Mukesh Rishi | Bollywood का Bulla जिसकी ज़िंदगी एक उपन्यास है खुल्ला | Biography
Mukesh Rishi. ऐसा होना नामुमकिन है कि आप भारत में रहने वाले कोई सिनेप्रेमी हैं और इस नाम यानि मुकेश ऋषि से वाकिफ ना हों।
नब्बे के दशक में एक से बढ़कर एक फिल्म में अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर राज करने वाले मुकेश ऋषि भले ही इन दिनों फिल्मों में कम ही नज़र आते हों,
लेकिन मुकेश ऋषि की फैन फॉलोइंग आज भी उतनी ही है जितनी कि उस दौर में थी जब सोशल मीडिया का नाम भी शायद किसी ने सुना होगा।
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Actor Mukesh Rishi Biography - Photo: Social Media |
Meerut Manthan में आज आपको Hindi Cinema के Dangerous Villain Mukesh Rishi की ज़िंदगी का किस्सा बताएगा। और आपको Mukesh Rishi का ये किस्सा ज़रूर पसंद आएगा।
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Mukesh Rishi की शुरूआती ज़िंदगी
19 अप्रैल 1956 को मुकेश ऋषि का जन्म जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुआ था। इनका परिवार स्टोन क्रशिंग यानि पत्थर तोड़ने के बिजनेस में था।
बचपन में मुकेश को क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी। मुकेश ने स्कूल लेवल पर काफी क्रिकेट भी खेला है।
मुकेश क्रिकेट में कितने माहिर थे इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि अच्छा क्रिकेट खेलने की बदौलत मुकेश को स्पोर्ट्स कोटे से पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिला मिल गया।
यूनिवर्सिटी की टीम में भी ये उपकप्तान बन गए। इसी दौरान घरवालों ने अपना कारोबार मुंबई तक फैला लिया। फिर एक दफा मुकेश ऋषि को मुंबई जाने का मौका मिला।
मुंबई जाकर ये अपने फैमिली बिजनेस में लग गए। लेकिन इनका मन उस बिजनेस में लग नहीं रहा था।
वहीं दूसरी तरफ, इनकी अच्छी-खासी कद-काठी और इनकी शानदार पर्सनैलिटी देखकर कई लोग इन्हें फिल्मों में काम करने की सलाह भी दिया करते थे।
हालांकि उस समय तक मुकेश को फिल्मों में काम करने में ज़रा भी दिलचस्पी नहीं थी।
जब भारत छोड़ फिज़ी पहुंचे Mukesh Rishi
मुकेश जब फैमिली बिजनेस से पूरी तरह ऊबने लगे तो इनके घरवालों ने इनके दिल के हाल को समझते हुए इन्हें छूट दी कि ये अपनी मनमर्ज़ी का काम चुन सकते हैं।
मुकेश को बस इसी मौके की तलाश थी। मुकेश ने पासपोर्ट बनवाया और फिज़ी आइलैंड पहुंच गए। वहां पहुंचकर मुकेश एक छोटी सी नौकरी करने लगे।
दरअसल, फिज़ी में मुकेश के पिता के एक दोस्त रहते थे और उनका वहां पर एक डिपार्टमेंटल स्टोर था। मुकेश उसी डिपार्टमेंटल स्टोर में नौकरी करने लगे।
यहां पर इनका साथ देने के लिए इनकी गर्लफ्रेंड केशनी भी मौजूद थी। केशनी फिजी आइलैंड की ही रहने वाली हैं और कॉलेज के दिनों मे ये भारत में मुकेश ऋषि के साथ ही पंजाब यूनिवर्सिटी में पढ़ती थी।
कॉलेज के दिनों में ही दोनों के बीच दोस्ती हुई थी और फिर ये दोस्ती प्यार में बदल गई थी। फिर फिजी आइलैंड पर ही मुकेश और केशनी ने शादी कर ली थी।
केशनी ने ही इन्हें उस कोर्स के बारे में जानकारी दी थी जिसमें रैम्प वॉक और कैटवॉक की ट्रेनिंग दी जाती थी।
मुकेश ने केशनी के कहने पर वो कोर्स जॉइन कर लिया और नौकरी से समय निकालकर मुकेश वहां क्लास अटैंड करने लगे।
इस दौरान हालात कुछ ऐसे बने कि मुकेश ने जैसे ही अपना ये कोर्स पूरा किया उन्हें काम के सिलसिले में न्यूज़ीलैंड जाना पड़ा।
न्यूज़ीलैंड में Mukesh Rishi ने शुरू की मॉडलिंग
न्यूजीलैंड में काम के दौरान ही एक दिन ऐसे ही घूमते-घूमते मुकेश एक मॉडलिंग एजेंसी पहुंच गए। मॉडलिंग एजेंसी वालों को मुकेश की पर्सनैलिटी काफी पसंद आई।
उन्होंने मुकेश से कैटवॉक कराई और उसके बाद उन्हें सिलेक्ट कर लिया। अगले ही दिन मुकेश को एक मॉडलिंग असाइनमेंट भी ऑफर कर दिया गया।
मॉडलिंग एजेंसी ने मुकेश को एक दुकान का पता दिया और कहा कि इस दुकान से आप अपने लिए ड्रेस ले लेना। मुकेश जब उस दुकान पर अपने लिए ड्रेस लेने पहुंचे तो वहां एक परेशानी खड़ी हो गई।
दरअसल, मुकेश इतनी लंबी-चौड़ी कदकाठी के मालिक हैं कि उनके नाप की कोई भी ड्रेस उस दुकान में मौजूद नहीं थी। किसी तरह ड्रैस की ये प्रॉब्लम सुलझाई गई और मुकेश ने अपना वो मॉडलिंग असाइनमेंट पूरा किया।
उसके बाद तो मुकेश के पास मॉडलिंग के ऑफर्स लगातार आते रहे और इन्हें बराबर काम मिलता रहा।
न्यूजीलैंड में ये अपनी स्टोर मैनेजर की नौकरी के साथ-साथ मॉडलिंग भी ढंग से कर रहे थे और बढ़िया पैसे भी कमा रहे थे। अब तक मुकेश को अंदाज़ा भी होने लगा था कि ज़िंदगी उन्हें किस तरफ लेकर जाना चाहती है।
और भारत लौट आए Mukesh Rishi
मुकेश न्यूजीलैंड में मॉडलिंग जगत में नाम कमाने लगे थे। लोग इनको पहचानने लगे थे। लेकिन इसी दौरान मुंबई में इनकी बहन की शादी तय हो गई।
बहन की शादी में शरीक होने के लिए मुकेश न्यूजीलैंड से मुंबई आ गए। इस दौरान उन्होंने अपने बड़े भाई से अपने दिल की बात बताई और उनसे कहा कि वो अभिनेता बनना चाहते हैं और फिल्मों में काम करना चाहते हैं।
भाई ने इनकी पूरी बात सुनी और इनसे कहा कि तुम अब बड़े हो गए हो और अपनी मर्ज़ी के मालिक हो। समझदार भी हो इसलिए जो मन में आए वो करो।
बस इतना ध्यान रखना कि जो भी काम करना है वो मन लगाकर करना है। भाई के मुंह से ये बात सुनकर मुकेश को काफी अच्छा लगा और इन्होंने वापस लौटकर न्यूजीलैंड ना जाने का फैसला किया।
हालांकि मुंबई में इन्हें अपनी शुरूआत एकदम शुरू से, या यूं कहें कि ज़ीरो से करनी थी।
मुकेश ने अक्ल से काम लिया और उन्होंने यूं ही डायरेक्टर्स-प्रोड्यूसर्स के दरवाज़ों पर धक्के खाने के बजाय पहले एक्टिंग की बारीकियां सीखना उचित समझा। मुकेश ने रोशन तनेजा के एक्टिंग स्कूल में दाखिला ले लिया।
यूं शुरू हुआ मुकेश का सफर
रोशन तनेजा और मुकेश के बीच में ये तय हुआ था कि जब रोशन तनेजा को लगेगा कि अब मुकेश को एक्टिंग आ गई है और वो फिल्मों में काम मांगने जा सकते हैं तो तब ही मुकेश फिल्मों में काम मांगने लोगों के पास जाएंगे।
फिर एक दिन रोशन तनेजा मुकेश को एक सीन की प्रैक्टिस करा रहे थे। उस सीन में इनके साथ आयशा झुल्का भी थीं, जो आगे चलकर बॉलीवुड में एक बड़ी अदाकारा भी बनी थी।
मुकेश उस सीन में इतना डूब गए कि मुकेश की आंखों में सच में आंसू आ गए। मुकेश के आंसू देखकर रोशन तनेजा इनके पास आए और इनसे बोले कि अब तुम्हें काम तलाश करना शुरू कर देना चाहिए क्योंकि अब तुम जान चुके हो कि एक्टिंग कैसे करनी है।
रोशन तनेजा के हौंसलाअफज़ाई करने के बाद मुकेश ऋषि ने काम तलाश करना शुरू कर दिया। शुरूआत में इन्हें कुछ एड फिल्स में काम करने का मौका मिला था।
इनका सबसे पॉप्युलर एड था थम्स अप का एड। उसके बाद इन्हें टीपू सुल्तान नाम के मशहूर टीवी सीरियल में भी काम करने का मौका मिला। इस सीरियल में ये मीर सादिक नाम के एक विलेन बने थे।
ये थी मुकेश की पहली फिल्म
टीपू सुल्तान में इनके काम को काफी पसंद किया गया था। हालांकि अभिनेता के तौर पर इनका संघर्ष अभी चल ही रहा था। फिर एक दिन इन्हें फिल्म गर्दिश में काम करने का ऑफर मिला।
उस ऑफर को इन्होंने बिना देर किए स्वीकार कर लिया। गर्दिश ही वो पहली फिल्म थी जिससे साउथ के बड़े डायरेक्टर प्रियदर्शन हिंदी सिनेमा में अपना डायरेक्टोरियल डेब्यू कर रहे थे।
इस फिल्म में मुकेश के किरदार का नाम बिल्ला जिलानी था। और कहना चाहिए कि मुकेश ने बड़े ही शानदार ढंग से अपने इस किरदार को जिया था। पहली ही फिल्म से मुकेश छा गए थे।
इस फिल्म में अमरीश पुरी एक शरीफ पुलिस वाले के किरदार में नज़र आए थे। दिग्गज विलेन रहे अमरीश पुरी को मुकेश ऋषि के हाथों पिटता देखकर लोग काफी हैरान और परेशान हुए थे।
पहली ही फिल्म से मुकेश हर सिने प्रेमी के ज़ेहन पर अपनी छाप छोड़ने में कामयाब रहे।
बड़ा रोचक है ये किस्सा
गर्दिश की शूटिंग के दौरान का एक किस्सा कुछ यूं है कि इस फिल्म में कई दिग्गज कलाकार थे और मुकेश ऋषि की ये पहली फिल्म थी।
ऐसे में राज बब्बर जो कि इस फिल्म में काम कर रहे थे उन्होंने फिल्म की शूटिंग शुरू होने से दो-तीन दिन पहले मुकेश को अपने घर बुलाया और उनसे कहा कि देखो मुकेश, तुम अभी नए हो।
इस फिल्म में कई नामचीन और बड़े सितारे हैं और हो सकता है कि उनके सामने डायरेक्टर का ध्यान तुम पर बहुत ज़्यादा ना जाए।
अगर ऐसा हुआ तो तुम्हें इससे नुकसान हो सकता है। इसलिए जब तुम अपनी कॉस्ट्यूम पहन लो तो समझ लो तुम मुकेश नहीं, बल्कि असलियत में बिल्ला जिलानी हो।
राज बब्बर से मिली ये सलाह मुकेश के बेहद काम आई। शूटिंग से पहले काफी ज़्यादा नर्वस हो रहे मुकेश को राज बब्बर की कही इन बातों से काफी सुकून मिला और फिल्म में उनका पहला सीन राज बब्बर के साथ ही था।
मुकेश ने बड़ी खूबसूरती से ये सीन कंप्लीट किया। और इस फिल्म के रिलीज़ होने के बाद पहली ही फिल्म से मुकेश ऋषि एक धाकड़ विलेन के तौर पर बॉलीवुड में लॉन्च हो गए।
जब यश चोपड़ा से मिले मुकेश ऋषि
मुकेश ने जब फिल्मों में काम करने का इरादा बनाया था तो उन्होंने फैसला कर लिया था कि उन्हें कोई हीरो नहीं बनना है। उन्होंने अपने आप को फिल्मों में विलेन के तौर पर काम करते देखने का ख्वाब देखा था।
उनके करियर की शुरूआत में उनके एक दोस्त ने किसी तरह उनकी मीटिंग महान फिल्मकार यश चोपड़ा के साथ फिक्स करा दी। मुकेश समय पर यश चोपड़ा से मिलने उनके ऑफिस पहुंचे।
वहां पहुंचकर जब उनकी मुलाकात यश चोपड़ा से हुई तो यश चोपड़ा उनसे बड़ी अच्छी तरह मिले और उन्होंने मुकेश से पूछा कि मुकेश उनसे क्या चाहते हैं।
मुकेश ने यश चोपड़ा को बताया कि वो एक्टर हैं और आपकी किसी फिल्म में काम करना चाहते हैं। मुकेश ने उन्हें ये भी बताया कि वो विलेन बनना चाहते हैं और अगर उन्हें काम दिया जाए तो विलेन के तौर पर ही दिया जाए।
मुकेश की ये बात सुनकर यश चोपड़ा मुस्कुराए और बोले, ''बेटा तुम्हें शायद मालूम नहीं है। लेकिन मेरी फिल्मों में विलेन नहीं होता।"
इस पर मुकेश यश चोपड़ा से बोले कि कोई परेशानी नहीं है सर। आपके पैर छू लिए, मेरे लिए यही काफी है। और ये बोलकर मुकेश यश चोपड़ा के ऑफिस से वापस अपने घर लौट आए।
ऐसे मुकेश को मिली सरफरोश
मुकेश ऋषि ने यूं तो फिल्मों में अधिकतर विलेन के किरदार ही निभाए हैं। लेकिन एक फिल्म ऐसी थी जिसमें उनके किरदार को लोगों ने पहली दफा पॉजिटिव रूप में देखा और उनके इस किरदार को बहुत ज़्यादा पसंद भी किया गया।
ये फिल्म थी सरफरोश। सरफरोश में मुकेश इंस्पेक्टर सलीम खान बने हैं जो कि इंस्पैक्टर राठौर यानि आमिर खान की टीम के एक अहम सदस्य होते हैं। सरफरोश में सलीम का किरदार मुकेश को मिलने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है।
ये है वो किस्सा
दरअसल, मुकेश हैदराबाद में आमिर खान के साथ बाज़ी फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। एक दिन बातों-बातों में आमिर खान ने मुकेश से कहा, "आशूतोष गोवारिकर सरफरोश नाम की फिल्म बना रहे हैं और मैं चाहता हूं कि तुम इसकी कहानी सुनो। इस फिल्म में सलीम नाम का एक किरदार है और मुझे उस किरदार के लिए तुम एकदम फिट लग रहे हो।"
फिर आमिर ने मुकेश को सरफरोश की कहानी सुनाई। मुकेश को ये कहानी और सलीम का किरदार बड़ा पसंद आया। उन्होंने आमिर से कहा कि वो ये किरदार ज़रूर निभाना चाहेंगे।
आमिर ने दिलाई ये फिल्म
आमिर के कहने पर बाज़ी के डायरेक्टर आशूतोष गोवारिकर ने सरफरोश के डायरेक्टर जॉन मैथ्यू से मुकेश के बारे में बात की तो उन्होंने मुकेश को कहा कि पहले तुम्हें टेस्ट देना होगा अगर टेस्ट में तुम पास हो गए तो तुम्हें ये रोल मिल जाएगा। शुरुआत में तो मुकेश ऋषि को ये अजीब लगा।
मगर जब उन्होंने जॉन मैथ्यू को अपना टेस्ट लेने में कोई कोताही ना बरतते हुए देखा तो मुकेश ने टेस्ट दे दिया और मुकेश इस टेस्ट में पास हो गए।
टेस्ट के बाद जॉन ने मुकेश को बताया कि तुम दरअसल हर एंगल से विलेन लगते हो। जबकी सलीम का रोल एक पॉजिटिव रोल है। मैं बस देखना चाह रहा था कि तुम इस रोल में लगोगे कैसे। इसलिए तुम्हारा ये टेस्ट लिया गया है।
ऐसा रहा है Mukesh Rishi का करियर
मुकेश ऋषि ने अपने करियर में एक से बढ़कर एक फिल्म में काम किया। सरफरोश में मिली कामयाबी के बाद इन्हें साउथ फिल्मों से खूब ऑफर्स आने लगे और मुकेश ने भी कई दमदार दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया।
इन्होंने तेलुगू, तमिल, कन्नड़ और मलयालम भाषा की कई सुपरहिट फिल्मों में अपने अभिनय के जलवे बिखेरे। साथ ही मुकेश ने पंजाबी और भोजपुरी भाषा की फिल्मों में भी काफी काम किया है।
बात अगर इनके करियर की प्रमुख हिंदी फिल्मों के बारे में करें तो इन्होंने साजन चले ससुराल, लोफर, सपूत, घातक, जुड़वा, गुंडा, लाल बादशाह, सूर्यवंशम, अर्जुन पंडित, पुकार, खिलाड़ी 420, कुरुक्षेत्र, जोड़ी नंबर वन, इंडियन, कोई मिल गया, दम, गर्व, क्रेज़ी 4, फोर्स और रक्तधर जैसी फिल्मों में काम किया है।
इन दिनों ये हिंदी फिल्मों में कम ही नज़र आते हैं। हालांकि साउथ की फिल्मों में ये अभी भी एक्टिव हैं और अभी भी ये साउथ में कई प्रोजेक्ट्स में काम कर रहे हैं।
इनके नक्शे कदम पर चलते हुए इनके बेटे ने भी एक्टिंग को ही अपना करियर बनाया है। और इनका बेटा निडर और द ग्रेट इंडियन एस्केप जैसी फिल्मों में नज़र आ चुका है। इन दो फिल्मों से ही इनके बेटे ने साबित कर दिखाया है कि वो भी अपने पिता की ही तरह काफी टैलेंटेड है।
Mukesh Rishi को सैल्यूट
मुकेश ऋषि की उम्र अब 64 साल हो चुकी है। भले ही मुकेश ऋषि अब हिंदी फिल्मों में उतने एक्टिव ना हों लेकिन दक्षिण भारत की कई भाषाओं की फिल्मों में वे अब भी नज़र आते रहते हैं।
हालांकि हिंदी भाषी क्षेत्रों के सिने प्रेमी आज भी मुकेश ऋषि की फिल्मों को उसी शिद्दत से देखना पसंद करते हैं जितना कि उस दौर में देखते थे जब मुकेश लगभग हर तीसरी एक्शन फिल्म में बतौर विलेन नज़र आ जाते थे।
फिल्म जगत में विशेष योगदान के लिए मेरठ मंथन मुकेश ऋषि को सैल्यूट करता है।
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