस वक्त बहुत हिट हुआ था। 

उस गाने के बोल थे "दिल लगाकर हम ये समझे।" ये गाना मेल और फीमेल, दोनों वर्ज़न में है। फीमेल वर्ज़न को आवाज़ दी थी आशा भोसले जी ने। और मेल वर्ज़न को महेंद्र कपूर जी ने गाया था।

एज़ ए लीड एक्ट्रेस फ़रयाल की दूसरी फिल्म थी साल 1966 में आई बिरादरी। उस फिल्म को राम कमलानी ने प्रोड्यूस किया था। राम कमलानी पुराने दौर के मशहूर कॉमेडियन गोप साहब के भाई थे। फिल्म के हीरो थे शशि कपूर। लेकिन वो फिल्म फ्लॉप हो गई। और उस फिल्म के फ्लॉप होने का बहुत बुरा असर फ़रयाल के करियर पर पड़ा। 

फ़रयाल जी ने और कुछ छोटे बजट की फिल्मों में बतौर लीडिंग लेडी काम किया था। मगर वो सब भी कुछ खास ना रही। जब कई फिल्में फ्लॉप हो गई तो फ़रयाल को अहसास हो गया कि वो हीरोइन के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री में सफल नहीं हो सकेंगी।

फ़रयाल ने निगेटिव रोल्स निभाने का फैसला कर लिया। फिर तो कई फिल्मों में फ़रयाल बतौर वैंप और कैबरे डांसर नज़र आई। 1967 में आई ज्वैल थीफ में फ़रयाल द्वारा किया गया कैबरे डांस बहुत चर्चित व मशहूर रहा था। 

उसके बाद फ़रयाल को कई फिल्मों में काम करने के ऑफर्स मिलने लगे। 1973 में एक इंटरव्यू में फ़रयाल ने कहा था कि ज्वैल थीफ फिल्म के बाद उनके पास काम की कोई कमी नहीं रही। 

कैबरे डांस वाले रोल्स के ऑफर्स की उनके पास बाढ़ सी आ गई। हालांकि उन्होंने कभी डांस नहीं सीखा था। और अपनी निजी ज़िंदगी में तो उन्हें डांस करना ज़रा भी पसंद नहीं था।

1970 में आई राजेश खन्ना-मुमताज़ स्टारर "सच्चा-झूठा" में भी फ़रयाल के काम को नोटिस किया गया। इसी साल आई धर्मेंद्र वहीदा रहमान की "मन की आंखें" फिल्म में भी फ़रयाल को उनके काम के लिए तारीफें मिली। 

और फिर तो कई फिल्मों में फ़रयाल बतौर कैबरे डांसर और वैंम्प नज़र आई। जबकी एक वक्त वो था जब फ़रयाल को डर लग रहा था कि कहीं लोग उन्हें टाइपकास्ट ही ना कर दें।

मगर बाद में उन्होंने सोचा कि अगर वो किसी रोल को ठुकराएंगी तो उसे निभाने वाली अनेकों लड़कियां आ जाएंगी। 

काम ना करने से बेहतर है कि जो काम मिल रहा है उसे करते रहो। 1972 में आई फिरोज़ खान की एक्शन-थ्रिलर फिल्म "अपराध" में फ़रयाल ने एक बाथ टब सीन दिया था। वो सीन तब बहुत चर्चा में रहा था।

1980 के दशक की शुरुआत के साथ फ़रयाल का करियर ढलान पर आने लगा। उन्हें अच्छे रोल मिलने कम होने लगे। शायद इसलिए क्योंकि उनकी उम्र उनके चेहरे पर नज़र आने लगी थी। हालांकि वो फिल्मों में छोटे-मोटे किरदार निभाती रही। 

फिर एक वक्त वो आया जब फ़रयाल को अहसास हुआ कि इससे पहले फिल्म इंडस्ट्री उन्हें पूरी तरह से नज़रअंदाज़ करना शुरू करे, वो खुद ही फिल्म इंडस्ट्री को छोड़ दें। 

और फ़रयाल ने फिल्मों में काम ना करने का फैसला कर लिया। उनकी आखिरी बड़ी फिल्म थी 1979 में आई "द गोल्ड मेडल" जिसमें उन्होंने जितेंद्र जी की गर्लफ्रेंड का किरदार निभाया था। 

ये एक्शन थ्रिलर फिल्म रविकांत नगाइच ने डायरेक्ट की थी। फिल्म में धर्मेंद्र, राखी, शत्रुघ्न सिन्हा, मालती. बिंदू और डेविड जैसे कलाकार भी थे।

फ़रयाल जी ने अपने बॉयफ्रेंड मनमोहन से शादी कर ली थी। इस तरह उनका नाम हो गया था फ़रयाल मनमोहन। शादी के बाद फ़रयाल और उनके पति इज़राइल चले गए और वहीं बस गए। फिल्म इंडस्ट्री से फ़रयाल पूरी तरह से दूर हो गई। 

न्होंने फिल्म इंडस्ट्री में किसी से कोई संपर्क नहीं रखा। इसलिए फ़रयाल अब कैसी हैं व किस हाल में हैं, इसकी कोई जानकारी नहीं मिल पाती है। मेरठ मंथन फ़रयाल जी की अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। 

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