Gangs of Wassyepur Movie Trivia | 15 Unknown Facts | गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म की अनसुनी कहानियां

Gangs of Wassyepur Movie Trivia. गैंग्स ऑफ वासेपुर। एक ऐसी शानदार फिल्म जो देश के हर सिनेप्रेमी की टॉप 20 पसंदीदा फिल्मों की लिस्ट में ज़रूर शुमार होती होगी। दो भागों में रिलीज़ हुई इस फिल्म ने एक नए किस्म के सिनेमा की देश में शुरुआत की थी। 

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Gangs of Wassyepur Movie Trivia - Photo: Social Media

गैंग्स ऑफ वासेपुर की कहानी और संवादों ने लोगों के ज़ेहन पर इस फिल्म की गहरी छाप छोड़ी। यही वजह है कि आज भी लोग इस फिल्म को देखने का मौका नहीं छोड़ते हैं। 

गैंग्स ऑफ वासेपुर का म्यूज़िक भी अपने वक्त के हिसाब से एकदम अलग और हटकर था। शायद इसिलिए इस फिल्म के गाने इसकी रिलीज़ के वक्त लोगों। की ज़ुबान पर चढ़ गए थे।

तो चलिए साथियों, आज हम और आप गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म की मेकिंग से जुड़ी कुछ बड़ी ही दिलचस्प और रोचक कहानियां जानते हैं। 

इस Article के ज़रिए आपको अंदाज़ा होगा कि एक शानदार फिल्म बनने के पीछे कैसे-कैसे और किस-किस तरह के घटनाक्रम होते हैं। Gangs of Wassyepur Movie Trivia.

पहली कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर की अनसुनी और रोचक कहानियों की शुरुआत एक इत्तेफाक से करते हैं। इस फिल्म के दूसरे पार्ट में एक सीन है जिसमें फैज़ल खान का छोटा भाई परपैंडिक्युलर अपने दोस्त टैनजेंट के साथ एक सिनेमा हॉल में मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म देखता है। 

और इत्तेफाक ये है कि मुन्ना भाई एमबीबीएस में गैंग्स ऑफ वासेपुर के फैज़ल खान यानि नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी ने भी एक बड़ा ही छोटा सा रोल निभाया था। हालांकि उस वक्त नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी को कोई जानता-पहचानता भी नहीं था।

दूसरी कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर में एक सीन है जिसमें सरदार खान का बाप शाहिद खान एक कोयला खदान में काम करता है। वहां कुछ मजदूर बाहर खड़े सुरक्षाकर्मी से कहते हैं कि खदान में पानी आ गया है और मजूदरों की जान को खतरा है। 

इस सीन की असलियत ये है कि ये सीन वास्तव में झारखंड की एक कोयला खदान में ही शूट किया गया था। और जिस वक्त ये सीन शूट किया गया था उस वक्त पानी की एक बूंद भी खदान में नहीं थी। 

पानी का पूरा इफैक्ट कंप्यूटराइज़्ड तरीके से इस सीन के साथ मिक्स किया गया था। और इस सीन को शूट करते वक्त लाइटिंग का इस्तेमाल नहीं किया गया था। यानि ये सीन खदान के अंधेरे में ही शूट किया गया था।

तीसरी कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर का म्यूज़िक बहुत ज़्यादा पॉप्युलर हुआ था। इस फिल्म का म्यूज़िक दिया था स्नेहा खानवलकर ने। और फिल्म की शूटिंग शुरू होने से लगभग एक साल पहले स्नेहा खानवलकर ने गैंग्स ऑफ वासेपुर के म्यूज़िक पर काम शुरू कर दिया था। 

उन्होंने कई कैरेबियन कंट्रीज़ और खासतौर पर त्रिनिदाद में अपना काफी वक्त गुज़ारा था। इस दौरान उन्होंने चटनी म्यूज़िक को काफी करीब से समझा और जाना था। चटनी म्यूज़िक त्रिनिदाद में काफी पॉप्युलर है। 

और ये म्यूज़िक वहां उन बिहारी मजदूरों ने क्रिएट किया था जिन्हें सन 1830 में अंग्रेज अपने साथ वहां कैद करके ले गए थे। त्रिनिदाद के लोकल म्यूज़िक के साथ फ्यूज़न करके बिहारी मजदूरों ने चटनी म्यूज़िक ईजाद किया था। 

स्नेहा खानवलकर ने गैंग्स ऑफ वासेपुर के लिए तीन चटनी म्यूज़िक वाले सॉन्ग्स बनाए थे। उनमें से केवल एक हंटर सॉन्ग को ही फिल्म में लिया गया था।

चौथी कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर का कसाई खाने वाला सीन सच में प्रयागराज के एक कसाई खाने में फिल्माया गया था। उस सीन के बैकग्राउंड नैरेशन में हमें बताया जाता है कि सुल्तान वो शख्स है जो 12 साल की उम्र में अकेला एक पूरी भैंस काट देता था। 

फिल्म में इस बात का ज़िक्र एक वास्तविक कहानी से प्रेरित होकर किया गया था। उसी नैरेशन में ही ये भी बताया जाता है कि बड़ा होकर सुल्तान अकेला साठ भैंसे स्लॉटर करता है। ये लाइनें भी असल जीवन में एक आदमी से प्रेरित होकर लिखी गई थी।

पांचवी कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर में स्लॉटर हाउस के ज़्यादार सीन्स को केवल एक टेक में शूट कर लिया गया था। लेकिन एक्टर विपिन शर्मा के सीन्स शूट करते वक्त कई दफा रीटेक लेने पड़े थे।

और वो इसलिए क्योंकि स्लॉटर हाउस का वीभत्स नज़ारा देखकर विपिन शर्मा को बार-बार उल्टियां लग रही थी। अक्सर सीन शूट करने से पहले वो उल्टी कर देते थे। और फिर शूट कंप्लीट होने के बाद भी उन्हें उल्टी आ जाती थी।

छठी कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म से अनुराग कश्यप की बहन अनुभूति कश्यप भी बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर जुड़ी थी। फिल्म का स्लॉटर हाउस वाला सीन जब प्रयागराज के एक कसाई खाने में शूट हो रहा था तो शूटिंग देखने के लिए काफी लोग वहां जमा हो गए थे। 

उनमें से ज़्यादातर कसाई ही थे और उनके पास जानवर काटने वाले औजार भी थे। फिल्म की शूटिंग के वक्त अनुभूति की ज़िम्मेदारी थी कि लोगों की भीड़ को वो लोकेशन से दूर रखें। लगभग 50 लोगों की भीड़ को अनुभूति ने अकेले ही रोककर रखा था। 

वो भी अधिकतर बूचड़खाने के कर्मचारी ही थे। और वो सब अनुभूति के पर तरह-तरह के मज़ाकिया तंज कस रहे थे। लेकिन अनुभूति उनको नज़रअंदाज़ करती रही। और वो इसलिए ताकि वो सीन बिना किसी रुकावट के पूरा हो सके।

सातवीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर की कहानी लिखी थी ज़िशान क़ादरी ने। ज़िशान क़ादरी वही शख्स हैं जिन्होंने गैंग्स ऑफ वासेपुर टू में सरदार खान और दुर्गा के बेटे डैफिनिट का रोल निभाया था। ज़िशान क़ादरी ने अपनी पढ़ाई के दौरान काफी वक्त मेरठ शहर में गुज़ारा है। 

मेरठ में पढ़ाई के दौरान ही ज़िशान क़ादरी ने एक्टर बनने का फैसला किया था। और मेरठ में मिले अपने तजुर्बों के आधार पर ही ज़िशान क़ादरी ने अपनी अगली फिल्म मेरठिया गैंग्सटर्स लिखी थी।

हालांकि वो फिल्म एकदम फ्लॉप साबित हुई थी। ज़िशान धनबाद के वासेपुर इलाके के ही रहने वाले हैं। और वहीं पर सुनी कहानियों के आधार पर ही ज़िशान क़ादरी ने गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म की कहानी लिखी थी।

आठवीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीक सरदार खान यानि मनोज बाजपेयी और नगमा खातून यानि ऋचा चड्ढा के दूसरे बेटे फैज़ल खान बने हैं। फैज़ल खान के बड़े भाई यानि सरदार खान के बड़े बेटे दानिश खान के रोल को एक्टर विनीत कुमार ने निभाया है। 

यहां एक मज़ेदार पॉइन्ट जो नोट करने लायक है वो ये कि गैंग्स ऑफ वासेपुर के फैज़ल खान यानि नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी उम्र में बड़े भाई बने विनीत कुमार से भी बड़े हैं। और ज़्यादा अनोखी बात तो ये है कि इन दोनों की मां बनी ऋचा चड्ढा इन दोनों से उम्र में छोटी हैं।

नौंवी कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर की कहानी इतनी बड़ी थी कि इसे दो भागों में रिलीज़ करना पड़ा था। कंप्लीट होने के बाद ये फिल्म पांच घंटे से भी ज़्यादा ड्यूरेशन की हो रही थी। 

और इतनी बड़ी ड्यूरेशन वाली फिल्म रिलीज़ करने के लिए सिनेमाघर तैयार नहीं थे। इसलिए अनुराग कश्यप ने इस फिल्म को दो भागों में रिलीज़ किया। 

गैंग्स ऑफ वासेपुर का दूसरा भाग पहले भाग के रिलीज़ होने के डेढ़ महीने बाद रिलीज़ किया गया था। और अनुराग कश्यप को ये फिल्म इस तरह से रिलीज़ करने का आइडिया मीरीन नाम की एक फ्रैंच गैंग्सटर मूवी को देखकर आया था जिसे कुछ लोग मैसरीन भी कहते हैं। 

साल 2008 में अनुराग कश्यप एक दिन शाम की फ्लाइट पकड़कर मीरीन नाम की ये फिल्म देखने लंदन पहुंच गए। वो फिल्म इसी तरह दो भागों में रिलीज़ की गई थी। लंदन में वो फिल्म देखकर अनुराग कश्यप अगली शाम की फ्लाइट से वापस लौट आए।

दसवीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 में फैज़ल खान यानि नवाज़ुद्दीन सिद्दिकी की वाइफ मोहसीना खान का किरदार एक्ट्रेस हुमा कुरैशी ने निभाया है। 

गैंग्स ऑफ वासेपुर 2 हुमा कुरैशी की डेब्यू फिल्म है। हालांकि ये बात भी जानने लायक है कि फिल्म की कहानी में पहले मोहसीना खान नाम का ये कैरेक्टर था ही नहीं। 

लेकिन जब अनुराग कश्यप को लगा कि फैज़ल खान का कोई रोमांटिक एंगल भी फिल्म में होना चाहिए तो उन्होंने स्क्रिप्ट को इंप्रोवाइज़ किया और मोहसीना खान का कैरेक्टर इसमें एड किया। 

और फिर फाइनली हुमा कुरैशी को इस करेक्टर के लिए सिलेक्ट किया गया। अनुराग कश्यप हुमा के साथ सैमसंग का एक कमर्शियल शूट कर चुके थे और वो तभी से हुमा को जानते थे।

11वीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर में अभिनेता पीयुष मिश्रा ने सरदार खान के मुंहबोले चाचा नसीर का रोल निभाया था। हालांकि पहले डायरेक्टर अनुराग कश्यप चाहते थे कि पीयुष मिश्रा रामाधीर सिंह का रोल निभाएं। नसीर के रोल के लिए उन्होंने तिग्मांशु धूलिया को अप्रोच किया था। 

लेकिन चूंकि पीयुष मिश्रा को नसीर का रोल ज़्यादा पसंद आ रहा था तो उन्होंने वही रोल निभाने की बात अनुराग कश्यप से कही। और इस तरह रामाधीर सिंह के रोल के लिए तिग्मांशु धूलिया को साइन कर लिया गया।

12वीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म का काफी हिस्सा बनारस में शूट किया गया था। बनारस में शूटिंग के दौरान ही एक बड़ा दुखद हादसा भी हो गया था। 

दरअसल सोहिल शाह नाम का एक शख्स इस फिल्म से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर जुड़ा था। एक पतले से पुल पर जब फिल्म का एक सीन फिल्माया जा रहा था। 

तभी अचानक हादसा हो गया और जीप पुल से नीचे गिर पड़ी। इस हादसे में सोहिल शाह के सिर में बेहद गंभीर चोट लग गई। सोहिल शाह की तत्काल मृत्यु हो गई। सोहिल शाह को फिल्म के ओपनिंग क्रेडिट्स में ट्रिब्यूट भी दी गई थी।

13वीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म की शूटिंग करने से पहले कई दिनों तक अनुराग कश्यप इस बात को लेक माथा-पच्ची कर रहे थे कि सरदार खान के घर के सीन्स कहां शूट करें। उन्हें कोई परफेक्ट लोकेशन मिल ही नहीं रही थी। 

फाइनली उन्होंने रुख किया अपने पुश्तैनी घर का जो कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी के पास ओबरा में मौजूद है। ये वो घर है जहां अनुराग कश्यप के छोटे भाई और नामी डायरेक्टर अभिनव कश्यप का जन्म हुआ था। अभिनव कश्यप ने ही सलमान खान की सुपरहिट फिल्म दबंग डायरेक्ट की थी।

14वीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर में गालियों की भरमार है। इतना ही नहीं, इस फिल्म में कई ऐसे सीन्स हैं जिसमें काफी मार-काट और खून खराबा दिखाया गया है। 

यही वजह है कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को ए सर्टिफिकेट यानि एडल्ट्स ओनली सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ होने की परमिशन दी थी। 

फिल्म में दिखाए गए इस ज़बरदस्त खून खराबे की वजह से कतर और कुवैत जैसे खाड़ी देशों ने तो इस फिल्म को अपने यहां रिलीज़ तक होने नहीं दिया था।

15वीं कहानी

गैंग्स ऑफ वासेपुर फिल्म की कहानी काल्पनिक नहीं है। एक वक्त पर धनबाद और वासेपुर में वाकई में इस तरह का माफिया राज चला करता था। 

रामाधीर सिंह का किरदार किसी वक्त में झारखंड के झरिया से विधायक रहे सूरजदेव से प्रेरित है। फिल्म में दिखाया गया है कि सरदार खान रामाधीर सिंह के लिए सिर का दर्द बन जाता है। 

तब मंदिर में एक आदमी रामाधीर सिंह को सलाह देता है कि अगर मुसलमानों से लड़ना है तो उन्हें अपने साथ जोड़ लो। और रामाधीर सिंह को सलाह देने वाले उस आदमी का गैटअप भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर से मिलता जुलता है। 

जबकी एक वक्त था जब सुरजदेव सिंह को वास्तव में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर राजनीति में गाइड किया करते थे। यानि उस आदमी का किरदार वाकई में पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर पर आधारित है।

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