Elephant Boy Sabu Dastagir Hindi Biography | कहानी भारत के पहले इंटरनेशनल स्टार साबू दस्तगीर की
Elephant Boy Sabu Dastagir. बहुत ज़्यादा साल नहीं हुए हैं जब भारतीय कलाकारों को हॉलीवुड वालों ने नोटिस करना शुरू किया है। ये बात अलग है कि कई भारतीय कलाकार हैं जो पुराने दौर से ही बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड फिल्मों में भी नज़र आ चुके हैं।
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Elephant Boy Sabu Dastagir Hindi Biography - Photo: Social Media |
लेकिन हॉलीवुड में उनकी प्रजेंस इतनी ज़्यादा प्रभावी नहीं थी जितनी की आज के ज़माने के भारतीय अभिनेताओं की है। अब तो आलम ये है कि हॉलीवुड अभिनेता भी भारतीय फिल्मों में इक्का दुक्का सीन्स के लिए नज़र आ जाते हैं।
बॉलीवुड के कई बड़े सितारे हॉलीवुड फिल्मों में नज़र आ चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वो कौन सा भारतीय है जो सबसे पहले हॉलीवुड फिल्मों में नज़र आया था? क्या आपको ये पता है कि वो कौन सा भारतीय था जो सबसे पहले Hollywood Walk of Fame में शामिल हुआ था?
अगर नहीं जानते तो आज जान जाएंगे क्योंकि इस Article में हम उसी भारतीय कलाकार की कहानी आपको बताएंगे जिसका नाम था साबू दस्तगीर। Elephant Boy Sabu Dastagir.
छोटी उम्र में ही किस्मत ने लिया बड़ा मोड़
साबू दस्तगीर कर्नाटक के मैसूर के कारापुर इलाके के रहने वाले थे। इनका जन्म हुआ था 27 जनवरी 1924 को। साबू के पिता मैसूर के राजा के यहां महावत का काम किया करते थे। साबू की पैदाइश के वक्त इनकी मां का देहान्त हो गया था।
साबू जब काफी छोटे थे तब इनके पिता भी इन्हें छोड़कर दुनिया से चले गए। काफी कम उम्र में ही साबू के सिर से मां-बाप का साया उठ गया और वो अनाथ हो गए।
छोटी उम्र में ही उन्होंने राजा के हाथीघर में महावत का काम करना शुरू कर दिया। साबू जब उम्र के तेरहवें पड़ाव पर पहुंचे तो उनकी किस्मत ने वो हसीन मोड़ लिया जो शायद ही किसी ने उनके बारे में सोचा होगा।
खेल-खेल में दे दिया ऑडिशन
ये 1930 का दौर था। रॉबर्ट फ्लेहर्टी नाम के एक अमेरिकी डायरेक्टर उस दौर के मशहूर लेखक रूडयार्ड किपलिंग की एक कहानी पर फिल्म बना रहे थे।
फिल्म के लीड कैरेक्टर के लिए वो एक ऐसे भारतीय बच्चे की तलाश में थे जिसे हाथियों के साथ काम करने का बढ़िया तजुर्बा हो। इसी सिलसिले में वो मैसूर आए हुए थे।
रॉबर्ट मैसूर के राजा के हाथीघर घूमने गए। वहां उन्होंने एक बच्चे को देखा जो कि हाथियों के साथ खेल रहा था। रॉबर्ट बड़ी गौर से उस बच्चे को देख रहे थे।
वो बच्चा भी रॉबर्ट को वहां देखकर काफी एक्सायटेड था और वो रॉबर्ट को हाथी के साथ अपने करतब दिखाने लगा। उस वक्त उस बच्चे को दूर दूर तक ये अहसास नहीं था कि वो एक फिल्ममेकर को अपना ऑडिशन दे रहा है।
और Sabu Dastagir बन गया Elephant Boy
कहा जाता है कि रॉबर्ट फ्लेहर्टी की पत्नी फ्रांसेस फ्लेहर्टी को साबू बेहद पसंद आया। उन्होंने साबू को अपनी फिल्म Elephant Boy में लीड कैरेक्टर के लिए कास्ट करने का फैसला लिया।
ये फिल्म Rudyard Kipling की कहानी "Toomai of the Elephants" से प्रेरित थी। उन्होंने पहले लड़के से उसका नाम पूछा। लड़के ने बताया। साबू। साबू दस्तगीर।
फिर मिसेज फ्लेहर्टी ने उस लड़के से पूछा,"क्या तुम मेरे साथ लंदन चलोगे और फिल्मों में काम करोगे?" लड़के ने उनका ऑफर स्वीकार कर लिया। और इस तरह साबू दस्तगीर नाम का वो मात्र 13 साल का लड़का 1937 में रिलीज़ हुई फिल्म ऐलीफेंट बॉय का हीरो बन गया।
फिल्म का ज़्यादातर हिस्सा भारत के जंगलों में शूट हुआ और साबू ने इस फिल्म में ज़बरदस्त काम किया। एलीफेंट बॉय नाम की ये फिल्म हिट रही। साबू की परफॉर्मेंस को हर किसी ने पसंद किया।
दुनिया का पहला मोगली था साबू दस्तगीर
साबू ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 23 फिल्मों में काम किया। रुडयार्ड किपलिंग के फेमस नॉवेल "The Jungle Book" पर सबसे पहली फिल्म साल 1942 में बनी थी और इसमें साबू ने ही मोगली का किरदार निभाया था।
यानि दुनिया का सबसे पहला मोगली साबू दस्तगीर ही था। साल 1938 में रिलीज़ हुई फिल्म "The Drum" में इन्होंने प्रिंस अजीम का किरदार निभाया था।
उन दिनों भारत में इस फिल्म को लेकर काफी विवाद हुआ था और भारतीय दर्शकों ने इस फिल्म को ब्रिटिश प्रोपेगैंडा बताया था।
कई लोगों ने साबू की भी आलोचना की थी। साल 1940 में रिलीज़ हुई फिल्म द थीफ ऑफ बग़दाद में भी साबू का काम दर्शकों को बड़ा पसंद आया था। इस फिल्म के लिए साबू को एकेडमी अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।
इस दौर में भारतीय दर्शक तो साबू को कम ही जानते थे। लेकिन पश्चिमी देशों के दर्शक साबू को बेहद पसंद करते थे। ना केवल साबू के लुक्स, बल्कि उनकी नेचुरल एक्टिंग और जानवरों के साथ उनकी दोस्ती भी दर्शकों को बड़ी पसंद आती थी।
प्रमुख फिल्में
साबू के करियर की प्रमुख फिल्मों की बात करें तो ये नज़र आए अरेबियन नाइट्स, कोबरा वुमेन, द एंड ऑफ द रिवर, सॉन्ग ऑफ इंडिया, द ट्रिज़र ऑफ बग़दाद, जगुआर, जंगल हैल, रैम्पेज और ए टाइगर वॉक्स जैसी फिल्मों में।
सभी फिल्में हॉलीवुड फिल्में थी। साबू ने कभी किसी हिंदी फिल्म में काम नहीं किया। यही वजह थी कि साबू को हिंदी फिल्मों के दर्शक जानते ही नहीं।
मदर इंडिया में करने वाले थे काम
मशहूर डायरेक्टर महबूब खान ने साबू को अपनी सुपरहिट फिल्म मदर इंडिया में उस रोल के लिए कास्ट करने की कोशिश थी जिसे बाद में सुनील दत्त ने निभाया था।
लेकिन साबू इस रोल को इसलिए नहीं निभा सके थे क्योंकि तब तक साबू अमेरिका के नागरिक बन चुके थे और उन्हें भारत में वर्क परमिट नहीं मिल पा रहा था।
अमेरिकन एयरफोर्स में नौकरी भी की
दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान साबू ने अमेरिकन एयरफोर्स जॉइन कर ली थी। उन्होंने बतौर टेल गनर और बॉल टरेट अमेरिकन एयरफोर्स में काम किया था। साबू ने बी-24 बॉम्बर विमान में अपनी सेवाएं अमेरिकी एयरफोर्स को दी थी।
इसके बाद तो साबू को अमेरिका में वॉर हीरो के तौर पर देखा जाने लगा था। साबू की लोकप्रियता अमेरिका में और भी काफी ज़्यादा बढ़ गई थी।
अमेरिका ने भी साबू दस्तगीर की सेवाओं के लिए उन्हें विशिष्ट फ्लाइंग क्रॉस और कुछ दूसरे सैन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया था। कम ही लोग इस बात से वाकिफ हैं कि अमेरिका में साबू की दोस्ती रोनल्ड रीगन से हुई थी जो कि खुद भी एक एक्टर थे और आगे चलकर अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे।
साबू का परिवार
साबू ने एक अमेरिकी अभिनेत्री मार्लिन कूपर से शादी की थी। इनका बेटा पॉल साबू एक बैंड का लीड गिटारिस्ट था और ये बैंड खुद पॉल साबू ने ही इस्टैबलिस्ट किया था। पॉल ने इस बैंड का नाम अपने पिता साबू के नाम पर ही रखा था।
साबू के बेटे पॉल साबू ने अपने बैंड से मडोना के लिए भी म्यूज़िक प्रोड्यूस किया है। साथ ही कुछ और पॉप्युलर अमेरिकी टीवी सीरीज़ के लिए भी पॉल साबू ने म्यूज़िक कंपोज़ किया है।
और सबका दिल तोड़ गए Sabu Dastagir
साबू अमेरिका के लोगों के चहीते थे। अमेरिकन्स उन्हें बेहद प्यार करते थे। लेकिन 2 दिसंबर 1963 को अमेरिकियों के चहेते साबू को एक बेहद तेज़ दिल का दौरा पड़ा और साबू ने मात्र 39 साल की उम्र में ये दुनिया छोड़ दी।
साबू की आखिरी फिल्म "The Tiger Walks" उनकी मौत के तीन महीने के बाद रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में साबू एक एनिमल ट्रेनर बने थे।
साबू को अमेरिका के कैलिफोर्निया शहर के मशहूर फॉरेस्ट लेन मैमोरियल पार्क में दफनाया गया था। इस पार्क में अमेरिकी एंटरटेनमेंट जगत की कई और हस्तियां भी दफ्न हैं जैसे वॉल्ट डिज़्नी और एलिज़ाबेथ टेलर।
साबू की एक प्यारी सी आदत
भारत में तो साबू को कभी पहचान मिली ही नहीं थी। लेकिन अमेरिका और इंग्लैंड में भी लोग अब उन्हें भूल चुके हैं। कहा जाता है कि साबू जब लंदन में रहते थे और उन्हें भारत की याद आती थी तो वो लंदन के चिड़ियाघर में चले जाते थे और जानवरों के बीच वक्त गुज़ारते थे।
साबू दस्तगीर को मेरठ मंथन का सैल्यूट
साबू को इस दुनिया से गए बरसों बीत चुके हैं। अब कभी कभार ही साबू को याद किया जाता है। लेकिन किस्सा टीवी साबू को याद करते हुए उन्हें पूरा सम्मान देता है और उन्हें दिल से सैल्यूट करता है।
भारत के एक दूर दराज के जंगली इलाके से लंदन और फिर अमेरिका जाकर अपनी पहचान बनाने वाले Sabu Dastagir को Meerut Manthan का नमन। जय हिंद।
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