Five Interesting Facts about Gulzar | गुलज़ार के पांच बहुत ही रोचक तथ्य

Some Interesting Facts about Gulzar. गुलज़ार एक ऐसा नाम है जिसने अपनी कलम से दुनियाभर में अपने लाखों चाहने वाले बनाए हैं। कहानी कहने का गुलज़ार साहब का अंदाज़ बड़ा ही अनोखा है। 

गुलज़ार साहब की कलम से निकले किस्से और शेरो शायरियां अजर अमर हैं। गुलज़ार साहब के बारे में कहने के लिए इतना कुछ है कि दिन खत्म हो जाए लेकिन उनके बारे में कहने को तब भी बाकी रह जाए। 

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Some Interesting Facts about Gulzar - Photo: Social Media

गुलज़ार साहब के फैंस के लिए Meerut Manthan लेकर आया है उनसे जुड़ी कुछ अनुसनी और रोचक बातें। आपको Meerut Manthan की ये पेशकश ज़रूर पसंद आएगी। Some Interesting Facts about Gulzar.

01- 84 की उम्र में लिखा पहला उपन्यास

गुलज़ार साहब ने फिल्मों के लिए गीत लिखे। फिल्मों की कहानी लिखी। स्क्रिप्ट लिखी। डायलॉग्स लिखे। फिल्में डायरेक्ट भी की। उन्होंने कविताएं भी खूब कही। 

लेकिन 84 साल की उम्र में गुलज़ार साहब ने अपना पहला उपन्यास लिखा था। इस उपन्यास का नाम था दो लोग। भारत के बंटवारे के दौरान की कहानी कहता ये उपन्यास बेहद चर्चित है।

02- ग्रैमी अवॉर्ड और एकेडेमी अवॉर्ड

गुलज़ार साहब ने स्लमडॉग मिलेनियर के गीत जय हो के लिए बेस्ट ऑरिजिनल सॉन्ग का एकेडेमी अवॉर्ड जीता है। ये अवॉर्ड जीतने वाले गुलज़ार भारत के पहले शख्स हैं। 

गुलज़ार साहब ने इसी सॉन्ग के लिए ग्रैमी अवॉर्ड भी जीता है। हालांकि इस ग्रैमी अवॉर्ड में इनके साथ ए आर रहमान भी थे। अपने पूरे करियर में गुलज़ार साहब ने कुल 36 अवॉर्ड जीते हैं। 

03- सेंट स्टीफन्स कॉलेज में की थी पढ़ाई

बंटवारे के बाद जब गुलज़ार साहब का परिवार दिल्ली आया था तो गुलज़ार साहब ने दिल्ली के प्रख्यात सेंट स्टीफेंस कॉलेज में दाखिला लिया था। यहां ये आर्ट फैकल्टी के स्टूडेंट थे। गुलज़ार साहब ने लगभग 1 साल तक यहां पढ़ाई की। 

पर चूंकि इनके परिवार की आर्थिक स्थिति काफी बिगड़ने लगी थी तो इनके पिता ने इन्हें इनके बड़े भाई के पास भेज दिया जो उन दिनों मुंबई में रहा करते थे। मुंबई में गुलज़ार एक मोटर गैराज में काम करने लगे थे।

04- पिता के अंतिम संस्कार में नहीं हो सके थे शामिल

दिल्ली में जब गुलज़ार साहब के पिता का देहांत हुआ था तो उन दिनों ये बिमल रॉय के साथ मुंबई में एक फिल्म पर काम कर रहे थे। गुलज़ार साहब के पास पिता की मौत की खबर पांच दिनों के बाद पहुंची थी। 

गुलज़ार के भाई तो फ्लाइट लेकर दिल्ली आ गए थे। लेकिन इनके पास फ्लाइट की टिकट के पैसे नहीं थे। इन्हें ट्रेन से मुंबई से दिल्ली आना पड़ा। बड़े भाई से इनकी बहुत ज़्यादा बनती नहीं थी।

05- संजीव कुमार संग बनी थी जोड़ी

गुलज़ार साहब और संजीव कुमार की जोड़ी ने कई फिल्मों में धमाल मचाया था। अंगूर, मौसम, आंधी, कोशिश, परिचय। ये वो फिल्में हैं जिनमें गुलज़ार और संजीव कुमार की जोड़ी ने साथ काम किया था। 

संजीव कुमार के बारे में गुलज़ार कहते हैं कि वो एक कंप्लीट एक्टर थे। ऐसे कलाकार का दुनिया से इतनी जल्दी चले जाना फिल्म इंडस्ट्री के लिए बहुत नुकसानदायक साबित हुआ।

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