4 Abandoned Bollywood Celebrities | चार फिल्म सितारे जिनका अंत बहुत बुरा हुआ
4 Abandoned Bollywood Celebrities. कहते हैं कि चढ़ते सूरज को हर कोई सलाम करता है। लेकिन जब वही सूरज ढलने लगता है तो कोई उसकी तरफ देखना भी नहीं चाहता।
बॉलीवुड भी एक ऐसी दुनिया है जिसकी चमक-धमक के पीछे बहुत ही गहरा अंधेरा है। और जब कोई सितारा उन अंधेरों में खोता है तो कोई भी उस सितारे की सुध लेना पसंद नहीं करता।
| 4 Abandoned Bollywood Celebrities - Photo: Social Media |
यहां कई ऐसे सितारे हुए हैं जो कभी बेहद लोकप्रिय थे। लेकिन जब कामयाबी के शिखर से वो लुढ़कने शुरू हुए तो उन्हें संभालने की ज़हमत किसी ने नहीं उठाई। ना तो इंडस्ट्री के उनके दोस्तों ने और ना ही कभी उनकी हर अदा पर प्यार लुटाने वाली जनता ने।
Meerut Manthan आज आपको हिंदी सिनेमा के उन 4 एक्टर्स से रूबरू कराएगा जो कभी हर किसी के चहीते हुआ करते थे। लेकिन जब उनका आखिरी वक्त आया तो इन 4 में से कुछ को तो चार कंधे तक नसीब नहीं हुए। 4 Abandoned Bollywood Celebrities.
01- गीता कपूर/Geeta Kapoor
कभी पाकिज़ा जैसी शानदार फिल्म में अपनी एक्टिंग और अपने हुस्न से लोगों की नज़रों में चढ़ी गीता कपूर का आखिरी वक्त बेहद बुरा रहा था।
गीता जब बूढ़ी हुई तो इनके बेटे से इनकी ज़िम्मेदारियां संभाली नहीं गई। गीता को ब्लड प्रेशर की शिकायत होने लगी।
इलाज के बहाने इनका बेटा राजू इन्हें मुंबई के गोरेगांव स्थित एसआरवी हॉस्पिटल ले आया। यहां डॉक्टर्स से इनके बेटे ने कहा कि आप इनका इलाज शुरू कीजिए और मैं एटीएम से पैसे निकालकर लाता हूं।
| Pakeezah Actress Geeta Kapoor - Photo: Social Media |
इसके बाद वो अस्पताल से चला गया और फिर कभी दोबारा लौटकर नहीं आया। बेटा नहीं आया तो गीता कपूर ज़ोर-ज़ोर से अस्पताल में रोने लगी और रोते हुए उनका वो वीडियो खूब वायरल हुआ।
गीता कपूर की खबर मीडिया के ज़रिए समाज में फैली तो फिल्म इंडस्ट्री से कुछ लोग उनकी मदद के लिए आगे आए। लेकिन वो बेटा जिसे गीता कपूर ने पाल पोष कर बड़ा किया था वो कभी दोबारा उनसे मिलने नहीं आया।
गीता कपूर ने बताया था कि उनका बेटा राजू अक्सर उनके साथ बुरा बर्ताव करता था और कई दफा तो हाथ तक उठा देता था। गीता कपूर की ख्वाहिश थी कि ज़िंदगी के आखिरी साल उन्हें किसी ओल्ड एज हाउस में ना गुज़ारने पड़ें।
वो अपने बेटे के साथ अपने जीवन के आखिरी पल जीना चाहती थी। लेकिन उनके मतलबी बेटे ने उनकी इस ख्वाहिश को बेदर्दी से कुचल दिया।
गीता को ओल्ड एज हाउस में ही जाना पड़ा और वहीं पर 27 मई 2018 को गीता ये दुनिया छोड़कर चली गई। उनके अंतिम संस्कार में फिल्म इंडस्ट्री से भी कुछ ही लोग शरीक हुए थे। लेकिन गीता कपूर का वो पापी बेटा उनके आखिरी सफर में भी शामिल नहीं हुआ।
02- अचला सचदेव/Achala Sachdev
साल 1965 में रिलीज़ हुई फिल्म वक्त का गाना ऐ मेरी ज़ोहरा ज़बी आज भी लोग बड़े शौक से गुनगुनाते हैं। फिल्म में बलराज साहनी वो गाना अपनी पत्नी के लिए गाते हैं और उनकी पत्नी होती हैं अभिनेत्री अचला सचदेव।
लंबे वक्त तक ये फिल्म इंडस्ट्री में एक्टिव रही और इन्होंने डेढ़ सौ से भी ज़्यादा फिल्मों में काम किया। शाहरुख खान की डीडीएलजे में सिमरन की दादी के रोल में भी अचला सचदेव ही नज़र आई थी।
| Achala Sachdev - Photo: Social media |
फिल्म इंडस्ट्री छोड़ने के बाद अचला अपने पति क्लिफर डगलस पीटर्स के साथ पुणे रहने के लिए आ गई थी। पुणे के हडपसर इलाके में अचला के पति क्लिफर डगलस पीटर्स की एक फैक्ट्री थी जिसका नाम था मौरिस इलैक्ट्रॉनिक्स। पति के साथ अचला यहां एक बड़े से बंगले में रहती थी।
ये उनकी दूसरी शादी थी और पहली शादी से उन्हें एक बेटा था जो कि अमेरिका में नौकरी करता था और अपने परिवार के साथ वहीं पर रहता था।
इसलिए जब इनके दूसरे पति क्लिफर की मौत हो गई तो इन्होंने अपनी सारी ज़ायदाद एक चैरिटेबल ट्रस्ट को दान कर दी। इस शर्त पर कि इनके बुढ़ापे में वो ट्रस्ट इनकी देखभाल करेगा।
साल 2011 में एक दिन ये अपनी रसोई में फिसलकर गिर गई और बुरी तरह से घायल हो गई। इनके एक पैर में फ्रैक्चर हो गया और सिर में भी काफी चोट आई।
सीटी स्कैन में पता चला कि इनके ब्रेन में कई जगह खून के थक्के जम गए हैं। अस्पताल में इलाज के दौरान ही ये पैरालाइस की शिकार हो गई और इनकी आंखों की रोशनी भी चली गई।
और आखिरकार 30 अप्रैल 2012 को 91 साल की उम्र में अचला सचदेव ने इस दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। अचला सचदवे की मौत की खबर को मीडिया ने प्रमुखता से दिखाया और बताया।
लेकिन जिस फिल्म जगत में अचला सचदेव ने अपनी आधे से ज़्यादा ज़िंदगी गुज़ार दी वहां से किसी ने भी उनके आखिरी सफर में हिस्सा लेने की ज़हमत नहीं उठाई।
हालांकि अचला सचदेव का बेटा ज्योतिन अपनी मां को आखिरी विदाई देने अमेरिका से ज़रूर आया था। अचला के आखिरी सफर में उनके कुछ रिश्तेदार और दोस्तों को मिलाकर कुल 40 लोग शुमार थे। अ
मिताभ बच्चन और एकता कपूर ने अचला सचदेव को श्रद्धांजलि ज़रूर दी। लेकिन किसी और ने तो अचला सचदेव को याद करना तक गंवारा ना समझा।
अपनी ग्रेसफुल स्माइल से हिंदी सिने प्रेमियों को मां के रिश्ते की खूबसूरती दिखाने वाली अचला सचदेव ज़िंदगी के आखिरी पलों में अकेलेपन के जूझती रही और अकेलेपन से लड़ते हुए ही ज़िंदगी से पीछा छुड़ाकर भी चली गई।
3- विमी/Vimi
विमी की कहानी इन सभी सितारों में शायद सबसे ज़्यादा दर्दभरी है। विमी एक बेहद अमीर खानदान से ताल्लुक रखती थी।
किसी तरह विमी को बीआर चोपड़ा की फिल्म हमराज़ में काम करने का मौका मिला और हमराज़ के बाद अचानक ही विमी रातों-रात लोकप्रियता के शिखर पर जा पहुंची थी।
फिल्मों में काम करने के चलते इनके ससुराल वालों ने इन्हें और इनके पति को परिवार से बेदखल कर दिया था।
| Vimi - Photo: Social Media |
पहले तो इनके पति शिव अग्रवाल ने इनका बखूबी साथ दिया। लेकिन जब बाद में विमी का करियर डूबने लगा तो इनके पति ने इन्हें छोड़ दिया और वापस अपने परिवार में चले गए। वो अपने साथ इनके दोनों बच्चों को भी ले गए।
कभी महंगी-महंगी कारों में घूमने वाली विमी के पास ऑटो के किराए तक के लिए पैसे नहीं होते थे। आलम ये था कि विमी को कोई भी डायरेक्टर अपनी फिल्म में लेने के लिए तैयार नहीं था।
चारों तरफ से ग़मों में डूबी विमी ने आखिरकार शराब पीना शुरू कर दिया। लेकिन शराब भी विमी को ऐसी पीनी पड़ रही थी जिसे झुग्गी बस्तियों के शराबी पीते थे।
कहा तो ये भी जाता है कि अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए विमी ने अपना जिस्म भी बेचना शुरू कर दिया था। हद से ज़्यादा शराब पीने के कारण विमी बीमार रहने लगी और उनकी बीमारी हर दिन तेज़ी से बढ़ती जा रही थी।
आखिरी दिनों में विमी के साथी रहे जॉली नाम के एक आदमी ने विमी को एक दिन मुंबई के नानावटी अस्पताल में भर्ती करा दिया। उसी अस्पताल में विमी ने 22 अगस्त 1977 को ये दुनिया छोड़ दी।
हालात ये थे कि विमी की लाश को अंतिम संस्कार के लिए शमशान घाट तक ले जाने के लिए गाड़ी का भी इंतज़ाम नहीं हो पाया। उन्हें एक ठेले पर रखकर शमशान तक ले जाया गया।
04. नीरज वोरा/Neeraj Vora
नीरज वोरा एक मल्टी टैलेंटेड इंसान थे। इन्होंने ना सिर्फ एक्टिंग की बल्कि फिल्मों के लिए राइटिंग की, डायरेक्शन किया, स्टोरी लिखी और स्क्रीनप्ले भी लिखा।
दिग्गज डायरेक्टर रहे आशुतोष गोवारिकर के बचपन के साथी रहे नीरज वोरा का बॉलीवुड में काफी बड़ा मुकाम था। जहां काम में नीरज हर दिन तरक्की की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे थे तो वहीं अपनी पर्सनल ज़िंदगी में नीरज को बहुत दुख झेलने पड़ रहे थे।
| Neeraj Vora - Photo: Social Media |
उनकी पत्नी अचानक ये दुनिया और उन्हें छोड़कर गई तो वो अंदर ही अंदर से बुरी तरह से टूट गए। बाद में जब इनके माता-पिता भी दुनिया से चले गए तो नीरज एकदम अकेले रह गए। वो अकेलेपन का शिकार हो गए।
हालांकि अकेलेपन से लड़ने के लिए उन्होंने खुद को काम में बहुत ज़्यादा बिज़ी कर लिया। हेरा फेरी और फिर हेरा फेरी की कहानी नीरज वोरा ने ही लिखी थी। इसी सीरीज़ की तीसरी कहानी के सिलसिले में वो दिल्ली से मुंबई आए थे।
लेकिन दिल्ली में इन्हें एक बहुत तगड़ा दिल का दौरा पड़ा और इन्हें इलाज के लिए एम्स में भर्ती कराया गया। नीरज कोमा में चले गए।
नीरज की बीमारी का पता जब इनके सबसे जिगरी दोस्त फिरोज़ नाडियाडवाला को चला तो वो इन्हें दिल्ली से मुंबई ले आए और फिरोज़ ने अपने घर का एक कमरा इनके इलाज के लिए आईसीयू में तब्दील करा दिया।
नीरज की देखभाल के लिए एक नर्स चौबीस घंटे वहीं रहती थी। नीरज की हालत में कुछ सुधार हुआ भी था।
लेकिन 14 दिसंबर 2017 के दिन अचानक फिर से नीरज की तबियत दोबारा खराब हो गई और मल्टीपल ऑर्गन फेलियर के चलते उनकी मौत हो गई। नीरज के आखिरी सफर में उनका कोई अपना मौजूद नहीं था।
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