10 Lesser Known Facts of Singer Asha Bhosle | आशा भोसले की दस अनसुनी कहानियां
भारतीय फिल्म गायन की चुनिंदा शीर्ष शख्सियतों का ज़िक्र हो तो आशा भोसले का नाम आता ही आता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत ही नहीं, मॉडर्न ईरा पॉप म्यूज़िक में भी आशा भोसले जी ने अपने हुनर का जलवा बिखेरा है।
भारत की लगभग हर भाषा में आशा जी ने गीत गाए हैं। कई पीढ़ी के कलाकारों को अपनी आवाज़ दी है। कई दौर के संगीतकारों संग जुगलबंदी की है।
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| 10 Lesser Known Facts of Singer Asha Bhosle - Photo: Social Media |
आशा भोसले जी की ज़िंदगी की कहानी तो कई दफा और कईयों ने कही है। लेकिन हम आपके लिए लाए हैं आशा जी से जुड़ी वो कुछ कहानियां जो बहुत ही कम लोगों को पता है।
अगर आप आशा जी की गायकी और उनकी शख्सियत के कद्रदान हैं तो आपको आशा जी की ये अनसुनी कहानियां ज़रूर पसंद आएंगी। 10 Lesser Known Facts of Singer Asha Bhosle.
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पहली कहानी
आशा भोसले ने 13 हज़ार से भी ज़्यादा गाने गाए हैं। और इन्होंने भारत की लगभग हर भाषा में सॉन्ग रिकॉर्डिंग की है। ये बात बहुत ही कम लोग जानते हैं कि आशा भोसले ने एक दफा एक दिन में 7 गाने रिकॉर्ड किए थे।
और उन सात गानों में एक गाना बहुत हिट साबित हुआ था। वो एक मराठी फिल्म का गीत था। उस दिन आशा ने दोपहर 3 बजे रिकॉर्डिंग शुरू की थी और रात को तीन बजे अपना आखिरी गीत रिकॉर्ड किया था।
दूसरी कहानी
एक दफा आशा जी और हिमेश रेशमिया जी को लेकर एक कंट्रोवर्सी हो गई थी। और उस कंट्रोवर्सी की चर्चा सारे देश में हुई थी।
हुआ दरअसल कुछ यूं था कि हिमेश रेशमिया ने आशा जी के पति और महान संगीतकार आरडी बर्मन के बारे में कुछ विवादित बयान दे दिया था।
आशा जी को हिमेश का वो बयान बहुत बुरा लगा था और उन्होंने हिमेश को थप्पड़ मारने की बात तक कह दी थी। हालांकि बाद में हिमेश ने अपने बयान को लेकर आशा भोसले से काफी माफी मांगी थी।
और आशा भोसले ने भी हिमेश को ना केवल माफ किया। बल्कि उनके लिए गाने भी गाए। आशा जी ने कहा था कि हिमेश ने माफी मांगने की हिम्मत दिखाई है। और गलती की माफी मांगना हर किसी के बस की बात नहीं है।
तीसरी कहानी
आशा भोसले ने किशोर दा के साथ जाने कितने ही गीत गाए हैं। यूं तो किशोर दा संग आशा जी की बढ़िया ट्यूनिंग थी। लेकिन एक दफा एक वाक्या ऐसा हुआ था जब कुछ देर के लिए किशोर दा आशा भोसले से नाराज़ हो गए थे।
हुआ कुछ यूं था कि किशोर दा के साथ आशा जी एक सॉन्ग रिकॉर्ड कर रही थी। आशा जी को लगा कि किशोर दा ने सही से नहीं गाया है। उन्होंने किशोर दा से कह दिया कि आपको दोबारा से रिकॉर्डिंग करनी चाहिए क्योंकि आपने बेसुरा गाया है।
किशोर दा को ये बात बुरी लगी। उन्होंने आशा जी से कहा कि तुम बहुत बोलती हो। और फिर किशोर दा म्यूज़िक डायरेक्टर पंचम दा के पास जाकर बोले कि अब वो आशा के साथ रिकॉर्डिंग नहीं करेंगे। पंचम दा ने किसी तरह किशोर दा को उस गाने की रिकॉर्डिंग कंप्लीट करने के लिए मना लिया।
फिर स्टूडियो में जब सॉन्ग रिहर्सल शुरू हुई तो किशोर दा और आशा जी के बीच में बिल्कुल भी बात नहीं हुई। लेकिन जब गाने की फाइनल टेक रिकॉर्ड किया जाना शुरु हुआ और किशोर दा ने अपना वर्स गाया तो उन्हें अहसास हो गया कि वो बेसुरा गा रहे हैं।
किशोर दा ने आशा जी की तरफ देखा। आशा जी उस वक्त गुस्से में थी और दूसरी तरफ देख रही थी। और चूंकि किशोर कुमार आशा भोसले को छोटी बहन मानते थे तो उन्होंने डांटते हुए आशा जी से कहा, वहां क्या देख रही है। मुझे बता कि मैं खराब गा रहा हूं।
आशा जी उनसे बोली, मैं खराब बताऊं तो आप चिढ़ जाते हो। ना बताऊं तो डांटते हो। किशोर दा प्यार से बोले, कोई बात नहीं आशा। मैं ऐसा ही हूं पागल सा। और फिर फाइनली वो सॉन्ग रिकॉर्ड हो ही गया।
चौथी कहानी
किसी ज़माने में ये खबर भी ख़ूब फैली थी कि आशा भोसले की अपनी बड़ी बहन लता मंगेशकर जी से ज़रा भी नहीं बनती है।
और ये बात सच भी है। लता जी और आशा जी के बीच मनमुटाव उस वक्त शुरू हुआ था जब आशा जी ने गणपतराव भोसले से शादी कर ली थी।
दरअसल, उस शादी के वक्त आशा जी की उम्र महज़ 16 साल थी। जबकी गणपतराव भोसले 32 साल के थे। लता जी सहित बाकी सभी घरवालों को आशा जी का ये कदम ज़रा भी पसंद नहीं आया था।
और इसी वजह से सालों तक लता जी ने आशा जी से बात नहीं की थी। हालांकि बाद में जब आशा जी के बच्चे पैदा हो गए तो परिवार वालों की नाराज़गी अपने आप ही खत्म हो गई।
पांचवी कहानी
आशा जी भी लता जी की ही तरह क्रिकेट की बहुत बड़ी फैन हैं। और उनके फेवरिट क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर हैं। ये बात भी काफी दिलचस्प है कि आशा जी ने जब पहली दफा ट्विटर जॉइन किया था तो उन्होंने सबसे पहले सचिन तेंदुलकर को ही फॉलो किया था।
वैसे क्रिकेट को लेकर ये दीवानगी आशा जी में नई नहीं है। किसी दौर में आशा जी अपनी मां के साथ भी स्टेडियम में जाकर पांच दिनों तक लगातार टेस्ट मैच देखती थी। आशा जी की मां भी क्रिकेट को काफी पसंद करती थी।
छठी कहानी
आशा जी ने अपना करियर बहुत छोटी उम्र से ही शुरू कर दिया था। आशा जी महज़ 10 साल की थी जब इन्होंने पहली दफा एक मराठी फिल्म के लिए गाना रिकॉर्ड किया था।
उस फिल्म का नाम था माझाबाड़। और चूंकि वो इनका पहला सॉन्ग था तो उस सॉन्ग को रिकॉर्ड करते वक्त आशा जी बहुत ज़्यादा कांप रही थी।
उस गाने की रिकॉर्डिंग में इनकी बहनें लता जी और ऊषा भी जी इनके साथ थी। पहली रिकॉर्डिंग के बाद आशा जी ने 1946 में वी शांताराम की फिल्म अंधों की दुनिया में एक गाना रिकॉर्ड किया था। और ये गाना ही आशा जी का पहला हिंदी गाना बना।
सातवीं कहानी
आशा जी और लता जी ने अपने पूरे करियर में केवल एक दफा ही एक साथ कोई लाइव परफॉर्मेंस दिया है। सालों पहले कलकत्ता में ये शो हुआ था जिसमें एक लाख 35 हज़ार लोगों ने लाइव इन दोनों बहनों को एक साथ परफॉर्म करते हुए देखा था।
उसके बाद कभी किसी शो में इन दोनों बहनों ने एक साथ परफॉर्म नहीं किया। हालांकी ये कोशिशें तो कई दफा की गई कि इन दोनों बहनों को एक साथ लाया जाए। लेकिन ये कोशिशें कभी दोबारा कामयाब नहीं हो सकी।
आठवीं कहानी
जहां एक तरफ आशा जी को इस बात का बेहद गर्व था कि वो महान लता मंगेशकर की छोटी बहन हैं। वहीं दूसरी तरफ इन्हें इस बात का मलाल भी हमेशा रहा कि लोग उन्हें ज़्यादातर लता मंगेशकर की छोटी बहन कहकर पुकारते थे।
एक इंटरव्यू में आशा जी ने इस बात को स्वीकार किया था कि उन्हें ये बात कभी अच्छी नहीं लगी कि उनकी खुद की आइडेंटिटी उतनी प्रभावशाली नहीं रही जितनी की उनकी बहन लता मंगेशकर की थी।
लोगों ने उन्हें एक अच्छा कलाकार बाद में और लता मंगेशकर की बहन पहले कहा। और यही बात हमेशा उन्हें कहीं ना कहीं कचोटती रही।
नौंवी कहानी
बहुत ही कम लोग ये बात जानते हैं कि लता मंगेशकर जी का गाया ऐ मेरे वतन के लोगों गीत पहले आशा भोसले भी गाने वाली थी।
दरअसल, इस गीत को तैयार करने वाले संगीतकार सी रामचंद्र ने इस गीत की धुन दो गायकों के हिसाब से तैयार की थी।
और यही वो वक्त भी था जब सी रामचंद्र और लता मंगेशकर के ताल्लुकात काफी खराब थे। जबकी छोटी बहन आशा भोसले से भी लता जी की बहुत ज़्यादा नहीं बनती थी।
चूंकि आशा भोसले को लगता था कि वो अपनी बहन लता के साथ ये गाना गाने वाली हैं तो उन्होंने इस गाने की खूब प्रैक्टिस की।
लेकिन आखिरी वक्त पर लता मंगेशकर ने ये शर्त रख दी कि वो इस गीत को या तो अकेले ही गाएंगी, वरना नहीं गाएंगी।
संगीतकार सी रामचंद्रन तो लता की इस मांग के खिलाफ थे। लेकिन गीत लिखने वाले कवि प्रदीप किसी भी हाल में ये गीत लता जी से गवाना चाहते थे।
इसलिए कवि प्रदीप की ख्वाहिश का ख्याल रखते हुए सी रामचंद्र ने केवल लता मंगेशकर के साथ ही ये गाना रिकॉर्ड कर लिया और आशा भोसले इस कालजयी रचना का हिस्सा बनने से रह गई।
दसवीं कहानी
एक दफा एक इंटरव्यू में आशा भोसले जी से पूछा गया था कि उनके जीवन में सबसे दुख भरा पल कौन सा था। आशा जी ने जवाब दिया कि वो मात्र बीस साल की ही थी जब उनके बड़े बेटे की उम्र पांच साल हो गई थी।
आशा जी के पहले पति गणपतराव भोसले ने पांच साल की उम्र में ही बेटे को देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल में डाल दिया था। और जब उनका बेटा पहली दफा उनसे दूर बोर्डिंग स्कूल में जा रहा था तो वो काफी ज़्यादा रो रहा था।
हालांकि वो अपनी मां यानि आशा जी से ये नहीं कर रहा था कि उसे रोक लो वो बोर्डिंग स्कूल में नहीं जाना चाहता। वो बस मुंह फेरकर रोए जा रहा था। बेटे को रोता देख आशा जी भी रोने लगी।
उन्होंने पति गणपतराव भोसले से बेटे को देहरादून ना भेजने को भी कहा। लेकिन वो नहीं माने और बेटे को बोर्डिंग स्कूल जाना ही पड़ा। आशा जी ने कहा था कि उनके जीवन में उससे बड़ा दुख कोई और नहीं रहा। आशा जी ने ये बात एक काफी पुराने इंटरव्यू में कही थी।

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