Arvind Trivedi | Ramanad Sagar की Ramayan में Ravan का किरदार निभाने वाले कलाकार की कहानी | Biography
Arvind Trivedi. इस नाम से कुछ लोग भले ही अच्छी तरह से वाकिफ ना हों, लेकिन इनके निभाए रावण के किरदार को आप बहुत अच्छी तरह से जानते होंगे। जी हां, यही थे जिन्होंने रामानंद सागर की रामायाण में लंकापति रावण का किरदार जीवित कर दिया था।
![]() |
Ravan of Ramayan Actor Arvind Trivedi Biography - Photo: Social Media |
आज हम आपको रामायण में Arvind Trivedi के रावण बनने का दिलचस्प किस्सा बताएंगे। यकीनन आपको Arvind Trivedi का ये किस्सा बेहद पसंद आने वाला है। लेकिन पहले नज़र डालते हैं इनकी ज़िंदगी की कहानी पर।
ये भी पढ़ें: Virasat 1997 Movie Trivia | विरासत फिल्म की कुछ अनसुनी और बहुत ही रोचक कहानियां जानिए
Arvind Trivedi का शुरूआती जीवन
अरविंद त्रिवेदी का जन्म 8 नवंबर 1938 को इंदौर में हुआ था। इनके पिता का नाम जेठालाल त्रिवेदी था और वो मूलरूप से गुजराती थे।
इनके भाई उपेंद्र त्रिवेदी भी इनकी तरह ही एक एक्टर हैं और उन्होंने कई हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया है। साथ ही रंगमंच की दुनिया से भी उपेंद्र त्रिवेदी जुड़े रहे हैं।
बड़े भाई के नक्शे कदम पर चलते हुए अरविंद त्रिवेदी भी फिल्मों की दुनिया में एक्टिव हुए और इन्होंने भी शुरूआत में थिएटर में काम किया।
उसके बाद ये फिल्मी दुनिया में उतरे और इन्होंने भी कई हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया। गुजराती फिल्मों में अरविंद और इनके भाई उपेंद्र को खूब सफलता मिली।
जब रामायण का हिस्सा बनने मुंबई पहुंचे Arvind Trivedi
फिल्मों के साथ-साथ अरविंद टीवी की दुनिया में भी एक्टिव हुए और इन्होंने सबसे पहले काम किया दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले बेहद मशहूर शो विक्रम और बेताल में। ये टीवी शो 1985 में दूरदर्शन पर प्रसारित होना शुरू हुआ था।
1987 में जब इन्हें मालूम चला कि रामानंद सागर रामायण बना रहे हैं और उसमें फिल्म इंडस्ट्री के कई बड़े और दिग्गज कलाकार काम कर रहे हैं तो इनके दिल में भी रामायण का हिस्सा बनने की ख्वाहिश जगी।
उन दिनों अरविंद त्रिवेदी गुजरात में थे और रामायण में केवट का रोल करने के लिए ये ऑडिशन देने के लिए मुंबई निकल पड़े।
अमरीश पुरी बनने वाले थे रावण
तब तक अरुण गोविल भगवान राम के किरदार निभाने के लिए चुन लिए गए थे। अरुण गोविल ने रामानंद सागर को रावण के किरदार के लिए अमरीश पुरी का नाम सुझाया था।
रामानंद सागर भी अमरीश पुरी को ही रावण के रोल के लिए कास्ट करना चाहते थे। लेकिन अमरीश पुरी ने ये रोल करने से इन्कार कर दिया।
अमरीश पुरी के इन्कार करने की दो वजहें थी। पहली ये, कि अमरीश पुरी उन दिनों विलेन के तौर पर सफल होना शुरू हुए थे। जबकी वो दौर टीवी के लिए एक नया दौर था। अमरीश पुरी खुद को टीवी के दायरे में नहीं बांधना चाहते थे।
और दूसरी वजह थी फिल्मों से मिलने वाला पैसा। रामायण सागर अमरीश पुरी को जो ऑफर दे रहे थे, अमरीश पुरी को वो पसंद नहीं आ रहा था। तो इस तरह अमरीश पुरी रामायण का हिस्सा बनने से रह गए।
इस तरह Arvind Trivedi बने रावण
अरविंद त्रिवेदी मुंबई आए और सीधा रामानंद सागर के ऑफिस पहुंचे। रामानंद सागर ने अरविंद त्रिवेदी का ऑडिशन शुरू किया और उन्हें स्क्रिप्ट पढ़ने को दी। अरविंद त्रिवेदी ने वो स्क्रिप्ट पढ़नी शुरू की।
और जब अरविंद त्रिवेदी ने वो स्क्रिप्ट पढ़कर खत्म की तो ऑडिशन रूम में सन्नाटा पसर गया। अरविंद को लगा कि शायद रामानंद सागर को उनका ऑडिशन पसंद नहीं आया।
एक असिस्टेंट को स्क्रिप्ट लौटाकर अरविंद त्रिवेदी वापस जाने लगे। उन्हें जाता देख रामानंद सागर अपने केबिन से उठकर आए और बोले मुझे लंकेश मिल गया। अब तुम रामायण में लंकेश का किरदार निभाओगे।
ये बोले थे रामानंद सागर
रामानंद सागर की ये बात सुनकर अरविंद त्रिवेदी हैरान थे। उनकी हैरानगी देखकर रामानंद सागर बोले तुम्हारी बॉडी लैंग्वेज देखकर मैं समझ गया था कि तुम रावण के रोल के लिए एकदम परफेक्ट हो।
वो रामायण के किरदार के लिए एक ऐसा एक्टर तलाश रहे थे जो ना केवल बुद्धिमान दिखता हो, बल्कि बलवान भी नज़र आता हो।
इत्तेफाक से तुम्हारे अंदर ये सारी खूबियां हैं। इसलिए तुम ही रामनायण में रावण बनोगे। और इस तरह अरविंद त्रिवेदी रामायण का हिस्सा बने।
ऐसी थी अरविंद त्रिवेदी की निजी ज़िंदगी
अगर इनकी निजी ज़िंदगी के बारे में बात करें तो अरविंद त्रिवेदी ने 12वीं तक की अपनी पढ़ाई मुंबई के भावन्स कॉलेज से की है। 4 जून 1966 को इनकी शादी हो गई।
इनकी पत्नी का नाम नलिनी है। उनसे इनकी तीन बेटियां हुई। अपने एक्टिंग करियर में इन्होंने 300 से भी ज़्यादा हिंदी और गुजराती फिल्मों में काम किया था।
राजनीति में भी चमके अरविंद
अरविंद त्रिवेदी ने राजनीति में भी अपने कदम रखे। साल 1991 के चुनावों में ये भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गुजरात की साबरकाठा लोकसभा सीट से जीतकर सांसद भी बने।
2002 में वाजपेयी सरकार में अरविंद त्रिवेदी को सीबीएफसी यानि सेंट्रल बोर्ड फॉर फिल्म सर्टिफिकेशन का चेयरमैन भी बनाया गया। इस पद पर ये एक साल से कुछ फालतू समय तक रहे।
गुजराती सिनेमा में इनके शानदार योगदान के लिए गुजरात प्रदेश सरकार की तरफ से 7 बार बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड भी दिया गया। 6 अक्टूबर साल 2021 को अरविंद त्रिवेदी जी ये दुनिया छोड़कर चले गए थे।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें