Dr Palash Sen Biography | Euphoria Music Band वाले डॉक्टर पलाश सेन इन दिनों कहां हैं और क्या करते हैं?
Dr Palash Sen. नब्बे के दशक के आखिरी सालों और सन 2000 के दशक के शुरूआती दौर में ये नाम संगीत प्रेमियों के लिए एकदम जाना पहचाना नाम था।
पेशे से हड्डियों के डॉक्टर होने के बावजूद पलाश सेन हिंदी संगीत जगत का एक बहुत बड़ा नाम बने। अपने दोस्तों के साथ मिलकर इन्होंने भारत का पहला हिंदी रॉक बैंड Euphoria इस्टैब्लिश किया था और अपने बैंड को लोकप्रियता के शिखर पर बैठा दिया था।
Rock Band Euphoria's Dr Palash Sen Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज आपको पेशे से Orthopedic Surgeon Dr Palash Sen की ज़िंदगी की कहानी बताएगा। कैसे Dr Palash Sen एक ट्रेंड हड्डियों के सर्जन होने के बावजूद संगीत की दुनिया में आए और कैसे इतना बड़ा नाम बने, आज ये सारी कहानी हम और आप जानेंगे।
Dr Palash Sen का शुरूआती जीवन
23 सितंबर 1965 को पलाश सेन का जन्म लखनऊ में हुआ था। हालांकि इनका परिवार वाराणसी का रहने वाला था। इनके घर में सब डॉक्टर हैं। इनके पिता डॉक्टर हैं। इनकी माता डॉक्टर हैं।
पीढियों से इनके खानदान के लोग डॉक्टरी के पेशे में थे। ये छोटे ही थे तो डॉक्टरों का इनका परिवार दिल्ली आ गया। दिल्ली में इनका बचपन कनॉट प्लेस की रेलवे कॉलोनी में गुज़रा था।
दिल्ली के ही सेंट कोलंबिया स्कूल से इनकी स्कूलिंग हुई। इसके बाद परिवार की रीत को आगे बढ़ाते हुए इन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस दिल्ली में एमबीबीएस में दाखिला ले लिया।
इस तरह हुई यूफोरिया की स्थापना
चूंकि इनके परिवार के लोग संगीत के भी काफी करीब रहे हैं इसलिए पलाश को भी बचपन से ही गाने का बड़ा शौक था। एमबीबीएस की पढ़ाई के दौरान गाने का इनका वो शौक और भी ज़्यादा बढ़ गया।
गाना गाकर लड़कियों को इंप्रैस करना पलाश को बहुत पसंद था। इसलिए अक्सर वो अपना गिटार लेकर कॉलेज में होने वाले फंक्शन्स में परफॉर्म करने पहुंच जाते थे।
इसी दौरान पलाश ने अपने कुछ दोस्तों के साथ एक बैंड बनाने का प्लान किया। और आखिरकार इस तरह से साल 1988 में स्थापना हुई यूफोरिया की, जो भारत का पहला हिंदी रॉक बैंड था।
MBBS की पढ़ाई के साथ-साथ गाने गाते थे Dr Palash Sen
हालांकि शुरुआत में इन्होंने भी अंग्रेजी में ही गाने गाए थे। पलाश उन दिनों एमबीबीएस की अपनी पढ़ाई कर ही रहे थे। पढ़ाई के साथ-साथ ही पलाश कॉलेज में और आस-पास होने वाले छोटे-छोटे फंक्शन्स में अपने बैंड यूफोरिया के साथ परफॉर्म करते जा रहे थे।
लेकिन पलाश सेन को देशव्यापी पहचान मिली साल 1998 में आए इनके एक गीत से जिसने उन दिनों देशभर में धूम मचा दी थी।
ऐसे बदली Dr Palash Sen और उनके बैंड की किस्मत
पलाश अपने बैंड के साथ छोटे-छोटे प्रोग्राम्स में परफॉर्म करते जा रहे थे। एक दिन एक टीवी चैनल वालों ने पलाश सेन और उनके ग्रुप का एक छोटा सा इंटरव्यू लिया।
पलाश सेन ने उस इंटरव्यू में अपना एक गाना गाया जो कि मां-बेटे के रिश्ते पर आधारित था। इत्तेफाक से पलाश का वो इंटरव्यू आर्चीज़ म्यूज़िक के डायरेक्टर अनिल मूलचंदानी ने भी देख लिया।
अनिल मूलचंदानी को पलाश की गायकी का अंदाज़ बेहद पसंद आया। उन्होंने किसी तरह पलाश और उनके बैंड यूफोरिया के बारे में जानकारियां निकाली और एक दिन पलाश को अपने ऑफिस में मिलने के लिए बुलाया।
पहले एल्बम ने मचा दिया धमाल
अनिल मूलचंदानी के साथ पलाश की बात बन गई और इस तरह साल 1998 में पलाश सेन और उनके बैंड यूफोरिया का पहला म्यूज़िक एल्बम रिलीज़ हुआ जिसका नाम था धूम। इस एल्बम के टाइटल ट्रैक धूम ने संगीत जगत में धूम मचा दी।
इस गीत का म्यूज़िक वीडियो उन दिनों बेहद लोकप्रिय हुआ था। दूरदर्शन के उस ज़माने में केबल टीवी अपने शुरूआती दौर में था। लेकिन पलाश दूरदर्शन से लेकर हर प्राइवेट चैनल पर धूम मचा रहे थे।
लगभग 10 साल की कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार पलाश सेन और उनके बैंड यूफोरिया को वो पहचान मिल पाई थी जिसे हासिल करने का ख्वाब हर कलाकार देखता है। ग्यारह गानों की उस एल्बम को पलाश और उनके साथियों ने महज़ 11 दिनों में ही रिकॉर्ड कर दिया।
पलाश अब देश का जाना पहचाना नाम बन गए थे। पहला एल्बम कामयाब हुआ तो पलाश ने अपने दूसरे एल्बम की भी तैयारी शुरू कर दी। दूसरे एल्बम में ही वो गीत था जिसने उस दौर में पलाश को युवाओं के दिलों के धड़कन बना दिया था।
भारत का सबसे सक्सेसफुल बैंड बन गया यूफोरिया
फरवरी 2000 में पलाश सेन ने आर्चीज़ म्यूज़िक के बैनर तले ही अपनी दूसरी एल्बम रिलीज़ की जिसका नाम था फिर धूम। इस एल्बम में कुल 12 गीत थे।
इसी एल्बम का ग्यारहवा गीत माई री जब लोगों ने सुना तो वो पलाश सेन के फन के मुरीद हो गए। उस दौर के युवाओं में तो पलाश सेन का क्रेज़ काफी ज़्यादा हो गया था।
टीवी हो, रेडियो हो, कैसेट्स हों या फिर सीडीज़ हों, पलाश हर जगह छा रहे थे। एक के बाद एक पलाश सेन ने अपने बैंड यूफोरिया से पांच स्टूडियो एल्बम रिलीज़ किए। इस तरह यूफोरिया भारत का सक्सेसफुल बैंड बन गया।
ये सभी काम भी Dr Palash Sen ने आज़माए
लोकप्रियता मिली तो पलाश ने संगीत के अलावा एक्टिंग में भी अपनी किस्मत आज़माई। साल 2002 में रिलीज़ हुई फिल्म फिलहाल में ये एक्टिंग करते नज़र आए। लेकिन एक्टिंग में इनको कामयाबी नहीं मिल पाई।
सालों बाद यानि साल 2010 में पलाश सेन ने मुंबई कटिंग नाम की एक फिल्म में एक बार फिर से एक्टिंग की। एक बंगाली फिल्म में भी इन्होंने काम किया।
2015 में ऐसा ये जहान नाम की फिल्म में भी ये नज़र आए। मगर एक्टिंग में इनकी किस्मत ने कभी इनका साथ नहीं दिया। 2017 में पलाश सेन ने सबको चौंकाते हुए डायरेक्शन में अपना हाथ आज़माया।
जिया जले नाम की एक शॉर्ट फिल्म को इन्होंने डायरेक्ट किया और इत्तेफाक से इनकी इस फिल्म में लीड कैरेक्टर में इनके बेटे किंशुक सेन नज़र आए थे। ये फिल्म कॉपीराइट के चलते विवादों में भी आ गई थी।
खुद भी विवादों में रहे Dr Palash Sen
पलाश सेन खुद भी एक दफा उस वक्त विवादों में आ गए थे जब साल 2013 में आईआईटी बॉम्बे में एक कॉन्सर्ट के दौरान इन्होंने कुछ ऐसा कहा था जिस पर कई महिला संगठनों ने आपत्ति जताई थी।
इसके अलावा आमिर खान के सुपरहिट शो सत्यमेव जयते की धुन पर कॉपीराइट नोटिस भेजने के बाद भी पलाश सेन मीडिया की सुर्खियों का हिस्सा बन गए थे।
ऐसी है डॉक्टर पलाश सेन की निजी ज़िंदगी
पलाश सेन की निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो इनकी पत्नी का नाम है शालिनी सेन। शालिनी से इन्होंने प्रेम विवाह किया था।
शालिनी दिल्ली के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में लेक्चरर हैं और इनकी शुरूआती कुछ एल्बम्स के म्यूज़िक वीडियोज़ में भी नज़र आ चुकी हैं। पलाश और शालिनी के दो बच्चे हैं। बेटा किंशुक सेन और बेटी कियाना सेन।
चूंकि पलाश सेन पेशे से हड्डियों के डॉक्टर हैं और एक ऑर्थोपेडिक सर्जन हैं तो वो आज भी प्रैक्टिस करते हैं। मेडिकल प्रैक्टिस के साथ-साथ ही पलाश म्यूज़िक का अपना शौक पूरा करते हैं।
मेरठ मंथन पलाश सेन के बेहतर भविष्य के लिए ईश्वर से कामना करता है और साथ ही उम्मीद करता है कि जल्द ही पलाश सेन अपने नए एल्बम के साथ फिर से धूम मचाने हम सब के सामने आ जाएं। जय हिंद।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें