Yashpal Sharma | Gangajal का Sundar Yadav जिसने संघर्षों में गुज़ारा अपना जीवन | Biography
Yashpal Sharma. एक दमदार अभिनेता। एक शानदार इंसान। नब्बे के दशक में करियर शुरू करने वाले यशपाल शर्मा आज एक्टिंग जगत का एक जाना-पहचाना नाम हैं।
लेकिन ये पहचान इन्हें यूं ही नहीं मिल गई है। इसके पीछे है इनकी कड़ी मेहनत और लगन, जिससे ये दुनिया की सबसे बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बॉलीवुड में एक बड़ा नाम बने हैं।
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Yashpal Sharma - Photo: Social Media |
Meerut Manthan आज आपको Yashpal Sharma की कहानी सुनाएगा। हरियाणा के Yashpal Sharma को मुंबई मे कामयाबी कैसे मिली? इनका फिल्मी सफर कैसा रहा? इनसे जुड़ी कई रोचक बातें आज किस्सा टीवी आप दर्शकों संग शेयर करेगा।
Yashpal Sharma का शुरूआती जीवन
यशपाल शर्मा हरियाणा के हिसार ज़िले के रहने वाले हैं। इनका जन्म 01 जनवरी 1967 को हुआ था। यशपाल के पिता पीडब्ल्यूडी में फोर्थ ग्रेड कर्मचारी थे और हिसार की कैनाल कॉलोनी में आठ बच्चों वाले अपने भरे पूरे परिवार में रहते थे।
परिवार चूंकि बड़ा था और पिता की तनख्वाह इतनी नहीं थी कि सभी बच्चों को बेहतर परवरिश दी जा सके तो यशपाल और उनके भाई पढ़ाई के साथ-साथ छोटी उम्र से ही काम भी करने लगे थे।
संघर्षों में गुज़रा जीवन
हालात इतने खराब थे कि यशपाल के बड़े भाईयों ने दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी। वहीं यशपाल अपनी पढ़ाई का खर्च खुद उठा रहे थे। कभी वो बच्चों को ट्यूशन पढ़ाते तो कभी छोटे-मोटे काम करके पैसा कमाते।
कभी चांदी का काम करते तो कभी साइकिल में पंचर भी लगाते। बेहद कठिनाईयों भरे अपने जीवन में यशपाल ने अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए की तरह के छोटे-मोटे काम किए।
पर चूंकि किस्मत ने इनके लिए एक्टिंग जगत में जगह सुनिश्चित की हुई थी तो कम उम्र से ही और अनजाने में ही सही, इन्होंने एक्टर बनने की तैयारी करनी भी शुरू कर दी थी। और ये तैयारी शुरू हुई थी रामलीला से।
ऐसे आए थिएटर की तरफ
अपने आस-पड़ोस के बच्चों संग ये अपने मुहल्ले में रामलीला का मंचन किया करते थे। रामलीला के अलावा कृष्ण जन्माष्टमी पर कृष्णलीला के मंचन में भी ये हिस्सा लिया करते थे। हालांकि एक दौर वो भी था जब इन्हें स्टेज पर चढ़ने में बड़ा डर लगता था।
मगर जब एक दफा इन्होंने पूरे स्कूल के सामने हिम्मत करके एक कविता सुनाई और उस कविता के लिए इन्हें प्रथम पुरस्कार भी दिया गया तो इनके अंदर हौंसला आया।
फिर एक दिन अपनी जान-पहचान के किसी शख्स की मदद से इन्होंने पहली दफा अपने शहर हिसार में ही प्रोफेशनल नाटक किया। और इसी नाटक के बाद यशपाल शर्मा के मन में थिएटर के प्रति प्रेम जागृत हुआ।
दिल्ली में जॉइन किया थिएटर ग्रुप
हिसार में पहला नाटक करने के बाद यशपाल शर्मा के मन में थिएटर के प्रति इतना आकर्षण पैदा हुआ कि ये हर वक्त थिएटर के बारे में ही सोचने लगे। इनके पिता चाहते थे कि ये किसी सरकारी नौकरी में जाएं।
लेकिन इन्होंने सरकारी नौकरी करने से साफ इन्कार कर दिया।एक दिन इन्होंने जब ये सुना कि दिल्ली में नसीरुद्दीन शाह का कोई नाटक होने वाला है तो ये अपने घर से भागकर दिल्ली आ गए। उसके बाद दिल्ली में इन्होंने एक थिएटर ग्रुप जॉइन कर लिया।
NSD पहुंच गए Yashpal Sharma
अब तक यशपाल शर्मा को इस बात का इल्म हो चुका था कि थिएटर में महारत हासिल करनी है तो एनएसडी यानि नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा से थिएटर की ट्रेनिंग लेना ज़रूरी है।
इन्होंने तीन दफा एनएसडी में दाखिला लेने की कोशिश की। लेकिन इन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई। इसके बाद इन्होंने चंडीगढ़ के एक नामी ड्रामा कॉलेज में दाखिला लिया।
वहां इन्हें एक साल हुआ ही था कि चौथे प्रयास में इन्हें एनएसडी में भी दाखिला मिल गया और चंडीगढ़ छोड़कर ये दिल्ली आ गए।
और मुंबई आ गए यशपाल शर्मा
एनएसडी से अपना कोर्स पूरा करने के बाद यशपाल शर्मा ने दो साल तक यहां की रेपेटरी में नौकरी भी की। फिर बाद में ये प्रोफेशनल थिएटर में एक्टिव हो गए। ये चाहते थे कि अपने राज्य हरियाणा में ये चिल्ड्रन थिएटर किया करेंगे।
लेकिन एक दिन जब इन्होंने एक अखबार में अपनी एक्टिंग की तारीफ वाला एक लेख देखा तो इनका इरादा बदलने लगा। इन्हें लगने लगा कि अगर ये चिल्ड्रन थिएटर में गए तो वहां ये एक्टिंग नहीं कर पाएंगे।
जबकि लोग इनकी एक्टिंग की तारीफ करते हैं। कई दिन की कशमकश के बाद आखिरकार इन्होंने फैसला किया कि अब ये फुल टाइम एक्टर बनेंगे और फिल्मों में नाम कमाएंगे। और आखिरकार एक दिन ये मुंबई आ ही गए।
मुंबई में आई मुश्किलें
यशपाल जब दिल्ली में ही थे तो ये दूरदर्शन पर आने वाले एक शो आदर्श में काम किया करते थे। उस शो से इन्हें लगभग 50 हज़ार रुपए की कमाई हुई थी। वो रुपए लेकर ही ये मुंबई आए थे।
मुंबई आने के बाद इन्होंने आहट और सीआईडी के इक्का-दुक्का एपिसोड्स में काम किया। ये वो दौर था जब ये शोज़ टीवी पर प्रसारित होना शुरू ही हुए थे। उन शोज़ में काम करने पर यशपाल की इतनी कमाई हो जाती थी कि ये मुंबई में अपने कमरे का किराया चुका सकें।
नहीं किया उसूलों से समझौता
मुंबई में ही पहली दफा इन्होंने एक्टर और फोटोग्राफर सुरेंद्र राजन से अपना एक फोटोशूट कराया। अगले छह महीनों तक अपने फोटो लेकर ये डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स के ऑफिसों के चक्कर काटते रहे। इन्हें रोल ऑफर तो हुए।
लेकिन वो इस तरह के रोल होते थे जो इन्हें ज़रा भी पसंद नहीं थे। इत्तेफाक से यही वक्त भारतीय टीवी जगत पर डेली सोप्स की शुरुआत का भी दौर था। उन दिनों भारत में शांति, इतिहास और अपराजिता जैसे डेली सोप्स बेहद लोकप्रिय हो रहे थे।
यशपाल वहां भी काम मांगने पहुंचे थे। लेकिन जब इन्होंने वहां का हाल देखा तो इन्हें अहसास हो गया कि ये किसी भी हाल में इस तरह से काम नहीं कर पाएंगे।
ढाई साल तक मुंबई में बेरोजागर रहे थे Yashpal Sharma
इस तरह यशपाल को बिना कोई काम किए ढाई साल हो चुके थे और मुंबई जैसे शहर में ढाई साल तक बेरोजगार रहकर ज़िंदा रह पाना कितना चैलेंजिंग होता है इसका अंदाज़ा शायद आप लगा सकते हैं।
यशपाल का जीवन बेहद कठिनाईयों से गुज़र रहा था। ये 20-30 रुपए हर रोज़ उधार लेकर अपना पेट भर रहे थे। नौबत ये आ गई थी कि ये अपने घर हिसार वापस लौटने का इरादा बनाने लगे थे।
सुधीर मिश्रा से कह दी थी ये बात
इत्तेफाक से तभी इनकी मुलाकात सुधीर मिश्रा से हुई। सुधीर मिश्रा ने इन्हें अपने एक डेली सोप में लीड भूमिका ऑफर की। साथ ही अच्छे खासे पैसे भी इन्हें ऑफर किए।
लेकिन यशपाल शर्मा अपनी धुन के कितने पक्के हैं इसका अंदाज़ा आप ऐसे लगा सकते हैं कि इन्होंने सुधीर मिश्रा को उस रोल को निभाने के लिए मना कर दिया। इन्होंने कहा,"फिलहाल मैं किसी डेली सोप में काम नहीं करना चाहता। मुझे आपके साथ फिल्म करनी है।"
निकाला ऑडिशन का नया तरीका
सुधीर मिश्रा उस दिन यशपाल की शख्सियत से प्रभावित तो बहुत हुए। लेकिन वो यशपाल को कोई काम ना दे सके। दूसरी तरफ यशपाल ने अब तक संघर्ष का एक नया तरीका निकाल लिया था।
वो जब भी कहीं किसी डायरेक्टर या प्रोड्यूसर से मिलने जाते तो अपने पुराने नाटकों की स्पीच याद कर ले जाते। साथ ही अपने फोटोग्राफ्स भी साथ ले जाते। वहां पहुंचकर वो अपनी स्पीच सुनाते और फिर फोटो के पीछे अपना पेजर नंबर लिख छोड़ आते।
गोविंद निहलानी ने बना दी ज़िंदगी
यशपाल का ये तरीका लोगों को पसंद तो आ रहा था। लेकिन काम उन्हें अब भी नहीं मिल पा रहा था। हालात ये हो गए थे कि यशपाल अपने इस संघर्ष से आजिज़ आ गए।
उन्होंने लोगों से मिलना-जुलना छोड़ दिया। वो हिसार वापस लौटने की तैयारी करने लगे थे। उनकी दाढ़ी भी खूब बढ़ गई थी।
इत्तेफाक से इसी दौरान यशपाल के किसी दोस्त ने बताया कि गोविंद निहलानी एक फिल्म बना रहे हैं। उसके लिए ऑडिशन दे आओ।
गोविंद निहलानी राजकमल स्टूडियो में ऑडिशन ले रहे थे। लेकिन यशपाल के पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वो वहां तक पहुंच सके।
इन्होंने अपने रूम से स्टेशन तक का सफर पैदल पूरा किया। उसके बाद परेल तक इन्होंने लोकल ट्रेन में बिना टिकट यात्रा की।
फिर वहां से ये पैदल राजकमल स्टूडियो तक पहुंचे। चूंकि उन दिनों मुंबई में मूसलाधार बारिश हो रही थी तो ये पूरा भीग चुके थे।
गोविंद निहलानी को जब इन्होंने अपनी स्पीच सुनाई तो गोविंद इनसे काफी इंप्रैस हुए। उन्होंने अपनी फिल्म हज़ार चौरासी की मां में इन्हें एक छोटा लेकिन प्रभावशाली रोल दे दिया।
इस तरह यशपाल शर्मा का फिल्मी करियर शुरू हो गया और उनके करियर की पहली फिल्म रही हज़ार चौरासी की मां।
लगान से चल निकली फिल्मी गाड़ी
पहली फिल्म में यशपाल ने इतना बढ़िया काम किया कि गोविंद निहलानी को ये बड़े पसंद आए। गोविंद निहलानी ने ही इन्हें श्याम बेनेगल से भी मिलवाया। श्याम बेनेगल ने भी इन्हें अपनी फिल्म समर में एक रोल दिया।
उसी किरदार में एक दिन इन्हें आशुतोष गोवारिकर ने देखा था और फिर इन्हें लगान फिल्म में लाखा के रोल के लिए फाइनल कर दिया था। इस तरह कड़ी मशक्कत के बाद आखिरकार यशपाल शर्मा की फिल्मी गाड़ी चल निकली।
देवानंद साहब की आखिरी फिल्म में भी किया काम
यशपाल ने अपने करियर में अब तक लगभग सौ फिल्मों में काम किया है। फिल्म गंगाजल में इनका निभाया सुंदर यादव का किरदार भला कौन भुला सकता है।
वहीं हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी में भी इनको बहुत दमदार रोल मिला था। साल 2011 में यशपाल शर्मा देवानंद साहब की फिल्म चार्जशीट में भी नज़र आए थे। और यही फिल्म देवानंद साहब की आखिरी फिल्म भी थी।
टीवी पर भी नज़र आए Yashpal Sharma
एक दौर में टीवी से तौबा करने वाले यशपाल शर्मा ने साल 2010 में ज़ी टीवी के शो मेरा नाम करेगी रोशन से अपना टेलिविज़िन डेब्यू किया था।
पॉप्युलर सिटकॉम तारक मेहता का उल्टा चश्मा में भी ये एक कैमियो में नज़र आए थे। वहीं साल 2014 में इन्होंने ज़ीटीवी के शो नीली छतरी वाले में लीड रोल भी प्ले किया था।
यशपाल शर्मा ने कुछ शॉर्ट्स फिल्मों में भी काम किया है। साथ ही साथ आज के दौर के एंटरटेनमेंट के बेहद पॉप्युलर फॉर्मेट वेब सीरीज़ में भी इन्होंने काम किया है। लेकिन बीते कुछ सालों में इन्होंने खुद को फिल्मों से ज़रा दूर कर लिया है।
इस बारे में यशपाल कहते हैं कि अब वो इस स्थिति में आ चुके हैं जहां वो अपनी मर्ज़ी से फिल्मों का चुनाव कर सकें। इसलिए अब वो इस तरह की फिल्में ही करना चाहते हैं जिनमें उनको मिलने वाला किरदार प्रभावशाली हो।
यशपाल शर्मा की निजी ज़िंदगी
यशपाल शर्मा की निजी ज़िंदगी की बात करें तो इनके बचपन के बारे में तो हम आपको पहले ही बता चुके हैं। यशपाल शर्मा ने मुंबई में प्रतिभा शर्मा से शादी की।
इनकी पत्नी प्रतिभा शर्मा भी इनकी ही तरह एक एक्ट्रेस हैं। प्रतिभा ना सिर्फ थिएटर आर्टिस्ट हैं, बल्कि समय समय पर फिल्मों में भी काम करती रहती हैं।
साल 2020 में प्रतिभा शर्मा ने अपने पति यशपाल संग फिल्म दास कैपिटल: गुलामों की राजधानी में काम किया था।
इसके अलावा प्रतिभा ने खुली खिड़की और नई अम्मी जैसी नोटेबल फिल्मों में भी काम किया है। प्रतिभा और यशपाल के दो बच्चे हैं। बेटा संयम और बेटी सौम्या। परिवार संग यशपाल शर्मा का जीवन बेहद सुखी और शानदार चल रहा है।
Meerut Manthan ईश्वर से प्रार्थना करता है कि यशपाल शर्मा यूं ही हमेशा अपने परिवार संग सुखी और समृद्ध जीवन बिताते रहें।
साथ ही एक्टिंग के ज़रिए भी वो एक से बढ़कर एक किरदार निभाकर अपने फैंस का मनोरंजन करते रहें। जय हिंद।
एक सशक्त अभिनेता के बारे में बेहद खूबसूरत तरीके से लिखा आपने
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