Radha Saluja Biography | 70s की वो खूबसूरत Actress जो अब भारत छोड़ चुकी है और इस देश में रहती है | पढ़िए इनकी विस्तृत जीवनी

"इस आदमी पर कतई भरोसा मत करना।" रेनू ने राधा सलूजा से कहा। लेकिन राधा सलूजा ने रेनू की बात नहीं मानी। आखिकरकार रेनू का अंदेशा सच साबित हुआ। वो आदमी राधा सलूजा को तगड़ा धोखा देकर फरार हुआ।

कौन था वो आदमी? उसने राधा सलूजा को क्या धोखा दिया था? इस लेख में ये भी आपको जानने को मिलेगा। साथ ही साथ और भी कई सारी दिलचस्प बातें आज इस लेख के माध्यम से आप जानेंगे।

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Biography of Veteran Bollywood Actress Radha Saluja - Photo: Social Media

1970 के दशक की शुरुआत में फिल्म इंडस्ट्री में एक नई हीरोइन आई थी। उसका नाम था राधा सलूजा। शुरुआत तो राधा सरूजा को फिल्म इंडस्ट्री में अच्छी मिली।

वो कई फिल्मों में मुख्य हीरोइन के तौर पर नज़र आई। लेकिन बाद में राधा सलूजा सिर्फ एक सपोर्टिंग एक्ट्रेस बनकर रह गई। आज एक्ट्रेस राधा सलूजा के बारे में "बहुत कुछ" आप मेरठ मंथन के माध्यम से जानेंगे।

राधा सलूजा के पिता सेना में कर्नल थे। राधा का जन्म हुआ था जालंधर में। हालांकि इनके जन्म की तारीख को लेकर ज़रा कन्फ्यूज़न है हमें भी। विकीपीडिया पर इनकी जन्मतिथि 15 सितंबर 1951 बताई जाती है।

जबकी कुछ जगहों पर 11 नवंबर 1954 इनके जन्म की तारीख बताई जाती है। इनमें से क्या सही है, फिलहाल हम भी नहीं कह सकते। इसलिए फिलहाल इनकी जन्मतिथि को करते हैं नज़रअंदाज़। और फोकस करते हैं इनकी कहानी पर।

राधा सलूजा के पिता की पोस्टिंग देश के अलग-अलग शहरों में होती रहती थी। राधा सलूजा का बचपन भी कई जगह गुज़रा। उन्होंने छोटी उम्र में ही देश के कई हिस्सों की संस्कृतियों को करीब से देख लिया।

राधा सलूजा तब दिल्ली में पढ़ाई कर रही थी जब उनके मन में एक्ट्रेस बनने की भावना प्रबल होने लगी थी। और वो भावना यूं ही नहीं राधा सलूजा के मन में आनी शुरू हुई थी। राज कपूर ने राधा सलूजा के मन में एक्ट्रेस बनने की भावना डाली थी।

एक इंटरव्यू में राधा सलूजा ने बताया था,"उन दिनों ऊंटी में मेरे पिता की पोस्टिंग थी। एक दफा हम पिकनिक पर गए थे। मैंने राज कपूर को वहां देखा।"

"वो संगम फिल्म की शूटिंग करने आए थे। संगम के गीत "ओ महबूबा" की शूटिंग चल रही थी और वो गीत वैयजयंतीमाला, राज कपूर व राजेंद्र कुमार पर पिक्चराइज़ किया जा रहा था।"

"वैयजयंतीमाला एक जगह बार-बार गलती कर रही थी। मेरे मुंह से निकल पड़ा कि अगर मैं हीरोइन होती तो एक बार में ही ये कर देती। मेरी वो बात राज कपूर जी ने सुन ली।"

"मैं चूंकि तब काफी छोटी थी तो राज कपूर मेरे पास आकर बोले कि क्या तुम बड़ी होकर एक्ट्रेस बनना चाहती हो? मैंने कहा,"हां, मैं हीरोइन बनना चाहती हूं।"

"संगम के उस गाने में मैं और मेरी दोनों बहनें "रेनू व कुमकुम" दूर से दिखाई भी देती हैं। बस, तभी से मेरा मन एक्ट्रेस बनने के लिए मचलना शुरू हो गया था।"

"सालों बाद जब मैं एक्ट्रेस बनी तो दिल्ली में हुए एक इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में राज कपूर जी से मेरी मुलाकात हुई। वहां मैंने उन्हें याद दिलाया कि मैं वही छोटी बच्ची हूं जो ऊंटी में आपसे मिली थी।"

राधा सलूजा ने जब एक्ट्रेस बनने की बात अपने घर पर बताई तो इनके पिता बड़े परेशान हुए। पिता ने कहा कि पता नहीं इस लड़की को क्या हो गया है। बनना है तो डॉक्टर बनो। इंजीनियर बनो। ये पता नहीं क्यों एक्ट्रेस बनना चाहती है।

राधा सलूजा कहती हैं,"आज मैं सोचती हूं कि काश मैं सच में डॉक्टर ही बन गई होती। वैसे मेरी बहन कुमकुम ज़रूर डॉक्टर बनी।" राधा सलूजा की ज़िद को देखते हुए पिता ने उन्हें एक्ट्रेस बनने की परमिशन दे दी। राधा को FTII में दाखिला मिल गया। वहां जया बच्चन, डैनी व पेंटल इनके बैचमेट थे।

FTII पुणे से एक्टिंग की ट्रेनिंग पूरी करके राधा मुंबई आ गई। उन दिनों राधा के पिता की पोस्टिंग मुंबई में नहीं थी। लेकिन कोलाबा आर्मी कैंप में उन्हें एक फ्लैट अलॉटेड था। राधा व उनकी फैमिली वहीं रहते थे।

राधा पुणे से वापस घर आई ही थी कि इनके नौकर ने इनसे बताया,"एक लंबी सी गाड़ी में कोई साहब आए थे। आपको पूछ रहे थे। आपकी मां ने उस आदमी से उसका नाम, पता या फोन नंबर बताने को कहा भी था। लेकिन वो आदमी कहकर गया है कि मैं फिर आऊंगा।"

नौकर की ये बातें सुनने के बाद राधा अपने फ्लैट में अंदर जाने ही वाली थी कि तभी वही गाड़ी फिर से आई। और उस गाड़ी मे से वही आदमी उतरा जिसके बारे में नौकर अभी राधा को बता ही रहा था।

वो प्रोड्यूसर केवल कश्यप थे। केवल कश्यप ने राधा सलूजा को अपनी फिल्म "चोरी चोरी" में लीड हीरोइन का रोल ऑफर किया। हीरो थे संजय खान। इस तरह राधा सलूजा की पहली साइन्ड फिल्म थी चोरी चोरी।

राधा सलूजा की पहली रिलीज़्ड फिल्म थी "दो राहा" जो साल 1971 में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में अनिल धवन व शत्रुघ्न सिन्हा भी थे। कहा जाता है कि राधा सलूजा ने इस फिल्म में कुछ बोल्ड दृश्य भी दिए थे। लेकिन ये फिल्म असफल रही।

इसी साल राधा सलूजा "लाखों में एक" नाम की फिल्म में महमूद के अपोज़िट नज़र आई। उस फिल्म में कई ऐसे एक्टर्स थे जिन्हें राधा सलूजा बचपन से देखती आ रही थी। जब राधा को इन एक्टर्स संग काम करने का मौका मिला तो वो इनके लिए बहुत ख़ास पल बन गया।

आगे चलकर राधा सलूजा ने कई हिंदी फिल्मों में काम किया। साथ ही साथ राधा कुछ दक्षिण भारतीय फिल्मों में भी नज़र आई। उस वक्त के साउथ के सुपरस्टार एमजीआर को याद करते हुए राधा कहती हैं कि उन्होंने एमजीआर जैसा कोई नहीं देखा। एमजीआर की फैन फॉलोइंग बहुत ज़बरदस्त थी।

जब एमजीआर के अपोज़िट काम करने का ऑफर राधा को मिला तो वो बहुत एक्सायटेड हो गई थी। कुछ साल बाद राधा ने एक तेलुगू फिल्म में एनटीआर के साथ काम किया। एनटीआर भी अपने समय के बहुत बड़े स्टार थे। और इत्तेफ़ाक से साउथ के ये दोनों सुपरस्टार्स आगे चलकर राजनीति में गए।

एमजीआर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। और एनटीआर आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री हुए। साउथ के और कुछ नामों जैसे प्रेम नज़ीर, अनंत नाग व श्रीलंकाई सुपरस्टार जैमिनी फोन्सेका संग भी राधा सलूजा ने काम किया।

बचपन में जब राधा सलूजा के पिता का ट्रांसफर देश के विभिन्न इलाकों में होता था तो इन्हें भी विभिन्न संस्कृतियों को करीब से देखने-जानने का मौका मिला। राधा ने कुछ भाषाएं भी इस दौरान थोड़ी-थोड़ी सीख ली थी। हिंदी और पंजाबी पर इनकी पकड़ पहले से ही अच्छी थी। राधा ने कुछ पंजाबी फिल्मों में भी काम किया था।

राधा बताती हैं कि फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद वो अमेरिका शिफ्ट हो गई। कुछ साल बाद एक सरदार जी ने वहां एक थिएटर शुरू किया।

वो हर वीकेंड पर भारतीय फिल्में अपने थिएटर में दिखाते थे। तब वहां मेले जैसा माहौल हो जाता था। क्योंकि बड़ी तादाद में भारतवंशी वहां फिल्म देखने आते थे।

1-2 भारतीय रेस्टोरेंट्स भी वहां थे तो रौनक और बढ़ जाती थी। एक दिन उन सरदार जी ने राधा सलूजा को भी वहीं घूमते देखा। इत्तेफ़ाक से वो सरदार जी राधा सलूजा को पहचान गए।

वो राधा जी के पास आए। उन्होंने रिक्वेस्ट की, कि अगले सप्ताह वो "मन जीते जग जीते" नाम की एक पंजाबी फिल्म दिखाने जा रहे हैं। और क्योंकि इस फिल्म की हीरोइन राधा सलूजा ही थी, तो राधा थिएटर में आएं और लोगों से बात करें।

राधा ने उनकी बात मान ली और वो थिएटर गई। लोग उन्हें देखकर बहुत उत्साहित हुए। राधा सलूजा का उस दिन थिएटर में बहुत ज़ोरदार स्वागत किया गया।

अपने एक्टिंग करियर के दिनों को याद करते हुए राधा सलूजा बताती हैं कि जब वो फिल्म इंडस्ट्री में नई-नई आई थी तो एक दिन वो "आन मिलो सजना" फिल्म के सेट पर गई। उन्हें वहां बुलाया गया था। "आन मिलो सजना" के मेकर्स राधा को अपनी किसी दूसरी फिल्म में लेना चाहते थे।

उस दिन राधा को सिर्फ मिलने के लिए बुलाया गया था। लेकिन चूंकि उस दिन "आन मिलो सजना" की हीरोइन आशा पारेख को आने में काफी देर हो गई थी तो इस दौरान राधा सलूजा का स्क्रीनटेस्ट ले लिया गया।

एक किस्सा बताते हुए राधा सलूजा कहती हैं,"बी.आर.इशारा की फिल्म "एक नज़र" में अमिताभ बच्चन के अपोज़िट पहले मुझे साइन किया गया था। लेकिन शूटिंग शुरू होने से कुछ दिन पहले फिल्म के मेकर्स ने मुझसे कॉन्ट्रैक्ट वापस मांगा।"

"वो कह रहे थे कि कॉन्ट्रैक्ट में कुछ और बातें भी लिखनी हैं। मुझे शक हुआ। मैंने उनसे पूछा कि अब क्या बातें कॉन्ट्रैक्ट में लिखनी हैं आपको? मुझे कोई संतोषजनक जवाब वो नहीं दे पाए।"

"कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि मुझे फिल्म से निकाल दिया गया है। मैंने फिल्म फेडरेशन में शिकायत की। मुझे फिल्म में वापस तो नहीं लिया गया। लेकिन जो फीस तय हुई थी वो उन्हें मुझे पूरी चुकानी पड़ी।"

साथियों "एक नज़र" फिल्म में राधा सलूजा की जगह जया भादुड़ी को कास्ट कर लिया गया था। राधा सलूजा से जब पूछा गया कि जया तो FTII में उनकी बैचमेट थी। दोस्त थी। फिर उन्होंने जया बच्चन से पूछा क्यों नहीं कि वो उस फिल्म में कैसे आई? इसके जवाब में राधा जी ने कहा कि उनका मन नहीं किया कि वो जया बच्चन से इस बारे में बात करें। बात को कुरेदें।

राधा सूलजा और जया भादुड़ी(तब तक जया जी के नाम के साथ बच्चन नहीं जुड़ा था।) ने "अभी तो जी लें" नाम की एक फिल्म में साथ काम भी किया था। लेकिन वो फिल्म बहुत देर से(1977) रिलीज़ हुई थी।

उस फिल्म की अधिकतर कास्ट एंड क्र्यू FTII से थी। डैनी साहब भी उस फिल्म में थे। अक्सर अमिताभ बच्चन शूटिंग के दौरान जया जी ये मिलने सेट पर आते रहते थे। राधा सलूजा कहती हैं कि जब तक वो मुंबई में रही, जया बच्चन के टच में रही थी।

एक और दिलचस्प किस्सा याद करते हुए राधा सलूजा ने बताया था,"चूंकि मैं FTII से थी तो मेरे पास फिल्मों के ऑफर जल्द ही व खुद-ब-खुद आने लगे थे। उसी दौर में एक्ट्रेस बबीता ने रणधीर कपूर से शादी कर ली और फिल्म इंडस्ट्री छोड़ दी। तब बबीता का सेक्रेटरी एक दिन मुझसे मिलने आया।"

"मैं ड्रॉइन्ग रूम में बैठी उससे बात कर रही थी। तभी मेरी बहन रेनू सलूजा बाहर से आई। रेनू ने उसे विश किया और अंदर चली गई। फिर वो बार-बार मुझे इशारा करके भीतर आने को कहने लगी। कुछ देर बाद मैं रेनू से जाकर मिली। उसने मुझसे पूछा कि ये आदमी कौन है?"

"मैंने रेनू से बताया कि मैं इस आदमी को अपना सेक्रेटरी बनाने जा रही हूं। लेकिन रेनू मुझसे कहा कि इस आदमी पर भरोसा मत करना। मुझे रेनू की उस बात पर बड़ी हैरत हुई। मैंने उसकी बात नहीं मानी। उस आदमी को मैंने अपना सेक्रेटरी अपॉइन्ट कर दिया।

"क्योंकि मुझे उस वक्त लग रहा था कि इस बेचारे को काम की बहुत ज़रूरत है। मगर कुछ दिनों बाद रेनू की ही बात सही साबित हुई। वो आदमी प्रोड्यूसर्स के पास जाकर उनसे कहने लगा कि राधा सलूजा को कार खरीदनी है, घर खरीदना है। इसलिए उसे पैसे की ज़रूरत है। वो आपकी किसी भी फिल्म में काम कर लेगी।"

"इस तरह उस आदमी ने मेरे नाम पर प्रोड्यूसर्स से काफी पैसा लिया और एक दिन गायब हो गया। मुझे बहुत बुरा लगा। कोई एक साल बाद मेरे ड्राइवर ने उसे ढूंढ लिया। ड्राइवर उसे पकड़कर हमारे यहां ले आया।"

"मेरी मां को उस आदमी पर बहुत गुस्सा आ रहा था। लेकिन मैंने अपनी मां को शांत कराया। मैंने उसे माफ कर दिया। क्योंकि उस बेचारे की पत्नी कैंसर से जूझ रही थी। वो सारा पैसा उसने पत्नी के इलाज पर खर्च किया था। लेकिन उसकी पत्नी की जान बच नहीं सकी थी।"

"राधा सलूजा की आखिरी फिल्म रज़िया सुल्तान थी। उसके बारे में बात करते हुए राधा सलूजा ने कहा था,"फिल्म में मेरे कई सीन्स थे। लेकिन अधिकतर को काट दिया गया।"

"कमाल अमरोही ने मुझसे कहा था कि तुम चाहो तो फिल्म छोड़ सकती हो। तुम्हारे सभी दृश्य हटा दिए जाएंगे। लेकिन मैं उनके डायरेक्शन में काम करना चाहती थी। कमाल अमरोही की बेटी रुख़सार मेरी दोस्त भी थी।"

"रज़िया सुल्तान में मैंने उस लड़की का किरदार निभाया था जिसको ज़बरदस्ती उठाकर हरम में लाया जाता है। और फिर वो अपने आप को आग लगा लेती है। वो सीन शूट करते वक्त मैं बेहोश हो गई थी। क्योंकि मेरे हाथ काफी जल गए थे।"

"यूं तो सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए थे। लेकिन फिर भी मेरे हाथ जल गए। मैं बेहोश हुई तो मुझे जल्दी से हॉस्पिटल ले जाया गया। मेरी बहन कुमकुम, जो कि सर्जन थी, उसने मेरी देखभाल की। आज भी मेरे हाथों पर वो जले के निशान हैं।"

"जब कोई मेरे हाथों को देखकर उन निशानों के बारे में पूछता है तो मैं कहती हूं रज़िया सुल्तान। मैंने अपने राइट हैंड का नाम रज़िया और लेफ्ट हैंड का नाम सुल्तान रख दिया है।" ये कहकर राधा सलूजा हंस पड़ती हैं।"

राधा सलूजा के बारे में ये बात शायद बहुत ही कम लोगों को मालूम होगी कि उन्होंने गायकी भी की है। 1973 में एक फिल्म आई थी जिसका नाम था "वही रात वही आवाज़।"

राधा सलूजा उस फिल्म की हीरोइन थी। हीरो थे समित भांजा। उसी फिल्म में राधा सलूजा ने एक गीत गाया था। और जानते हैं राधा जी ने किसके साथ उस गीत में जुगलबंदी की थी?

द लैजेंड्री "मोहम्मद रफी" के साथ। गीत के बोल थे "जोगिया मेरा थिरके बदन। देख तुझको मेरे सजन।" इस फिल्म के अन्य गीत आशा भोसले जी ने गाए हैं।

ये गीत भी गाना तो आशा जी को ही था। लेकिन सिचुएशन कुछ ऐसी बनी कि ये गीत राधा सलूजा को गाना पड़ा। राधा जी के ही शब्दों में जानते हैं कि कैसे उन्हें रफी साहब के साथ गाने का मौका मिल गया।

"मैं और समित भांजा मड आइलैंड में शूटिंग कर रहे थे। हम दोनों पर एक गाना शूट होना था। आशा जी तब तक उस गाने को रिकॉर्ड नहीं कर सकी थी।"

"वो तब मुंबई में नहीं थी। मुझे ये तो याद नहीं किसने, लेकिन जब मैं समंदर किनारे वॉक पर गई थी तो कोई गीत गा रही थी, तब उसने मुझे नोटिस किया।"

"मुझसे कहा गया कि मैं गाना रिकॉर्ड करूंगी। मैंने कभी गाने की कोई प्रोफेशनल ट्रेनिंग तो कभी ली नहीं थी। इसलिए मैं घबरा रही थी। लेकिन किसी तरह मैंने खुद को तैयार किया। मगर जब मैंने रिकॉर्डिंग स्टूडियो में रफी साहब को देखा तो मेरे पसीने छूट गए।"

"रफी साहब समझ गए कि मैं नर्वस हो रही हूं। उन्होंने मुझे रिलैक्स किया। और आखिरकार वो गाना मैंने रिकॉर्ड कर दिया। बाद में मैंने अपनी कुछ एल्बम्स बनाई जिनमें मैंने खुद के लिए गायकी की।"

"मैं लाइव शोज़ में भी गाने लगी। एक दफा एक कॉन्सर्ट में नूतन जी से मेरी मुलाकात हुई। नूतन जी ने मुझे गाते देखा था। उन्हें मेरी गायकी अच्छी लगी। नूतन जी भी गाती थी। उनसे मेरी बढ़िया दोस्ती हो गई। नूतन जी मेरे लिए बड़ी बहन जैसी थी।"

"अमेरिका शिफ्ट होने के बाद मैं जब भी इंडिया वापस आती थी तो उनसे ज़रूर मिलती थी। उनके घर पर भी कई दफा रुकी। वो मेरे साथ नाइट वॉक पर जाना बहुत पसंद करती थी।"

"अपने जीवन के आखिरी समय में नूतन जी बहुत स्पिरिचुअल हो गई थी। उन्होंने मुझे कभी नहीं बताया कि उन्हें कैंसर हुआ है। काश कि मैं उनके साथ और अधिक वक्त बिता पाती।"

"उन्होंने मुझे अपने भजन की एक टेप दी थी। दुर्भाग्यवश वो टेप मुझसे कहीं खो गई। लेकिन नूतन जी की दी हुई "भगवत गीता" मेरे पास आज भी है।"

राधा सलूजा की बहन रेनू सलूजा नेशनल अवॉर्ड विनिंग फिल्म एडिटर थी। अपनी बहन के बारे में बात करते हुए राधा जी ने कहा था,"वो बहुत पढ़ी-लिखी थी। वो पहले फिल्म जर्नलिस्ट थी। फिल्मफेयर और माधुरी फिल्म मैगज़ीन्स के लिए लिखती थी।"

"एक दफा खालिद मोहम्मद संग उसका कुछ विवाद भी हो गया था। तब ये दोनों एक-दूसरे के खिलाफ काफ़ी लिख रहे थे। रेनू को अच्छा नहीं लगता था जब कोई फिल्मस्टार टाइम देने के बाद भी इंटरव्यू नहीं देता था।"

"अपने नौकरों से झूठ बुलवा देता था कि साहब अभी आए नहीं। मेमसाब कहीं गई हुई हैं। इसी वजह से रेनू ने फिल्म जर्नलिज़्म छोड़ने का फैसला किया था।"

"मेरे बारे में रेनू ने सिर्फ एक ही आर्टिकल लिखा था। उस वक्त हमारी मुलाकात भी कम ही हो पाती थी। एक दफा "आज की ताज़ा ख़बर" फिल्म की शूटिंग के दौरान क्लैपर बॉय नहीं आया।"

"इत्तेफ़ाक से रेनू भी उस दिन वहीं थी। उसे जब पता चला कि क्लैपर बॉय के आने का इंतज़ार हो रहा है तो उसने खुद क्लैप दिया और शूटिंग शुरू हुई। रेनू को भी फिल्म इंडस्ट्री से ही जुड़ना था। उसने भी FTII जाने का फैसला कर लिया।"

"वो फिल्म डायरेक्शन का कोर्स करना चाहती थी। लेकिन ऋषिकेश मुखर्जी ने उसे एडिटिंग कोर्स जॉइन करने की सलाह दी। FTII में ही उसकी मुलाकात विधू विनोद चोपड़ा से हुई थी।"

"बाद में दोनों ने शादी कर ली। उनकी फिल्म "सज़ाए मौत" में भी मैंने काम किया था।वो मेरी आखिरी फिल्मों में से एक थी।"

साथियों राधा सलूजा की बहन रेनू सलूजा की साल 2000 में पेट के कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई थी। रेनू सलूजा डायरेक्टर-प्रोड्यूसर विधू विनोद चोपड़ा की पहली पत्नी थी।

राधा सलूजा ने पाकिस्तानी मूल के रेडियो अनाउंसर नसीम ज़ैदी से शादी की है। नसीम ज़ैदी से उनकी मुलाकात कैसे हुई थी इसके बारे में राधा जी ने बताया था,"मैं लॉस एंजिलिस गई थी।"

"डीन मार्टिन के बेटे रिकी डीन मार्टिन एक इंडो-अमेरिकन फिल्म प्रोड्यूस करने जा रहे थे। मैं भी उस फिल्म में काम करने वाली थी। वो फिल्म तो नहीं बनी।"

"लेकिन वहां मेरी मुलाकात मेरे फ्यूचर हसबैंड नसीम ज़ैदी से हो गई। हम एक-दूजे को चाहने लगे। लेकिन जब हमने शादी का इरादा बनाया तो ना तो मेरे पेरेंट्स राज़ी थे। और ना ही उनके मां-बाप तैयार थे। हालांकि अंत में उन्हें मानना ही पड़ा। हमने कराची में शादी की थी।"

नसीम जै़दी से शादी करने के बाद राधा सलूजा परमाेंटली अमेरिका में सैटल हो गई। वो भी रेडियो शोज़ करने लगी। उनका काम था सेलेब्रिटीज़ का इंटरव्यू लेना।

इसके अलावा पति संग मिलकर वो पूरे अमेरिका में फिल्मी सितारों के स्टेज शोज़ भी अरेंज करते थे। इस तरह ये इकलौता ज़रिया बचा था जिससे राधा सलूजा फिल्म इंडस्ट्री से कनेक्टेड थी।

बाद में राधा सलूजा ने लॉस एंजिलिस सुपीरियर कोर्ट में "स्पेशल इंटरप्रिटर ऑफ एशियन लैंग्वेज" के तौर पर नौकरी जॉइन कर ली। राधा सलूजा आज भी अमेरिका में यही नौकरी कर रही हैं।

राधा कहती हैं,"अब तो सालों हो गए। कोई मुझे नहीं पहचान पाता। लेकिन शुरुआत में कई दफा ऐसा हुआ जब कुछ लोगों ने मुझे पहचाना।"

"एक दफा एक भारतीय आदमी के इंटरप्रिटर के तौर पर मुझे नियुक्त किया गया। वो मुझसे बोला,"मैंने आपको पहचान लिया। आप राधा सलूजा हो। मैंने आपकी ये फिल्म देखी है-वो फिल्म देखी है।"

जब वो मुझसे ये सब बातें कर रहा था तो कोर्ट में मौजूद बाकि लोग हैरानी से हमें देख रहे थे। वो सोच रहे थे कि जाने हम क्या बात कर रहे होंगे। मैंने उससे कहा कि भाई, इस वक्त ये इंपोर्टेंट नहीं है कि मैं कौन हूं। इन लोगों ने तुम्हें गिरफ्तार किया है। तुम अपना बचाव करो पहले।"

राधा सलूजा ने उसी इंटरव्यू में बताया था,"मेरे पिता अक्सर कहते थे कि राधा योगा किया कर। योगा तेरे लिए फायदेमंद होगा। मैंने FTII के दौरान योगा की ट्रेनिंग ली। बाद में ताज होटल के हेल्द क्लब में भी योगा क्लास ली।"

"मैंने बी.के.एस अयंगर, जवाहर बंगेरा और मिस्टर तारापुरवाला जैसे गुरुओं से योगा सीखा था। अमेरिका आने के बाद एक दफा एक दोस्त को पता चल गया कि मैंने योगा सीखा हुआ है। वो मुझसे योगा सीखने की ज़िद करने लगी।"

"तब जॉब से वापस आने के बाद मैं उसे योगा सिखाने लगी। धीरे-धीरे और भी कई लोग आने लगे। लेकिन जॉब के साथ ये सब करना हैक्टिक हो जाता है। इसलिए मैं उन्हें अब सिर्फ संडे को ही योगा सिखाती हूं।"

राधा सलूजा ने अमेरिका में रहकर भी कुछ छिटपुट फिल्मी काम किए हैं। एक्टिंग तो नहीं, लेकिन प्रोडक्शन के कुछ छोटे-मोटे काम करने के मौके उन्हें मिले। राधा बताती हैं कि एक दफा एक टीवी सीरीज़ में एक्ट्रेस जेनिफर गार्नर को उन्हें पंजाबी डायलॉग्स सिखाने का मौका मिला था।

उस सीरीज़ में जेनिफर का कैरेक्टर इंडिया से कनेक्टेड था। इसलिए उन्हें कुछ पंजाबी डायलॉग्स भी बोलने थे। राधा सलूजा से जेनिफर की मदद के लिए कहा गया।

राधा जी को डायलॉग्स दिए गए। उन्होंने एक कैसेट में पहले एकदम धीरे-धीरे, फिर नॉर्मल अंदाज़ में। और आखिरकार फाइनल इमोशन्स के साथ वो डायलॉग्स रिकॉर्ड करके जेनिफर को दिए। जेनिफर ने अपने सब डायलॉग्स अच्छी तरह से याद करके शूट भी कर लिए।

उसी सीरीज़ में एक इंडियन एक्टर भी था। लेकिन वो साउथ इंडिया से था। उसके कैरेक्टर को भी पंजाबी डायलॉग्स बोलने थे। उसे भी डायलॉग्स सिखाने की ज़िम्मेदारी राधा सलूजा को ही मिली।

मगर उस पर राधा सलूजा ने जितनी भी मेहनत की, वो सब बेकार गई। वो एक्टर अपने डायलॉग्स सही से बोल ही नहीं पा रहा था।

हारकर प्रोडक्शन वालों ने उसके पंजाबी बोलने वाले सभी सीन्स को पीछे से शूट किया। ताकि उसका चेहरा ना दिखे। और डायलॉग्स को डबिंग आर्टिस्ट से डब करा लिया।

राधा जी कहती हैं कि उन्हें बड़ी हैरत हो रही थी ये सोचकर कि एक अमेरिकी महिला ने पंजाबी डायलॉग्स सीख लिए। लेकिन भारत का एक एक्टर अपने देश की एक भाषा को सही से बोलना सीख ना सका।

राधा सलूजा ने अमेरिका में रहते हुए "लुकिंग फॉर द कॉमेडी इन मुस्लिम वर्ल्ड" नाम की फिल्म के डायलॉग सुपरवाइज़र के तौर पर भी काम किया। इसके अलावा उन्होंने टॉम क्रूज़ की मिशन इम्पोसिबल(संभवत: पहली वाली) के हिंदी सबटाइटल्स लिखे थे।

आज भी वो फिल्म अगर दुनिया के किसी थिएटर में प्रदर्शित की जाती है तो राधा सलूजा को भी रॉयल्टी मिलती है। लेकिन शुरुआत में कुछ ऐसा हुआ था कि वो लोग राधा सलूजा को उनके हिस्से की रॉयल्टी नहीं दे सके।

क्योंकि वो लोग राधा को राधा सलूजा के नाम से जानते थे। जबकी शादी के बाद इनका नाम राधा ज़ैदी हो गया था। इसलिए वो लोग रॉयल्टी देने के लिए इनसे संपर्क नहीं कर सके। राधा सलूजा उर्फ राधा ज़ैदी की सारी रॉयल्टी वो अपने ट्रस्ट में जमा करते रहे।

कोई दो दशक बाद, 2016 में उन्हें पता चला कि राधा सलूजा अब राधा ज़ैदी बन चुकी हैं। उन्होंने राधा जी से संपर्क किया और रॉयल्टी से जमा हुई उनकी सारी रकम उन्हें चुकाई।

राधा सलूजा से जब पूछा गया कि आज भी उनके बहुत से फैंस मानते हैं कि राधा सलूजा को वो सम्मान नहीं मिला जो उन्हें मिलना चाहिए था, इस बारे में वो क्या सोचती हैं?

इसके जवाब में राधा कहती हैं,"शायद हां। वो सम्मान तो नहीं मिला। लेकिन कई फैक्टर्स होते हैं जो मैटर करते हैं। मुझ पर कुछ कॉम्प्रोमाइज़ करने के दबाव बनाए गए थे। मगर मैंने वो स्वीकार नहीं किए।"

"ये एक बड़ी वजह थी। मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था। बिना किसी गॉडफादर के मैं इस इंडस्ट्री में आई। और विभिन्न भाषाओं की कोई 30 फिल्मों में मैंने हीरोइन के किरदार निभाए।"

"मैंने स्टेज पर गायकी की। फिल्मों में गायकी की। अपने गीतों के कुछ रिकॉर्ड्स भी बनाए। थोड़ी सी मॉडलिंग भी की। एज़ एन एक्ट्रेस, मेरी जर्नी भी कोई बुरी नहीं रही।"

अब राधा सलूजा अमेरिका में रहती हैं। वो सुबह जल्दी ही अपनी नौकरी के लिए घर से निकल जाती हैं। और शाम तक वापस लौटती हैं। जबकी संडे को योगा सिखाती हैं।

अब उन्हें फिल्में देखने के लिए समय नहीं मिलता। लेकिन जब थोड़ा-बहुत समय मिलता है तो वो नेटफ्लिक्स पर कोई नई फिल्म देख लेती हैं।

या यूट्यूब पर पुरानी फिल्में व कुछ नए-पुराने गीत सुन लेती हैं। उन्हें ये बात अच्छी लगती है कि पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री अब पहले से काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है।

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