Smita Patil | वो Actress जिसके बारे में बहुत ज़्यादा झूठ बोला गया है | Biography
Smita Patil. एक ऐसी अदाकारा जिसने बहुत ही कम वक्त में भारतीय सिनेमा पर अपनी बहुत ही गहरी छाप छोड़ दी। एक ऐसी शख्सियत जिसके जीवन पर एक फिल्म बनाई जाए तो उसे भी कम से कम दो भागों में रिलीज़ करना होगा।
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Actress Smita Patil Biography - Photo: Social Media |
पैरलल सिनेमा हो या कमर्शियल सिनेमा हो। स्मिता पाटिल ने हर तरफ अपने हुनर का डंका बजाया। मगर बहुत ही कम वक्त में स्मिता पाटिल ने ये दुनिया छोड़ दी। और लोगों ने उनकी निजी ज़िंदगी के बारे में कई तरह की बातें मिर्च मसाला लगाकर उनके फैंस के सामने परोसी।
Meerut Manthan आज Smita Patil की कहानी कहेगा। Smita Patil के बारे में जो जानकारियां आज Meerut Manthan आपको दे रहा है। वैसी जानकारियां आपको शायद ही कहीं और मिल सकेंगी।
Smita Patil का शुरुआती जीवन
17 अक्टूबर 1955 को स्मिता का जन्म महाराष्ट्र के पुणे शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम था शिवाजीराव गिरधर पाटिल और इनकी माता का नाम था विद्याताई पाटिल।
इनके पिता शिवाजीराव गिरधर पाटिल स्वतंत्रता सेनानी थे और देश आज़ाद होने के बाद राजनीति में आ गए थे। जबकी इनकी मां विद्याताई पाटिल एक सोशल वर्कर थी।स्मिता एक प्रीमैच्योर बेबी थी। इसिलिए जब उनका जन्म हुआ था तो वो काफी कमज़ोर और अंडरवेट थी।
स्मिता के जन्म का किस्सा बताते हुए उनकी मां विद्याताई पाटिल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि स्मिता का जन्म 8वें महीने में ही हो गया था। उन दिनों विद्याताई पाटिल खुद भी पुणे के एक अस्पताल में नर्स की हैसियत से काम किया करती थी।
स्मिता पाटिल के जन्म की कहानी
एक दिन विद्याताई पाटिल अपनी नौकरी पर ही थी जब उन्हें संकेत मिलने लगे कि उनके गर्भ में पल रहे बच्चे का जन्म होने वाला है। वो किसी तरह खुद को संभालते हुए रिक्शा लेकर अपने घर पहुंची। घर पहुंचकर उन्हें पता चला कि उनके पति और उनकी बड़ी बेटी अनिता पाटिल घर पर नहीं हैं।
विद्याताई पाटिल ने अपने कुछ कपड़े एक थैले में लिए और रिक्शा लेकर आ गई पुणे के नामी सरस्वती विलास हॉस्पिटल। विद्याताई को वहां भर्ती कर लिया गया। वहीं पर विद्याताई पाटिल ने स्मिता पाटिल को जन्म दिया था।
स्मिता और उनकी बहनों की जानकारी
स्मिता अपने माता-पिता की तीसरी संतान थी। स्मिता की मां विद्याताई पाटिल ने सबसे पहले एक बेटे को जन्म दिया था। लेकिन 4 महीने की छोटी सी उम्र में ही उनका वो बेटा भगवान को प्यारा हो गया।
पहली संतान की मौत के कुछ सालों बाद विद्याताई पाटिल ने स्मिता पाटिल की बड़ी बहन अनिता पाटिल को जन्म दिया था। अनिता के बाद स्मिता पाटिल पैदा हुई और फिर लगभग तीन साल बाद स्मिता पाटिल की छोटी बहन मान्या का जन्म हुआ था।
स्मिता का बचपन
चूंकि स्मिता पाटिल के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे और गांधियन मूवमेंट का हिस्सा थे तो वो कोई नौकरी नहीं करते थे। घर चलाने के लिए स्मिता पाटिल की मां विद्याताई पाटिल ही नर्स की नौकरी करती थी। स्मिता एक प्रीमैच्योर बेबी थी तो पांच साल की उम्र तक वो काफी कमज़ोर दिखा करती थी।
मां विद्याताई पाटिल जब नौकरी पर जाती थी तो पिता ही स्मिता पाटिल और उनकी बहनों का ख्याल रखते थे। यही वजह है कि स्मिता पाटिल और उनकी बहनों की बॉन्डिंग अपने पिता से ज़्यादा थी।
उन दिनों स्मिता बहुत कमज़ोर हुआ करती थी तो अधिकतर बीमार ही रहती थी। ऐसे में पिता ही उनका ध्यान रखते थे। नन्ही स्मिता अपनी मां के नौकरी पर जाने पर बहुत रोती थी। कभी कभार जब मां स्मिता को अपने अस्पताल साथ ले जाती थी तो वहां भी उनका दिल नहीं लगता था।
स्कूल में बदली पहली दफा किस्मत
स्मिता की शुरुआती पढ़ाई लिखाई इनके घर के पास ही मौजूद एक बालवाड़ी में हुई थी। उसके बाद स्मिता के माता-पिता ने उनका दाखिला पुणे के पेरूगेट इलाके में मौजूद भावे गर्ल्स स्कूल में कराया। आज भावे गर्ल्स स्कूल का नाम रेनुका स्वरूप मैमोरिअल गर्ल्स हाईस्कूल हो चुका है।
स्मिता की बड़ी बहन अनिता पहले ही वहां पढ़ रही थी। स्मिता स्कूल में होने वाली एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में हिस्सा लेने लगी थी। स्कूल में स्मिता ड्रम बजाती थी। अपने स्कूल के बैंड की लीडर हुआ करती थी। महाराष्ट्र का पारंपरिक लेज़िम नृत्य भी किया करती थी।
इतना ही नहीं, स्मिता जिमनास्ट प्रतियोगिताओं में भी हिस्सा लेने लगी थी। किसी वक्त पर दुबली पतली और कमज़ोर शरीर वाली स्मिता अब एक स्वस्थ एथलीट गर्ल बन चुकी थी।
अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाने वाली थी स्मिता
स्मिता को स्टेज से कितना प्यार हो गया था इसका अंदाज़ा आप ऐसे लगा सकते हैं कि एक दफा स्कूल के एक नाटक में इन्हें नहीं लिया गया। इस बात पर स्मिता अपने टीचर से भिड़ गई और उन्होंने पूरे स्कूल के सामने टीचर के खिलाफ अपना रोष जता दिया।
स्कूली दिनों में अगर स्मिता कहीं पर कोई गलत काम होते हुए देखती थी तो तुरंत उसके खिलाफ आवाज़ उठाती थी। स्मिता की मां विद्याताई ने अपने इंटरव्यू में बताया था कि अगर कोई बस स्टैंड पर लाइन तोड़ देता था तो स्मिता बेखौफ होकर उससे भिड़ जाती थी।
जीवों से करती थी बहुत प्रेम
स्मिता को जीव जंतुओं से बेहद लगाव था। वो अक्सर स्ट्रे एनिमल्स की मदद करती रहती थी। उनके पिता जब महाराष्ट्र सरकार कैबिनेट में मिनिस्टर बन गए तो उनका पूरा परिवार पुणे से मुंबई शिफ्ट हो गया। लेकिन स्मिता पुणे में ही रही। हालांकि माता-पिता से मिलने वो अक्सर मुंबई जाती रहती थी।
राष्ट्र सेवा दल का भी हिस्सा थी स्मिता पाटिल
अपने इंटरव्यू में स्मिता की मां ने बताया था कि स्मिता और उनकी बड़ी बहन अनिता अपने स्कूली दिनों में कांग्रेस के राष्ट्र सेवा दल के चाइल्ड विंग का भी हिस्सा रही थी। इस दौरान इन्होंने राष्ट्र सेवा दल द्वारा आयोजित कई वर्कशॉप्स में भी हिस्सा लिया था।
इन वर्कशॉप्स के ज़रिए इन्हें देश के कई इलाकों में घूमने का मौका मिलता रहता था। इन वर्कशॉप्स में स्मिता बाकी बच्चों के साथ मिलकर गांव देहात के बच्चों को थिएटर व डांस के माध्यम से जागरूक किया करती थी।
स्मिता का पहला प्यार
बारहवीं पास करने के बाद स्मिता ने पुणे के फर्ग्यूसन कॉलेज में दाखिला ले लिया था। यूं तो पढ़ाई लिखाई में उनका मन बहुत ज़्यादा नहीं लगता था। पर अपनी मां के ग्रेजुएशन करने की गुज़ारिश करने के कारण वो कॉलेज जाती रहती थी।
इसी कॉलेज में पहली दफा स्मिता को एक लड़के से प्यार हुआ था। वो लड़का किसी राजसी खानदान से ताल्लुक रखता था। स्मिता उससे शादी करना चाहती थी। सबसे पहले उन्होंने ये बात अपनी मां को बताई थी।
मां को नहीं पसंद आया था वो लड़का
स्मिता जिस लड़के को पसंद करती थी उसके परिवार को उनकी मां विद्याताई पाटिल जानती थी। और मां को ये भी पता था कि उस लड़के का परिवार काफी पिछड़े विचारों का है। इसलिए उन्होंने स्मिता से कह दिया कि वो उस लड़के को भूल जाएं।
लेकिन जब स्मिता ने अपनी मां से कहा कि अगर उनकी शादी उस लड़के से नहीं हुई तो वो शराब पीना शुरू कर देंगी तो मां ने उस लड़के को घर बुलाने को कहा। अगले दिन स्मिता उस लड़के को अपने घर ले आई।
स्मिता के सिर से भी उतर गया उस लड़के का भूत
स्मिता की मां ने उस लड़के से पूछा था कि क्या शादी के बाद उसका परिवार स्मिता को नौकरी करने देगा। या फिर थिएटर में काम करने देगा। उस लड़के ने जवाब दिया,नहीं। मां समझ गई कि ये लड़का स्मिता के लायक नहीं है। लेकिन स्मिता पर तो मानो जुनून सवार था कि वो उसी लड़के से शादी करें।
इसलिए मां ने उन्हें कह दिया कि स्मिता को पहले हर हाल में अपनी ग्रेजुएशन पूरी करनी होगी। फिर चाहे वो जिससे भी शादी करें। स्मिता ने मां की ये शर्त मान ली। हालांकि ग्रेजुएशन के दौरान ही स्मिता के मन में जो उस लड़के को लेकर जुनून था, वो खत्म हो गया।
ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद स्मिता मुंबई आ गई और उन्होंने एलफिंस्टेन कॉलेज में दाखिला ले लिया। लेकिन यहां उनका दिल नहीं लगा। इसलिए कुछ दिनों बाद ही स्मिता सेंट ज़ेवियर्स कॉलेज में पढ़ने लगी।
FTII और स्मिता का कनेक्शन
स्कूल और कॉलेज के दिनों में स्मिता भले ही नाटकों और थिएटर में बहुत ज़्यादा एक्टिव रही हों। लेकिन फिल्मों में करियर बनाने का सपना उन्होंने कभी नहीं देखा था।
फर्ग्यूसन कॉलेज के हॉस्टल में जो लड़की स्मिता की रूममेट थी, उसका बॉयफ्रेंड FTII में पढ़ता था। स्मिता भी कभी कभार अपनी फ्रेंड के उस बॉयफ्रेंड के साथ FTII घूमने चली जाती थी।
यानि FTII की स्टूडेंट नहीं थी स्मिता
FTII का माहौल स्मिता को काफी पसंद आने लगा था। और इस तरह स्मिता ने भी फिल्मों की चमकीली दुनिया में अपनी जगह बनाने का ख्वाब देखना शुरू कर दिया। कई लोग ये दावा करते हैं कि स्मिता पाटिल FTII की स्टूडेंट रह चुकी हैं।
लेकिन ये सच नहीं है। हां ये ज़रूर है, कि स्मिता FTII में काफी वक्त गुज़ारा करती थी। और इसिलिए लोगों को उनके बारे में ये गलतफहमी हो गई थी कि वो FTII की स्टूडेंट रह चुकी हैं।
जब ज़िद पर अड़ गई मां
एक दिन स्मिता के किसी दोस्त ने उनकी आंखों की एक क्लॉज़ तस्वीर ली। उस फ्रेंड ने स्मिता से कहा कि तुम मॉडलिंग में बढ़िया नाम कमा सकती हो। स्मिता ने वो तस्वीर अपनी मां को भी दिखाई और मॉडलिंग में काम करने की अपनी ख्वाहिश भी बताई। मां ने कहा,"मॉडलिंग बाद में भी हो सकती है। तुम पहले कॉलेज की पढ़ाई कंप्लीट करो।"
दोस्त के कहने पर मानी थी मां
मां के रुख में कोई बदलाव ना देखकर एक दिन स्मिता अपने एक दोस्त को घर लाई जो कि 1973 में रिलीज़ हुई बसु भट्टाचार्य की फिल्म आविष्कार का लिरिसिस्ट था।
स्मिता के उस दोस्त ने उनकी मां से कहा, "आप स्मिता को फिल्मों में काम करने से क्यों रोक रही हैं? वो डिग्री का क्या करेगी? अगर आप उसे अब फिल्मों में काम करने से रोकेंगी तो कम से कम साल के दो प्रोजेक्ट उसके हाथ से निकलेंगे।"
ऐसे दूरदर्शन का हिस्सा बनी थी Smita Patil
लोगों को ये तो पता है कि स्मिता पाटिल ने दूरदर्शन पर न्यूज़ रीडर की हैसियत से कुछ वक्त तक काम किया था। लेकिन वो दूरदर्शन का हिस्सा कैसे बनी थी, इसके बारे में बहुतों को कुछ नहीं पता है।
लेकिन आज मेरठ मंथन स्मिता पाटिल के दूरदर्शन से जुड़ने की कहानी भी आपको बताएगा।स्मिता की बड़ी बहन अनिता की एक दोस्त हुआ करती थी। जिनका नाम था ज्योत्सना किर्पेकर।
ज्योत्सना किर्पेकर एक ज़माने में दूरदर्शन के मुंबई केंद्र में मराठी व हिंदी खबरों का चर्चित नाम हुआ करती थी। ज्योत्सना अक्सर स्मिता को अपने साथ दूरदर्शन के स्टूडियो में ले जाती रहती थी।
गाना गाकर दूरदर्शन में सिलेक्ट हुई थी स्मिता
एक दिन टीवी सेंटर पर न्यूज़रीडर्स के लिए इंटरव्यू चल रहे थे। ज्योत्सना के कहने पर स्मिता ने भी इंटरव्यू के लिए आवेदन कर दिया। इंटरव्यूवर ने स्मिता से एक गाना गाने के लिए कहा। स्मिता ने बड़े ही आराम से उन्हें गाना सुना दिया।
थोड़ी देर बाद स्मिता को पता चला कि उन्हें दूरदर्शन मुंबई में न्यूज़रीडर के लिए सिलेक्ट कर लिया गया है। मगर उस वक्त तक स्मिता बालिग नहीं हुई थी। इसलिए वो दूरदर्शन का कॉन्ट्रैक्ट साइन नहीं कर पाई। हालांकि डेली वेज वर्कर की हैसियत से उन्हें काम पर रख लिया गया।
दूरदर्शन पर स्मिता का पहला प्रोग्राम
स्मिता ने दूरदर्शन पर न्यूज़रीडिंग से शुरूआत नहीं की थी। सबसे पहले उन्होंने डीडी मराठी के उदयाचे कार्याक्रम के अनाउंसर के तौर पर काम किया था। अपने इस कार्यक्रम में वो रोज़ सुबह चैनल पर आने वाले पूरे दिन के प्रोग्राम्स की जानकारी देती थी।
डीडी में जींस के ऊपर पहन लेती थी साड़ी
दूरदर्शन में आने के बाद स्मिता का फ्रेंड सर्किल काफी ज़्यादा बढ़ गया था। अब तक फिल्म इंडस्ट्री के कुछ लोग भी स्मिता को जानने पहचानने लगे थे। अब स्मिता कभी कभार न्यूज़ रीडिंग भी कर लिया करती थी।
स्मिता अक्सर जींस और खादी का कुर्ता पहनती थी। लेकिन न्यूज़ रीडिंग में एंकर को साड़ी पहनना अनिवार्य था। ऐसे में स्मिता जींस और कुर्ते पर ही साड़ी डाल लिया करती थी।
मराठी फिल्मों से शुरू हुआ था फिल्मी सफर
स्मिता के कम्यूनिकेशन स्किल्स बहुत शानदार थे और इसिलिए कम वक्त में ही मराठी दर्शकों के बीच स्मिता का न्यूज़ रीडिंग स्टाइल लोकप्रिय भी हो गया।
चूंकि फिल्म इंडस्ट्री में स्मिता की पहचान कुछ लोगों से हो चुकी थी तो साल 1974 में रिलीज़ हुई मराठी फिल्म राजा शिव छत्रपति में स्मिता पाटिल को एक छोटा सा रोल भी मिल गया था।
इस तरह स्मिता ने एक्टिंग की दुनिया की तरफ अपना पहला कदम बढ़ाया। इसी साल आई सामना नाम की एक और मराठी फिल्म में ये नज़र आई।
इसी बीच दिग्गज फिल्मकार श्याम बेनेगल ने अपनी फिल्म निशांत के लिए एक ऐसी अभिनेत्री की तलाश शुरू की, जिसका चेहरा किसी सीधी सादी भारतीय महिला जैसा हो।
इत्तेफाक से स्मिता के एक दोस्त की श्याम बेनेगल से अच्छी जान-पहचान थी। उसने श्याम बेनेगल को स्मिता का नाम सुझाया।श्याम बेनेगल ने टीवी पर स्मिता का प्रोग्राम देखा और उन्हें स्मिता की शख्सियत पसंद आई।
श्याम बेनेगल ने स्मिता को निशांत में काम करने का ऑफर दिया। और श्याम बेनेगल का यही ऑफर स्मिता पाटिल के लिए टर्निंग पॉइन्ट साबित हुआ।
चरणदास चोर से हुई हिंदी फिल्मों में शुरुआत
निशांत में श्याम बेनेगल ने स्मिता पाटिल को रुकमिनी के रोल के लिए साइन किया था। लेकिन किन्हीं वजहों से निशांत की शूटिंग तय समय पर पूरी नहीं हो पाई।
अब तक श्याम बेनेगल स्मिता को बच्चों के लिए बनाई जा रही अपनी फिल्म चरणदास चोर के लिए भी साइन कर चुके थे और उस फिल्म की शूटिंग भी शुरू कर चुके थे। इस फिल्म में स्मिता पाटिल एक रानी के किरदार में नज़र आई थी।
21 साल की उम्र में जीता नेशनल अवॉर्ड
फिर इसी साल दिसंबर में निशांत भी रिलीज़ हो गई। निशांत में स्मिता के काम को काफी पसंद किया गया। फिर साल 1976 में ही आई श्याम बेनेगल की मंथन में भी स्मिता पाटिल ने बेजोड़ अभिनय किया।
लेकिन स्मिता पाटिल के अभिनय का जलवा देशभर में कायम हुआ था साल 1977 में आई फिल्म भूमिका से। इस फिल्म में स्मिता ने इतनी शानदार एक्टिंग की थी, कि उन्हें महज़ 21 साल की उम्र में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
स्मिता का दूसरा नेशनल अवॉर्ड
इस फिल्म के बाद तो स्मिता पाटिल पैरलल सिनेमा का सबसे चर्चित चेहरा बन गई। स्मिता ने अपने करियर में मुज़फ्फर अली की गमन, ख्वाजा अहमद अब्बास की द नक्सलाइट, सईद अख्तर मिर्ज़ा की अल्बर्ट पिंटो को गुस्सा क्यों आता है, गोविंद निहलानी की आक्रोश जैसी सशक्त और चर्चित फिल्मों में काम किया था।
साल 1981 में स्मिता ने रबिंद्र धर्मराज की चक्र में भी काम किया था। और इस फिल्म के लिए एक बार फिर से स्मिता पाटिल को नेशनल फिल्म अवॉर्ड दिया गया। इसी फिल्म के लिए ही स्मिता को फिल्मफेयर बेस्ट एक्ट्रेस अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
स्मिता पाटिल की प्रमुख फिल्में
स्मिता पाटिल ने महान डायरेक्टर सत्यजीत रे के साथ टीवी फिल्म सदगति में भी काम किया था। पैरलल सिनेमा की बात करें तो बाज़ार, गिद्ध, अर्थ, अर्धसत्य, मंडी, मिर्च मसाला जैसी फिल्मों में स्मिता पाटिल की एक्टिंग का लोहा बॉलीवुड ही नहीं, दुनियाभर के सिनेमा के जानकारों ने माना।
वहीं कमर्शियल फिल्मों में भी स्मिता ने काफी काम किया था। नमक हलाल, बदले की आग, शक्ति, दर्द का रिश्ता, भीगी पलकें, चटपटी, कयामत, गुलामी और दहलीज जैसी फिल्मों में उनकी एक्टिंग की चर्चा खूब हुई थी।
महज़ 12 साल लंबे अपने फिल्मी करियर में स्मिता पाटिल ने 84 फिल्मों में काम किया था। हिंदी के अलावा स्मिता ने मराठी, गुजराती, मलयालम, कन्नड़ और तेलुगू भाषा के अलावा इक्का-दुक्का पंजाबी फिल्मों में भी काम किया था।
स्मिता के अवॉर्ड्स
मिर्च मसाला फिल्म जो कि उनकी मौत के कुछ महीनों बाद रिलीज़ हुई थी, उसमें स्मिता पाटिल ने इतना शानदार काम किया था कि इन्हें बाफ्टा यानि बंगाली फिल्म जर्नलिस्ट असोसिएशन अवॉर्ड ने बेस्ट एक्ट्रेस के खिताब से नवाज़ा था।
वहीं जैत रे जैत और उम्बार्था नाम की मराठी फिल्मों के लिए फिल्मफेयर मराठी अवॉर्ड्स ने भी स्मिता को बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड दिया था। साल 1985 में भारत सरकार ने भी स्मिता पाटिल को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया था।
जब स्मिता से नाराज़ हो गई मां
स्मिता की निजी ज़िंदगी काफी उथल पुथल रही थी। राज बब्बर संग अपने रिलेशन और अपनी शादी की वजह से स्मिता को ना केवल समाज की तरफ से तंज का सामना करना पड़ा था। बल्कि अपनी मां की नाराज़गी भी झेलनी पड़ी थी।
स्मिता की मां विद्याताई पाटिल को शादीशुदा राज बब्बर के साथ उनका रोमांस करना पसंद नहीं आ रहा था। मां तो इतनी नाराज़ हो गई थी कि उन्होंने स्मिता से बात करना भी बंद कर दिया था।
कलकत्ता में जब स्मिता ने राज बब्बर के साथ शादी की तो उन्होंने अपने परिवार को बुलाया भी था। मगर मां विद्याताई पाटिल बेटी स्मिता की इस शादी में शरीक भी नहीं हुई। और स्मिता की ज़िंदगी के आखिरी पल तक राज बब्बर संग उनके रिश्ते को मां ने स्वीकार नहीं किया था।
बहुत चैलेंजिंग रही थी स्मिता की प्रेगनेंसी
स्मिता जब मां बनने वाली थी तब भी उनकी मां उनके पास नहीं थी। विद्याताई पाटिल ने एक इंटरव्यू में बताया था कि स्मिता मां बनने को लेकर बहुत उत्सुक थी।
इसलिए जब वो गर्भवती हुई तो उनके मन में प्रेगनेंसी को लेकर तरह तरह की बातें चलने लगी थी। कई दफा तो वो बहुत खुश होती थी और कई दफा बहुत ज़्यादा डिप्रेशन में चली जाती थी।
Son Pratiek Babbar के जन्म के बाद बिगड़ गई थी Smita Patil की तबियत
28 नवंबर 1986 को स्मिता ने बेटे प्रतीक को जन्म दिया। लेकिन डिलीवरी के बाद ही उनकी तबियत में गिरावट होने लगी। हालात ये थे कि डॉक्टरों ने नवजात प्रतीक को तो घर भेज दिया, लेकिन स्मिता को इलाज के लिए अस्पताल में ही रोक लिया। मगर बेटे को अपनी गोद में खिलाने को लालायित स्मिता पाटिल ने ज़बरन अस्पताल से छुट्टी ली और घर चली गई।
और दुनिया छोड़ गई स्मिता पाटिल
घर पहुंचने के बाद स्मिता की हालत और बिगड़ने लगी। लेकिन बेटे के साथ वक्त बिताने की खातिर उन्होंने अपनी तबियत को पूरी तरह नज़रअंदाज़ कर दिया।
9 दिसंबर 1986 के दिन स्मिता की तबियत अचानक से बहुत ज़्यादा बिगड़ गई। और फिर 13 दिसंबर 1986 के दिन भारतीय सिनेमा के आकाश में किसी हीरे की तरह चमचमाता स्मिता पाटिल का चेहरा हमेशा के लिए बुझ गया।
स्मिता पाटिल का बेटा प्रतीक बब्बर भी बन चुका है एक्टर
स्मिता पाटिल की मौत के बाद उनके बेटे प्रतीक की ज़िम्मेदारी उनकी मां विद्याताई पाटिल ने ले ली। राज बब्बर अपनी पहली पत्नी नादिरा बब्बर के पास वापस लौट गए।
स्मिता का बेटा प्रतीक अब खुद भी एक एक्टर है और करियर की शुरुआत बतौर हीरो करने के बाद अब वो अक्सर बड़ी फिल्मों में सपोर्टिंग रोल निभाते नज़र आते रहते हैं।
Smita Patil को Meerut Manthan का सैल्यूट
दूर आसमान से जब स्मिता पाटिल अपने बेटे को देखती होंगी तो बहुत खुश होती होंगी। स्मिता पाटिल ने भारतीय सिनेमा में जो योगदान दिया है। उसके लिए Meerut Manthan Readers उन्हें सैल्यूट करते हैं। जय हिंद।
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