Suresh Menon | वो कलाकार जिसे भगवान गणेश ने दिखाई अभिनय की राह | Hindi Biography
Suresh Menon. आपने इन्हें कई फिल्मों में देखा होगा। ये फिल्मों में गे इंसान के रोल में नज़र आए। विलेन के हैंचमैन के रूप में दिखे। कॉमेडी भी इन्होंने खूब की।
और केवल कॉमेडी ही नहीं, कुछ फिल्मों में धीर-गंभीर रोल भी इन्होंने शानदार अंदाज़ में निभाए और जता दिया कि ये महज़ एक मसखरे नहीं हैं, बल्कि एक धांसू एक्टर हैं। रिएलिटी शोज़ हों या फिर टीवी शोज़, इन्होंने हर जगह अपने टैलेंट से लोगों का मनोरंजन किया।
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Suresh Menon Hindi Biography - Photo: Social Media |
Meerut Mathan आज लेकर आया है Actor Suresh Menon की कहानी। Suresh Menon फिल्मों में कैसे आए और उनका फिल्मी सफर कैसा रहा, ये सब बातें आज हम इस Article में आपको बताएंगे।
आरंभिक जीवन
सुरेश मेनन का जन्म हुआ था 10 जनवरी 1967 को केरल के पलक्कड ज़िले में। इनके माता-पिता दोनों ही एलआईसी में नौकरी करते थे। सुरेश के जन्म के कुछ ही महीनों बाद इनके माता-पिता का ट्रांसफर मुंबई हुआ।
यही वजह है कि इनके बचपन का काफी सारा वक्त मुंबई में गुज़रा। मुंबई में ये एक छोटे से घर में रहते थे। इनका पूरा परिवार एक कमरे में ही रहा करता था। सुरेश और उनके दोनों छोटे भाईयों की पढ़ाई मुंबई से हुई।
बचपन में सुरेश को क्रिकेट से बेहद लगाव था इसलिए वो बचपन में क्रिकेटर बनने का ख्वाब देखते थे। उनका ये ख्वाब उनका साथ कॉलेज के दिनों तक रहा। हालांकि बचपन में ही इनकी दिलचस्पी एक्टिंग की तरफ भी होने ली थी।
यूं भगवान गणेश ने बदल दी Suresh Menon की किस्मत
दरअसल, इनकी सोसायटी में गणेशोत्सव का पंडाल लगा करता था और गणेशोत्सव में ये भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया करते थे। गणेशोत्सव में ही पंडाल भी लगता था जिस पर बच्चे नाटक किया करते थे।
एक दफा इन्होंने और इनके भाई ने भी गणेशोत्सव में होने वाले नाटक में हिस्सा लिया। इन्हें संन्यासी का किरदार निभाने के लिए मिला। लेकिन उस संन्यासी को कछुए की विग पहननी थी।
और सुरेश बिल्कुल भी नहीं चाहते थे कि ये कछुए की विग पहनें। सुरेश उदास मन से कछुए की वो विग पहनकर पंडाल पर चढ़े। उन्हें लग रहा था कि लोग उन्हें इस रूप में देखकर ज़रा भी खुश नहीं होंगे।
मगर हुआ एकदम उलट। जैसे ही सुरेश पंडाल पर चढ़े, लोग इन्हें देखकर ज़ोर-ज़ोर से हंसने लगे। लोगों को हंसते देख सुरेश की जान में जान आई। वो रोल निभाने में इन्हें भी खूब मज़ा आने लगा। उसके बाद तो सुरेश हर साल गणेशोत्सव का बेसब्री से इंतज़ार किया करते थे।
टूट गया चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने का सपना
सुरेश कॉमर्स ग्रेजुएट हैं। इनके पिता चाहते थे कि ये पढ़-लिखकर चार्टर्ड अकाउंटेंट बनें। पिता के सपने को पूरा करने के लिए सुरेश भी एक्टिंग का चस्का छोड़कर चार्टर्ड अकाउंटेंट की पढ़ाई में जुट गए।
लेकिन चार्टर्ड अकाउंटेंट की कठिन पढ़ाई के सामने एक दिन आखिरकार इन्होंने हार मान ली। इन्हें अहसास हो गया कि इनके नसीब में चार्टर्ड अकाउंटेंट बनना है ही नहीं।
इनके कई दोस्त चार्टर्ड अकाउंटेंट बनने में कामयाब रहे और अच्छी जगह नौकरी करने लगे। लेकिन सुरेश ऐसा करने में पूरी तरह विफल रहे।
शुरू कर दी ये वाली नौकरी
अपनी विफलता से सुरेश काफी दुखी थे। सुरेश के ज़ेहन में दूर-दूर तक ये ख्याल नहीं था कि ये प्रोफेशनल एक्टर भी बन सकते हैं। परिवार को सपोर्ट करने के लिए सुरेश को पैसों की ज़रूरत थी सो उन्होंने नौकरी तलाशना शुरू कर दिया।
कुछ दिनों की मेहनत के बाद सुरेश को क्रॉम्पटन ग्रीव्स में सेल्स डिपार्टमेंट मे नौकरी मिल गई। यहां कुछ समय तक नौकरी करने के बाद सुरेश ने 20th Century Finance में नौकरी की।
यही वो जगह थी जहां सुरेश को पहली दफा ख्याल आया कि उन्हें एक्टर बनने की कोशिश करनी चाहिए। दरअसल, इनका हंसमुख स्वभाव इनके साथी कर्मचारियों को बड़ा पसंद था।
एक दिन इनके एक साथी ने ही इनसे कहा कि तुम हंसते-हंसाते बहुत खूब हो। तुम्हें तो एक्टर बनना चाहिए। उस वक्त तो सुरेश ने हंस कर वो बात टाल दी। लेकिन बाद में इन्होंने इस बारे में खूब सोचा। इसी दौरान सुरेश को टाइम्स ऑफ इंडिया के सेल्स डिपार्टमेंट में नौकरी करने का मौका भी मिला।
ऐसे बढ़ाए मनोरंजन जगत की तरफ कदम
मीडिया इंडस्ट्री से जुड़ने के बाद सुरेश क्रिएटिव फील्ड को काफी करीब से निहारन लगे और इसी के साथ एक्टर बनने की इनकी ख्वाहिश भी और ज़्यादा बढ़ने लगी।
एक दिन सुरेश को किसी ने बताया कि इन्हें आरके स्टूडियो के मेजर अशोक कोल से मिलना चाहिए। मेजर अशोक कोल इन दिनों परमीवर चक्र नाम की पूरी सीरीज़ बना रहे हैं और उन्हें एक्टर्स की भी तलाश है।
सुरेश मेजर अशोक कोल से मिलने आरके स्टूडियो पहुंच गए। मेजर अशोक कोल ने इनसे बड़े सलीके से बात की और बड़ी विनम्रता से इनसे कहा कि फिलहाल वो ऐसे एक्टर्स की तलाश में हैं जो फौजी बन सकें।
इसलिए इन्हें वो काम नहीं दे पाएंगे। मेजर अशोक कोल के व्यवहार से ये बेहद खुश थे। आरके स्टूडियो से जब ये बाहर जा ही रहे थे तो इन्होंने अपने जीवन में पहली दफा महान ऋषि कपूर साहब को देखा।
जब माता-पिता को पता चली सुरेश मेनन की हसरत
इस वक्त तक इनके माता-पिता नहीं जानते थे कि उनका बेटा एक्टर बनने के लिए हाथ-पैर मारना शुरू कर चुका है। फिर जब इन्होंने अपने पैरेंट्स को बताया कि ये एक्टर बनना चाहते हैं तो इनके पैरेंट्स काफी सरप्राइज़ और परेशान हुए।
उन्हें लगा कि कहीं ऐसा ना हो कि बेटा एक्टर बनने की कोशिश में उस नौकरी से भी जाए जो फिलहाल उसके पास है। इनके पिता ने कहा कि ये एक बेहद चैलेंजिंग फील्ड है और फिल्मों में हीरो बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है।
इन्होंने अपने पिता से कहा कि ये बस एक्टर बनना चाहते हैं। हीरो बनने का ख्वाब ये नहीं देखते। ये बस एक्टिंग करना चाहते हैं। फिर चाहे इन्हें अपनी मदर टंग मलायलम में बनने वाली फिल्मों में ही काम क्यों ना मिले।
बेटे के पैशन को देखते हुए मां-बाप ने भी ना चाहते हुए अपनी स्वीकृती दे ही दी। इसके बाद तो सुरेश ने अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया और फिल्मों में काम हासिल करने के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया।
मुश्किल बनी इनकी बोली
सुरेश जब काम मांगने के लिए डायरेक्टर-प्रोड्यूसर्स के ऑफिस जा रहे थे तो लोग इनके साउथ इंडियन एक्सेंट की वजह से इन्हें रिजेक्ट करने लगे। कई लोग तो इनसे साफ-साफ भी कह भी देते थे कि तुम्हारी बोली में साउथ इंडिया का टच आ रहा है इसलिए तुम्हें काम नहीं दे सकते।
ऐसे लोगों को ये जवाब देते थे कि नाना पाटेकर की बोली में मराठी एक्सेंट दिखता है। अमिताभ बच्चन की बोली में यूपी का टच दिखता है। धर्मेंद्र की बोल-चाल में पंजाबी टच नज़र आता है तो मेरी बोली में साउथ इंडियन टच आने से क्या फर्क पड़ता है।
और हो गई शुरुआत
बहरहाल, सुरेश का संघर्ष जारी था और तकीरबन एक साल संघर्ष करने के बाद सुरेश को पहली दफा यूटीवी के एक शो में काम करने का मौका मिला। इस शो का नाम था ‘मैं भी डिटेक्टिव’ और सुरेश इस शो के पहले एपिसोड में नज़र आए थे।
ये वो वक्त था जब भारत में प्राइवेट टीवी चैनल्स का दौर शुरू हो रहा था और टीवी इंडस्ट्री अपने बूम पर थी। इसके बाद सुरेश नज़र आए साजिद खान के साथ एक कॉमेडी शो में।
साजिद खान के साथ सुरेश मेनन की जोड़ी खूब जमी व पहले शो के बाद और भी कुछ शोज़ में इन दोनों ने दर्शकों को खूब हंसाया। कुछ टीवी चैनल्स पर इन्होंने एंकरिंग भी की।
द ग्रेट इंडियन कॉमेडी शो और द कपिल शर्मा जैसे शोज़ में भी इन्होंने दर्शकों को खूब हंसाया। वहीं ‘पिल्लई पांडे‘ और ‘इक्के पे इक्का‘ जैसे शोज़ में इनकी एक्टिंग दर्शकों को बड़ी पसंद आई।
टीवी शोज़ के अलावा सुरेश ने रेडियो पर भी खूब काम किया। रेडियो पर भी इनके काम को काफी पसंद किया गया। वहीं कई टीवी विज्ञापनों में भी इन्हें काम करने का मौका मिला।
और इस तरह कुछ ही सालों में देखते ही देखते सुरेश मेनन एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में सेट हो गए व बढ़िया पैसे भी कमाने लगे।
फिल्में भी मिलने लगी
सुरेश मेनन के फिल्मी करियर की बात करें तो इनकी पहली फिल्म थी ‘कभी ना कभी‘ जिसमें ये जैकी श्रॉफ के साथ दिखे। हालांकि इनकी पहली रिलीज़्ड फिल्म थी साल 1997 में आई फिल्म ‘दिल तो पागल है‘।
उस फिल्म में ये शाहरुख खान के दोस्त बने थे। शूटिंग में हुई देरी के चलते इनकी पहली फिल्म ‘कभी ना कभी‘ 1998 में रिलीज़ हुई थी। साल 1998 में ये ‘डोली सजा के रखना‘ नाम की फिल्म में भी दिखे थे। फिर 2001 में ये एक बार फिर से शाहरुख खान के साथ फिल्म ‘अशोका‘ में नज़र आए।
हर बड़े स्टार के साथ किया काम
इस तरह सुरेश मेनन ने अपने फिल्मी करियर में एक से बढ़कर एक फिल्मों में काम किया और हर बड़े स्टार के साथ स्क्रीन शेयर की। फिर चाहे वो शाहरुख खान हों या फिर जैकी श्रॉफ।
सलमान खान हों या फिर अनिल कपूर। अक्षय कुमार हों या फिर संजय दत्त। बात अगर सुरेश के यादगार फिल्मी किरदारों की करें तो ‘भेजा फ्राई 2‘ में एम टी शेखरन का इनका किरदार बेहद पसंद किया गया।
क्रेजी़ 4‘ में गुड्डू के रोल में भी इन्होंने लोगों को खूब हंसाया। ‘बधाई हो बधाई‘ में लकी अय्यर के रोल में भी ये खूब जमे। वहीं ‘चलते चलते‘ में मुन्ना दुकानदार के रोल में भी इन्होंने बढ़िया काम किया।
‘दीवाने हुए पागल‘ में सनी के किरदार को भी इन्होंने ढंग से जिया। ‘फिर हेरा फेरी‘ में पीटर के रोल में तो इन्होंने कमाल ही कर दिया था।
गंभीर किरदार भी निभाए
हाउसफुल, पार्टनर, मस्ती और रा वन जैसी फिल्मों में इन्होंने कैमियो किए और उनमें भी इन्होंने खूब वाहवाही लूटी। दीपा मेहता की अंग्रेजी फिल्म ‘मिडनाइट चिल्ड्रन‘ में ये फील्ड मार्शल बने थे।
सुरेश मेनन ने लोगों को उस वक्त चौंका दिया जब 2015 में आई फिल्म ‘धनक‘ में ये एक बेहद सीरियस रोल में दिखे। हर कोई हैरान था कि फिल्मों में कॉमेडी करने वाले सुरेश मेनन ने कैसे इतने शानदार तरीके से ये रोल निभाया।
दो साल बाद यानि 2017 में सुरेश मेनन ‘काबिल‘ में एक बार फिर से एक सीरियस रोल में नज़र आए। मलयालम फिल्म ‘ब्रह्माराम‘ में ये सुपरस्टार मोहनलाल के साथ उन्नीकृष्णन के रोल में नज़र आए।
इस रोल के लिए सुरेश मेनन को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर अवॉर्ड के लिए नॉमिनेट किया गया था। इस तरह सुरेश मेनन ने साबित कर दिया कि वो केवल फिल्मों में मसखरापन ही नहीं बल्कि और भी कई तरह के काम कर सकते हैं।
अपने फिल्मी करियर में सुरेश मेनन ने अब तक लगभग चालीस फिल्मों में काम किया है। आज सुरेश मेनन किसी पहचान के मोहताज़ नहीं हैं।
Suresh Menon को Meerut Manthan का सैल्यूट
सुरेश मेनन की निजी ज़िंदगी के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है तो इस बारे में तो हम अपने पाठकों को कुछ नहीं बता पाएंगे। लेकिन ये ज़रूर बताएंगे कि सुरेश मेनन ने वन नेटवर्क एंटरटेनमेंट नाम से अपनी खुद की एक एंटरटेनमेंट कंपनी शुरू की है।
इस कंपनी में वो शॉर्ट फिल्में बनाते हैं और उन्हें यूट्यूब पर अपलोड करते हैं। इस नई पारी के लिए सुरेश मेनन को मेरठ मंथन की तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं। साथ ही हम उम्मीद करेंगे कि सुरेश मेनन आगे भी अपने टैलेंट से अपने चाहने वालों का मनोरंजन करते रहें। जय हिंद।
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