Dalip Tahil | कैसे Nainital के Sherwood College का ये Student Pilot बनते-बनते Actor बन गया | Biography
Dalip Tahil. एक वर्सेटाइल एक्टर। एक ऐसा एक्टर जिसने कॉमेडी भी की। कैरेक्टर रोल्स भी निभाए। और विलेनी में भी खूब रंग जमाया। एक ऐसा इंसान जो कभी पायलट बनने की पूरी तैयारी कर चुका था।
लेकिन बचपन का शौक उसे अभिनय की दुनिया में ले आया। थिएटर से एक्टिंग की शुरुआत करने वाले दलीप ताहिल टीवी और फिल्मों में बहुत बड़ा मुकाम हासिल करने में कामयाब रहे।
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Dalip Tahil Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan पर आज पेश है ज़बरदस्त Actor Dalip Tahil की कहानी। Dalip Tahil की ज़िंदगी की कहानी और उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें आज हम और आप जानेंगे।
शुरुआती जीवन
30 अक्टूबर 1952 को दलीप ताहिल का जन्म हुआ था उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में रहने वाले एक सिंधी हिंदू परिवार में। मूलरूप से इनका परिवार सिंध का रहने वाला था। लेकिन देश के विभाजन के वक्त लाखों दूसरे परिवारों की तरह इनका परिवार भी सिंध से भारत आ गया था।
इनके पिता का नाम था घनश्याम जेठानंद ताहिल रमानी। और वो इंडियन एयरफोर्स में पायलट थे। जबकी इनकी मां एक हाउसवाइफ थी। इनकी एक बड़ी बहन भी हैं जो इन दिनों अपने परिवार के साथ अमेरिका में रहती हैं।
दलीप का पूरा नाम दलीप घनश्याम ताहिल रमानी है। चूंकि इनके पिता एयरफोर्स में थे तो दलीप ताहिल का बचपन देश के अलग-अलग शहरों में गुज़रा। हालांकि बचपन का सबसे ज़्यादा वक्त इन्होंने अपने ननिहाल लखनऊ शहर में गुज़ारा था।
Sherwood College ने बदल दी Dalip Tahil की ज़िंदगी
छोटी उम्र से ही दलीप जी को गाने का बड़ा शौक था। और इनके पिता इनके इस शौक से वाकिफ भी थे। दलीप जब थोड़े बड़े हुए तो इनके पिता ने इनका दाखिला नैनीताल के मशहूर शेरवुड कॉलेज में करा दिया।
जिस वक्त इनके पिता इन्हें शेरवुड कॉलेज में लेकर गए थे तो वहां के प्रिंसिपल ने इनके पिता से कहा था कि इनका नाम छोटा करना होगा। उस वक्त से ही ये दलीप घनश्याम ताहिल रमानी से कहलाए जाने लगे दलीप ताहिल।
दाखिले के वक्त दलीप ताहिल के पिता ने स्कूल प्रिसिंपल से ये भी बताया था कि उनके बेटे को गाने वगैरह का शौक है। इसलिए हो सके तो उसे कल्चरल एक्टिविटीज़ में भी इनवॉल्व करें।
यही वजह है कि पढ़ाई के साथ-साथ शेरवुड में होने वाले कल्चरल प्रोग्राम्स में भी इन्होंने खूब हिस्सा लिया। और इनकी सबसे पसंदीदा एक्टिविटी थी नाटक। शेरवुड में अंग्रेजी नाटक खूब हुआ करते थे।
यानि स्कूल के दिनों से ही इनके अभिनय करियर ने शेप लेना शुरू कर दिया था। शेरवुड में दलीप ताहिल का इतना नाम हुआ कि इन्होंने तीन दफा कैंडल्स कप, जिसे शेरवुड का बेस्ट एक्टर अवॉर्ड कहा जाता था, वो जीता। और ये कैंडल्स कप महान शशि कपूर साहब के ससुर जॉफ्री कैंडल्स के नाम पर हुआ करता था।
यूं मुंबई पहुंचे थे दलीप ताहिल
एयर फोर्स से रिटायर होने के बाद दलीप ताहिल के पिता मुंबई की एक फ्लाइंग कंपनी में नौकरी करने लगे। इसलिए जब शेरवुड में छुट्टियां पड़ी तो दलीप अपने परिवार के पास मुंबई आ गए।
लेकिन इनकी छुट्टियां पूरे तीन महीने की थी तो ये घर पर बोर होने लगे। ये कुछ काम करना चाहते थे। ताकि अपनी छुट्टियों को सही से यूटिलाइज़ कर सकें।
उस वक्त तक इन्हें आईडिया हो चुका था कि मुंबई में फिल्मों के साथ-साथ नाटकों का भी काफी काम होता है। अपने किसी जानकार से इन्हें पता चला कि मुंबई में एलीक पदमसी अंग्रेजी में नाटक करते हैं।
इन्होंने किसी तरह एलीक पदमसी का नंबर निकाला और उन्हें फोन किया। एलीक पदमसी ने इन्हें अपने थिएटर ग्रुप से जुड़ने का मौका दिया। और उन्हीं छुट्टियों में इन्होंने एलीक पदमसी के ग्रुप से जुड़कर उनके एक नाटक में एक्टिंग भी की।
जबकी उस वक्त इनकी उम्र मात्र 14 बरस ही थी। छुट्टियां खत्म होने पर ये एक बार फिर से शेरवुड वापस लौट गए। और फिर जब ये दोबारा मुंबई लौटे तो शेरवुड से इनकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। मुंबई लौटने के बाद इन्होंने एलीक पदमसी के ग्रुप के साथ जुड़कर फुल टाइम थिएटर करना शुरू कर दिया।
पिता चाहते थे पायलट बनें दलीप
यहां आपको ये भी बताना ज़रूरी हैं कि उस ज़माने में दलीप ताहिल थिएटर में गाने भी गाते थे। यानि इनके कैरेक्टर्स कुछ ऐसे होते थे जिनको गाना भी पड़ता था। और थिएटर में गाने की ये ट्रेनिंग इन्हें शेरवुड में पढ़ाई के दौरान ही मिलने लगी थी।
और चूंकि ये अंग्रेजी गीत गाते थे तो इसिलिए गायकी में हाथ आज़माने के बारे में इन्होंने कभी नहीं सोचा। इसी दौरान इनके पिता ने भी इन पर दबाव बनाना शुरू कर दिया कि अब इन्हें अपने भविष्य और करियर को लेकर गंभीर हो जाना चाहिए। पिता चाहते थे कि ये पायलट बनें।
आपको जानकर हैरानी होगी कि दलीप ताहिल जी ने कुछ महीने फ्लाइंग की भी थी। लेकिन फ्लाइंग में इनका मन लगा नहीं। इन्होंने अपने पिता से कह दिया कि ये पायलट नहीं बनना चाहते हैं।
हालांकि इन्होंने पिता से एक्टर बनने के बारे में भी कुछ नहीं कहा था। लेकिन मन ही मन ये इरादा बना चुके थे कि इन्हें एक्टिंग लाइन में ही जाना है।
यूं आए फिल्मों में
दलीप ताहिल के पिता ने इनसे ग्रेजुएशन करने के लिए कहा। लेकिन उस वक्त मुंबई के किसी कॉलेज में इन्हें दाखिला नहीं मिला। ये दिल्ली आए। लेकिन दिल्ली में भी इन्हें पसंद के कोर्स में एडमिशन नहीं मिल सका।
तब अपने एक दोस्त के कहने पर ये अलीगढ़ यूनिवर्सिटी पहुंचे। अलीगढ़ यूनिवर्सिटी में इन्होंने एक साल तक बीए कोर्स की पढ़ाई की। लेकिन फिर इन्हें मुंबई के ज़ेवियर्स कॉलेज में एडमिशन मिल गया। और ये मुंबई वापस आ गए।
मुंबई आने के बाद पढ़ाई के साथ-साथ इन्होंने थिएटर फिर से शुरू कर दिया। साथ ही साथ ये डबिंग आर्टिस्ट भी बन गए। और चंद विज्ञापनों में इन्होंने जिंगल्स भी गाए। एक दिन एक नाटक में इन पर नज़र पड़ी श्याम बेनेगल साहब की।
श्याम बेनेगल उन दिनों अपनी फिल्म अंकुर के लिए कुछ नये कलाकारों की तलाश में थे। उन्होंने दलीप को अंकुर में एक छोटा सा रोल ऑफर किया। दलीप ने भी खुशी-खुशी वो रोल स्वीकार कर लिया।
अंकुर में Dalip Tahil का रोल साफ हो गया
लगभग आठ दिनों तक दलीप ताहिल ने अपने रोल की शूटिंग की। लेकिन जब फिल्म रिलीज़ हुई तो पता चला कि उनका रोल कटकर महज़ एक या दो दृश्यों का ही रह गया है।
दलीप ताहिल काफी निराश तो हुए। लेकिन उन्हें ये खुशी भी थी कि कम से कम उन्हें श्याम बेनेगल जैसे डायरेक्टर की फिल्म में काम करने का मौका मिला।
अंकुर के बाद दलीप के पास काफी समय तक फिल्मों का कोई ऑफर नहीं आया। इस दौरान वो थिएटर करते रहे। विज्ञापनों के लिए जिंगल्स गाते रहे। एक-दो दफा इन्होंने मॉडलिंग भी की।
और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा
साल 1980 में दलीप ताहिल नज़र आए रमेश सिप्पी की फिल्म शान में। इस फिल्म में ये एक सपोर्टिंग रोल में दिखे थे। लेकिन यहीं से दलीप ताहिल जी की ज़िंदगी ने एक नया मोड़ ले लिया।
शान के बाद इनके पास फिल्मों के खूब ऑफर्स आने लगे। 1982 में एक दफा फिर से ये अमिताभ बच्चन की फिल्म शक्ति में नज़र आए। इसी साल रिचर्ड एटनबरॉ की फिल्म गांधी में भी इन्होंने एक अहम किरदार जिया।
और फिर तो दलीप ताहिल ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इन्होंने फिल्मों में हर तरह के किरदार जिए। ये विलेन बने। अच्छे इंसान भी बने। और कॉमेडियन भी बने। और केवल फिल्मों में ही नहीं, इन्होंने टीवी पर भी काम किया।
बुनियाद को भला कौन भुला सकता है। बुनियाद के लगभग 10 साल बाद ज़ीटीवी के शो सटर्डे सस्पेंस में भी ये दिखे। बीबीसी की कुछ मिनी सीरीज़ में इन्होंने काम किया।
और साल 2015 में तो इन्होंने स्टार प्लस के शो सिया के राम में राजा दशरथ का किरदार भी निभाया। कुछ वेब सीरीज़ में भी इन्होंने अपनी दमदार मौजूदगी दर्ज कराई। जैसे द फैमिली मैन, होस्टेजेस, गिल्टी और मेड इन हैवन।
दलीप ताहिल की पर्सनल लाइफ
दलीप ताहिल के निजी जीवन के बारे में बात करें तो इन्होंने अमृता से शादी की है। अमृता अपने ज़माने में भारत की टॉप मॉडल हुआ करती थी। उनकी खूब तस्वीरें उस वक्त की मैगज़ीन्स में छपती थी।
उन्हीं तस्वीरों में दलीप ताहिल ने पहली दफा अमृता को देखा था। और पहली ही नज़र में दलीप को उनसे इश्क हो गया था। दलीप ने काफी कोशिशें करके अमृता से मुलाकात की।
शुरू में तो अमृता ने दलीप को ज़रा भी भाव नहीं दिया। लेकिन बाद में दलीप किसी तरह अमृता जी के दिल में घुसपैठ करने में कामयाब रहे। दोनों ने शादी कर ली।शादी के बाद अमृता जी ने मॉडलिंग छोड़ दी। और ग्रूमिंग बिजनेस शुरू कर दिया।
दलीप और अमृता का एक बेटा है जिसका नाम है ध्रूव ताहिल। ध्रूव ताहिल एक्टिंग जगत से कोसों दूर हैं। वो यूके में रहते हैं और वहां स्पोर्ट्स इंडस्ट्री से जुड़े हैं।
कुछ लोग कहते हैं कि दलीप ताहिल की एक बेटी भी है। लेकिन ये गलत है। दलीप ताहिल की कोई बेटी नहीं है। ध्रूव ताहिल उनकी इकलौती औलाद है।
Meerut Manthan Dalip Tahil की अच्छी सेहत के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है। और उम्मीद करता है कि आगे भी सालों तक दलीप ताहिल अपने एक्टिंग टैलेंट से सिनेमा के शौकीनों का मनोरंजन यूं ही करते रहेंगे। जय हिंद।
मदन चोपड़ा
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